कवि रमेशराज Language: Hindi 315 posts Sort by: Latest Likes Views List Grid Previous Page 4 Next कवि रमेशराज 12 Apr 2017 · 3 min read स्वामी श्रद्धानंद का हत्यारा, गांधीजी को प्यारा इस बात से कोई भी इन्कार नहीं कर सकता कि सबसे अधिक स्वतंत्रता संग्राम सेनानी आर्य समाज के राष्ट्रवादी चिन्तन की तप्त विचारधारा से तपकर सोने की भाँति चमके। रानी... Hindi · लेख 576 Share कवि रमेशराज 12 Apr 2017 · 3 min read सावरकर ने लिखा 1857 की क्रान्ति का इतिहास भारत माता के वीर समूतों ने अंग्रेजों की दासता की बेडि़याँ काटने के लिए हिन्दुस्तान से बाहर रहकर भी गोरी सरकार के विरुद्ध क्रान्ति का शंखदान किया। गदर पार्टी के... Hindi · लेख 303 Share कवि रमेशराज 12 Apr 2017 · 3 min read अमर क्रन्तिकारी भगत सिंह युग-युग से पंजाब वीरता, पौरुष और शौर्य का प्रतीक रहा है। सिखों के समस्त दस गुरु अपनी आन पर मर मिटने, पराधीनता न स्वीकार करने और अत्याचारी मुगलों से टक्कर... Hindi · लेख 231 Share कवि रमेशराज 12 Apr 2017 · 5 min read ‘1857 के विद्रोह’ की नायिका रानी लक्ष्मीबाई दूसरों की जूठन खाने वाले कौआ, गिद्ध या श्वान सौ नहीं पांच सौं वर्ष जीवित रहें लेकिन वह शौर्य, प्रशंसा और श्रेष्ठ वस्तुओं के अधिकारी नहीं हो सकते और न... Hindi · लेख 507 Share कवि रमेशराज 12 Apr 2017 · 4 min read आज़ादी की जंग में यूं कूदा पंजाब गुलामी की जंजीरों में जकड़े हिन्दुस्तान को आजाद कराने में अपने प्राणों को संकट में डालकर लड़ने वाले रणबांकुरों में एक तरफ जहां पं. चन्द्रशेखर आजाद, अशफाक उल्ला खान, गणेश... Hindi · लेख 522 Share कवि रमेशराज 12 Apr 2017 · 3 min read सत्तावन की क्रांति का ‘ एक और मंगल पांडेय ’ 1857 में अंग्रेजों के खिलाफ सैन्य विद्रोह करने वालों में मंगल पांडेय का नाम ही अब तक सुर्खियों में आता रहा है, जबकि मंगल पांडे के अलावा भी ऐसे कई... Hindi · लेख 470 Share कवि रमेशराज 12 Apr 2017 · 3 min read अदालत में क्रन्तिकारी मदनलाल धींगरा की सिंह-गर्जना अमृतसर जिले के खत्री कुल में धनी परिवार में जन्म लेने वाले क्रान्तिकारी मदनलाल धींगरा पंजाब विश्वविद्यालय से बी.ए. पास कर आगे की शिक्षा ग्रहण करने के लिए जब इंग्लैंड... Hindi · लेख 507 Share कवि रमेशराज 12 Apr 2017 · 3 min read सच्चे देशभक्त ‘ लाला लाजपत राय ’ देश को अंग्रेजों की दासता से मुक्त कराने वाले भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के अनेक वीरों में से लाला लाजपतराय का नाम भी स्वर्णाक्षरों में अंकित है। उच्चकोटि के शिक्षित और... Hindi · लेख 278 Share कवि रमेशराज 12 Apr 2017 · 4 min read आज़ादी की जंग में कूदी नारीशक्ति अंग्रेजी शासन से मुक्त होने के लिए, दासता की बेडि़यों को तोड़ने में केवल राष्ट्रभक्त क्रान्तिवीरों ने ही अपने प्राणों की आहुति नहीं दी, बल्कि गुलाम भारत में ऐसी अनेक... Hindi · लेख 333 Share कवि रमेशराज 12 Apr 2017 · 4 min read चर्बी लगे कारतूसों के कारण नहीं हुई 1857 की क्रान्ति कई इतिहास लेखकों ने 1857 की क्रान्ति को जिस तरह तोड़-मरोड़कर और भ्रामक तरीके से लिखा है, उससे अब पर्दा उठने लगा है। ऐसे इतिहासकारों की पुस्तकों में विवरण है... Hindi · लेख 492 Share कवि रमेशराज 12 Apr 2017 · 4 min read खुदीराम बोस की शहादत का अपमान भारतीय क्रान्तिकारी आयरिश वीर टेरेन्श मैकस्विनी जिन्होंने अंगे्रजी हुकूमत के खिलाफ 72 दिन अनशन कर अपने प्राणों की आहुति दी, ने लिखा, ‘‘कोई भी व्यक्ति जो कहता है कि सशस्त्र... Hindi · लेख 564 Share कवि रमेशराज 12 Apr 2017 · 4 min read ‘ चन्द्रशेखर आज़ाद ‘ अन्त तक आज़ाद रहे आगरा का एक मकान जिसमें चन्द्रशेखर आज़ाद, भगतसिंह, सुखदेव, राजगुरु, बटुकेश्वर दत्त, शिव वर्मा, विजय सिन्हा, जयदेव कपूर, डॉ. गया प्रसाद, वैशम्पायन, सदाशिव, भगवान दास माहौर आदि दल के सक्रिय... Hindi · लेख 383 Share कवि रमेशराज 30 Mar 2017 · 3 min read माँ दुर्गा की नारी शक्ति क्वार सुदी प्रतिपदा से नवमी तक पवित्र मन के साथ अत्यंत संयम से नवरात्र में रखे जाने वाले व्रत में माँ दुर्गा की पूजा-अर्चना की जाती है। प्रतिपदा के दिन... Hindi · लेख 772 Share कवि रमेशराज 28 Mar 2017 · 4 min read रोटियों से भी लड़ी गयी आज़ादी की जंग कुछ कांग्रेस के पिट्टू इतिहासकार आज भी जोर-शोर से यह प्रचार करते हैं कि बिना खड्ग और बिना तलवार के स्वतंत्रता संग्राम में कूदने वाले कथित अहिंसा के पुजारियों के... Hindi · लेख 562 Share कवि रमेशराज 6 Mar 2017 · 6 min read काव्य में सत्य, शिव और सौंदर्य सत्य का संबंध लोकमंगल या मानवमंगल की कामनामात्र से ही नहीं, मानव मंगल के लिए काव्य में अपनाए गए उस वैचारिक एवं भावात्मक पक्ष से भी है, जिसमें आचार्य शुक्ल... Hindi · लेख 687 Share कवि रमेशराज 6 Mar 2017 · 10 min read काव्य में अलौकिकत्व काव्य का अलौकिकत्व सिद्ध करने के लिए रसाचार्यों ने रस को आनंद का पर्याय मानकर बड़े ही कल्पित तर्क प्रस्तुत किए। आदि रसाचार्य भरतमुनि ने जिन भावों, संचारी भावों, स्थायी... Hindi · लेख 585 Share कवि रमेशराज 6 Mar 2017 · 6 min read विचार, संस्कार और रस-4 एक कवि द्वारा सृजित काव्य जिन परिस्थितियों में एक सामाजिक द्वारा आस्वाद्य होता है, उसके लिए उस सामाजिक का काव्य-सामग्री के प्रति रुचि लेना परामावश्यक है। सामाजिक की रुचि का... Hindi · लेख 563 Share कवि रमेशराज 6 Mar 2017 · 4 min read विचार, संस्कार और रस [ तीन ] रसमर्मज्ञ डॉ. राकेश गुप्त रसास्वादक के संस्कारों के संबंध में चर्चा करते हुए लिखते हैं कि ‘‘एक ओर कवि की परिवेश होता है, दूसरी ओर सहृदय का। कवि ने जिन... Hindi · लेख 537 Share कवि रमेशराज 6 Mar 2017 · 4 min read विचार, संस्कार और रस [ दो ] काव्य के रसतत्त्वों एवं उनके रसात्मकबोध को तय करने वाली समस्त प्रक्रिया का निर्माण कवि के संस्कारों द्वारा ही संपन्न होता है। संस्कारों के विभिन्न रूपों [ धार्मिक, सामाजिक, मानवतावादी,... Hindi · लेख 649 Share कवि रमेशराज 6 Mar 2017 · 9 min read विचार, संस्कार और रस [ एक ] समूची मानवजाति की रागात्मक चेतना का विकास विशिष्ट स्थान, समाज, देश और काल की उन परिस्थितियों के बीच हुआ है, जिन्होंने उसकी चेतना को विभिन्न तरीकों से झकझोरा या रिझाया... Hindi · लेख 749 Share कवि रमेशराज 6 Mar 2017 · 4 min read काव्य का आस्वादन काव्य में संदर्भ में, पुराने काव्यशास्त्रिायों से लेकर वर्तमान काव्यशास्त्री ‘आस्वादन’ शब्द का प्रयोग किसी-न-किसी रूप में करते आ रहे हैं। स्वाद का सीधा संबंध जिह्वा से होता है। लेकिन... Hindi · लेख 540 Share कवि रमेशराज 6 Mar 2017 · 7 min read विचार और रस [ दो ] रसाचार्यों द्वारा गिनाए विभिन्न प्रकार के रसों का रसात्मकबोध अंततः इस तथ्य पर आधारित है कि इन रसों की आलंबन सामग्री किस प्रकार की है और वह आश्रयों को किस... Hindi · लेख 1 1 616 Share कवि रमेशराज 6 Mar 2017 · 6 min read रससिद्धान्त मूलतः अर्थसिद्धान्त पर आधारित आचार्य भरतमुनि ने रस तत्त्वों की खोज करते हुए जिन भावों को रसनिष्पत्ति का मूल आधार माना, वह भाव उन्होंने नाटक के लिये रस-तत्त्वों के रूप में खोजे और अपने... Hindi · लेख 289 Share कवि रमेशराज 6 Mar 2017 · 5 min read विचार और रस [ एक ] काव्य के संदर्भ में ‘रस’ शब्द का अर्थ-मधुरता, शीतल पदार्थ, मिठास आदि के साथ-साथ एक अलौकिक आनंद प्रदान करने वाली सामग्री के रूप में लिया जाता रहा है। विचारने का... Hindi · लेख 1 1 495 Share कवि रमेशराज 6 Mar 2017 · 6 min read काव्य में विचार और ऊर्जा डॉ. आनंद शंकर बापुभाई ध्रुव अपने ‘कविता’ शीर्षक निबंध में कहते हैं कि-‘जिस कविता में चैतन्य नहीं है अर्थात् जो वाचक को केवल किन्हीं तथ्यों की जानकारी मात्र प्रदान करती... Hindi · लेख 1 642 Share कवि रमेशराज 6 Mar 2017 · 7 min read भाव और ऊर्जा पाठक, श्रोता या दर्शक जब किसी काव्य-सामग्री का आस्वादन करता है तो उस सामग्री के रसात्मक प्रभाव, आस्वादक के अनुभावों [ स्वेद, स्तंभ, अश्रु, रोमांच, स्वरभंग आदि ] में स्पष्टतः... Hindi · लेख 627 Share कवि रमेशराज 6 Mar 2017 · 5 min read काव्य-अनुभव और काव्य-अनुभूति विभिन्न प्रकार की वस्तुओं या विषयों की उद्दीपन क्रियाओं का इंद्रियों द्वारा प्राप्त ज्ञान-संवेदना, प्रत्यक्षीकरण एवं अर्थग्रहण की प्रक्रिया के उपरांत, एक अनुभव के रूप में, प्राणी मस्तिष्क में उपस्थित... Hindi · लेख 783 Share कवि रमेशराज 6 Mar 2017 · 4 min read काव्य में सहृदयता किसी भी प्राणी की हृदय-सम्बन्धी क्रिया, उस प्राणी के शारीरिकश्रम एवं मानसिक संघर्षादि में हुए ऊर्जा के व्यय की पूर्ति करने हेतु, हृदय द्वारा शारीरिक अवयवों जैसे मष्तिष्क, हाथ-पैर आदि... Hindi · लेख 302 Share कवि रमेशराज 6 Mar 2017 · 4 min read विचार और भाव-2 रस की स्थापना के लिए रस-शास्त्रियों ने रस-सामग्री के रूप में जिस प्रकार भाव, विभाव, संचारी भाव और स्थायी भाव की चर्चा की है और इन भावों के माध्यम से... Hindi · लेख 724 Share कवि रमेशराज 6 Mar 2017 · 6 min read विचार और भाव-1 भाव का सम्पूर्ण क्षेत्र विचार का क्षेत्र है। जो काव्य-मर्मज्ञ काव्य से विचार-सत्ता के अस्तित्व को नकारने की कोशिश करते हैं और उसे सिर्फ भावक्षेत्र की सीमा में बाँध लेना... Hindi · लेख 1k Share कवि रमेशराज 6 Mar 2017 · 4 min read रस का सम्बन्ध विचार से किसी भी प्राणी के लिए किसी भी प्रकार के उद्दीपक [स्वाद, ध्वनि, गंध, स्पर्श, दृश्य] के प्रति मानसिकक्रिया का प्रथमचरण संवेदना अर्थात् उद्दीपक की तीव्रता, स्वरूप आदि के समान वेदन... Hindi · लेख 557 Share कवि रमेशराज 4 Mar 2017 · 16 min read डॉ. नामवर सिंह की दृष्टि में कौन-सी कविताएँ गम्भीर और ओजस हैं?? कविता के क्षेत्र में यह प्रश्न कि ‘कविता क्या है? कोई नया प्रश्न नहीं हैं। यह प्रश्न अपने-अपने सलीके-से समीक्षकों तथा आलोचकों ने उठाया है और अपने-अपने तरीके से इसका... Hindi · लेख 653 Share कवि रमेशराज 4 Mar 2017 · 11 min read विचारों की सुन्दरतम् प्रस्तुति का नाम कविता कविता लोक या मानव के रागात्मक जीवन की एक रागात्मक प्रस्तुति है। कविता रमणीय शब्दावली से उद्भाषित होने वाला रमणीय अर्थ है। कविता आलंकारिक शैली में व्यक्त की गयी संगीत... Hindi · लेख 973 Share कवि रमेशराज 4 Mar 2017 · 6 min read आचार्य शुक्ल के उच्च काव्य-लक्षण आचार्य रामचंद शुक्ल अपने निबंध ‘कविता क्या है’ में कविता को स्पष्ट करते हुए कहते हैं कि-‘‘तथ्य चाहे नर-क्षेत्र के हों, चाहे अधिक व्यापक क्षेत्र के हों, कुछ प्रत्यक्ष होते... Hindi · लेख 598 Share कवि रमेशराज 4 Mar 2017 · 6 min read आचार्य शुक्ल की कविता सम्बन्धी मान्यताएं ‘‘जिस प्रकार आत्मा की मुक्तावस्था ज्ञान-दशा कहलाती है, उसी प्रकार हृदय की यह मुक्तावस्था रसदशा कहलाती है। हृदय की इसी मुक्ति की साधना के लिये मनुष्य की वाणी जो शब्द-विधान... Hindi · लेख 3 1 7k Share कवि रमेशराज 4 Mar 2017 · 6 min read डॉ. ध्रुव की दृष्टि में कविता का अमृतस्वरूप डॉ. आनन्द शंकर बाबू भाई ध्रुव अपने ‘कविता’ शीर्षक निबन्ध मेंकविता का अर्थ-‘‘अमृत स्वरूपा और आत्मा की कला रूप वाग्देवी हमें प्राप्त हो।’’ बताकर सिद्ध करते है कि कविता- 1.... Hindi · लेख 389 Share कवि रमेशराज 4 Mar 2017 · 8 min read पाश्चात्य विद्वानों के कविता पर मत प्रख्यात आलोचक श्री रमेशचन्द्र मिश्र अपनी पुस्तक ‘पाश्चात्य समीक्षा सिद्धान्त’ में अपने निबन्ध ‘काव्य कला विषयक दृष्टि का विकास’ में पाश्चात्य विद्वानों का एक वैचारिक सर्वेक्षण प्रस्तुत करने से पूर्व... Hindi · लेख 822 Share कवि रमेशराज 4 Mar 2017 · 8 min read डॉ. नगेन्द्र की दृष्टि में कविता ‘‘कविता क्या है? यह एक जटिल प्रश्न है। अनेक आलोचक यह मानते हैं कि कविता की परिभाषा और स्वरूप विवेचन संभव नहीं। परन्तु मेरा मन उतनी जल्दी हार मानने को... Hindi · लेख 765 Share कवि रमेशराज 4 Mar 2017 · 10 min read डॉ. नामवर सिंह की आलोचना के अन्तर्विरोध ‘‘एक नये सृजनशील कवि के नाते मुक्तिबोध ‘काव्य और जीवन, दोनों ही क्षेत्र में छायावाद के प्रतिक्रियावादी मूल्यों के खिलाफ संघर्ष करना अपना कर्तव्य समझते थे। उन्होंने, विशेषरूप से ‘कामायनी’... Hindi · लेख 2k Share कवि रमेशराज 4 Mar 2017 · 8 min read डॉ. नामवर सिंह की आलोचना के प्रपंच डॉ .नामवर सिंह अपनी पुस्तक ‘कविता के नये प्रतिमान’ में लिखते हैं कि-‘‘जागरूक समीक्षक शब्द के इर्दगिर्द बनने वाले समस्त अर्थवृत्तों तक फैल जाने का विश्वासी है। वह संदर्भ के... Hindi · लेख 1 596 Share कवि रमेशराज 4 Mar 2017 · 16 min read डॉ. नामवर सिंह की रसदृष्टि या दृष्टिदोष ‘‘जो केवल अपनी अनुभूति-क्षमता के मिथ्याभिमान के बल पर नयी कविता को समझ लेने तथा समझकर मूल्य-निर्णय का दावा करते हैं, व्यवहार में उनकी अनुभूति की सीमा प्रकट होने के... Hindi · लेख 420 Share कवि रमेशराज 3 Mar 2017 · 12 min read डॉ. राकेशगुप्त की साधारणीकरण सम्बन्धी मान्यताओं के आलोक में आत्मीयकरण ‘‘आस्वाद रूप में रस, हृदय संवादी अर्थ से उत्पन्न होता है और वह शरीर में इस प्रकार व्याप्त हो जाता है-जैसे सूखे काठ में अग्नि।’’[1] भक्तविद् और बहुत से, व्यंजनों... Hindi · लेख 436 Share कवि रमेशराज 3 Mar 2017 · 15 min read आत्मीयकरण-2 +रमेशराज रस को व्याख्यायित करते हुए आचार्य विश्वनाथ कहते हैं कि ‘‘विशिष्ट संस्कार युक्त प्रमाता अपने सत्योद्रिक चित्त में अखण्ड स्वप्रकाशानंद, चिन्मय, वेद्यांतर स्पर्शशून्य, ब्रह्मास्वाद सहोदर, लोकोत्तर चमत्कार प्राण तथा अपने... Hindi · लेख 442 Share कवि रमेशराज 3 Mar 2017 · 12 min read आत्मीयकरण-1 +रमेशराज आचार्य प्राग्भरत बतलाते हैं कि ‘‘जब कोई हृदय संवादी अर्थ हमारी चेतना को व्याप्त कर लेता है तभी रस का जन्म होता है।[1] रस को रस ही क्यों कहते हैं,... Hindi · लेख 368 Share कवि रमेशराज 3 Mar 2017 · 5 min read काव्य की आत्मा और सात्विक बुद्धि +रमेशराज आचार्य भोज काव्य के क्षेत्र में आत्मा को अनावश्यक मानते हुए ‘सात्विक बुद्धि की स्थापना करते हैं। सात्विक अर्थात् दूसरों के सुखदुख में प्रविष्ट हो सकने की सामर्थ्य वाली मानव... Hindi · लेख 872 Share कवि रमेशराज 3 Mar 2017 · 6 min read काव्य की आत्मा और औचित्य +रमेशराज डॉ. नगेन्द्र अपनी पुस्तक ‘आस्था के चरण’ में लिखते हैं कि काव्य के विषय में और चाहे कोई सिद्धान्त निश्चित न हो, परन्तु उसकी रागात्मकता असंदिग्ध है।... कविता मानव मन... Hindi · लेख 1k Share कवि रमेशराज 3 Mar 2017 · 4 min read काव्य की आत्मा और रीति +रमेशराज भट्टलोल्लट के लिये तो रस अपने तात्विक रूप में उसी प्रकार ह्दयस्थ रागात्मकता का पर्यायवाची है जिस प्रकार वह भरतपूर्व आचार्यों के लिये था। उसी रागात्मकता में से समस्त भाव... Hindi · लेख 1k Share कवि रमेशराज 3 Mar 2017 · 5 min read काव्य की आत्मा और अलंकार +रमेशराज वैसे तो भामह, दण्डी, उद्भट आदि अलंकारवादियों ने यह बात बलपूर्वक या स्पष्टरूप से नहीं कही है कि अलंकार काव्य की आत्मा होते हैं। लेकिन इन आचार्यों की कुछ मान्यताएं... Hindi · लेख 3k Share कवि रमेशराज 3 Mar 2017 · 7 min read काव्य की आत्मा और रागात्मकता +रमेशराज काव्य के संदर्भ में जब-जब काव्य की आत्मा को पहचानने की कोशिश की गयी है, तो रसाचार्यों ने भाव के आधार पर रस को, अलंकार वादियों ने अलंकार, ध्वनिवादियों ने... Hindi · लेख 1k Share कवि रमेशराज 1 Mar 2017 · 6 min read माना नारी अंततः नारी ही होती है..... +रमेशराज किसी भी काव्य-रचना की उपादेयता इस बात में निहित होती है कि उसके प्रति लिये गये निष्कर्ष वैज्ञानिक परीक्षणों पर आधारित हों। वैज्ञानिक परीक्षणों से आशय, उसके कथ्य और शिल्प... Hindi · लेख 508 Share Previous Page 4 Next