विवेक दुबे "निश्चल" Language: Hindi 178 posts Sort by: Latest Likes Views List Grid Previous Page 4 विवेक दुबे "निश्चल" 10 Feb 2018 · 1 min read तू साध निशाना मंजिल से पहले घबराना कैसा । बीच राह तेरा थक जाना कैसा । भेद सका न अब तक कोई, एक साध निशाना तू ऐसा । .... विवेक दुबे "निश्चल"°©.. Hindi · मुक्तक 205 Share विवेक दुबे "निश्चल" 10 Feb 2018 · 1 min read छोड़ आज का जिकर अब दिन गया गुजर । कर कल की फ़िकर । डूब ले तू कान्हा में , छोड़ आज का जिकर। .... विवेक दुबे ... Hindi · मुक्तक 195 Share विवेक दुबे "निश्चल" 10 Feb 2018 · 1 min read लक्ष्य नही कोई सेनापति भृमित है,प्यादे भी विस्मृत हैं । लक्ष्य नही कोई ,पर सैनिक घायल हैं । .... विवेक दुबे .... Hindi · शेर 485 Share विवेक दुबे "निश्चल" 9 Feb 2018 · 1 min read अल्फाज़ की ख़ातिर कागज़ हर दर्द समेटते रहे । हम बस लकीरें खिंचते रहे । कुछ अल्फाज़ की ख़ातिर, जज़्बात से मेरे खेलते रहे । सो गई रंगीनियाँ महफ़िल की , ता-रात चराग़... Hindi · मुक्तक 430 Share विवेक दुबे "निश्चल" 8 Feb 2018 · 1 min read फिर भी क्यों सिसकतीं हैं बेटीयाँ ? दुनियाँ में नाम भी कमातीं हैं बेटीयाँ । बेटों से आंगे भी जातीं है बेटियाँ । करतीं है तन भी मन भी अर्पण , बेटों को जनने जान लगतीं हैं... Hindi · कविता 439 Share विवेक दुबे "निश्चल" 8 Feb 2018 · 1 min read ख़ता एक यही तो ख़ता हुई हमसे । मोहब्बत कम न हुई हमसे । एक खूबसूरत ख़ता कर बैठे । दिल लेकर उन्हें दिल दे बैठे । समझते समझौता जिसे, एक... Hindi · शेर 407 Share विवेक दुबे "निश्चल" 8 Feb 2018 · 1 min read इश्क़ यह इश्क़ शराब हुआ , नशा बे-हिसाब हुआ । होश नही रिंद को अब, साक़ी बे-ऐतवार हुआ । .... विवेक दुबे©... Hindi · शेर 167 Share विवेक दुबे "निश्चल" 7 Feb 2018 · 1 min read नानी की कहानी परियों की एक रानी थी । और बूढ़ी एक नानी थी । साँझ ढले दादी माँ , सुनातीं एक कहानी थीं । पीलू जंगल का राजा । धूर्त सियार वो... Hindi · कविता 486 Share विवेक दुबे "निश्चल" 6 Feb 2018 · 1 min read कर्म आंत हीन इन अंतो से । लगते खुलते फन्दों से। फँसते पंक्षी उड़ते पंक्षी , अपने अपने कर्मो से । .... विवेक दुबे"निश्चल"©.. Hindi · मुक्तक 608 Share विवेक दुबे "निश्चल" 5 Feb 2018 · 1 min read निश्चल निडर बाल मन निश्चल निडर बाल मन ----------------------------- माँ मुझको भी संगीन लान दे , मैं भी सीमा पर लड़ने जाऊँ । वीरो के सँग ताल मिलाकर । दुश्मन को ख़ाक मिलाऊँ ।... Hindi · कविता 243 Share विवेक दुबे "निश्चल" 3 Feb 2018 · 1 min read जिंदगी हूँ होश में ............. मदहोश हूँ बहुत। ज़िन्दगी तेरे अंदाज से हैरान हूँ बहुत । .... विवेक दुबे"निश्चल"... Hindi · शेर 338 Share विवेक दुबे "निश्चल" 3 Feb 2018 · 1 min read ख़्वाबों की ख़ातिर सोया हूँ ख्वाबों की ख़ातिर , मुझे नींद से न जगाना तुम। आना हो जो मिलने मुझसे, मेरे ख़्वाबों में आ जाना तुम। यह दुनियाँ ,नही ककीक़त । यह दुनियाँ... Hindi · कविता 397 Share विवेक दुबे "निश्चल" 3 Feb 2018 · 1 min read रज़ा-ऐ-रब तरक़ीब जब जहाँ फ़िसलती हैं । क़िस्मत से चीजें वहाँ मिलतीं हैं । रखता है फ़िक्र वो सभी की , क़िस्मत रज़ा-ऐ-रब मिलती है । ..... विवेक दुबे©..... Hindi · मुक्तक 407 Share विवेक दुबे "निश्चल" 10 Sep 2017 · 1 min read वो फैला था दूर तलक वो, कुछ बिखरा बिखरा सा । यादों का सामान लिए , कुछ चिथड़ा चिथड़ा सा । दूर निशा नभ में श्यामल सी , यादों के आंगन... Hindi · कविता 276 Share विवेक दुबे "निश्चल" 10 Sep 2017 · 1 min read खामोशियाँ मेरी कहती हैं बहुत कुछ ख़ामोशियाँ मेरी । उतर कर तन्हाइयों में ठहर गई क़श्ती मेरी । न तूफ़ां आए ......... न समन्दर उबला , फिर भी तूफानों सी निशानी कहानी... Hindi · मुक्तक 435 Share विवेक दुबे "निश्चल" 2 Sep 2017 · 1 min read मंज़िल वो मंजिल नई नही थी। बस हौंसले की कमी थी । थे काँटे बहुत राह में , हर कदम तले चुभन बड़ी थी । सफ़र की मुश्किल घड़ी थी ।... Hindi · कविता 317 Share विवेक दुबे "निश्चल" 30 Aug 2017 · 1 min read कुछ पंक्तियाँ 1 बस एक जलती सिगार ज़िन्दगी। हर कश धुएँ का गुबार ज़िन्दगी। झड़ गई एक चुटकी में , राख सी बेज़ार ज़िन्दगी । 2 चेन नही तो आराम कहाँ ।... Hindi · मुक्तक 233 Share विवेक दुबे "निश्चल" 30 Jul 2017 · 1 min read साश्वत सत्य हाँ मुझे बहुत आँगे जाना है । बहुत दूर निकल अपनों से , अपनों का दिल दुखाना है । लौटूँगा फिर उस दिन में , जब एकाकी हो जाना है... Hindi · कविता 478 Share विवेक दुबे "निश्चल" 30 Jul 2017 · 1 min read पढ़ना लिखना छोड़ दिया मैंने --पढ़ना लिखना छोड़ा मैंने--- ___________________________ हाँ पढ़ना लिखना छोड़ दिया मैंने पढ़ें लिखों को पीछे छोड़ दिया मैंने बहुत कुछ सीख लिया मैंने बहुत पढ़ा था मेरा भाई, बहना ने... Hindi · कव्वाली 800 Share विवेक दुबे "निश्चल" 30 Jul 2017 · 1 min read आज शेष नहीं अब आज समर्पण, होता है कुछ शर्तों पर गठबंधन । रिश्ते नाते सूखे तिनकों से , एक चिंगारी से जलता घर आँगन । .. आओ मिलकर आज गीत... Hindi · मुक्तक 1 270 Share विवेक दुबे "निश्चल" 3 May 2017 · 1 min read संग्राम सिंगर चले सँवर चले । माथे बाँध कफ़न चले । मातृ भूमि के रण बाँके , युद्ध समर संग्राम चले । विश्व शांति के रक्षक । सर्वजन हिताय के पक्षक... Hindi · कविता 314 Share विवेक दुबे "निश्चल" 3 May 2017 · 1 min read माँ गंगा पतित पावनी निर्मल गंगा । मोक्ष दायनी उज्वल गंगा । उतर स्वर्ग आई धरा पर , शिव शीश धारणी माँ गंगा । जैसी तब बहती थी गंगा । रही नही... Hindi · कविता 637 Share विवेक दुबे "निश्चल" 19 Apr 2017 · 1 min read ज़िन्दगी ज़िन्दगी को न समझ सकी ज़िन्दगी । बस इस तरह कटती रही ज़िन्दगी ।। करती रही वादे बार बार ज़िन्दगी । अनसुलझी सी रही फिर भी ज़िन्दगी ।। पाकर ख्याल... Hindi · कविता 326 Share विवेक दुबे "निश्चल" 13 Apr 2017 · 1 min read अपना खून जब तुम कुछ पल को रोए थे । वो दोनों सारी रात न सोये थे । उठा गोद नंगे पांव ही दोनों दौड़े थे । वैध हकीम डॉक्टर सब टटोले... Hindi · कविता 2 1 246 Share विवेक दुबे "निश्चल" 9 Apr 2017 · 1 min read आज आज सूरज चाँद सा खिला है । आज एक अहसास नया मिला है । है हवाओं में खनक घुंघरुओं की , मदहोशी का एक नशा सा घुला है । ......... Hindi · मुक्तक 258 Share विवेक दुबे "निश्चल" 9 Apr 2017 · 1 min read कहती है कलम नया क्या कुछ कहती है कलम नया खुशियों के लम्हे या हो ग़म नया डुबा कर कलम दिल की जज्वातों की स्याही से बस कर दो सब बयां रंग चढ़ें बिरह... Hindi · कविता 486 Share विवेक दुबे "निश्चल" 8 Apr 2017 · 1 min read आज और कल खो जाता है आज । जब तक आता कल ।। आज मन विकल हर पल । आता अविचलित अटल कल ।। जूझता आज समय से । निश्चित होता हर कल... Hindi · कविता 305 Share विवेक दुबे "निश्चल" 7 Apr 2017 · 1 min read मैं ....... शब्द लुटाता शब्द सजाता मैं । लिखता बस लिखता जाता मैं । खुद से खुद खुश हो जाता मैं । खुद को खुद से झुठलाता मैं । सच में कभी... Hindi · कविता 590 Share Previous Page 4