Mugdha shiddharth Tag: मुक्तक 326 posts Sort by: Latest Likes Views List Grid Previous Page 4 Next Mugdha shiddharth 24 Nov 2019 · 1 min read मुक्तक १. कहां- कहां खोजूं मैं खुद को मुझ में तो तुम अंदर तक बैठे हो ~ सिद्धार्थ २. हमने हिसाब रखा ही नहीं तुम कितनी बार आकर जाते हो ये... Hindi · मुक्तक 4 243 Share Mugdha shiddharth 24 Nov 2019 · 1 min read मुक्तक १. तबाही हमारी लेकर आये हो पर तुम अपनी मान से गए आग हमने भी फेंका है क्या हुआ जो हम भी जान से गए। ~ सिद्धार्थ २. तबाही हमारी... Hindi · मुक्तक 3 467 Share Mugdha shiddharth 23 Nov 2019 · 1 min read मुक्तक १. हम आएंगे ... किसी दिन तुम से मिलने फिर पूछेंगे क्या तुम्हें भी तंग किया है दिल ने ...पुर्दिल २. कैसे कहूं तेरे हिज्र का बादल कितना घनेरा है... Hindi · मुक्तक 1 416 Share Mugdha shiddharth 23 Nov 2019 · 1 min read मुक्ता १. तू कोई ख़्वाहिश करे और पूरी न हो 'अल्लाह' की ऐसी कोई मजबूरी न हो ! ... पुर्दिल २. नींद से अलसाई आंखों को मालूम है नींद बिस्तर के... Hindi · मुक्तक 2 320 Share Mugdha shiddharth 23 Nov 2019 · 1 min read मुक्तक हम सोते रहे आरामदेह बिस्तरों पे नींद के बगैर वो सो गया माटी पे यूं ही कागजी शब्दों को ओढ़। ... सिद्धार्थ २. फलक के दामन में देख चांद आधा... Hindi · मुक्तक 1 191 Share Mugdha shiddharth 21 Nov 2019 · 1 min read मुक्तक १. क्यूँ पूछ कर तुम को बेजार करूँ क्यूँ खुद को गम का तलबग़ार करूँ तुम्हें फुरसत मिले तो बताजाना अपना हाल खुद ही सुना जाना, मुझ से भी मेरा... Hindi · मुक्तक 2 249 Share Mugdha shiddharth 19 Nov 2019 · 1 min read मुक्तक १. मेरे जिस्म की जर्जर दीवार पर मजहब न खोज इश्क हूं इश्क बनकर ही खाक में मैं मिल जाऊंगा ... सिद्धार्थ २. हम लड़ रहें है कि सबको मिले... Hindi · मुक्तक 2 197 Share Mugdha shiddharth 19 Nov 2019 · 1 min read मुक्तक १. मन्दिर तुम रख लो, स्कूल हमें दे दो मनुस्मृति तुम रख लो, संविधान हमें दे दो भगवान तुम रख लो विज्ञान हमें दे दो जातिवाद के पहाड़ तुम ढोलो,... Hindi · मुक्तक 2 1 424 Share Mugdha shiddharth 19 Nov 2019 · 1 min read मुक्तक १. तुम चालाक कभी मत बनना गलतियां चाहे जितना कर लो ... सिद्धार्थ २. मैं, हर बार हार कर छुप कर बैठ जाती हूं फीर एक फोन आता है... हेलो...... Hindi · मुक्तक 2 349 Share Mugdha shiddharth 19 Nov 2019 · 1 min read मुक्तक १. इस दौर का जब भी इतिहास लिखा जायेगा एक तुम्हारा नाम ' समद' उस में दर्ज किया जायेगा कि आंख वाले आंधो के नस्लों की फसलों के लिए तुम्हारे... Hindi · मुक्तक 2 195 Share Mugdha shiddharth 19 Nov 2019 · 1 min read मुक्तक 1. समय को बांधने का हुनर यहां किस ने सीख़ रख़ा है वो कौन है जिस ने जहां में नहीं जहर को चख रखा है ! ...सिद्धार्थ 2. गरम खून... Hindi · मुक्तक 1 434 Share Mugdha shiddharth 14 Nov 2019 · 1 min read मुक्तक १. लाज़मी है तेरा उठ के खड़ा होना तारीख़ें गवाह है. ज़िद पे जो आई आईना तो, पत्थर को भी तोडा है ! ...सिद्धार्थ २. खुल कर हंसने दो, उछल... Hindi · मुक्तक 2 2 253 Share Mugdha shiddharth 14 Nov 2019 · 1 min read मुक्तक १. फूल ही अपनी खुश्बू पे क्यूँ इतराए यार की यादों की ख़ुश्बू ऐसी पल में कुंवरानी को मीरा कर जाय ! ...पुर्दिल २. दिमाग कहता है छोड़ दूँ तुम्हें... Hindi · मुक्तक 1 1 443 Share Mugdha shiddharth 13 Nov 2019 · 1 min read मुक्तक १. बड़ा नाज़ुक मिज़ाज है वो, बस साफ़गोई से चलता है समझा कर तो देखो, इश्क़ अक़्ल के बगीचे में नहीं पलता है ...सिद्धार्थ २. इश्क़ भीतर भीतर चलता है... Hindi · मुक्तक 1 173 Share Mugdha shiddharth 12 Nov 2019 · 1 min read मुक्तक १. लब्ज़ हर दूसरे ज़बान पे अपना बयान बदलती है तुम नजरों को पढ़ना भला क्यूं नहीं सीखते...? ... सिद्धार्थ २. रब ने जाने कैसी दुनियां बनाई है खुशी अपनी... Hindi · मुक्तक 3 177 Share Mugdha shiddharth 12 Nov 2019 · 1 min read मुक्तक 1 मैं सरल होने में लगी रही दुनियां कठोर होती रही ! ...सिद्धार्थ 07.11 2. प्रेम पगा मन बस रहा करें खल - छल से न मिला करें। ... सिद्धार्थ... Hindi · मुक्तक 2 216 Share Mugdha shiddharth 6 Nov 2019 · 1 min read मुक्तक अब मेरे आँखों में तुम आठो पहर रहते हो नींद जरुरी नहीं ख़्वाब के लिए कहते हो । मैं अपनी पलकें मूंदूँ भी तो भला कैसे तुम इस में ही... Hindi · मुक्तक 2 362 Share Mugdha shiddharth 5 Nov 2019 · 1 min read मुक्तक १. आज चांद को देखा, वो बड़ी इंतजार के बाद आया रौशनी के पलकों के तीर से गिर जाने के बाद आया । एक तुम हो और दूजा मेरा वो... Hindi · मुक्तक 3 473 Share Mugdha shiddharth 2 Nov 2019 · 1 min read छठ की शुभकामना 'छठ की बहुत-बहुत सुभकामना' अस्ताचलगामी सूर्य की उपासना करने वाले हम लोग जीवन मृत्यु से मुक्त हुए लोगों को भी नहीं छोड़ते देते हैं गलियां और उधेड़ते हैं उनका बख़िया... Hindi · मुक्तक 2 1 385 Share Mugdha shiddharth 2 Nov 2019 · 1 min read मुक्तक न जाने क्यूँ वो होके उम्मीद- वार बैठा है मेरे होने के बदले मेरा 'पर' मांग बैठा है ! ...सिद्धार्थ दिल में एक आरजू, एक उम्मीद, एक हमनवाई है विसाल-ए-यार... Hindi · मुक्तक 2 239 Share Mugdha shiddharth 1 Nov 2019 · 1 min read रौशनी १. शाम से मिलने को ही तो सुबह खिली खिली सी नजर आती है दिन भर चलती है फिर थक कर प्रीतम के बाहों में सिमट जाती है । ...... Hindi · मुक्तक 3 204 Share Mugdha shiddharth 1 Nov 2019 · 1 min read मुक्तक १. शुभ रात्रि कहना था तुमसे, कहूं क्या ? तुम्हारे हांथ पे एक मुस्कान की चवन्नी रखना था, रखूं क्या ? जाने दो... तुम खामोशियों में गुम हो, मैं भी... Hindi · मुक्तक 2 335 Share Mugdha shiddharth 1 Nov 2019 · 1 min read मुक्तक फूल की खुशबू, चिल्का की हंसी ले के जो हम जिये आप को सदियां लगेंगी हमें भूल जाने में जिन्हें न हंसने का मालूम हो सलीका, न हंसाने का ऎसे... Hindi · मुक्तक 3 242 Share Mugdha shiddharth 1 Nov 2019 · 1 min read मुक्तक १. फिकी मोरी चुनरी प्रीतम सांचा मेरा इंतजार है दो नयनन में जबसे बसे हो तुम धूल गए कजरे की धार है, क्या यही निगोड़ा प्यार है? ... सिद्धार्थ २.... Hindi · मुक्तक 2 215 Share Mugdha shiddharth 1 Nov 2019 · 1 min read मुक्तक १. कुपोषण के शिकार बच्चों के मन की बात कहो तो... मैं क्या खाऊं माटी खाऊं,... या हवा पीकर रह जाऊं या अपनी मैं आप चबाऊँ बोलो तो क्या मैं... Hindi · मुक्तक 3 185 Share Mugdha shiddharth 26 Oct 2019 · 1 min read मुक्तक कोई बेच रहा है तुझको कोई खरीद रहा है तुझको अब तू ही बता दे मुझको जो मोल ली और दी गई भगवान कहूं मैं कैसे उसको...? Hindi · मुक्तक 1 1 294 Share Mugdha shiddharth 26 Oct 2019 · 1 min read मुक्तक १. इश्क का काम ही क्या...? चुप रहे और आहें भरे दूरियों को धत्ता बता के मुहब्बत का इजहार करे । ... सिद्धार्थ ** २. जो दिल में कैद है... Hindi · मुक्तक 1 204 Share Mugdha shiddharth 25 Oct 2019 · 1 min read मुक्तक १. मेरे यादों के दामन में खुद को उलझाओ मत जाना यादों में चाहत के रंग सजे हैं, चलो ये भी माना गम भी पोशीदा रहे दामन में, ये अच्छा... Hindi · मुक्तक 2 434 Share Mugdha shiddharth 24 Oct 2019 · 1 min read मुक्तक १. रात के हथेली पे रौशनी नही खेला करती दिन के सीने पे महताब रात के सीने पे आफ़ताब नही मचला करती ...सिद्धार्थ २. जाओ तुम सब से कह दो,... Hindi · मुक्तक 3 3 224 Share Mugdha shiddharth 24 Oct 2019 · 1 min read मुक्तक १. पाखंडियों ने 'धर्म' का बाजार गर्म किया है बड़े सलीके से दे दिया है हथियार हमें मार लो खुद को अपने तरीके से ! ...सिद्धार्थ २. न तुम से... Hindi · मुक्तक 4 388 Share Mugdha shiddharth 24 Oct 2019 · 1 min read मुक्तक १. हम कई बार मरे थे बस हर बार दफ़नाना बांकी रहा ख़्वाहिशों के कब्र में चैन से... बस हर बार सो जाना बांकी रहा ...सिद्धार्थ २. जमाने का सिखाने... Hindi · मुक्तक 2 227 Share Mugdha shiddharth 24 Oct 2019 · 1 min read मुक्तक १. तुम शायद बहुत गमज़दा हो मुझ से बस मैं शायद खुद से डरने लगी हूं ये जो तुम हो न... मेरे अंदर ही बसने लगे हो मुझ संग रोने... Hindi · मुक्तक 3 420 Share Mugdha shiddharth 23 Oct 2019 · 1 min read मुक्तक १. का देख रहे हो...? हंसी नही देखे हो का...? अरे हमरे बत्तीसी से अंधेरे में अजोर हो जाता है बिना दिया फटाका भी दीवाली बेजोड़ हो जाता है !... Hindi · मुक्तक 2 409 Share Mugdha shiddharth 23 Oct 2019 · 1 min read मुक्तक तुम्हें याद करने का हमें जाना शौक़ तो न था तुम खुद ब खुद याद आते हो तो मैं क्या करूं ? तुम संग रहने बसने का हमने सोचा तो... Hindi · मुक्तक 2 424 Share Mugdha shiddharth 23 Oct 2019 · 1 min read मुक्तक १. कभी मैं भी हरा-भरा था साहेब, आज ठूंठ हो गया हूँ जंजीरों में उग आये कुकुरमुत्ते के लिए झूठ हो गया हूँ । ...सिद्धार्थ २. दाग़ फलक के चांद... Hindi · मुक्तक 3 229 Share Mugdha shiddharth 21 Oct 2019 · 1 min read मुक्तक १. हम अपनी जां से रिहाई कैसे मांगे खुद से खुद की ही जुदाई कैसे मांगे। ** २. हम भी मिट रहे हैं तुम भी फ़ना हो रहे हो वक़्त... Hindi · मुक्तक 2 200 Share Mugdha shiddharth 20 Oct 2019 · 1 min read मुक्तक अब कौन दिल की तकलीफों को कम करे रहने दो दिल को भी तो कुछ तकलीफें बेवजह ही सहने दो। ... सिद्धार्थ प्यार कम पड़ जाता है अक़्सर अना बीच... Hindi · मुक्तक 3 301 Share Mugdha shiddharth 20 Oct 2019 · 1 min read मुक्तक १. जब हम न हों तो हमें ख़ुशी में नही बेचैनियों में ढूंढा जाए मेरे लफ़्ज़ों को सलीके से निचोड़ा जाए उसी में मिलूंगी कहीं और न मुझको ढूंढा जाय... Hindi · मुक्तक 4 1 402 Share Mugdha shiddharth 18 Oct 2019 · 1 min read मुक्तक १. बस चाहतें ज़िंदा रहे जिंदगी की सूर्यास्त होने तक दिल का क्या है वो तो आज धड़का कल भूल गया। ...सिद्धार्थ २. किसी को परवाह नही तो क्या कीजे... Hindi · मुक्तक 2 418 Share Mugdha shiddharth 17 Oct 2019 · 1 min read मुक्तक है बहुत घना अंधेरा, शब भी निशब्द है मगर जिद पे जुगनू आजाये तो अंधेरा कहां टिक पायेगा। रात की औकात क्या अंधेरे में भी वो बात कहां ढलता है... Hindi · मुक्तक 2 1 198 Share Mugdha shiddharth 16 Oct 2019 · 1 min read मुक्तक १. मैं कुछ रोज उस से जाके उलझ जाती हूँ सुलझाने की ज़िद में और उलझ जाती हूँ। ...सिद्धार्थ २. बहस में जाओगे तो हार ही जाओगे इश्क को भला... Hindi · मुक्तक 3 177 Share Mugdha shiddharth 16 Oct 2019 · 1 min read मुक्तक १. कुछ और नही बस इतनी खराबी है खुद को मिटा कर भी हसीन दुनियां बनानी है तुम्हे गर प्यार से हो प्यार तो तुम्हें भी साथ लाने की मेरी... Hindi · मुक्तक 2 215 Share Mugdha shiddharth 16 Oct 2019 · 1 min read मुक्तक १. हम भारत के नीच लोग नीचे गिरते ही जाएंगे किसान न रहे तो क्या हम एक दूजे को ही खाएंगे ??? ... सिद्धार्थ २. चल सखी हम घास काट... Hindi · मुक्तक 4 2 373 Share Mugdha shiddharth 16 Oct 2019 · 1 min read मुक्तक १. आईने ने हंस कर कहा उम्र ने तो बस अपना काम किया देह के कोरे किताब पर कुछ लकीरों को तेरे नाम किया ! ...सिद्धार्थ २. मेरा चाक-ए-गरेबाँ वो... Hindi · मुक्तक 4 1 224 Share Mugdha shiddharth 16 Oct 2019 · 1 min read माई जिंदगी की सिलेट पर कुछ सफ़हे मिटने को है कहां जाके रोऊँ मेरा पहला प्यार बिछड़ने को है। सबसे हसीन सबसे जहीन है वो, नौ महीने बड़ा है जो बांकी... Hindi · मुक्तक 3 2 421 Share Mugdha shiddharth 14 Oct 2019 · 1 min read मुक्तक १. कुछ भूख से रोते बच्चे देखे, देखे चाँद गगन में सादा सा था पूनम का चाँद मगर वो दिखे मुझे बस आधा सा । ...सिद्धार्थ २. गुरुर लेकर अपना... Hindi · मुक्तक 2 228 Share Mugdha shiddharth 12 Oct 2019 · 1 min read इंकलाब बंट रहे थे पर्चे सब उसकी मर्ज़ी है बस रब को ऐसे ही माना जाये। हम गिर पड़े हैं चलते-चलते चोट खाकर क्या इसको भी उसकी रज़ा ही जाना जाये।... Hindi · मुक्तक 4 351 Share Mugdha shiddharth 12 Oct 2019 · 1 min read मुक्तक बंट रहे थे पर्चे जो होता है सब उसकी मर्ज़ी है बिना फेर बदल ,इसे ऐसे ही बस माना जाये हम गिर पड़े हैं चलते-चलते चोट खाकर क्या इसको भी... Hindi · मुक्तक 1 184 Share Mugdha shiddharth 12 Oct 2019 · 1 min read मुक्तक जो कभी झुके नही हैं, वो झुकना सीखा रहे हैं, मंजिलों से पहले बचपन को रुकना सीख रहे हैं। वो दिन ए इलाही का लेते हैं जोर से नाम दीन... Hindi · मुक्तक 2 208 Share Mugdha shiddharth 12 Oct 2019 · 1 min read मुक्तक १. ज़िस्म की गली में जिंदगी का सूरज ढल भी जाय शब्दों के आंगन से बिछोड़ा किस तरह हो पाय । मिट जाते हैं बारहा हर नक़्श कदम के शब्दों... Hindi · मुक्तक 1 2 495 Share Previous Page 4 Next