Umesh उमेश शुक्ल Shukla 233 posts Sort by: Latest Likes Views List Grid Previous Page 4 Next Umesh उमेश शुक्ल Shukla 1 Apr 2023 · 1 min read पसोपेश,,,उमेश के हाइकु पसोपेश में नागराज की संतति भूमंडल पर नेताओं में पनपी अजब प्रवृत्ति निठल्लों को पुनर्नियुक्ति की संस्तुति पुस्तकालय की पुस्तकों में निराशा पान की दुकानों पर विद्यार्थियों का तमाशा अभिभावक... Hindi 218 Share Umesh उमेश शुक्ल Shukla 1 Apr 2023 · 1 min read उमेश शुक्ल के हाइकु नई शिक्षा नीति का शोर कक्षाएं तज शिक्षक हो गए हैं मोर युवा रोजी के लिए चकोर रुपये रुपया को खींचते हैं भरोसा न हो तो कुछ दांव लगाओ यत्न... Hindi 353 Share Umesh उमेश शुक्ल Shukla 31 Mar 2023 · 1 min read शातिरपने की गुत्थियां अनकहे शब्द किसी व्यक्ति समूह पर पड़ते बहुत भारी भाव भंगिमा ही खोल देती शातिरपने की गुत्थियां सारी भाव ही बताया करते हरेक गतिविधि का सदैव रंग रूप जैसे मनुष्य... Hindi 1 257 Share Umesh उमेश शुक्ल Shukla 11 Mar 2023 · 1 min read कान में रुई डाले मानवीय लोभ ने कर दिया अधिकांश जंगलों का नाश पश्चिम के विचारक मानते इसे ही औद्योगिक विकास जल,जंगल और जमीन पर बढ़ रहा मानव का अत्याचार दुनिया में सतत पनप... Hindi 332 Share Umesh उमेश शुक्ल Shukla 9 Mar 2023 · 1 min read दलदल में फंसी अब दिखते ही नहीं हैं कहीं गली के जादूगर सूचना तकनीकी ने कर दिया है उन्हें बेअसर हाथों को दिनभर व्यस्त रखते अब मोबाइल फोन उनके जाल में उलझे लोग... Hindi 249 Share Umesh उमेश शुक्ल Shukla 8 Mar 2023 · 1 min read गाओ शुभ मंगल गीत रंग,अबीर,गुलाल उड़ाकर गाओ शुभ मंगल गीत मन के कलुष और बैर भाव मिटा गाढ़ी कर लो प्रीत शुभ मुहूर्त की चार घड़ी यूं ही व्यर्थ न जाए बीत गाओ शुभ... Hindi 402 Share Umesh उमेश शुक्ल Shukla 6 Mar 2023 · 1 min read रंगों की सुखद फुहार हे नारायण! कर जोड़ आप से विनती यही करता मैं बारंबार जहां जहां मेरे मित्र बसें, मिलें उनपे करो रंगों की सुखद फुहार रंगों संग सराबोर करे सबके मन मानस... Hindi 206 Share Umesh उमेश शुक्ल Shukla 6 Mar 2023 · 1 min read महंगाई का दंश रंग, अबीर और गुलाल सब पर महंगाई का दंश जनता में दिखता नहीं कहीं होली पर्व का खास उमंग गुझिया और नमकीन के भी काफी ऊंचे हो गए हैं दाम... Hindi 1 1 244 Share Umesh उमेश शुक्ल Shukla 28 Feb 2023 · 1 min read पीड़ाओं से व्याकुल महंगाई और बेरोज़गारी के दंश से आम आदमी त्रस्त पर सियासत विहंस रही है सत्ता मद में होकर मस्त जिन संस्थाओं को बनाया गया जनकल्याण के लिए जिम्मेदार वो ही... Hindi 176 Share Umesh उमेश शुक्ल Shukla 16 Feb 2023 · 1 min read ईश्वर से यही अरज अपनों से नहीं कह सका कभी अपने मन की बात ऐसा करने से रोकते रहे सदा मेरे ही कहीं जज़्बात ना सुनने का माद्दा ईश्वर ने बख्शी हमें जरूरत से... Hindi 176 Share Umesh उमेश शुक्ल Shukla 5 Feb 2023 · 1 min read निगल रही ग्राम्य जीवन को निगल रही है धूर्त बाजारुओं की चाल ढाल विडंबना यह कि लोग समझ ही नहीं रहे सिर पर मंडराते काल विकास की सभी गतिविधियां ही मिटा रहीं... Hindi 224 Share Umesh उमेश शुक्ल Shukla 30 Jan 2023 · 1 min read कैसा समाज महात्मा गांधी की आत्मा सिसक रही होगी आज भारत के राजनीतिकों ने गढ़ दिया कैसा समाज जाति,पाति और धर्म की खाई लेती जा रही विस्तार संसद और विधानसभाओं में अब... Hindi 300 Share Umesh उमेश शुक्ल Shukla 28 Jan 2023 · 1 min read जान का नया बवाल श्रीराम और कृष्ण के देश में मोबाइल गेम की तीव्र चाल बच्चों, युवाओं और बुजुर्गों सभी के जान का नया बवाल आभासी संसार कर रहा है सबके मानस को अति... Hindi 175 Share Umesh उमेश शुक्ल Shukla 25 Jan 2023 · 1 min read करिए विचार गणतंत्र दिवस पर गौर से करिए आप विचार देश औ समाज निर्माण में आप कितने भागीदार चिंतन, मनन से ही मिलेंगे आप को प्रश्नों के जवाब तब शायद कभी नहीं... Hindi 288 Share Umesh उमेश शुक्ल Shukla 2 Jan 2023 · 1 min read बड़े गौर से.... बड़े गौर से कीजिए उम्मीदों की पहचान तभी आपको मिलेगा सपनों का नव जहान आकलन में कहीं हुई जो थोड़ी भावनात्मक चूक विपरीत नतीजे उपजा देंगे दिल में बड़ी हूक... Hindi 201 Share Umesh उमेश शुक्ल Shukla 31 Dec 2022 · 1 min read आने वाला वर्ष भी दे हमें भरपूर उत्साह कुछ घंटों में विदा हो जाएगा सन 2022 का ये मौजूदा साल कुछ को खुशियां और कुछ उपलब्धि दे कर गया निहाल कुछ खट्टी और कुछ मीठी यादों का भी... Hindi 1 217 Share Umesh उमेश शुक्ल Shukla 28 Dec 2022 · 1 min read दोस्तों से... दोस्तों से होती है हर व्यक्ति की पहचान अच्छे, बुरे का आकलन भी कर लेता है जहान सही दोस्त बदल देते हैं जीवन का रंग और ढंग बदमिजाजों की संगति... Hindi 96 Share Umesh उमेश शुक्ल Shukla 19 Nov 2022 · 1 min read वक्र यहां किरदार दुनिया यह गोल मानता है संसार फिर भी इंसां का वक्र यहां किरदार मानवता को घोलकर गटक गए धनलोभी ऐसे में फिर अंत्येष्टि भी बुकिंग पर होगी Hindi 220 Share Umesh उमेश शुक्ल Shukla 18 Nov 2022 · 1 min read चरैवेति चरैवेति का संदेश तदवीर से ही फिर गढ़ी जा सकती किस्मत की लकीरें किताबों में कर्म के महत्व पे दर्ज हैं महापुरुषों की तकरीरें कर्मवीर सदा पलटते रहे हैं समूची दुनिया का इतिहास... Hindi 201 Share Umesh उमेश शुक्ल Shukla 16 Nov 2022 · 1 min read छल प्रपंच का जाल हर तरफ पसरा हुआ है अब छल प्रपंच का जाल ऐसे में हर आदमी दिख रहा मन से ही बदहाल अविश्वास की रेखाएं घनी हो रही इत उत चहुंओर फिर... Hindi 1 2 282 Share Umesh उमेश शुक्ल Shukla 2 Oct 2022 · 1 min read अद्भुत सितारा सत्य और अहिंसा की ताकत से जिसने अंग्रेज़ों को छकाया जगह जगह आंदोलन करके आजादी की ललक बढ़ाया पूरे देश को जिसने पढ़ाया एकजुटता का अनूठा पाठ सविनय अवज्ञा आंदोलन... Hindi 1 227 Share Umesh उमेश शुक्ल Shukla 29 Sep 2022 · 4 min read कहानी.... विनम्रता विद्या विनय यानी विनम्रता देती है। यह मनुष्य को पात्रता भी देती है। विद्या मनुष्य को जीवन की विविध समस्याओं का समाधान देती है। वह समस्याओं से उबरने का विकल्प... Hindi 192 Share Umesh उमेश शुक्ल Shukla 26 Sep 2022 · 1 min read हे जग जननी ! हे जग जननी ! तेरी कृपा से ही हम सबका अस्तित्व तेरी महिमा गाया करते हैं ऋषि, मुनि औ सिद्ध नित्य नवरात्रि के पर्व पर करते हैं भक्त सब व्रत... Hindi 166 Share Umesh उमेश शुक्ल Shukla 24 Sep 2022 · 1 min read नदी के द्वीप अपने पुरखों की परंपरा का हम करते क्यों नहीं निर्वाह परस्पर प्रेम, सहयोग भुला बैठे जिसमें शक्ति अथाह स्वार्थ सकेंद्रित हो गया है क्यों हम सबका व्यवहार नदी के द्वीप... Hindi 124 Share Umesh उमेश शुक्ल Shukla 22 Sep 2022 · 1 min read समुद्र हैं बेहाल मनुष्य प्रदूषित कर रहे हैं सभी सागरों के किनारे आंखें मूंदे खामोश दिख रहे व्यवस्था के रखवारे चेतावनियों के बावजूद वे बरतते नहीं सावधानी ऐसे में बहुत भारी पड़ेगी हमें... Hindi 189 Share Umesh उमेश शुक्ल Shukla 14 Sep 2022 · 1 min read राष्ट्रभाषा का सवाल खूब धूमधाम से मना चुके आजादी का अमृत काल फिर भी हम हल नहीं कर पाए राष्ट्रभाषा का सवाल राजनीतिकों के द्वंद्व फंद में उलझे हैं देश के लोग मातृभाषा... Hindi 2 1 398 Share Umesh उमेश शुक्ल Shukla 10 Aug 2022 · 1 min read महंगाई.... महंगाई पर जनता की चीख को वे ही बता रहे हैं व्यर्थ जनता ने मत देकर जिन्हें बनाया सत्ता के लिए समर्थ सत्ता शीर्ष पर बैठकर भूले वेे लोकतंत्र के... Hindi 1 1 163 Share Umesh उमेश शुक्ल Shukla 4 Aug 2022 · 1 min read चेहरे पर कई चेहरे ... चेहरे पर कई चेहरे चढे़ हो कैसे सही पहचान संशय में उलझे व्यक्ति कैसे हो सकते महान अस्मिता अब सत्य की घिरी सवालों के बीच संक्रमण काल बदस्तूर बोलें सब... Hindi 317 Share Umesh उमेश शुक्ल Shukla 2 Aug 2022 · 1 min read अगनित उरग.. पग पग पर मौजूद हैं अगनित उरग इच्छाधारी ऐसे में बस दंश झेलना जन जन की है लाचारी एक दो हो तो पूज लें याद कर विधि विधान असंख्य उरग... Hindi 266 Share Umesh उमेश शुक्ल Shukla 22 Jul 2022 · 1 min read छलिया जैसा मेघों का व्यवहार न जाने क्यों छलिया जैसा हो गया मेघों का व्यवहार बार बार गहराते मगर कुछ पल में हो जाते तार तार हवा भी उनके रुख को कर देती है बार... Hindi 1 1 282 Share Umesh उमेश शुक्ल Shukla 22 Jul 2022 · 1 min read पग पग में विश्वास खामोश हैं लब पर पग पग में विश्वास नए मुकाम पे पहुंच रच देंगे नया इतिहास कंधे पर लटकते बैग में सिमटी यारों की दुआएं नदिया की तरह बहकर हम... Hindi 208 Share Umesh उमेश शुक्ल Shukla 21 Jul 2022 · 1 min read अब नहीं दिखता है सावन का उल्लास गांवों में अब नहीं दिखता है लोगों में सावन का उल्लास आधुनिकता की होड़ में भूले युवा परस्पर हास परिहास मोबाइल ने बना दिए घर घर में अनगिनत परिक्षेत्र मोबाइल... Hindi 83 Share Umesh उमेश शुक्ल Shukla 20 Jul 2022 · 1 min read नहीं हंसी का खेल दुनिया की रीति औ नीति को समझना नहीं हंसी का खेल जो हो इसमें प्रवीण. सरपट चले उसके जीवन की रेल दुनियादारी के विशेष गुण हासिल कर ले जो इंसान... Hindi 300 Share Umesh उमेश शुक्ल Shukla 19 Jul 2022 · 1 min read अजब रिकार्ड सत्तासीनों की उदासीनता का बन रहा है अजब रिकार्ड पर उन चेहरों पर फर्क नहीं जो समझते खुद को लार्ड महंगाई नित बढ़ रही है सुरसा के मुख की भांति... Hindi 2 1 306 Share Umesh उमेश शुक्ल Shukla 9 Jul 2022 · 1 min read दुआओं की नौका... दुआओं की नौका पे होके सवार पा लेंगे हम सब बाधाओं से पार मंजिल फतह लक्ष्य जीवन का सार दुआओं की नौका... भले राह में अति सघन हो अंधेरा मगर... Hindi 338 Share Umesh उमेश शुक्ल Shukla 8 Jul 2022 · 1 min read नफरत नफरत के शोलों को निरंतर हवा दे रहे वोटों के व्यापारी जाति धर्म के खांचों में बंटी जनता की मति गई है मारी सब कुछ जान बूझकर भी लोग आफत... Hindi 197 Share Umesh उमेश शुक्ल Shukla 3 Jul 2022 · 1 min read दे सहयोग पुरजोर हर घर घरौंदों के निर्माण में होता रेत का योगदान सीमेंट की संगति पाकर यह हो जाता है बलवान यद्यपि इसे जग के लोग सब मानते हैं कमजोर फिर भी... Hindi 1 217 Share Umesh उमेश शुक्ल Shukla 2 Jul 2022 · 1 min read विधाता दुनिया के इस रंग मंच का निर्देशक है विधाता उसकी मर्जी से ही हरेक शय अपना रोल निभाता उसकी इच्छा से निर्मित हुए इस ब्रह्मांड के सभी सितारे दिन और... Hindi 1 229 Share Umesh उमेश शुक्ल Shukla 2 Jul 2022 · 1 min read सार संभार मृदा. जल औ वायु की मदद से ही हर बीज में फूटे अंकुर शीत.ताप और प्रकाश से वो ग्रहण करता ऊर्जा भरपूर समय के साथ होता जाता है उसका क्रमिक... Hindi 323 Share Umesh उमेश शुक्ल Shukla 29 Jun 2022 · 1 min read विधि के दो वरदान विधि के दो वरदान हैं प्रेम और संगीत कई जन्मों के कर्म फल से होते प्रणीत ईश्वर सोच समझकर कुछ को देता वरदान प्रेम और संगीत के बल पर जो... Hindi 1 211 Share Umesh उमेश शुक्ल Shukla 28 Jun 2022 · 1 min read मित्रों की दुआओं से... सभी मित्रों की दुआओं से मिलती ऊर्जा अपार रुक रुक याद आते रहे जीवन में मिले सभी किरदार दुश्वारियों ने बहुत कम कर दिया मिलने जुलने का दौर यादों में... Hindi 186 Share Umesh उमेश शुक्ल Shukla 4 Jun 2022 · 1 min read व्यक्तिवाद की अजीब बीमारी... देश औ समाज को लग चुकी है व्यक्तिवाद की अजीब बीमारी ऐसे में भला कोई कैसे ग्रहण कर सकता है सचमुच में जिम्मेदारी लोकतंत्र से अरसे से गायब है जिम्मेदारी... Hindi · कविता 2 1 250 Share Umesh उमेश शुक्ल Shukla 15 May 2022 · 1 min read क्यों मौन हम अपने कूचे में मुद्दतों से क्यों मौन साधे पड़े हुए हैं कौन ऐसी बेबसी है कि लब पे ताले जड़े हुए हैं जुल्म और मनमानियां क्यों बन गई हैं... Hindi · मुक्तक 198 Share Umesh उमेश शुक्ल Shukla 11 May 2022 · 1 min read इंतजार का.... जब कोई तन. मन. धन लगा भी लक्ष्य से रह जाता है दूर तब वह शख्स इंतजार करने के लिए हो जाता है मजबूर बहुधा लोगों को इंतजार का मिलता... Hindi · कविता 1 326 Share Umesh उमेश शुक्ल Shukla 25 Apr 2022 · 1 min read पूंजीवाद में ही... पूंजीवाद में ही रम गए हैं सत्ता में बैठे सभी लोग महंगाई का तोहफा दे रहे उनके समस्त नए प्रयोग आम आदमी अब ठगा सा कर रहा है सोच विचार... Hindi · कविता 1 2 426 Share Umesh उमेश शुक्ल Shukla 23 Apr 2022 · 1 min read किताब... दुनिया को समझने की देती सदा ताब ज्ञान वृद्धि कर हरेक का बढ़ा देती रुआब मित्र जैसे ही सदा वो दिखाए सबको सत्पथ सो किताब की महिमा गा गए रचनाकार... Hindi · कविता 348 Share Umesh उमेश शुक्ल Shukla 18 Apr 2022 · 1 min read सपनों का आवेग सपने हर इंसान को कर देते हैं गतिमान जो भी उन्हें साकार करे वो ही बने महान सपनों का आवेग देता बहुतों को ऊर्जा पुंज अधिकांश भटक जाते सपनों को... Hindi · कविता 107 Share Umesh उमेश शुक्ल Shukla 17 Apr 2022 · 1 min read खिले रहने का ही संदेश रंग बिखेरते फूल जग को सुख देते चहुंओर फिर भी उनके धर्म में विघ्न के कांटे पुरजोर खुशी के मौकों पर इंसां उनका साथ लेते भरपूर जश्न निपटते ही हर... Hindi · कविता 2 292 Share Umesh उमेश शुक्ल Shukla 17 Apr 2022 · 1 min read सत्ता सत्ता और शक्ति की खातिर होते रहे हैं युग युग से संग्राम जो जीते वो कहलाए सिकंदर हारे के हिस्से में आया हरिनाम राजनीति युग धर्म पर सदा ही छोड़ा... Hindi · कविता 141 Share Umesh उमेश शुक्ल Shukla 13 Apr 2022 · 1 min read मानवता सिसक रही... मानवता सिसक रही पर धूर्तों की महफिल जारी नैतिकता का गला घोंट दे रहे तंत्र के सब व्यभिचारी जनता फिर भी चहके इत उत. जैसे मति गई हो मारी मानवता... Hindi · कविता 137 Share Previous Page 4 Next