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पुन: विभूषित हो धरती माँ ।
पुन: विभूषित हो धरती माँ ।
Saraswati Bajpai
मन सीख न पाया
मन सीख न पाया
Saraswati Bajpai
वो एक तुम
वो एक तुम
Saraswati Bajpai
जाने क्यों वो सहमी सी ?
जाने क्यों वो सहमी सी ?
Saraswati Bajpai
गज़ल
गज़ल
Saraswati Bajpai
क्या प्रात है !
क्या प्रात है !
Saraswati Bajpai
रिश्ते
रिश्ते
Saraswati Bajpai
जब हम छोटे बच्चे थे ।
जब हम छोटे बच्चे थे ।
Saraswati Bajpai
मुझको ये जीवन जीना है
मुझको ये जीवन जीना है
Saraswati Bajpai
तन-मन की गिरह
तन-मन की गिरह
Saraswati Bajpai
पिता
पिता
Saraswati Bajpai
नित हारती सरलता है।
नित हारती सरलता है।
Saraswati Bajpai
खींच तान
खींच तान
Saraswati Bajpai
कहां जीवन है ?
कहां जीवन है ?
Saraswati Bajpai
राम ! तुम घट-घट वासी
राम ! तुम घट-घट वासी
Saraswati Bajpai
राम
राम
Saraswati Bajpai
नीड़ फिर सजाना है
नीड़ फिर सजाना है
Saraswati Bajpai
मौन की पीड़ा
मौन की पीड़ा
Saraswati Bajpai
खुशियों की रंगोली
खुशियों की रंगोली
Saraswati Bajpai
ईश प्रार्थना
ईश प्रार्थना
Saraswati Bajpai
कल जब हम तुमसे मिलेंगे
कल जब हम तुमसे मिलेंगे
Saraswati Bajpai
यदि मेरी पीड़ा पढ़ पाती
यदि मेरी पीड़ा पढ़ पाती
Saraswati Bajpai
तुम धूप छांव मेरे हिस्से की
तुम धूप छांव मेरे हिस्से की
Saraswati Bajpai
जाने कैसी कैद
जाने कैसी कैद
Saraswati Bajpai
आज कुछ ऐसा लिखो
आज कुछ ऐसा लिखो
Saraswati Bajpai
खोलो मन की सारी गांठे
खोलो मन की सारी गांठे
Saraswati Bajpai
आज तिलिस्म टूट गया....
आज तिलिस्म टूट गया....
Saraswati Bajpai
क्या अटल था?
क्या अटल था?
Saraswati Bajpai
हे विधाता शरण तेरी
हे विधाता शरण तेरी
Saraswati Bajpai
मुस्कुराहटों के मूल्य
मुस्कुराहटों के मूल्य
Saraswati Bajpai
मनस धरातल सरक गया है।
मनस धरातल सरक गया है।
Saraswati Bajpai
कविता मेरा संसार है
कविता मेरा संसार है
Saraswati Bajpai
जीने की वजह तो दे
जीने की वजह तो दे
Saraswati Bajpai
मैं
मैं
Saraswati Bajpai
कन्दर्प की भेंट
कन्दर्प की भेंट
Saraswati Bajpai
होलिका की अग्नि में
होलिका की अग्नि में
Saraswati Bajpai
निज कर्मों से सौभाग्य गढें
निज कर्मों से सौभाग्य गढें
Saraswati Bajpai
क्या ये एक प्रवास था ?
क्या ये एक प्रवास था ?
Saraswati Bajpai
हूक
हूक
Saraswati Bajpai
कुछ नया इतिहास लिख दो
कुछ नया इतिहास लिख दो
Saraswati Bajpai
आलम्ब सबको चाहिए
आलम्ब सबको चाहिए
Saraswati Bajpai
मन मुझको अवमुक्त करो अब
मन मुझको अवमुक्त करो अब
Saraswati Bajpai
घट जाने पर क्यों भारी है ?
घट जाने पर क्यों भारी है ?
Saraswati Bajpai
मैं नारी सृष्टि का श्रृंगार हूं
मैं नारी सृष्टि का श्रृंगार हूं
Saraswati Bajpai
एक नया प्रस्थान होगा
एक नया प्रस्थान होगा
Saraswati Bajpai
विधना की तुम पर दृष्टि है
विधना की तुम पर दृष्टि है
Saraswati Bajpai
सामञ्जस्य
सामञ्जस्य
Saraswati Bajpai
बिखरते अहसास
बिखरते अहसास
Saraswati Bajpai
मां की पाती
मां की पाती
Saraswati Bajpai
रिश्तों के ताने बाने
रिश्तों के ताने बाने
Saraswati Bajpai
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