Rajesh Kumar Kaurav 261 posts Sort by: Latest Likes Views List Grid Previous Page 6 Rajesh Kumar Kaurav 25 Mar 2017 · 1 min read नवरात्र साधना पर्व आ गया पर्व साधना का, नवरात्रि के नाम से। शक्ति उपासना करके सुधारे, जीवन लक्ष्य सत्कार्य से। पेट प्रजनन आवास ही, जीवन उद्देश्य नहीं है। करें सत्कर्म साधक बन, आत्मोनन्ति... Hindi · कविता 1 744 Share Rajesh Kumar Kaurav 21 Mar 2017 · 1 min read यह हिन्दुस्तान हैं बेटा नदी किनारे बैठा, खीचता मिटाता रकील। निराशा से भरा मन, बैचेनी का बन प्रतीक। सहसा किसी ने टोका, क्या सोच रहे हो नव जवान। वैसक है कोई उलझन, समस्या से... Hindi · कविता 474 Share Rajesh Kumar Kaurav 13 Mar 2017 · 1 min read जीता कौन नाच और गान में, होली का रंग था। कबीर की वाणी हुर्यारों का संग था। चुनाव सी हलचल हार जीत का प्रशन था। कौन जीता कौन हारा, उलझन का गुरूर... Hindi · कविता 611 Share Rajesh Kumar Kaurav 12 Mar 2017 · 1 min read विजयश्री विजयश्री के जश्न में, बजते ढ़लोक और मृदंग । नृत्य गान रंग गुलाल से , बदल गये सबके रंगढंग। मिला श्रेय जो सौभाग्य है, करने को प्रभु के काज ।... Hindi · कविता 368 Share Rajesh Kumar Kaurav 9 Mar 2017 · 1 min read हुडदंग ह़ोली की साहित्यपीडिया परिवार को , होली की शुभकामना। साहित्य संग्रह कर इतिहास रचा, कर चुनौतियों का सामना। रंग बिरंगी कविताओं को, आश्रय दिया गया है। अनगढ़ रचनाकारो को भी, श्रैष्ट कवियों... Hindi · कविता 405 Share Rajesh Kumar Kaurav 27 Feb 2017 · 1 min read बेंटी को उलाहना बेंटी किसे दूँ उलाहना बता दोषी कौन है। बिगडे़ हालात ससुराल में, फिर भी तू मौन है। कल तक मिलकर रहें, संयुक्त परिवार मे, तेरे जाने क्या हुआ, बिखर गयें... Hindi · कविता 321 Share Rajesh Kumar Kaurav 23 Feb 2017 · 1 min read बेंटियों पर क्या लिखू बेंटियों पर क्या लिखूँ , लिख चुके हजारों लोग। दें दी सारी उपमा , कम पड़ा शब्दकोश। लिखनें को कुछ नही, पुछने मन करता है। ढ़ेर रचनाओं के वाद, क्यो... Hindi · कविता 380 Share Rajesh Kumar Kaurav 21 Feb 2017 · 1 min read पत्रकारिता ? पत्रकारिता हो रही बाजारू, कलम बिकती बाजार में। रसूदखोर प्रशंसा पाते, श्रेय मिलता अखवार में।। रीति युग का प्रचलन, हाबी ह़ोता दिख रहा। अधिकारि व नेताओं की, यश गाथा ही... Hindi · कविता 933 Share Rajesh Kumar Kaurav 5 Feb 2017 · 1 min read युग की पुकार कवि,स्वयं बना खलनायक, कविता लुटी वाजार में। कामुकता पर चली कलम, नारी के श्रृगांर में। सीता को दोषी ठहराया, क्यों अकेली कुटिया में। दुशासन की कर प्रशंसा, दोष द्रोपती पहनाव... Hindi · कविता 323 Share Rajesh Kumar Kaurav 2 Feb 2017 · 1 min read युग संदेश उठों पार्थ,संसय को छोडों, आगें बढ़ अब नाते जोडो़ं। शंखनाद कर सबें बुलाओं, स्वच्छता की बात बताओं। मिलजुल कर सबको है चलना, बाह्य शौंच मुक्त भारत को करना। गली गली... Hindi · कविता 261 Share Rajesh Kumar Kaurav 31 Jan 2017 · 1 min read भटकाव कोयल भटकी अपनी उडा़न में, जा पहुँची कौऔं के गाँव में। ड़री सहमी कुछ ब़ोल न पायी, कौओं ने समझा है बिरादरी का भाई। दुबला गया भूख प्यास उड़ान में,... Hindi · कविता 1 477 Share Previous Page 6