sushil sarna 1172 posts Sort by: Latest Likes Views List Grid Previous Page 2 Next sushil sarna 18 Oct 2024 · 1 min read दोहा त्रयी. . . दोहा त्रयी. . . दम्भ दुर्ग में खो गए, जीवन के सब मान । शून्य हुई संवेदना, दम्भ बना पहचान ।। अहंकार का मूल है, मन में अति विश्वास ।... 17 Share sushil sarna 17 Oct 2024 · 1 min read दोहा पंचक. . . प्रयास दोहा पंचक. . . प्रयास निश्चित मन का टूटना, जब होता अवसाद । विषम काल को जीत कर, चखें जीत का स्वाद ।। रुके न पहिया वक्त का, यह चलता... 29 Share sushil sarna 17 Oct 2024 · 1 min read अनकहा ... अनकहा ... अभिव्यक्ति के सुरों में कुछ तो अनकहा रहने तो अंतस के हर भाव को शब्दों पर आश्रित मत करो अंतस से अभिव्यक्ति का सफर बहुत लम्बा होता है... 30 Share sushil sarna 16 Oct 2024 · 1 min read छोटी छोटी बातें ... छोटी छोटी बातें ... (22 22 22) छोटी छोटी बातें छोटी छोटी रातें छोटे छोटे लम्हे जीवन की सौगातें भीगा भीगा मौसम गुन गुन करती रातें दिल में आग लगायें... 20 Share sushil sarna 16 Oct 2024 · 1 min read जज़्बात........ जज़्बात........ शब् सहर से उलझ पड़ी सबा मुस्कुराने लगी देख कर चूड़ी के टुकड़ों से झांकता शब् की कतरनों में उलझता सुलझता जज़्बात का तूफ़ान सुशील सरना 17 Share sushil sarna 16 Oct 2024 · 1 min read ख़ामोश दो किनारे ..... ख़ामोश दो किनारे ..... बरसों के बाद हम मिले भी तो किसी अजनबी की तरह हमारे बीच का मौन जैसे किसी अपराधबोध से ग्रसित रिश्ते का प्रतिनिधित्व कर रहा हो... 17 Share sushil sarna 16 Oct 2024 · 1 min read कुछ तो बोलो...... कुछ तो बोलो...... कुछ तो बोलो कि बे - आवाज़ क्यूँ हो । बदलते हुए लम्हों से यूँ नाराज़ क्यूँ हो । आज हो तो आज की इबाबत कर लो... 20 Share sushil sarna 16 Oct 2024 · 1 min read रोला छंद.. रोला छंद.. नेताओं की चाल , न समझे जनता भोली । बस वादों से रोज , भरे वो अपनी झोली । रोज खरीदें स्वप्न , लगा कर नेता बोली ।... 12 Share sushil sarna 16 Oct 2024 · 1 min read रोला छंद. . . रोला छंद. . . पिया गए परदेस , आँख से छलका पानी । लम्बी लगती रैन ,करे क्या प्रेम दिवानी । अन्तस की यह पीर, किसी से कही न जाती... 23 Share sushil sarna 15 Oct 2024 · 1 min read दोहा त्रयी. . . दम्भ दोहा त्रयी. . . दम्भ हर दम्भी का एक दिन , सूरज होता अस्त । रावण जैसा सूरमा, होते देखा पस्त । । निश्चित करता दम्भ का, नाश समय का... 16 Share sushil sarna 14 Oct 2024 · 1 min read मोहब्बत ऐसी होती है ..... मोहब्बत ऐसी होती है ..... . इक मोहब्बत क्या करते हैं सितारों से उलझ जाते हैं कभी चाँद से बतियाते हैं कभी पागल से बन जाते हैं कभी जुल्फों में... 21 Share sushil sarna 13 Oct 2024 · 1 min read भोग पिपासा बढ़ गई, भोग पिपासा बढ़ गई, बंध हुए निर्बंध । प्रेम दुर्ग में वासना, की फैली दुर्गंध ।। सुशील सरना/13-10-24 Quote Writer 27 Share sushil sarna 13 Oct 2024 · 1 min read जल कुंभी सा बढ़ रहा, जल कुंभी सा बढ़ रहा, लिव-इन का अब रोग । प्रतिबंधों से हो गया, मुक्त वासना भोग ।। सुशील सरना / 13-10-24 Quote Writer 31 Share sushil sarna 13 Oct 2024 · 1 min read कुंडलिया कुंडलिया पीतल को सोना कहें, कोयल को अब काग । सच को छलनी कर गए, अब झूठे अनुराग । अब झूठे अनुराग, बड़ा है गड़बड़ झाला । देखो कैसे झूठ... 21 Share sushil sarna 12 Oct 2024 · 1 min read पानी से आग बुझाने की .... पानी से आग बुझाने की .... किस तिनके ने दी इजाज़त घर में धूप को आने की दहलीज़ पे रातों की आकर पलकों में ख़्वाब जलाने की जिस खिड़की पर... 24 Share sushil sarna 12 Oct 2024 · 1 min read दोहा पंचक. . . . जिंदगी दोहा पंचक. . . . जिंदगी रंग बदलती जिन्दगी, मौसम के अनुरूप । कभी सुहाती छाँव तो, कभी सताती धूप ।। क्यों आखिर यह जिंदगी, चाहे जीना ख्वाब । हर... 23 Share sushil sarna 9 Oct 2024 · 1 min read अमर ... अमर ... प्रश्न कभी मृत नहीं होते उत्तर सदा अमृत नहीं होते कामनाएं दास बना देती हैं उत्कण्ठाएं प्यास बढ़ा देती हैं शशांक विभावरी का दास है शलभ अमर लौ... 29 Share sushil sarna 9 Oct 2024 · 1 min read दोहा त्रयी. . . . दोहा त्रयी. . . . चश्मा जैसा आँख पर, वैसा जीवन सार । जैसी चाहें जिंदगी, दें वैसा आकार ।। जैसा चाहे आदमी , वैसा नहीं संसार । अवगुंठन में... 26 Share sushil sarna 8 Oct 2024 · 1 min read दोहा पंचक . . . . भूख दोहा पंचक . . . . भूख भूख लगे जब पेट को , कब भाता कुछ और । भूखे की बस चाहना, मिल जाऐं दो कौर ।। क्षुधित उदर की... 1 21 Share sushil sarna 8 Oct 2024 · 1 min read आप आते हैं तो बहारों पे छा जाते हैं । आप आते हैं तो बहारों पे छा जाते हैं । आप जाते हैं तो गुलों को रुला जाते हैं । सांस लेते तन्हाई में. वो हिज़्र के लम्हे - चुपके... 19 Share sushil sarna 6 Oct 2024 · 1 min read चोरी जिसका काव्य हो , जागें उसके भाग । चोरी जिसका काव्य हो , जागें उसके भाग । उस रचना को फिर मिले, सबका ही अनुराग । सबका ही अनुराग, कीर्ति फिर उसको मिलती । गंध हीन हर बात,पुष्प... 21 Share sushil sarna 6 Oct 2024 · 1 min read इस जग में पहचान का, इस जग में पहचान का, सिर्फ करम है मंत्र । इसके आगे व्यर्थ है, जादू टोना तंत्र ।। सुशील सरना / 6-10-24 Quote Writer 35 Share sushil sarna 6 Oct 2024 · 1 min read एक मधुर संवाद से, एक मधुर संवाद से, मुश्किल हो आसान । भद्र पुरुष की है यही, इस जग में पहचान ।। सुशील सरना / 6-10-24 Quote Writer 32 Share sushil sarna 6 Oct 2024 · 1 min read छोटी-छोटी बात पर , छोटी-छोटी बात पर , अच्छा नहीं विवाद । दूर करे गतिरोध को, एक मधुर संवाद ।। सुशील सरना / 6-10-24 Quote Writer 30 Share sushil sarna 5 Oct 2024 · 1 min read वक्त घाव भरता मगर, वक्त घाव भरता मगर, भरता नहीं निशान । रह जाती है दर्द की, दर्दीली पहचान ।। सुशील सरना / 5-10-24 Quote Writer 35 Share sushil sarna 5 Oct 2024 · 1 min read भौतिक सुख की चाह में, भौतिक सुख की चाह में, नित होता संग्राम । धन संचय की दौड़ में, बीते उम्र तमाम ।। सुशील सरना / 5-10-24 Quote Writer 40 Share sushil sarna 5 Oct 2024 · 1 min read फिक्र किसी की कौन अब, फिक्र किसी की कौन अब, करता है इंसान । निज हित में ही लीन वो, चाहे अपना मान ।। सुशील सरना / 5-10-24 Quote Writer 32 Share sushil sarna 4 Oct 2024 · 1 min read मौन प्रेम प्रस्तावना, मौन प्रेम प्रस्तावना, तब होती साकार । नैनों के संकेत जब, करें मौन मनुहार ।। सुशील सरना / 4-10-24 Quote Writer 1 37 Share sushil sarna 4 Oct 2024 · 1 min read अधर घटों पर जब करें, अधर घटों पर जब करें, अधर प्रेम का रास । नस- नस में विचरण करे, मौन मधुर मधुमास ।। सुशील सरना / 4-10-24 Quote Writer 1 42 Share sushil sarna 4 Oct 2024 · 1 min read मुंडेरों पर नैन की, मुंडेरों पर नैन की, करें विहग मन बात । हृदय पृष्ठ पर लिख गया, कौन प्रेम सौगात ।। सुशील सरना / 4-10--24 Quote Writer 1 40 Share sushil sarna 3 Oct 2024 · 1 min read प्रीत को ... प्रीति को ... शृंगार को अंगार को। प्रीति को प्रतिकार को। नैन घटों ने बहा दिया - विरहन की पुकार को। सुशील सरना Quote Writer 31 Share sushil sarna 3 Oct 2024 · 1 min read बेज़ुबान पहचान ... बेज़ुबान पहचान ... कितनी खामोशी होती है कब्रिस्तान में जिस्मों की मानिंद कब्रों पर लिखे नाम भी वक्त के थपेड़ों से धीरे -धीरे सुपुर्द-ए-ख़ाक हो जाते हैं रह जाती है... 20 Share sushil sarna 3 Oct 2024 · 1 min read दोहा त्रयी. . . . . भाव दोहा त्रयी. . . . . भाव लिखने को लिखते सभी , मन कल्पित हर भाव। गीला कागज को करें, सुधि सागर के घाव ।। सुधि सागर के तीर पर,... 25 Share sushil sarna 2 Oct 2024 · 1 min read मनका / वर्णिका छंद मनका / वर्णिका छंद बिटिया रानी हुई सयानी आँख में पानी * हुई विदाई उदासी छाई नींद न आई * अपने रूठे सपने झूठे याद रुलाती सुशील सरना / 19 Share sushil sarna 2 Oct 2024 · 1 min read गाँधी के उपदेश को, कब समझेंगे लोग । गाँधी के उपदेश को, कब समझेंगे लोग । मिटे अहिंसा से सदा, हिंसा रूपी रोग ।। गाँधी तेरे देश का, अजब हुआ है हाल । सत्ता के भूखे यहाँ, नयी... 28 Share sushil sarna 1 Oct 2024 · 2 min read हैंगर में टंगे सपने .... हैंगर में टंगे सपने .... तीर की तरह चुभ जाता है ये माध्यम वर्ग का शब्द और किसी की हैसियत को चीर- चीर जाता है किसी जमाने में माध्यम वर्ग... 13 Share sushil sarna 1 Oct 2024 · 1 min read ख़ुदा के पास होता है … ख़ुदा के पास होता है … पाषाणों के मनकों से निर्मित धरा का शृंगार करती पर्वतों की ये गगन चुम्बी चोटियां न जाने कितने सृजनों का संहार अपने गर्भ में... 20 Share sushil sarna 1 Oct 2024 · 1 min read दोहा पंचक. . . . ज्ञान दोहा पंचक. . . . ज्ञान पढ़ लिख कर काबिल हुए, भूल गए व्यवहार । ज्ञान दंभ की धुंध में, गौण हुआ सत्कार ।। पाया थोड़ा ज्ञान तो, तन -तन... 32 Share sushil sarna 30 Sep 2024 · 1 min read हल .... हल .... लिपट गया तिरंगे में भारत माँ का एक लाल छोड़ गया अपने पीछे खामोश सुलगते कई सवाल सरहद आतंक छलनी ज़िस्म कब निकलेगा आखिर शान्ति से इन सब... 1 19 Share sushil sarna 30 Sep 2024 · 1 min read दोहा त्रयी. . . . दोहा त्रयी. . . . निन्दा होती झूठ की, सच को मिलता मान । टूट गया सच बाण से , रावण का अभिमान ।। यह जग तो आभास है, वो... 29 Share sushil sarna 29 Sep 2024 · 1 min read आत्मिक प्रेमतत्व … आत्मिक प्रेमतत्व … जलतरंग से मन के गहन भावों को अभिव्यक्त करना कितना कठिन है हम किसको प्रेम करते हैं ? उसको ! जिसके संग हमने [पावन अग्नि कुण्ड के... 25 Share sushil sarna 29 Sep 2024 · 1 min read मैं बहुत जीता हूँ, ……. मैं बहुत जीता हूँ, ……. जीता हूँ और बहुत जीता हूँ ज़िन्दगी के हर मुखौटे को जीता हूँ // हर पल एक आसमाँ को जीता हूँ हर पल इक जमीं... 24 Share sushil sarna 29 Sep 2024 · 1 min read रोला छंद - रोला छंद - बीती आधी रैन , नैन से छलका पानी । हुई अचानक भोर , अधूरी रही कहानी । रहा न कुछ भी होश, करे क्या दिल दीवाना ।... 29 Share sushil sarna 29 Sep 2024 · 1 min read दोहा त्रयी. . . . दोहा त्रयी. . . . अवगुंठन में प्रीति के, शंकित क्यों स्वीकार । आलिंगन में हो सृजित , सपनों का अंबार ।। बड़ी अजब है इश्क के, अरमानों की आँच... 23 Share sushil sarna 28 Sep 2024 · 1 min read कहे साँझ की लालिमा , कहे साँझ की लालिमा , निकट तिमिर प्राचीर । सो जाएगा ओढ़ कर, जीवन अपनी पीर ।। सुशील सरना / 28-9-24 Quote Writer 39 Share sushil sarna 28 Sep 2024 · 1 min read मनमानी किसकी चली, मनमानी किसकी चली, उसके आगे मित्र । वो जीवन के खींचता, चलते- फिरते चित्र ।। सुशील सरना / 28-9-24 Quote Writer 34 Share sushil sarna 28 Sep 2024 · 1 min read बड़ा सरल है तोड़ना, बड़ा सरल है तोड़ना, रिश्ते मेरे यार । मुश्किल लेकिन जोड़ना, यह टूटा संसार ।। सुशील सरना / 28-9-24 Quote Writer 33 Share sushil sarna 27 Sep 2024 · 1 min read दोहा त्रयी. . . . . नवयुग दोहा त्रयी. . . . . नवयुग पीछे छूटी सभ्यता, नव युग हुआ महान। बेशर्मी पर आज का, गर्व करे इंसान।। झाँक रही परिधान से, अलज आज की लाज ।... 31 Share sushil sarna 27 Sep 2024 · 1 min read जूठी चाय ... (लघु रचना ) जूठी चाय ... (लघु रचना ) देख रही थी सुसंस्कृत सभ्यता सूखे स्तनों से अधनंगी संतान को दूध के लिए छटपटाते पिला दी कागज़ के जूठे कपों की बची चाय... 28 Share sushil sarna 26 Sep 2024 · 1 min read मोहब्बत क्या है ....... मोहब्बत क्या है ....... तुम समझे ही नहीं मोहब्बत क्या है मेरी तरह कुछ लम्हे तन्हा जी कर देखो दीवारों पर अहसासों के अक्स रक्स करते नज़र आएंगे दर्द के... 38 Share Previous Page 2 Next