नवल किशोर सिंह 172 posts Sort by: Latest Likes Views List Grid Previous Page 4 नवल किशोर सिंह 12 Sep 2018 · 1 min read वरदान(हास्य-कविता) वरदान एक हिप्पी कट भक्त ने खूब करी भगवान की सेवा चाँदी के चकमक सिक्के चढ़ाए और नैवेद्य-भोग में खिलाये दूध,मलाई और मेवा मौन तपस्या में लीन थे प्रभु कि... Hindi · कविता 1 520 Share नवल किशोर सिंह 11 Sep 2018 · 1 min read उसूल उसूल मजबूरियों की आँच पर तिल तिल कर पिघलता उसूलों का मोम। तंग संसाधनों की धुँध से आच्छादित होता आदर्शों का व्योम। चकनाचूर होते सपने बिलग हुए अपने आतुर क्षुधा... Hindi · कविता 1 268 Share नवल किशोर सिंह 11 Sep 2018 · 1 min read ठूँठ पेड़ ठूँठ पेड़ नदी के किनारे अनगिन शाखोंवाला एक दरख़्त सघन,विशालकाय झंझावातों में अडिग धरती से जुड़ा,बेहद सख्त। इन अनगिन शाखों पर अनगिन डालियाँ थी डालियों में टहनियाँ थी डालियाँ पल्लवित,... Hindi · कविता 1 407 Share नवल किशोर सिंह 11 Sep 2018 · 1 min read मोमबत्ती मोमबत्ती विरहिण-दिल, मोमबत्ती की लौ तिल तिल कर जल रहा है। हृदय में इसके कोलाहल है, चित्त भी अतिशय चंचल है शनैः शनैः पिघल रहा है। गर्म उसांसे छोड़ता हुआ... Hindi · कविता 1 321 Share नवल किशोर सिंह 11 Sep 2018 · 1 min read घरौंदा घरौंदा समँदर किनारे एक घरौंदा बनाया था मैंने रेत पर। अंजाम से अनजान, निपट,नादान फिसलते रेत कण दरकते सपने बड़े जतन से सहेज कर। झूमा था मन-मयूर, पागल,खुशी से इतराया... Hindi · कविता 1 408 Share नवल किशोर सिंह 10 Sep 2018 · 1 min read पावस की प्रथम फुहार पावस की प्रथम फुहार पावस की प्रथम फुहार छन छन कर धरणी के तवे पर गिर रहा। धरती के हृदय पे फलतः फफोले तिर रहा। ठीक वैसे ही,जैसे विरहिणी के... Hindi · कविता 2 508 Share नवल किशोर सिंह 9 Sep 2018 · 1 min read परलोकतंत्र परलोकतंत्र लोकतंत्र नाकाम यहाँ परलोकतंत्र हमें दे दो भगवन। वादे औ भाषण,फिर क्यूँ हिले सिंहासन सत्तासिद्धि हो संभव जिससे वो अमोघमंत्र हमें दे दो भगवन। तुम,अपनी सत्ता को तो देखो... Hindi · कविता 1 767 Share नवल किशोर सिंह 8 Sep 2018 · 1 min read आवारा बादल आवारा बादल मैं,आवारा बादल का टुकड़ा हूँ भटका रहे हैं, मुझको हवा के उच्छृंखल झोंके यहाँ से वहाँ, वहाँ से यहाँ पथभ्रमित कर,दे देकर धोखे। क्या पता,कभी बरस भी पाउँगा... Hindi · कविता 1 475 Share नवल किशोर सिंह 7 Sep 2018 · 1 min read चित्त चंचल चित्त चंचल,चित्तचोर चौधरी शीतल रात,मंद,मृदु समीर उठी झनक, झुरझुर शरीर मन उमंग भादो का बेंग सरक सरक कर रेंग रेंग कर से टटोल,खोल करपाश बड़ी आस,प्रिया की तलाश कोशिश निःशब्द,किए... Hindi · कविता 256 Share नवल किशोर सिंह 2 Sep 2018 · 1 min read रसलीन संजय रसलीन संजय सदा सरस,रसलीन संजय कविता नई,पर वही कहानी नई बोतल में मद्य पूरानी तीक्ष्ण तीर,उलट वाणी कबीर मन्मथ रंग,उमंग सदा अबीर चुस्की,मुस्की से ओतप्रोत मद-संगम-नद में प्रति गोत मदन... Hindi · कविता 375 Share नवल किशोर सिंह 25 Aug 2018 · 1 min read इंसानियत इंसानियत मेरे सामने खड़े इंसा तू ही बोल। तुझे इंसा कहूँ या नकाबपोश। जिसे देखता हूँ वो तू नही मानवपन की केवल कलई है। मानवता उसमें कहीं नहीं, अंदर तो... Hindi · कविता 239 Share नवल किशोर सिंह 25 Aug 2018 · 1 min read नन्दू भए जवान नंदू भये जवान कौन सा आटा खाते कहाँ करते पिसान। बढ़ी उमर,चढ़ी कमर,पर नन्दू भये जवान। देख एकदिन घर खाली बजाए नन्दू भैया ताली और भौजी संग खेलन लगे कबड्डी,... Hindi · कविता 449 Share नवल किशोर सिंह 25 Aug 2018 · 1 min read चित्तचोर चौधरी चित्तचोर चौधरी मन चातक,नज़र बड़ी घातक, दृश्य भोग में कछु न पातक, अति मृदुभाषी, रति विलासी विगतयौवना इनकी दासी, सौंदर्य-रत्न के जौहरी। चित्त चंचल, चित्तचोर चौधरी। रति उपासक,संसर्ग साधक, मिलन... Hindi · कविता 502 Share नवल किशोर सिंह 23 Jun 2018 · 1 min read कितने बदल गए हो तुम? परिवर्तन कितने बदल गए हो तुम? पेड़ की एक डाली पर बैठा मैं, और दूसरे पर तुम। मेरे चोंच से चूते चहचह, और तुम्हारे कण्ठ से मधुर कलरव। परिचयक,परस्पर प्रेम... Hindi · कविता 282 Share नवल किशोर सिंह 23 Jun 2018 · 1 min read सराय सराय पहले हम पति पत्नी थे, अब मैं,उनकी पत्नी हूँ। और यह घर, जो पहले घर होता था, और वे भी इसके बाशिंदे थे, मौत नही हुई थी तब हमारी,... Hindi · कविता 577 Share नवल किशोर सिंह 12 Jun 2018 · 1 min read टूटा तारा टूटा तारा मैं टूटा तारा आसमाँ का मेरा कहीं कोई ठौर नहीं। मैं मंजर विहीन एक ठूँठ पेड़ मुझपे आते कभी बौर नहीं। वो आये,आकर चले गए। हम नेह लगाकर... Hindi · कविता 417 Share नवल किशोर सिंह 9 Jun 2018 · 1 min read सिद्धांत सुना था बुरी नज़र वालों का मुँह काला होता है। अब देखो सियासत में कैसे सिद्धांतों का दिवाला होता है। -नवल किशोर सिंह #नवलवाणी Hindi · मुक्तक 224 Share नवल किशोर सिंह 9 Jun 2018 · 1 min read भेद जिस थाली में खाते उसी में करते छेद हैं। ये हिन्दुस्तान है यारों, यहाँ जाति, धरम का भेद है। -नवल किशोर सिंह #नवलवाणी Hindi · मुक्तक 558 Share नवल किशोर सिंह 3 Jun 2018 · 1 min read यूँ ही भली है जिंदगी उम्र के साथ साथ कब चली है ज़िन्दगी। जब जब किया भरोसा तब छली है ज़िन्दगी। पड़ाव,दुराव,छिपाव,अभाव ज़िन्दगी तेरे कितने भाव, मत उकेर तूलिका से कुछ रंग, रहने दे पटल... Hindi · मुक्तक 278 Share नवल किशोर सिंह 3 Jun 2018 · 1 min read सिरमौर सफल वही है आजकल, वही हुआ सिरमौर। जिसकी कथनी और है, जिसकी करनी और।। Hindi · मुक्तक 311 Share नवल किशोर सिंह 3 Jun 2018 · 1 min read जिजीविषा #जिजीविषा अब तो ढर्रे पर ढल गई है जिंदगी। यूँ ही,काफी दूर तक चल गई है जिंदगी। जिजीविषा एक मृगतृष्णा सी,भटकती। हर गली मोहल्ले, चौराहे पे अटकती। आँखे मूंद-मूंद, स्वाति... Hindi · मुक्तक 457 Share नवल किशोर सिंह 3 Jun 2018 · 1 min read राजनीति #राजनीतिक परिदृश्य कुछ ऐसे हुये आसक्त कि वो भक्त हो गये। और हाथ की खुजली, बड़े विषाक्त हो गये। हम तुम में उलझे रहे और वो आप हो गए। कुछ... Hindi · कविता 1 420 Share Previous Page 4