Dr MusafiR BaithA Language: Hindi 420 posts Sort by: Latest Likes Views List Grid Previous Page 3 Next Dr MusafiR BaithA 31 Jan 2024 · 1 min read यक्षिणी-20 यक्षिणी सवर्णघिचोरों के पल्ले पड़ गयी हो तुम सवर्णनिचोड़ हो रही है तेरी तुम्हें हिन्दू मिथक कथा की अपनी पात्र द्रौपदी बनाकर वे सब दुशासनों की तरह तुम्हें उघाड़ने में... Poetry Writing Challenge-2 · कविता 66 Share Dr MusafiR BaithA 31 Jan 2024 · 1 min read यक्षिणी-19 द्विज मर्द योजित प्रगतिशील यक्षिणी-चर्चा में शिरकत किया करती हैं सवर्ण घर की अंगनाएँ भी समझ रहे हैं न गणित स्त्री मर्दन का कितना योजित हो सकता है हो सकता... Poetry Writing Challenge-2 · कविता 50 Share Dr MusafiR BaithA 31 Jan 2024 · 1 min read यक्षिणी-18 जीवन और फिल्मों में कम यक्षिणी-बदन नहीं मिलती सवर्ण अंगनाएँ मगर मूर्तियां में ये मिलतीं कहां क्यों नहीं मिलतीं बताएँ यक्षिणी-ग्राही कलाकार उन्नत नग्न वक्ष के प्रगतिशील खरीदार! Poetry Writing Challenge-2 · कविता 91 Share Dr MusafiR BaithA 31 Jan 2024 · 1 min read यक्षिणी-17 कूची कलाकार की बेतरह केवल कुच पर फिरी कला सिरफिरी हरक़त हद की गिरी। Poetry Writing Challenge-2 · कविता 44 Share Dr MusafiR BaithA 31 Jan 2024 · 1 min read यक्षिणी-16 कवि सरेराह सजाई जिस्म में रखी तूने तेरी प्रशंसा प्राप्त यक्षिणी की जगह तो पुराख्याल तू! पुरख्याल हो बता तेरे अपने घर में पैसी छवि कैसी है यक्षिणी की पत्नीरूपा... Poetry Writing Challenge-2 · कविता 70 Share Dr MusafiR BaithA 31 Jan 2024 · 1 min read यक्षिणी-15 तबीयत झोंक कर यक्षिणी को देना आकर बताता है यह यौन लिप्सा की कलाकारी है चुनांचे यह खुला खेल फर्रूखाबादी है। Poetry Writing Challenge-2 · कविता 48 Share Dr MusafiR BaithA 31 Jan 2024 · 1 min read यक्षिणी-14 खुलना जब सोच समझकर आता है तो समझो खोलना कलाकारी नहीं तिज़ारत बन जाता है! Poetry Writing Challenge-2 · कविता 102 Share Dr MusafiR BaithA 31 Jan 2024 · 1 min read यक्षिणी-13 एक यक्षिणी के वक्ष तेरे द्वारा खोले जाने से हट जाते हैं वस्त्र वक्ष से हर काल की हरेक युवा स्त्री के! Poetry Writing Challenge-2 · कविता 67 Share Dr MusafiR BaithA 31 Jan 2024 · 1 min read यक्षिणी-12 यक्षिणी यक्षिणी खेलते रहो खोलते रहो ख़लिश अपनी ऐ खलकामी प्रगतिशील! Poetry Writing Challenge-2 · कविता 84 Share Dr MusafiR BaithA 31 Jan 2024 · 1 min read यक्षिणी-11 धरती पर रहते हुए सेक्स को किसी इतर लोक से ले आते हो ढूंढ करते अपने मिजाज में फिट ऑफबीट बीट कवि को मात करने की कोशिश में पैदा करते... Poetry Writing Challenge-2 · कविता 46 Share Dr MusafiR BaithA 31 Jan 2024 · 1 min read यक्षिणी-10 यक्षिणी को यदि जुबान होती और उसे गढ़ने वाले मर्दों से हिसाब लेने के अधिकार तो सोचो आज के रीति-मानस कवियो! तेरा क्या हाल होता? Poetry Writing Challenge-2 · कविता 50 Share Dr MusafiR BaithA 31 Jan 2024 · 1 min read यक्षिणी-9 काम का खुला शिल्प सामंती है खुला काम शिल्प नहीं हो सकता सामंत काम का शिल्पी नहीं हो सकता यक्षिणी काम की हो सकती है काम में भी हो सकती... Poetry Writing Challenge-2 · कविता 62 Share Dr MusafiR BaithA 31 Jan 2024 · 1 min read यक्षिणी-8 तुम्हारे मस्तिष्क-अक्ष पर यक्षिणी-वक्ष जो ठहरा चलते इसके तुझपर काम-सनक चढ़ी है गहरी। Poetry Writing Challenge-2 · कविता 55 Share Dr MusafiR BaithA 31 Jan 2024 · 1 min read यक्षिणी-7 सुन भई, बामन वस्राभरण तूने जितने बजरिये कथा-यक्षिणी देह पर उसके सजाए उससे अधिक तो आभूषण लगाए बकिये देह को रख दिया नंगा वक्ष नंगा रखा जो उसका सच सच... Poetry Writing Challenge-2 · कविता 46 Share Dr MusafiR BaithA 31 Jan 2024 · 1 min read यक्षिणी-6 यक्ष प्रश्न तूने मुहावरेदार प्रश्न बनाया यह अपने प्रश्न में तूने कथित यक्ष का जवाब भी खुद ही बनाया बता ऐ बामन उत्तर तू इस दलित प्रश्न का कि यक्ष... Poetry Writing Challenge-2 · कविता 53 Share Dr MusafiR BaithA 31 Jan 2024 · 1 min read यक्षिणी-5 क्यों बे बामन मनमौजी तूने यक्षिणी बनाई यक्षिणी के डीलडौल को गढ़ने में अपनी तंग-सेक्स तबीयत लगाई यह सब धतकर्म करते तुझे अपनी और अपने घर की लुगाई क्यों याद... Poetry Writing Challenge-2 · कविता 46 Share Dr MusafiR BaithA 31 Jan 2024 · 1 min read यक्षिणी-4 दीदारगंज की यक्षिणी को बनाये हुए हो तुम मशहूर परम अर्थी क्यों कोई तो बात होगी हुजूर क्यों बे गंज अगंज वासी दीदारार्थी! Poetry Writing Challenge-2 · कविता 61 Share Dr MusafiR BaithA 31 Jan 2024 · 1 min read यक्षिणी-3 यक्षिणी की भक्ति आसक्ति में अपनी एक मनुमानस-जीवी कवि ने पूरी किताब ही लिख डाली है अब ऐसी भक्ति का क्या कहिए जब कवि मनोचिकित्सा की प्रैक्टिस भी कर रहा... Poetry Writing Challenge-2 · कविता 59 Share Dr MusafiR BaithA 31 Jan 2024 · 1 min read यक्षिणी - 2 यक्ष यक्षिणी एक मिथकीय कल्पना है न जाने किस खुराफ़ाती ने सिरजा इसे किसने फिर प्रस्तर पर दिया इसे उतार उतारने में यक्ष को दिया बिसार और यक्षिणी को गहरे... Poetry Writing Challenge-2 · कविता 119 Share Dr MusafiR BaithA 31 Jan 2024 · 1 min read यक्षिणी -1 पटना के दीदारगंज की प्रसिद्ध है यक्षिणी की मूर्ति प्रसिद्ध है खास मर्दों के बीच इसकी पुष्टि को किसी मर्दमशुमारी की जरूरत नहीं उसके गदराए बदन और अधिपुष्ट उन्नत वक्ष... Poetry Writing Challenge-2 · कविता 58 Share Dr MusafiR BaithA 2 Jan 2024 · 2 min read माँ का अबोला / मुसाफ़िर बैठा याद नहीं कि माँ ने कभी अबोला किया हो मुझसे मुझसे भी यह न हुआ कभी बस एक अबोला माँ ने किया अपने जीवन की अंतिम घड़ी में और फोन... Hindi · कविता 1 1 157 Share Dr MusafiR BaithA 20 Dec 2023 · 1 min read बामन निपुन कसाई... भारत में अंग्रेजी शासन के आने से पहले ब्राह्मण लोग धरती पर देवता थे, अधिक मनुष्य बने हुए थे, ख़ुद को विशेषाधिकार ओढ़ा रखा था उन्होंने। उन्हें बड़े से बड़ा... Hindi · ब्राह्मण प्रिविलेज डिकोडेड 94 Share Dr MusafiR BaithA 18 Dec 2023 · 1 min read कोविड और आपकी नाक - परंपरा से आपकी नाक और जुबान चाहे जिस कदर की भी ऊंची रही हो, उच्चत्व में दीक्षित रही हो कोविड में उद्दाम उसे न छोड़िए नियंत्रण में रखिये रखिये मास्क... Hindi · कविता 114 Share Dr MusafiR BaithA 17 Nov 2023 · 1 min read अगड़ों की पहचान क्या है : बुद्धशरण हंस अगड़ों की पहचान क्या है? ~समाज में जिन्होंने जानलेवा वर्ण-व्यवस्था बनायी और फैलायी, आज वे अगड़े हैं। ~समाज में जिन्होंने जातिभेद फैलाया, आज वे अगड़े हैं। ~समाज में जिन्होंने ऊंचनीच... Hindi · अगड़ों की सही पहचान 219 Share Dr MusafiR BaithA 4 Nov 2023 · 1 min read ब्याज वक्तव्य मैं कहा चाहता हूं भारत का प्रधानमंत्री कह जाता हूं गुजरात नरसंहार का सरगना रचयिता मेरे कहने में जबकि कोई दोष नहीं है होश में ही कहने की की गई... Hindi · कविता 108 Share Dr MusafiR BaithA 31 Oct 2023 · 1 min read ब्याज वक्तव्य मैं कहा चाहता हूं भारत का प्रधानमंत्री कह जाता हूं गुजरात नरसंहार का रचयिता मेरे कहने में जबकि कोई दोष नहीं है होश में ही कहने की की गई कार्रवाई... Hindi · ब्याज वक्तव्य 243 Share Dr MusafiR BaithA 18 Oct 2023 · 1 min read इजरायल–फिलीस्तीन के बीच चल रही लड़ाई इजरायल–फिलीस्तीन के बीच चल रही लड़ाई में सांप्रदायिक घृणा का यह आलम है कि अमेरिका के/में एक इजरायल समर्थक 71 वर्षीय बुजुर्ग ने मुस्लिम घृणा पालते हुए एक 6 वर्ष... Hindi · इजरायल–फिलीस्तीन की लड़ाई 91 Share Dr MusafiR BaithA 18 Oct 2023 · 1 min read अपनी मानहानि को पैसे में तौलते महान! TMC सांसद महुआ मोइत्रा ने बीजेपी सांसद निशिकांत दूबे, वकील जय अनंत, सोशल मीडिया प्लेटफार्म X, गूगल, यूट्यूब और 15 मीडिया घरानों को उनके विरुद्ध गलत और मानहानि कारक खबरें... Hindi · मानहानि को पैसे में तौलते महान 88 Share Dr MusafiR BaithA 18 Oct 2023 · 1 min read धार्मिक आडंबर को सार्वजनिक रूप से सहलाना गैर लोकतांत्रिक पूजापाठ, रोजानमाज निजी घरों की चारदीवारी के भीतर हो, तभी वह सही है, संविधान के तहत अधिकार के भीतर है। जभी वह सार्वजनिक होता है, गली–मुहल्लों, चौक–चौराहों, मैदानों में जाकर... Hindi · धार्मिक आडंबर का प्रदर्शन गलत 226 Share Dr MusafiR BaithA 18 Oct 2023 · 1 min read सामाजिक प्रशिक्षण और चलन सामाजिक प्रशिक्षण ऐसा होता है हमारा कि अक्सर, आम चलन के विरुद्ध जाती चीज़ के हम विरोध में हो जाते हैं। समान लिंग के जोड़ों की शादी पर हमारे सुप्रीम... Hindi · समान लिंग की शादी पर सुप्रीम क 149 Share Dr MusafiR BaithA 14 Oct 2023 · 1 min read हिंदी साहित्य vs हिंदू साहित्य vs सवर्ण साहित्य हिंदी साहित्य मूलतः हिंदू साहित्य है; हिंदू साहित्य में भी सवर्ण साहित्य जिसका जिसका मुख्य उपजीव्य हिंदू धार्मिक अंधविश्वास है। इस साहित्य के अधिकांश लेखक भी अबतक सवर्ण ही हुए... Hindi · हिंदी साहित्य Vs हिंदू साहित्य 173 Share Dr MusafiR BaithA 30 Sep 2023 · 1 min read कविता – खुजली और इलाज कविता कंटीन्यूअस उत्पन्न खुजली है तो फेसबुक इंस्टैंट रिलीफ गिवर इचगार्ड! हड़बड़िया कवि रोगी है तो गड़बड़िया कविता उसका रेचक और हर्रे लगे न फिटकरी टाइप इलाज़! Hindi · कविता 228 Share Dr MusafiR BaithA 28 Sep 2023 · 1 min read गाय, बछड़ा और गौभक्त / musafir baitha भक्तो! गायों ने, गाय के किसी प्रतिनिधि ने तुम्हारे समीप जाकर तेरे कानों में फुसफुसा कर भी कभी दावा किया क्या कि मैं तेरी मां हूं जो हल्ला, होहल्ला करके... Hindi · कविता 1 103 Share Dr MusafiR BaithA 28 Sep 2023 · 1 min read ’राम की शक्तिपूजा’ ’राम की शक्तिपूजा’ बामन कवि निराला की ही नहीं, हिंदी की बहुत ही घटिया कविता है जो कपटी प्रगतिशील बौद्धिकों/सवर्णों के चलते नाहक ही मशहूर कर दी गई है। Hindi · घटिया कविता · नाहक मशहूर 180 Share Dr MusafiR BaithA 16 Sep 2023 · 1 min read संस्कृति / मुसाफ़िर बैठा संस्कृति बहुस्रोतों से निकसित और प्लावित वह निर्दोष निरीह अथवा सदोष पक्षपाती निराकार पानी है जो सत्ता संगी धर्म–बर्तन से अपने आकार–प्रकार को पाने को विवश है! इसे आप लोककथा... Hindi · कविता 172 Share Dr MusafiR BaithA 9 Sep 2023 · 1 min read गुण अपहरण!!! गुण अपहरण!!! ~~~~~~~~~ कुछ वास्तविक और आभासी दुनिया के मित्र हैं। पता नहीं, मैं उनको नाराज़ कर पाता हूं या नहीं, मगर, मैं उनसे यदाकदा नाराज़ होने की हद तक... Hindi · गुस्से का अपहरण 123 Share Dr MusafiR BaithA 6 Sep 2023 · 1 min read नाम बदलने के रोगियों से एक आह्वान/ musafir baitha भगवो और हिंदू धर्म रोगियो! स्थानों, वस्तुओं और देश का नाम बदले की अपनी सनक, शगल और बुभुक्षा को शांत करने के लिए चाहो तो देश की राजधानी को जम्मू–कश्मीर... Hindi · नाम बदलने की राजनीति 322 Share Dr MusafiR BaithA 3 Sep 2023 · 1 min read सवर्ण/ musafir baitha मां को गर्भ ठहरा गर्भ में वह आदमी की शक्ल अख्तियार करता गया जैसे सब अजन्मा मनुष्य करते हैं गर्भ से बाहर निकला जातिव्यवस्था की दुनिया में आया सवर्ण का... Hindi · कविता 85 Share Dr MusafiR BaithA 3 Sep 2023 · 1 min read कविता और गरीब की लुगाई / MUSAFIR BAITHA कविता और गरीब की लुगाई ~~~~~~ कविता जैसे निबला की पत्नी और गांव भर की भौजाई होकर रह गई है जिसके भी चाहे जो मन में आए कविता के नाम... Hindi · कविता 153 Share Dr MusafiR BaithA 2 Sep 2023 · 1 min read गाय को पता नहीं/ प्रसिद्ध व्यंग्यकार और कवि विष्णु नागर की कविता गाय को पता नहीं ----------------------- गाय को पता नहीं कि उसके नाम पर इतने हत्यारे पैदा हो चुके हैं उसे पता होता तो और तो वह क्या करती अपने बछड़े... Hindi · कविता 126 Share Dr MusafiR BaithA 31 Aug 2023 · 1 min read कविता के नाम पर बतकुच्चन/ musafir baitha ’प्रगतिशील’ कविता बेसिकली बेसिरपैर के बिंबों–प्रतीकों–मुहावरों–अलंकारों वाली बतकुच्चन होती है। यह परंपरा से सवर्णों एवम् उच्च जातीय बनियों की फ़सल थी, जिसमें अब देखादेखी बहुजन भी मुंह मार रहे हैं। Hindi · कविता के नाम पर बतकुच्चन 121 Share Dr MusafiR BaithA 30 Aug 2023 · 1 min read चांद पर आदमी / musafir baitha अमेरिका सन 1969 में यानी 54 वर्ष पहले ही मानव सहित यान चांद पर भेज चुका, हम अभी इत्ते दिनों बाद छूछे यान भेज रहे हैं। अमेरिका कुल 24 वैज्ञानिकों... Hindi · चंद्रयान मिशन · चांद पर आदमी 1 319 Share Dr MusafiR BaithA 30 Aug 2023 · 1 min read स्वस्थ विचार / musafir baitha किसी भी धार्मिक अंधविश्वास और वाह्याचार के आकर्षण में हम न बंधें तो बेहतर। वैज्ञानिक सोच को व्यवहार में जीना ही मानवीयता का मूलाधार होना चाहिए। ब्राह्मणों के हस्तक्षेप वाले... Hindi · वैज्ञानिक चिंतन 1 102 Share Dr MusafiR BaithA 27 Aug 2023 · 1 min read मुकरी / MUSAFIR BAITHA मुकरी पग बिनु चलै सुनै बिनु काना मुश्किल है उनको पहचान पाना बेमेल मेल का खेल यह बड़ा निराला क्या सखि कथित भगवन–भक्त का, नहिं वामी-दलित वाला। Hindi · कविता · मुकरी 64 Share Dr MusafiR BaithA 27 Aug 2023 · 1 min read मुकरी / musafir baitha लब खोला न लियो डकार वा दिन पी गयो दुग्ध चमच्च के चमच्च न बचा विशेष क्यों सखि कोऊ दैत्य दानव नहि मुख-हस्ति-मनुख-देह धारी देव गणेश Hindi · कविता · मुकरी 111 Share Dr MusafiR BaithA 27 Aug 2023 · 2 min read आसाराम बापू पर एक कविता / मुसाफ़िर बैठा लय-लड़ी में इक भावोच्छ्वास : राम ! राम!! आसाराम ई आसा सदृश निराशा अबके लंगड़े लोकतंत्र में ना कुछ कम साधुवेशी राजा है धन दौलत और शोहरत का चरम संभाले... Hindi · कविता 186 Share Dr MusafiR BaithA 27 Aug 2023 · 1 min read दुआ / musafir baitha आदमी मूलतः स्वार्थी है, दुनियाभर के सुखों, साधनों, बल वैभवों का स्वामित्व चाहता है। यह उसे छल-छद्म, झूठ-सच, तिकड़म और श्रम से न सधे तो भी चाहिए होता है !... Hindi · विचार 123 Share Dr MusafiR BaithA 24 Aug 2023 · 1 min read मैं क्यों पढ़ता लिखता हूं / musafir baitha एक बड़े प्राइवेट प्रकाशक के बड़े बुद्धिजीवी चाकर ने फेसबुक पर पूछा है – “हम पढ़ते क्यों हैं?“ जहां तक मेरी बात है तो पढ़ने की मेरी भूख मेरे माता... Hindi · मैं क्यों पढ़ता लिखता हूं 200 Share Dr MusafiR BaithA 24 Aug 2023 · 1 min read भगवान का बाप भगवान का बाप चूंकि आदमी है और भगवान बिना दिमाग की अनगढ़–अकर्मण्य औलाद है आदमी की, इसलिए, निठल्ले और बेकार के भगवान से उसके सर्जकों (आदमी) को कोई सहायता पाने... Hindi · भगवान का बाप आदमी 97 Share Dr MusafiR BaithA 23 Aug 2023 · 1 min read ठिठुरता हुए गणतंत्र का चांद ठिठुरता हुआ गणतंत्र भी चांद पर यान भेजता है और राष्ट्रभक्ति की चर्बी आंख पर चढ़ाकर जनता लोककथा की चिड़िया की तरह अपने शासक रूपी शिकारी के जाल में फंस... Hindi · सामयिक टिप्पणी 153 Share Previous Page 3 Next