Suryakant Dwivedi Language: Hindi 265 posts Sort by: Latest Likes Views List Grid Previous Page 5 Next Suryakant Dwivedi 15 Apr 2022 · 1 min read पुस्तक की पीड़ा पुस्तक विमोचन मजमा और तकरीर कौन पढ़ता है यहाँ मियां तेरी तहरीर।। बंद ज़िल्द खुलती नहीं/और कसीदे पढ़ते हैं अक्सर समय की तराजू पर ये मासूम हैं कितने अक्षर। हर... Hindi · कविता 1 1 280 Share Suryakant Dwivedi 31 Mar 2022 · 1 min read क्या सुनाऊँ अपनी कहानी गीत क्या सुनाऊं अपनी कहानी क्या सुनाऊं सबकी कहानी घर का राजा, घर की रानी महल न दासी ,जीवन पानी उल्लासों ने जब घर छोड़ा मल्लाहों ने जब मुँह मोड़ा... Hindi · गीत 175 Share Suryakant Dwivedi 28 Mar 2022 · 1 min read कौओं का संसार लिखने को तो लिख रहे, हम सब गीत हज़ार कम बड़ी यह बात नहीं, देख समय की धार यूँ ही लय में सब रहें, यह जीवन अनमोल कहती कोयल हर... Hindi · मुक्तक 161 Share Suryakant Dwivedi 26 Mar 2022 · 1 min read व्यंग्य क्षणिकाएं कविता की भूख पेट की आग कभी शांत नहीं होती तभी तो मदारी हूँ वक़्त का शिकारी हूँ।। 2 सियासत की रोशनी में कुछ दिखाई नहीं देता जो दिखाई देता... Hindi · कविता 294 Share Suryakant Dwivedi 24 Mar 2022 · 1 min read व्यंग्य क्षणिकाएं 1 अध्यक्ष बनो संरक्षक बनो मार्ग दर्शक बनो बात एक है.. टिकट कट गया.. अब गंगा नहा लो..। 2 वयोवृद्ध .... मुगालते की सुपर डिग्री आशीर्वाद की जिल्द और पन्ने... Hindi · कविता 310 Share Suryakant Dwivedi 15 Mar 2022 · 1 min read बहू का विदाई गीत बहू का विदाई गीत परिपाटी के मस्तक द्वारे, संस्कारों की छाँव आई दुल्हन सहमे सहमे, साजन अपने गाँव हुई विदा जब बाबुल अंगना, दिल में था बस नीर सूखी-सूखी आँखें... Hindi · गीत 373 Share Suryakant Dwivedi 13 Mar 2022 · 1 min read जानकी ओह जानकी भाग में, क्या तेरे संताप। हर युग में तूने सहा, ताप ताप बस ताप।। सूर्यकांत Hindi · दोहा 210 Share Suryakant Dwivedi 13 Mar 2022 · 1 min read विपदाओं की भीड़ में विपदाओं की भीड़ में, हिम्मत ही हथियार जिस दिन बैठूं इक घड़ी, पूरा घर लाचार मात- तात को देखिए, क्या उनका है हाल नर-नारी के भेद से, क्या संभव संसार।।... Hindi · मुक्तक 186 Share Suryakant Dwivedi 13 Mar 2022 · 1 min read तुम सीता हो तुम सीता हो राम की, राधा मीरा श्याम एक अवध की आन है, दूजा सबका धाम लिखो कभी उस दर्द को, रहा अनकहा राज़ जिसे भोगते -भोगते, बीती उम्र तमाम।।... Hindi · मुक्तक 256 Share Suryakant Dwivedi 9 Mar 2022 · 1 min read पथ से कैसे हार मान लूँ *गीत* मैं जीवन की अभिलाषा हूँ कैसे मैं मझधार मान लूँ मैं राही हूँ पगडंडी का पथ से कैसे हार मान लूँ झंझावातों की बस्ती में बदले बदले चेहरे सबके... Hindi · गीत 233 Share Suryakant Dwivedi 7 Mar 2022 · 1 min read घुँघरू पाँव के गीत मान तुम, प्रतिमान तुम, मेरे जीवन की दशा कहते घुँघरू पाँव के, भूल जाओ अवदशा नसीब में जो था नहीं, है मिला मुझको यहाँ करीब वो जो थे नहीं,... Hindi · गीत 295 Share Suryakant Dwivedi 5 Mar 2022 · 1 min read जिंदगी जब तक हैं आंखें खुली, तब तक चाँद चकोर। ज्यूँ जग से रुखसत हुए, रहे न आँगन भोर छोटी सी है ज़िन्दगी, रख बुलंद क़िरदार कहती कब सूरजमुखी, सूरज मेरी... Hindi · मुक्तक 1 232 Share Suryakant Dwivedi 5 Mar 2022 · 1 min read भूगोल नहीं समझ आता मुझे, धरती का भूगोल वक्री वक्री चाल है, चेहरा क्यों सुडोल है सारे संसार की, रचना ही संताप खेले सारी उम्रभर, हुआ न कोई गोल।। सूर्यकांत द्विवेदी Hindi · मुक्तक 198 Share Suryakant Dwivedi 5 Mar 2022 · 1 min read मन का जुगनू मन का जुगनू *गीत* जाने कहाँ गई वो बातें,कहाँ गई वो रातें ढूंढ रहा है मन का जुगनू, हर आँगन चौबारे कसौटी पर हम भी तुम भी, और दुनिया ये... Hindi · गीत 303 Share Suryakant Dwivedi 2 Mar 2022 · 1 min read व्यंग्य क्षणिकाएं तन ने बाजार में कीमत लगाई हाथों-हाथ बिक गया।। मन तो पागल था बिना कीमत लुट गया। 2 सभ्यताओं के स्टॉल पर कोई नहीं आता क्योंकि यहाँ तमाशा नहीं होता।... Hindi · कविता 340 Share Suryakant Dwivedi 28 Feb 2022 · 1 min read एक घर था कभी *एक घर था* एक घर था..! अब मकान है दीवारें दरक रही हैं नींव हिल रही है कहने को सभी हैं रहता कोई नहीं है चींटी भी नहीं चढती दीमक... Hindi · कविता 2 291 Share Suryakant Dwivedi 26 Feb 2022 · 1 min read युद्ध और शांति *युद्ध और शांति* धधकती ज्वालाओं के बीच कभी न कभी गंगाजल निकलेगा और तुम कहोगे युग परिवर्तन हो गया।। तब यही इतिहास तुमसे करेगा सवाल युग बदला....? कब बदला...?? किसने... Hindi · कविता 1 2 221 Share Suryakant Dwivedi 24 Feb 2022 · 1 min read दिन छोटे हो गये *गीत* दिन छोटे हो गये दिल छोटे हो गये क्या से क्या हो गये क्या से क्या हो गये दहकते मकान में पानी था बेसबर सोच रहा वो यही जाऊं... Hindi · गीत 231 Share Suryakant Dwivedi 23 Feb 2022 · 1 min read क्या होगा लिखने से गीत क्या होगा लिखने से भैया, क्या होगा छपने से मौन पड़े जब शब्द यहां तो, क्या होगा कहने से रखते थे किताब में हम, मोरपंख भी यादों में रहे... Hindi · गीत 1 2 206 Share Suryakant Dwivedi 20 Feb 2022 · 1 min read क्षरण गीत गीत तन से अपने वसन घटाकर जयती जयती बोल रहे हैं गिरने को आतुर है गंगा पग धरती के डोल रहे हैं। ह्रास सभी पनघट पर देखा गागर ऊंची तन... Hindi · गीत 223 Share Suryakant Dwivedi 17 Feb 2022 · 1 min read चरित्र *चरित्र* दिन और रात के चरित्र में कितना अंतर होता है.. दिन में दोस्त सभी रात में तन्हा होता है। उजली उजली बातें अपनी रहने दो कड़वी कड़वी बातें उनको... Hindi · कविता 374 Share Suryakant Dwivedi 16 Feb 2022 · 1 min read धूप में रक्त मेरा *अतुकांत कविता* *धूप में रक्त मेरा* हर किरण के संग कदा यह रक्त भी तपा होगा बहा होगा पसीना फिर सूरज तब खिला होगा। जाने कितने पलों को मैंने,मिट्टी में... Hindi · कविता 1 184 Share Suryakant Dwivedi 7 Feb 2022 · 1 min read क्या क्या कुछ उधार था जीवन पर चुका दिया हमने भी क्या क्या बिता दिया।। सूरज, चाँद, सितारे ये रश्मि ये अँगारे सभी तो अपने थे पेट की भूख ने भी क्या-क्या... Hindi · कविता 392 Share Suryakant Dwivedi 24 Jan 2022 · 1 min read आना धीरे धीरे *गीत* अहसासों की बस्ती मेरी, आना धीरे धीरे। मोरपंख सा जीवन मेरा,पढ़ना धीरे धीरे।। दर्द अपना कब कहती नदिया सागर पाने को तन-मन की यह आस पुरानी जग में छाने... Hindi · गीत 194 Share Suryakant Dwivedi 23 Jan 2022 · 1 min read मन का गीत आप सुनो तो तान छेड़ दूं, मन के गीत सुनाने को सर सर सर बहती है सरिता, मन के भाव जताने को चंदा ने चुनरी फहराई, तारों का मस्तक चूमा... Hindi · गीत 1 474 Share Suryakant Dwivedi 22 Jan 2022 · 1 min read वजूद है मेरा वजूद है मेरा हनक है मेरी यह आसमान यह धरती यह भोर यह रश्मि सब मेरी हैं सूर्य है क़ैद भोर मुट्ठी में द्वार पर रथ किसके हैं..? सब मेरे... Hindi · कविता 206 Share Suryakant Dwivedi 20 Jan 2022 · 1 min read दोहे वेश बदलते जो यहाँ, लेते नव-अवतार। आज उन्हीं की जेब में, टिकटों का संसार।। सूर्यकांत Hindi · दोहा 335 Share Suryakant Dwivedi 20 Jan 2022 · 1 min read मेरुदंड यह मेरुदंड है न! जिस पर हम खड़े हैं वह टूट गया है.. हमसे रूठ गया है शरीर का बोझ सहन नहीं होता अनवरत अघात अनवरत पक्षघात अनवरत पीड़ा, यह... Hindi · कविता 2 349 Share Suryakant Dwivedi 19 Jan 2022 · 1 min read दोहा बन दूल्हा मेंढक चला, कह मौसम का हाल। आ रही है तेज घटा, लोकतंत्र की चाल।। सूर्यकांत Hindi · दोहा 306 Share Suryakant Dwivedi 18 Jan 2022 · 1 min read दोहा मौसम के भी भाग में, जीवन सा संग्राम। कभी बारिश, धूप है, ठंड का कोहराम।। सूर्यकांत Hindi · दोहा 379 Share Suryakant Dwivedi 18 Jan 2022 · 1 min read देर तक देर तक नदियों को पीकर पर्वतों को लांघकर कौन बहा है देर तक। वादियों के मध्य ये जिंदगी की रेत पर कौन चला है देर तक। पग-पग नापते धरती अंबर... Hindi · कविता 395 Share Suryakant Dwivedi 14 Jan 2022 · 1 min read सूर्य! तुम क्यों मकर में आ गये मकर संक्रांति .......... उत्तरायण हो गए तुम राशि बदल दी तुमने धनु से मकर में आ गए तुम सूर्य हो, अदम्य ओजस्वी।। असम्भव क्या तुम्हारे लिए न भी होते तो... Hindi · कविता 318 Share Suryakant Dwivedi 13 Jan 2022 · 1 min read श्रीराम राम हमारी वसीयत, कृष्ण बिहारी नूर। सत्य सनातन कोष में,धन दौलत भरपूर।। सूर्यकांत Hindi · दोहा 478 Share Suryakant Dwivedi 13 Jan 2022 · 1 min read मैं पृष्ठ कहाँ से लाऊँ मैं पृष्ठ कहाँ से लाऊं मैं गीत कहाँ से गाऊँ हैं शब्दों के ऋण तेरे मैं प्रीत कहाँ से पाऊँ। माना इस नगरी में तेरे सब साथी हैं सुख दुख... Hindi · कविता 207 Share Suryakant Dwivedi 12 Jan 2022 · 1 min read का बताई कैसे बा *कमरे से* ( जन्मी कविता) -आपके घर में कमरे है? जी। तभी तो घर है - कितने कमरे हैं? जी। तीन -ओके। टॉयलेट है? जी। बिना इसके कहाँ काम चलेगा?... Hindi · कविता 404 Share Suryakant Dwivedi 12 Jan 2022 · 1 min read का बताई कैसे बा *कमरे से* ( जन्मी कविता) -आपके घर में कमरे है? जी। तभी तो घर है - कितने कमरे हैं? जी। तीन -ओके। टॉयलेट है? जी। बिना इसके कहाँ काम चलेगा?... Hindi · कविता 358 Share Suryakant Dwivedi 8 Jan 2022 · 1 min read आँसू टपके आँसू आँख से, और होंठ पर लीन। हँसते हँसते रो पड़े, जीवन के दो सीन।। सूर्यकांत द्विवेदी Hindi · दोहा 1 434 Share Suryakant Dwivedi 8 Jan 2022 · 1 min read दो दोहे दो दृष्टिकोण *आशा* बदल बदल कर करवटें, ले सपनों की आस। आ रहा सूरज कोई, भरने को उच्छवास।। *निराशा बदल-बदल कर करवटें, करती नींद कमाल। सपनों की इस सेज पर, कुछ दिन... Hindi · दोहा 273 Share Suryakant Dwivedi 23 Jun 2021 · 1 min read सच, कितना बदल गया हूँ *सच, कितना बदल गया हूँ* अब न रूप रहा न रंग धन न दौलत रिश्ते न नाते प्यार न यार शोहरत न नाम कितना बदल गया हूँ न मैं... खूँटी... Hindi · कविता 1 2 238 Share Suryakant Dwivedi 22 Jun 2021 · 1 min read तीन दोहे *तीन दोहे* बाँट दिये जब तात ने, सबको सबके अंश बचा रहा बस भाग में, जन्म जन्म का दंश।। 2 हिस्से हिस्से हो गई, माँ बूढी नीलाम इधर उधर है... Hindi · कविता 349 Share Suryakant Dwivedi 16 Jun 2021 · 1 min read गीत क्या कर लेगा कोई तुम्हारा, अड़े रहो आकाशी बूँदों का, अस्तित्व नहीं होता रात रात भर, जाग जाग कर नयन क्यों खोवै पल दो पल की नींद तुम्हारी सपन क्यों... Hindi · गीत 1 1 624 Share Suryakant Dwivedi 16 Jun 2021 · 1 min read गीत झुर्रियां झुर्रियां, झुर्रियां झुर्रियां मुख पे छाई हुई रश्मियां रश्मियां डोलता है गगन, बोलती यह धरा संभलो-संभलो कि कांपती यह जरा क्या पता तुमको,हमने पढ़ी सुर्खियां झुर्रियां झुर्रियां झुर्रियां झुर्रियां।।... Hindi · गीत 1 1 262 Share Suryakant Dwivedi 16 Jun 2021 · 1 min read गीत संवेदना के पर कतरे, और ऊंचे हो गए कौन कहे ये दर्द यारा, यार नीचे हो गए खुली खुली थीं खिड़कियां जो सिर हवाओं के कटे हौले हौले कह रहा... Hindi · कविता 2 2 311 Share Suryakant Dwivedi 1 Jul 2018 · 1 min read मुक्तक विरल से क्यों सब सघन हो गये खोकर स्वयँ , हस्ताक्षर हो गये सीखकर ज़िन्दगी से संधियाँ नाम अपने ही अलग हो गये । * सूर्यकान्त द्विवेदी Hindi · मुक्तक 2 1 296 Share Suryakant Dwivedi 18 May 2018 · 1 min read सांकल सांकल सांकल-सांकल सांकल, सांकल हो गया मन बैरागी हो गया.... तारों से हमने पूछा नील गगन है क्या तेरा है गगन तो तेरा अपना तू टूटता क्यों फिरा तारा बोला, मैं... Hindi · कविता 240 Share Suryakant Dwivedi 6 May 2018 · 1 min read ज्वार भाटा मन में कितने ज्वार भाटे क्या तुझको मैं बतलाऊँ उठना गिरना सब कुदरत है कैसे किस्मत को समझाऊं । * सूर्यकान्त द्विवेदी Hindi · मुक्तक 526 Share Suryakant Dwivedi 6 May 2018 · 1 min read ज्वार भाटा मन में कितने ज्वार भाटे क्या तुझको मैं बतलाऊँ उठना गिरना सब कुदरत है कैसे किस्मत को समझाऊं । * सूर्यकान्त द्विवेदी Hindi · मुक्तक 559 Share Suryakant Dwivedi 6 May 2018 · 1 min read अस्त सूर्य सूर्य अस्त घोर तिमिर की बेला थी निस्तेज खड़ा रश्मि रथ अश्व उसके सब बंधक स्तब्ध पड़ा ज्योति पथ तेज पुंज का वो पोषक देदीप्यमान, ज्योतिर्पुंज अग्नि थी धधक-धधक ठंडी... Hindi · कविता 1 915 Share Suryakant Dwivedi 1 May 2018 · 1 min read मन दीप बंधन के दीप दीप जलाओ घर में अपने, है बहुत अंधेरा बाती ये बंधन की छोटी, है अभी सवेरा। कितने कच्चे प्यार के धागे बात बात पर टूटे कैसा ये... Hindi · कविता 496 Share Suryakant Dwivedi 1 May 2018 · 1 min read मन दीप बंधन के दीप दीप जलाओ घर में अपने, है बहुत अंधेरा बाती ये बंधन की छोटी, है अभी सवेरा। कितने कच्चे प्यार के धागे बात बात पर टूटे कैसा ये... Hindi · कविता 564 Share Previous Page 5 Next