Shyam Sundar Subramanian Language: Hindi 1120 posts Sort by: Latest Likes Views List Grid Previous Page 4 Next Shyam Sundar Subramanian 23 Mar 2024 · 1 min read इंतिज़ार माहौल कुछ इस कदर है जिसमें इंसानियत ना- क़द्र है, सिसकती जिंदगियों पर हैवानियत का कहर है, जब्र-ए-मुसलसल तसरीफ़ -ए - अय्याम भारी है , जुनून- ए - वहशियत हर... Hindi · कविता 165 Share Shyam Sundar Subramanian 23 Mar 2024 · 1 min read 'आलम-ए-वजूद मैं अकेला था , अकेला रहना चाहता हूँ , ज़माने वाले मुझे अकेला जीने नहीं देते हैं , ज़ाती-सोच पर अपनी सोच हावी करते रहते हैं , भीड़ की सोच... Hindi · कविता 87 Share Shyam Sundar Subramanian 23 Mar 2024 · 1 min read इत्तिहाद अदना सा हूं , सबका भला चाहता हूं , इंसाफ़ का पैरोकार , सदाक़त का साथ देना चाहता हूं , ज़ुल्मो तशद्दुद के ख़िलाफ़ आवाज़़ उठाना चाहता हूं , ग़ुर्बत... Hindi · कविता 153 Share Shyam Sundar Subramanian 20 Mar 2024 · 1 min read बेख़बर जिंदगी की राहों में हम अकेले ही रहे , हमसफ़र बनते रहे बिछड़ते रहे , रिश्तो का कारवां रवाँ- दवाँ रहा , कभी खुशी कभी गम के अब्र छाते बिखरते... "सत्य की खोज" – काव्य प्रतियोगिता · कविता 4 114 Share Shyam Sundar Subramanian 20 Mar 2024 · 1 min read हक़ीक़त आदमी कितना लाचार है , सब कुछ हासिल करने पर भी, कुदरत के हाथो बेज़ार है, दौलत लुटाकर भी ज़िदगी के दो पल खरीद नही सकता , भरसक कोशिश करने... "सत्य की खोज" – काव्य प्रतियोगिता · कविता 3 90 Share Shyam Sundar Subramanian 20 Mar 2024 · 1 min read महाप्रयाण माया , आसक्ति , काम, क्रोध , अहंकार , सब मानव निर्मित बंधन है , परोपकार , प्राणी मात्र से प्रेम, आत्मज्ञान , संवेदना , निर्विकार भाव, सब मानव उत्थान... "सत्य की खोज" – काव्य प्रतियोगिता · कविता 2 178 Share Shyam Sundar Subramanian 20 Mar 2024 · 1 min read कर्मगति कर्मप्रधान यथार्थ के धरातल पर सफलता सुनिश्चित होती है , कर्मविहीन अभिलाषाओं एवं आकांक्षाओं की परिणति निराशा में होती है , माया का चक्रजाल लालसा एवं लोलुपता को जन्म देता... "सत्य की खोज" – काव्य प्रतियोगिता · कविता 2 118 Share Shyam Sundar Subramanian 20 Mar 2024 · 1 min read विडंबना सत्य को स्थापित करना क्यों संघर्ष पूर्ण होता है ? मानवीय संवेदनाओं के यथार्थ को समझाना क्यों मुश्किल होता है ? तर्कहीन विषयवस्तु को कुतर्क के सहारे बहुमत से प्रतिपादित... "सत्य की खोज" – काव्य प्रतियोगिता · कविता · प्रश्न 2 133 Share Shyam Sundar Subramanian 19 Mar 2024 · 1 min read अधूरे सवाल ज़िंदगी में कुछ सवाल अधूरे रह जाते हैं , जिनका मतलब हम ज़िंदगी भर खोज ना पाते हैं , कुछ रिश्ते ,कुछ मरासिम, इस कदर पेश आते हैं, जिनको सोच... "सत्य की खोज" – काव्य प्रतियोगिता · कविता 4 126 Share Shyam Sundar Subramanian 19 Mar 2024 · 1 min read जीवन एक यथार्थ जीवन एक संघर्ष है, यह सर्वविदित तथ्य है , यह असंभावित घटनाओं से परिपूर्ण सत्य है, यह एक दिवास्वप्न की सुखद अनुभूति है , यह आकांक्षाओं एवं अभिलाषाओं की परिणति... "सत्य की खोज" – काव्य प्रतियोगिता · कविता 2 104 Share Shyam Sundar Subramanian 19 Mar 2024 · 1 min read जीवन - अस्तित्व नियति का चक्र उदय से अस्त तक , प्रादुर्भाव से अवसान तक, उत्पत्ति से परिवर्तन के आयामों से घटित होता हुआ विनाश की अधोगति तक , जीवों के उद्भव एवं... "सत्य की खोज" – काव्य प्रतियोगिता · कविता 103 Share Shyam Sundar Subramanian 19 Mar 2024 · 1 min read यथार्थ कल्पना लोक में विचरण कितना सुखद होता है , परंतु उस व्योम के बादल छंटने पर यथार्थ का अनुभव दुःखद होता है, हम समझ नही पाते सत्य सदैव कड़वा होता... "सत्य की खोज" – काव्य प्रतियोगिता · अनुभूति · कविता 1 2 93 Share Shyam Sundar Subramanian 19 Mar 2024 · 1 min read गरिमामय प्रतिफल अभिभूत भावनाओं के चरमोत्कर्ष पर जिसका उदय होता है, अंतस्थ से यह उभरता है, और व्यवहार में दृष्टिगोचर होता है , पवित्र वाणी एवं विचारों से यह सुशोभित होता है... "सत्य की खोज" – काव्य प्रतियोगिता · कविता 2 89 Share Shyam Sundar Subramanian 19 Mar 2024 · 1 min read वर्तमान छद्म का संसार प्रकट है , यथार्थ का अस्तित्व विलुप्त है , अनाचार , भ्रष्टाचार में मानव लिप्त है , नीति, आदर्श , संस्कार , सब सुप्त हैं , आचार... "सत्य की खोज" – काव्य प्रतियोगिता · कविता · यथार्थ 96 Share Shyam Sundar Subramanian 19 Mar 2024 · 1 min read व्यावहारिक सत्य कुछ समझ में नहीं आता क्या गलत है ? क्या सही ? सही को गलत सिद्ध किया जाता है , और गलत को सही , अब तो यही लगता है... "सत्य की खोज" – काव्य प्रतियोगिता · एहसास · कविता 1 2 127 Share Shyam Sundar Subramanian 19 Mar 2024 · 1 min read आत्मसंवाद एक दिन मन ने प्रज्ञा से कहा , तुम हमेशा मुझ पर लगाम लगाए रखती हो , मुझे अपने मर्जी की नहीं करने देती हो , मैं उन्मुक्त रहना चाहती... "सत्य की खोज" – काव्य प्रतियोगिता · कविता 2 141 Share Shyam Sundar Subramanian 19 Mar 2024 · 1 min read सोच सोच – सोच में फर्क होता है, कुछ अपनी सोच को सही समझते हैं , कुछ अपनी सोच दूसरों पर हावी करते हैं , कुछ अपनी सोच की गलतियों को... "सत्य की खोज" – काव्य प्रतियोगिता · कविता 3 182 Share Shyam Sundar Subramanian 18 Mar 2024 · 1 min read संकल्प क्या जीत ? क्या हार ? समय से बंधा सारा संसार , किसी दिन जीत है तो किसी दिन हार , सब नियति का चक्र है, कर मत अधिक विचार,... "सत्य की खोज" – काव्य प्रतियोगिता · कविता 3 128 Share Shyam Sundar Subramanian 18 Mar 2024 · 1 min read मतिभ्रष्ट हे ईश्वर ! आज के मानव को ये क्या हो गया है ? वह तुम्हारे अस्तित्व को बांटकर देखने के लिए उद्यत हो गया है , उसे कौन बताऐ राम... "सत्य की खोज" – काव्य प्रतियोगिता · कविता 4 110 Share Shyam Sundar Subramanian 18 Mar 2024 · 1 min read प्रायश्चित क्यूँ भूला है अपनी राह पथिक ? मरीचिका के भ्रम में भटका हुआ , लालसा – वासना छद्म में अटका हुआ , तर्क को कुतर्क से नष्ट करता हुआ ,... "सत्य की खोज" – काव्य प्रतियोगिता · कविता · सलाह 2 209 Share Shyam Sundar Subramanian 18 Mar 2024 · 1 min read ईश्वर एक बार मुझसे यह प्रश्न किया गया कि क्या तुमने ईश्वर को देखा है ? मैंने कहा हाँ ! मैंने उन्हें मासूम बच्चों की मुस्कुराहटों में देखा है , तपती... "सत्य की खोज" – काव्य प्रतियोगिता · अनुभूति · कविता 2 102 Share Shyam Sundar Subramanian 18 Mar 2024 · 1 min read नश्वर संसार इस नश्वर संसार में ये अनुप्रीति कैसी ? जब कुछ शाश्वत नहीं तो ये अनुभूति कैसी? जब सब कुछ यहीं छोड़ जाना है तो ये बंधन कैसा ? जो बिछड़... "सत्य की खोज" – काव्य प्रतियोगिता · कविता · जीवन सार 2 142 Share Shyam Sundar Subramanian 18 Mar 2024 · 1 min read ज़िंदगी के मर्म सुख-दु:ख की धूप छांव है ये ज़िंदगी , कभी सूरज सी प्रचंड , कभी चंद्रमा सी शांत है , ये ज़िंदगी , कभी हर्ष का उत्कर्ष , कभी कल्पित धारणा... "सत्य की खोज" – काव्य प्रतियोगिता · कविता 3 117 Share Shyam Sundar Subramanian 18 Mar 2024 · 1 min read बदलाव हर अंधेरी रात के बाद रोशन सुबह का आग़ाज़ होता है, हर ग़म के बाद फिर खुशी का एहसास होता है, ‘अमल -ए -इर्तिका में शाहकार मिटते बनते रहते है... "सत्य की खोज" – काव्य प्रतियोगिता · कविता · सलाह 2 125 Share Shyam Sundar Subramanian 18 Mar 2024 · 1 min read ज़िदादिली खुशी क्या होती है तुम ये क्या जानो , मसर्रत के लम्हों को तुम कैसे पहचानो , ज़िंदादिल इंसां औरों को खुश देख खुश होता है , उनका ग़म बांटकर... "सत्य की खोज" – काव्य प्रतियोगिता · कविता · सलाह 3 97 Share Shyam Sundar Subramanian 18 Mar 2024 · 1 min read ज़िंदगी के फ़लसफ़े वक्त बदलते , हालात बदलते हैं , बदलते हालात, एहसास बदलते हैं , बदलते एहसास, इंसां बदलते हैं, बदलते इंसां, मरासिम बदलते हैं , बदलते मरासिम, ए’तिबार बदलते हैं, बदलते... "सत्य की खोज" – काव्य प्रतियोगिता · एहसास · कविता 2 91 Share Shyam Sundar Subramanian 18 Mar 2024 · 1 min read वक्त लगता है चलते-चलते वक्त कुछ पीछे छूट गया , कुछ ऐसे गुजरा की कुछ पता ही नहीं चला , हम कहां थे ? कहां से कहां आ गए ? हम... "सत्य की खोज" – काव्य प्रतियोगिता · एहसास · कविता 2 115 Share Shyam Sundar Subramanian 18 Mar 2024 · 1 min read मर्दुम-बेज़ारी बड़ी-बड़ी बातों का इल्म़ बांटना बहुत आसान है , उनका ‘अमल उतना ही मुश्किल ना आसान है , हक़ीक़त में इंसानी फ़ितरत आड़े आती है , जो बनते काम को... "सत्य की खोज" – काव्य प्रतियोगिता · एहसास · कविता 2 103 Share Shyam Sundar Subramanian 18 Mar 2024 · 1 min read ज़िंदगानी रिश्ते थे जो, वो टूटते चले गए , दोस्तों के साथ भी छूटते चले गए , वक्त के साथ एहसास भी बदलते गए , जब -तब हादसे , ज़ीस्त को... "सत्य की खोज" – काव्य प्रतियोगिता · एहसास · कविता 2 119 Share Shyam Sundar Subramanian 18 Mar 2024 · 1 min read बे-ख़ुद वक्त की दहलीज़ पर ठहरा हुआ सा एक लम्हा, हवा में लहराता हुआ सा एक बबूला, संगे -ए- राह सा ठोकर खाता हुआ, एहसास -ए- दर्द बना फ़ुगाँ होता हुआ... "सत्य की खोज" – काव्य प्रतियोगिता · कविता 3 113 Share Shyam Sundar Subramanian 18 Mar 2024 · 1 min read व्यक्तिगत अभिव्यक्ति बहुत कुछ सोच समझकर कहना चाहूं तो ज़ुबान पर ताले पड़ जाते हैं , अव्यक्त भावनाओं के स्वर अंतःकरण में डोलते रहते व्यक्त नहीं हो पाते हैं , लगता है... "सत्य की खोज" – काव्य प्रतियोगिता · कविता 2 111 Share Shyam Sundar Subramanian 18 Mar 2024 · 1 min read परिणति कुंठित भावना , निरर्थक कामना , शोषित मनुष्यत्व ,त्रस्त भंगुर अस्तित्व , छद्म लालसा, आभासी आशा, , कपटपूर्ण व्यवहार, विस्तृत अनाचार , सत्य कठोर , असत्य भावविभोर , मंतव्य कलुषित... "सत्य की खोज" – काव्य प्रतियोगिता · कविता 2 114 Share Shyam Sundar Subramanian 18 Mar 2024 · 1 min read आत्मज्ञान कुछ तो है अंदर छुपा हुआ , जो हम अब तक जान न पाए, खुद के अंदर झांककर ,अभी तक पहचान ना पाए, इधर उधर ढूंढते रहे , कहां छुपा... "सत्य की खोज" – काव्य प्रतियोगिता · कविता 3 117 Share Shyam Sundar Subramanian 17 Mar 2024 · 1 min read वो अजनबी झोंका ये कौन सा हवा का झोंका था ? जो मुझे छू गया , सोते दिल में इक एहसास सा जगा गया , कुछ भूले-बिसरे लम़्हों की याद दिला गया ,... Hindi · एहसास · कविता 88 Share Shyam Sundar Subramanian 13 Mar 2024 · 2 min read लोकतंत्र की आड़ में तानाशाही ? भारत का राजनीतिक भविष्य क्या है ? क्या लोकतंत्र की आड़ में तानाशाही की ओर अग्रसर है ? वर्तमान परिदृश्य में विवेचना प्रस्तुत है : भारत के राजनीतिक परिदृश्य के... Hindi · लेख 148 Share Shyam Sundar Subramanian 16 Feb 2024 · 1 min read आज का नेता तवारीख़ में दफ़्न मुर्दों को उखाड़ रहे हैं , अपनी -अपनी दलीले पेश कर अवाम को बरग़ला रहे हैं , हालाते हाज़िरा से भटका अवाम को गुम़राह कर रहे हैं... Hindi · कटाक्ष · कविता 151 Share Shyam Sundar Subramanian 12 Feb 2024 · 1 min read ज़िंदगी के सौदागर ज़िंदगी की बोली लगती है , क्या तुम ज़िंदगी खरीद पाओगे ? क्या उसकी कीमत तुम चुका पाओगे ? तड़पते जिस्मो जाँ से बग़ावत करती रूह को क्या तुम मना... Hindi · एहसास · कविता 187 Share Shyam Sundar Subramanian 9 Feb 2024 · 1 min read दीवानगी इस कदर किसी को कोई न चाहे के दुनिया भूल जाए , भटकते रहे अनजान राहों में खुद से भी परे हो जाए , जिनकी चाहत में हम दुनिया को... Hindi · कविता 145 Share Shyam Sundar Subramanian 9 Feb 2024 · 1 min read बदलाव हर अंधेरी रात के बाद रोशन सुबह का आग़ाज़ होता है, हर ग़म के बाद फिर खुशी का एहसास होता है, 'अमल -ए -इर्तिका में शाहकार मिटते बनते रहते है... Hindi · कविता · सलाह 286 Share Shyam Sundar Subramanian 7 Feb 2024 · 2 min read स्थितिप्रज्ञ चिंतन मनुष्य का जीवन विभिन्न उतार- चढ़ाव से युक्त होता है जीवन में सुख-दुःख के पल आते जाते रहते हैं। विभिन्न परिस्थितियों में मनुष्य का मस्तिष्क भावनाओं से वशीभूत होकर क्रियाशील... Hindi · चिंतन · लेख 2 2 180 Share Shyam Sundar Subramanian 4 Feb 2024 · 1 min read श्वान संवाद एक गली के कुत्ते में दूसरे कुत्ते से कहा , हम तो भौंकते हैं खतरे से आगाह करने के लिए , गली में घुसने वाले चोरों को भगाने के लिए... Hindi · कविता · व्यँग 173 Share Shyam Sundar Subramanian 3 Feb 2024 · 1 min read आग़ाज़ कुछ समझ ना पाऊं ये क्या हो रहा है ? हर शख़्स सहमा - सहमा सा लग रहा है , खौफ़ के सन्नाटे हर सम्त पसरे हुए हैं , जाने... Hindi · कविता 150 Share Shyam Sundar Subramanian 2 Feb 2024 · 1 min read कवि की लेखनी कवि की लेखनी उसके ह्रदय का स्वर होती है, यह कभी परिस्थितिजन्य वेदना के शब्द कहती है , तो कभी प्रफुल्लित गीत पिरोती है , कभी यह प्रेमी की भावना... Poetry Writing Challenge-2 · कविता 2 4 115 Share Shyam Sundar Subramanian 30 Jan 2024 · 1 min read बीते लम़्हे बरसात की बूंदे जब गिरतीं हैं, ज़ेहन के पर्दे पर एक तस्वीर उभरकर , उनके साथ बीते लम़्हों की याद दिला जाती है , वो मसर्रत के पल, वो बातें... Hindi · कविता 149 Share Shyam Sundar Subramanian 28 Jan 2024 · 1 min read व्यक्तिगत अभिव्यक्ति बहुत कुछ सोच समझकर कहना चाहूं तो ज़ुबान पर ताले पड़ जाते हैं , अव्यक्त भावनाओं के स्वर अंतःकरण में डोलते रहते व्यक्त नहीं हो पाते हैं , लगता है... Poetry Writing Challenge-2 · कविता 132 Share Shyam Sundar Subramanian 28 Jan 2024 · 1 min read आव्हान आओ नवअभिलाषाओं और आशाओं के दीप जलाएं , समग्र व्याप्त क्लेष, संताप नष्ट कर निराशा दूर भगाएं , त्याग स्वार्थ , द्वेष नष्ट कर , परस्पर सद्भाव बढ़ाएं , सर्वधर्म... Poetry Writing Challenge-2 · कविता 124 Share Shyam Sundar Subramanian 28 Jan 2024 · 1 min read मेरी हस्ती गर्दिश ने मुझे कुछ इस कदर मारा , मैं होकर रह गया बेबस बेचारा , लोगों की फ़ितरत ने मुझे इस कदर लूटा , ग़म ज़ब्त करते हुए मजबूर मैं... Hindi 133 Share Shyam Sundar Subramanian 27 Jan 2024 · 1 min read स्वाभिमान उस रात किसी ने मुझे झिंझोड़कर जगा दिया , उठकर देखा तो सामने एक साया था , मैंने पूछा कौन हो तुम ? उसने कहा मैं तुम्हारा स्वाभिमान हूँ ,... Poetry Writing Challenge-2 · कविता 1 2 131 Share Shyam Sundar Subramanian 26 Jan 2024 · 1 min read मतिभ्रष्ट हे ईश्वर ! आज के मानव को ये क्या हो गया है ? वह तुम्हारे अस्तित्व को बांटकर देखने के लिए उद्यत हो गया है , उसे कौन बताऐ राम... Poetry Writing Challenge-2 · कविता 119 Share Shyam Sundar Subramanian 26 Jan 2024 · 1 min read जागृति दुनिया देखने वाले क्या तुमने कभी खुद के अंदर झांक कर देखा है ? अपने अंदर धधकती दावानल सी क्रोध , द्वेष , क्लेश की अग्नि को कभी पहचाना है... Poetry Writing Challenge-2 258 Share Previous Page 4 Next