Kanchan Khanna Language: Hindi 163 posts Sort by: Latest Likes Views List Grid Previous Page 4 Kanchan Khanna 8 Jul 2022 · 1 min read समाजसेवा "सुनो, कोरोना का प्रकोप लगातार बढ़ रहा है। कुछ परिवार की भी चिन्ता है या बस समाजसेवा में ही लगे रहोगे।" चुनाव - रैली से लौट कर घर पहुँचे, नेताजी... Hindi · कहानी 3 256 Share Kanchan Khanna 19 Jun 2022 · 1 min read दिवस नहीं मनाये जाते हैं...!!! देश में हमारे दिवस नहीं मनाये जाते हैं। पितृ दिवस, मातृ दिवस, शिक्षक दिवस, संस्कारों में हमारे यहाँ, सिखाये जाते हैं। देश में हमारे दिवस नहीं मनाये जाते हैं, बात... Hindi · कविता 1 4 328 Share Kanchan Khanna 3 Jun 2022 · 3 min read मेरी गुड़िया (संस्मरण) बचपन की अपनी एक दुनिया होती है। इस दुनिया में मित्रों से अधिक प्रिय खिलौने और उनसे जुड़े खेल होते हैं। कोई व्यक्ति जब बच्चा होता है तो उसे कोई... Hindi · संस्मरण 3 4 1k Share Kanchan Khanna 3 Jun 2022 · 1 min read जून की दोपहर (कविता) जल रही तवे सी, जून की दोपहर, बरस रहा हर तरफ, मानो सूरज का कहर, टपक रहीं माथे से, टप -टप पसीने की बूंदे, हुए सभी घर के कैदी, कैसे... Hindi · कविता 733 Share Kanchan Khanna 26 May 2022 · 1 min read मिसाल (कविता) खेल रही हूँ जिंदगी का खेल, जानते हुए भी; कि - जीत अनिश्चित है और, हार खड़ी रहती है मुँह बायें, देखकर मुस्कुराती है, उपहास करती प्रतीत होती है, खेल... Hindi · कविता 404 Share Kanchan Khanna 22 May 2022 · 1 min read चाय-दोस्ती - कविता सर्दी बहुत बढ़ गयी है, आखिर जनवरी का महीना है, रेस्तरां में खड़े यूंही, किसी ने कहा, हम भी मुस्कुरा दिये, चाय हो जाये एक प्याली, साथ बैठे, चाय पी,... Hindi · कविता 2 2 749 Share Kanchan Khanna 2 May 2022 · 1 min read औरतें काम पर जाती हैं औरतें, दफ़्तरों से अस्पतालों तक, स्कूलों से काॅलजों तक, बिल्डिंग से पुल बनाने तक, खेती से कामवाली बाई तक, हर स्थान पर अनेक रूपों में, काम... Hindi · कविता 2 635 Share Kanchan Khanna 21 Apr 2022 · 4 min read महाकवि नीरज के बहाने (संस्मरण) महाकवि नीरज नहीं रहे। उनसे कोई व्यक्तिगत परिचय नहीं था, परंतु लेखन में रूचि और साहित्य से बचपन से ही गहरा लगाव होने के कारण उनका जाना मन में एक... Hindi · संस्मरण 3 2 334 Share Kanchan Khanna 19 Apr 2022 · 1 min read पेड़ - बाल कविता हरे - भरे से रहते खड़े, हठ अपनी पर वो अड़े। आँधी, वर्षा या तूफान, सबके समक्ष सीना तान।। दूर गगन से करते बातें, धरती में हैं जड़ें जमाते। देते... Hindi · कविता 1 6 974 Share Kanchan Khanna 18 Apr 2022 · 1 min read पापा सारे घर की तुम हो शान, तुमसे ही है मेरी पहचान। आज बहाना नहीं बनाना, पापा जल्दी घर आ जाना। मैं हूँ नटखट और शैतान, करता हूँ तुमको परेशान गुस्सा... “पिता” - काव्य प्रतियोगिता एवं काव्य संग्रह · कविता 5 12 537 Share Kanchan Khanna 18 Apr 2022 · 1 min read पिता पिताजी, कैसे कह दूँ , कैसे बता दूँ दुनिया को, आपके लिए मैं क्या थी..? आपकी सोन चिरैया मैं, सीने लगाये जिसको, दिखायी दुनिया आपने, दिया था आसमान, भरने को... “पिता” - काव्य प्रतियोगिता एवं काव्य संग्रह · कविता 9 24 982 Share Kanchan Khanna 17 Apr 2022 · 1 min read पिया-मिलन नैनों में लगा के काजल, अधरों पर सजा मुस्कान। पिया-मिलन को चली झूमती, मैं गौरी अल्हड़, नादान।। चंदा सा है रूप सलोना, "कंचन" सी है काया। मेंहदी रची हथेलियों में,... Hindi · कविता 4 2 787 Share Kanchan Khanna 16 Apr 2022 · 1 min read कन्या रूपी माँ अम्बे ओढ़ के चुनरी, कर श्रृंगार, नन्हीं वैष्णवी हो गयी तैयार। माँ अम्बे सा रूप सजाया, सबके मन को बहुत लुभाया। हाथों में पहने सुन्दर कंगन, पैरों में पायल करती छन-छन।... Hindi · कविता 803 Share Previous Page 4