सिद्धार्थ गोरखपुरी Language: Hindi 726 posts Sort by: Latest Likes Views List Grid Previous Page 5 Next सिद्धार्थ गोरखपुरी 18 May 2022 · 1 min read यूँही वक़्त तय करता है क़ीमत सबकी लोग यूँही बेशकीमती बने जा रहे हैं -सिद्धार्थ गोरखपुरी Hindi · शेर 276 Share सिद्धार्थ गोरखपुरी 18 May 2022 · 1 min read सब बदल जाते हैं लहजा, सज्जा, छज्जा, मज्जा सब बदल जाते हैं समय और उम्र जब भी ढलने लगता है -सिद्धार्थ गोरखपुरी Hindi · शेर 154 Share सिद्धार्थ गोरखपुरी 18 May 2022 · 1 min read ऐ मेघ ऐ मेघ ले - ले जद में अपने इस समूचे आसमां को कर दे गर्मी शांत अब तो उन्माद भरे इस तपिश की फिर दिखा दे इस जहाँ को के... Hindi · कविता 1 4 529 Share सिद्धार्थ गोरखपुरी 15 May 2022 · 1 min read प्रारब्ध प्रबल है जीवन पथ पर कुछ खो जाने पर मानव हो जाता अधिक विकल है सबल -निबल नहीं है मानव बस केवल प्रारब्ध प्रबल है नीयत तय करती है नियति क्या खोना... Hindi · कविता 3 2 1k Share सिद्धार्थ गोरखपुरी 15 May 2022 · 1 min read कौन चाहे मतलबी भीड़ में मशहूर होना कौन चाहे आखिर खुद से बहुत दूर होना कौन चाहे -सिद्धार्थ गोरखपुरी Hindi · शेर 176 Share सिद्धार्थ गोरखपुरी 15 May 2022 · 1 min read वायदे हजार वायदे तो हजार कर दिए थे होशोहवास में न जाने कब लत उन्हे पैमाने की लग गयी -सिद्धार्थ गोरखपुरी Hindi · शेर 287 Share सिद्धार्थ गोरखपुरी 15 May 2022 · 1 min read ज्यादा मैंने उम्मीद तुमसे कुछ ज्यादा किया था क्योंकि तुमने वादे पर वादा किया था -सिद्धार्थ गोरखपुरी Hindi · शेर 249 Share सिद्धार्थ गोरखपुरी 15 May 2022 · 1 min read कुतर गए वायदे महज लफ्ज थे जो जेहन से उतर गए तुम उम्मीद की चादर ओढ़ के सोए थे चूहे कुतर गए -सिद्धार्थ गोरखपुरी Hindi · शेर 1 1 303 Share सिद्धार्थ गोरखपुरी 13 May 2022 · 1 min read गँवईयत अच्छी लगी माँ को न शहर अच्छा लगा न न शहर की शहरियत अच्छी लगी वो लौट आई गाँव वाले बेटे के पास के उसे गाँव की गँवईयत अच्छी लगी ममता भी... Hindi · कविता 3 2 709 Share सिद्धार्थ गोरखपुरी 10 May 2022 · 1 min read सिया जनक सुता जननी लव -कुश की अर्धांगिनी उत्तम पुरुष की त्याग की प्रतिमूर्ति सिया माँ बसती है प्रभु राम हिया मा नवमी तिथि वैशाख मास की शुक्ल पक्ष में जब... Hindi · कविता 2 2 525 Share सिद्धार्थ गोरखपुरी 7 May 2022 · 1 min read कुछ लफ्ज कुछ लफ्ज मोहब्बत के ग़र कहने ही हैं तुमको हो रूबरू आईने के और कह डाल जो है कहना -सिद्धार्थ गोरखपुरी Hindi · शेर 149 Share सिद्धार्थ गोरखपुरी 7 May 2022 · 1 min read ऐ समंदर ऐ समंदर!तेरे पानी में इजाफा क्या हुआ तूने तो इसे सबकी आँखों में बाँट दिया चलो बाँट ही दिया है, तो बस इतना बता दो कि उसे भावनाओं से तुमने... Hindi · शेर 1 149 Share सिद्धार्थ गोरखपुरी 7 May 2022 · 1 min read वक़्त माना वक़्त का तकाजा है कोई पूरा है तो कोई आधा है वक़्त अपने वक़्त पे भले न बदले मैं इसे बेवक्त बदलूँगा मेरा वादा है -सिद्धार्थ गोरखपुरी Hindi · मुक्तक 2 164 Share सिद्धार्थ गोरखपुरी 6 May 2022 · 1 min read खुद से हैसियत है तो उस से मोहब्बत कर लो ग़र नहीं तो खुद से मोहब्बत कर लो -सिद्धार्थ गोरखपुरी Hindi · शेर 223 Share सिद्धार्थ गोरखपुरी 6 May 2022 · 1 min read जिन्दगी की अंगीठी पे आदमी इतराता बहुत है अपनी जरा सी तकनीकी पे अरे अच्छे अच्छे ख्वाब सुलग जाते हैं जिन्दगी की अंगीठी पे -सिद्धार्थ गोरखपुरी Hindi · शेर 114 Share सिद्धार्थ गोरखपुरी 6 May 2022 · 1 min read खरीद कर ज्यादा गफलतें न पाल बहुत कुछ खरीद कर ग़र दम है तो दिखा दे किसी का गम खरीद कर -सिद्धार्थ गोरखपुरी Hindi · शेर 189 Share सिद्धार्थ गोरखपुरी 6 May 2022 · 1 min read लहजा लहजा वक़्त देखकर बदल जाता है आप से तुम, तुम से तूँ का सफ़र यूँही नहीं होता -सिद्धार्थ गोरखपुरी Hindi · शेर 1 434 Share सिद्धार्थ गोरखपुरी 4 May 2022 · 1 min read कुछ एक कुछ एक अपने भी हुआ करते थे कभी वक़्त अच्छा था तो दुआ करते थे सभी -सिद्धार्थ गोरखपुरी Hindi · शेर 1 203 Share सिद्धार्थ गोरखपुरी 4 May 2022 · 1 min read गाँव के रंग में रंग लो खुद को गाँव के रंग में तन - मन गाँव में ढाल के जीवन अनुभव की खान है ये हैं गाँव के लोग कमाल के रंग लो खुद... Hindi · गीत 6 4 577 Share सिद्धार्थ गोरखपुरी 1 May 2022 · 1 min read बुत रिश्ते बुत थे और निभाना इबादत थी अब लोग.. बुतपरस्ती के खिलाफ हो गए -सिद्धार्थ गोरखपुरी Hindi · शेर 163 Share सिद्धार्थ गोरखपुरी 1 May 2022 · 1 min read ये ख्वाब न होते तो क्या होता? ये ख्वाब न होते तो क्या होता? झोपड़ी में रहने वाले लोग जब थोड़े व्यथित हो जाते है वक़्त अपना भी बदलेगा जब ये खुद को समझाते हैं फिर रात... Hindi · कविता 3 2 623 Share सिद्धार्थ गोरखपुरी 1 May 2022 · 1 min read ऐब मोहब्बत ऐब है बस... ग़र करना ही है तो खुद से करो -सिद्धार्थ Hindi · शेर 1 130 Share सिद्धार्थ गोरखपुरी 30 Apr 2022 · 1 min read साथ चले धूप तेज हो तो हवा साथ चले अब मुमकिन कहाँ है के दुआ साथ चले -सिद्धार्थ गोरखपुरी Hindi · शेर 413 Share सिद्धार्थ गोरखपुरी 28 Apr 2022 · 1 min read निःशुल्क ये मुल्क अब पुराना मुल्क न रहा यार!! अब प्रेम निःशुल्क न रहा -सिद्धार्थ गोरखपुरी Hindi · शेर 390 Share सिद्धार्थ गोरखपुरी 28 Apr 2022 · 1 min read क्या कोई जाता है? क्या कोई जाता है? धन, दौलत,शोहरत और मकान लेकर आदमी चला जाता है बस! जिंदगी भर का लगान देकर जो बोया था वही काटा है यही तो जिंदगी का तमाशा... Hindi · कविता 291 Share सिद्धार्थ गोरखपुरी 25 Apr 2022 · 1 min read चौवन तंगहाली में है जीवन कट रहा जिम्मेदारी हजार और जाता यौवन कोई ख़ास हसरतें हुईं न पूरी बीत जाएगा आज मेरा चौवन हालत आज भी खराब है मेरी मन नहीं... Hindi · कविता 310 Share सिद्धार्थ गोरखपुरी 24 Apr 2022 · 1 min read कुछ नहीं मन मना ही कर रहा है पर मनाही कुछ नहीं आ गई है इक सुनामी पर तबाही कुछ नहीं मन के कोरे से पटल पर श्वेत से लिख डाला है... Hindi · गीत 1 2 572 Share सिद्धार्थ गोरखपुरी 24 Apr 2022 · 1 min read बांस का चावल मरते हुए बांस की अंतिम निशानी बांस चावल छः हजार प्रजातियों में सबसे खास बांस चावल आदमी के अंतिम गति में होता रहा हर दम शरीक कई बार कटा बढ़ता... Hindi · कविता 2 4 586 Share सिद्धार्थ गोरखपुरी 23 Apr 2022 · 1 min read सही कभी -कभी सही का एहसास इसकदर सही होता है कि लगता है की मै उतना ही सही था जितना सही! सही होता है -सिद्धार्थ गोरखपुरी Hindi · शेर 470 Share सिद्धार्थ गोरखपुरी 22 Apr 2022 · 1 min read संकरण हो गया संकरण हो गया जब से प्रकृति के बाग़ में भौंरे बागों से कोसो दूर जाने लगे अब तो फूलों में भी रंजिशें हो गईं एक दूजे को देख के मुरझाने... Hindi · गीत 514 Share सिद्धार्थ गोरखपुरी 22 Apr 2022 · 1 min read लिखे आज तक शब्द मैंने तो तुम तक लिखे आज तक मैंने कुछ एक मुक्तक लिखे आज तक राहें आसान होतीं तो लिखते और कुछ, हमने राहों के कंटक लिखे आज तक -सिद्धार्थ... Hindi · मुक्तक 2 4 395 Share सिद्धार्थ गोरखपुरी 22 Apr 2022 · 1 min read चला गया हमको हमारा वास्ता देकर चला गया ये वक़्त न जाने क्या - क्या लेकर चला गया आरजू हमारी थी कि ठहर जाए थोड़ी देर कुछ कहा-सुना नहीं क्योंकर चला गया... Hindi · मुक्तक 137 Share सिद्धार्थ गोरखपुरी 22 Apr 2022 · 1 min read हे माँ अवनि हे माँ अवनि! इस जग का सब भार तुम्हारे ऊपर है जीव -जन्तु, वनस्पतियों का आधार तुम्हारे ऊपर है खुशियाँ तुम बिन सम्भव ही नहीं संसार तुम्हारे ऊपर है तुम्हारे... Hindi · मुक्तक 147 Share सिद्धार्थ गोरखपुरी 21 Apr 2022 · 1 min read क्लासिफ़ाइड कुछ इस तरह से नौकरियों का मामला हाइड निकलता है जैसे अनपढ़ और ग्रेजुएट लिए क्लासिफाइड निकलता है अख़बार के पन्ने दिखाते अनगिनत सपने बेरोजगारों को तो भरोसा हो भी... Hindi · गीत 1 345 Share सिद्धार्थ गोरखपुरी 20 Apr 2022 · 1 min read एहसान करिए कृपा नहीं तो एहसान करिए प्रभु! थोड़ी सी जिंदगी आसान करिए -सिद्धार्थ गोरखपुरी Hindi · शेर 1 1 154 Share सिद्धार्थ गोरखपुरी 19 Apr 2022 · 1 min read चिरैया कोयल भी शहर की हो ली अब गाँव में बोले न बोली पर पेड़ नहीं शहरों में क्या ले ली है कोई खोली अब गांव में कम हैं गवैया आँगन... Hindi · गीत 1 2 199 Share सिद्धार्थ गोरखपुरी 16 Apr 2022 · 1 min read सदरीबाज़ सदरी गदर मचाती जाए कवि बना है सदरीबाज़ बिन सदरी के मंच न चढ़ना मंचों से कर दो आगाज सदरी के पीछे है हृदय धड़कता आती है धक्-धक् आवाज़ कवि... Hindi · मुक्तक 141 Share सिद्धार्थ गोरखपुरी 16 Apr 2022 · 1 min read ओम लिखा है भक्ति भाव भाव से ओत - प्रोत मन प्रभु चरित्र का व्योम लिखा है मन में उपजे हर कलुष विचार का भक्ति में आहुति होम लिखा है शब्द असंख्य लिखे... Hindi · मुक्तक 243 Share सिद्धार्थ गोरखपुरी 15 Apr 2022 · 1 min read नींबू महंगाई की गहरी चोट पर रेट के कुंठित घाव चढ़ गए रहन - सहन के साधन भी महंगाई के अलाव चढ़ गए आदमी के रिहाईड्रेशन का सहारा एक मात्र नींबू... Hindi · मुक्तक 1 1 228 Share सिद्धार्थ गोरखपुरी 13 Apr 2022 · 1 min read दफ़ा सांसे जब पहली दफा में ही दफा हो जाती हैं तो फिर धड़कनें आहिस्ते से बेवफा हो जाती हैं -सिद्धार्थ गोरखपुरी Hindi · शेर 139 Share सिद्धार्थ गोरखपुरी 13 Apr 2022 · 1 min read आदमी भटक जाता है मन भले ही दुख दर्द में अटक जाता है ख्वाब! ख़्वाब है जो दूर तलक जाता है हालात खराब हों तब भी ख़्वाब नहीं डगमगाते फिर आदमी न जाने क्यों... Hindi · मुक्तक 163 Share सिद्धार्थ गोरखपुरी 12 Apr 2022 · 1 min read धूप कड़ी कर दी उसने कुछ इस तरह से मुश्किल बड़ी कर दी के मैं धूप में निकला तो उसने धूप कड़ी कर दी - सिद्धार्थ गोरखपुरी Hindi · कविता 2 554 Share सिद्धार्थ गोरखपुरी 10 Apr 2022 · 1 min read श्रीराम धरा पर आए थे चैत्र शुक्ल नवमी तिथि पर श्रीराम धरा पर आए थे अवधपुरी में इस तिथि पर खुशियों के बादल छाए थे पुरुषो में पुरुषोत्तम हैं प्रभु मर्यादा को मर्यादित करते त्याग... Hindi · कविता 1 405 Share सिद्धार्थ गोरखपुरी 9 Apr 2022 · 1 min read जला दिए कुछ पन्ने तुम्हारी मोहब्बत के हमने जला दिए कुछ हसरतों को मेरी तुम सबने जला दिए आंसुओं से क्या भिगोया मैंने मोहब्बत की किताब को, फिर सारी किताब को हमारे... Hindi · मुक्तक 1 271 Share सिद्धार्थ गोरखपुरी 9 Apr 2022 · 1 min read हो रही है शुरुआत कम से हो रही है पर हमारी बात हमसे हो रही है लोगों को भरोसा कैसे दिलाऊं उनकी बात भरम से हो रही है -सिद्धार्थ Hindi · कविता 329 Share सिद्धार्थ गोरखपुरी 8 Apr 2022 · 1 min read रफीक तमाम ज़लालतें झेली फिर खुद का तस्दीक किया यार!बड़ी मुश्किल से मैंने खुदको खुद का रफीक किया -सिद्धार्थ गोरखपुरी Hindi · शेर 157 Share सिद्धार्थ गोरखपुरी 4 Apr 2022 · 1 min read परवाज तुमने परिंदे के परवाज को इसकदर जला दिया के जैसे घास-फूस का घर था तुमने घर जला दिया परिंदा हौसलों से उड़ने को बेताब क्या हुआ, तुमने उड़ने से पहले... Hindi · कविता 2 4 353 Share सिद्धार्थ गोरखपुरी 4 Apr 2022 · 1 min read संवत्सर चलता है मेरा मन तेरे मन से आगे ऐसे अक्सर चलता है जैसे अंग्रेजी कैलेंडर से आगे संवत्सर चलता है मन की मानो तो जान सकोगे मेरे मन की गहराई इसी भरोसे... Hindi · गीत 242 Share सिद्धार्थ गोरखपुरी 1 Apr 2022 · 1 min read आदिशक्ति के नौ रूप आदिशक्ति के नौ रूपों का , इस नवरात्रि में स्वागत है। माँ दुर्गा की पूजा को आतुर ,सारा जहाँ और भारत है। नारी शक्ति को संबल देकर माँ ने माँ... Hindi · गीत 2 354 Share सिद्धार्थ गोरखपुरी 1 Apr 2022 · 1 min read डगमग पाँव से गाँव चले पौवालय से पौवा लेकर डगमग पाँव से गाँव चले हीत -मित्र के प्रबल प्रेम में दिमाग़ में अनेक तनाव चले दिमाग़ बना है बुलेट ट्रेन जो बिन पटरी के दौड़... Hindi · कविता 308 Share Previous Page 5 Next