मनोज शर्मा Language: Hindi 107 posts Sort by: Latest Likes Views List Grid Previous Page 2 Next मनोज शर्मा 1 Jun 2021 · 2 min read दिनभर दिन भर बस यही चलता रहा है जहांगीर पुरी बाईपास सिरसपुर कादीपुर या फिर कादीपुर सिरसपुर बाईपास जहांगीर पुरी कितने ही लोग शायर कुछ रोज़ वाले भी यहीं कहीं आते... Hindi · लघु कथा 1 375 Share मनोज शर्मा 1 Jun 2021 · 2 min read अक्स कुछ समय पहले उसकी तस्वीर देखी थी चेहरा साफ था बाल घुंघराले थे बड़ी बड़ी आंखे मानो बोल उठेगी सहज मुस्कान लिये थी समय बीतता गया एक दिन दफ्तर से... Hindi · लघु कथा 722 Share मनोज शर्मा 1 Jun 2021 · 1 min read ऑक्सफोर्ड शाॅप दफ्तर से थोड़ी दूरी पर क्नाॅट प्लेस में ऑक्सफोर्ड बुक्स स्टोर है जहां पुस्तक प्रेमियों के लिए मनपसंद पुस्तकों का विशाल संग्रह है मैं अक्सर वहां चला जाता हूं आज... Hindi · लेख 413 Share मनोज शर्मा 29 May 2021 · 1 min read अभिलाषा मेरी आंखों में उमड़ा गहरा प्यार उमड़ते मेघ-सी मेरी अभिलाषा कि तुम्हे देख लूं बस एक पल और फिर बरस लूं देर तक जैसे मेघ बरसते हैं -:मनोज शर्मा:- Hindi · कविता 393 Share मनोज शर्मा 25 May 2021 · 1 min read कश मैं नहीं जानता मुझे क्या चाहिए और शायद क्यों चाहिए असल में वो मुझे बेहद पसंद है पर उसे मैं साथ नहीं रखता और न रख सकता क्योंकि मुझे उसके... Hindi · लेख 1 655 Share मनोज शर्मा 25 May 2021 · 1 min read मेघ नभ में तुम पथ में तुम आंखे तुम्हें पुकारे ठहरों बस एक पल सालते हृदय को तृप्त कर जाओ मनोज शर्मा “बरसात” – काव्य प्रतियोगिता · कविता 3 3 455 Share मनोज शर्मा 23 May 2021 · 2 min read चेहरे जीवन में कुछ ही चेहरे होते हैं जो अपना अक्ष अपनी यादें छोड़ जाते है इसके पीछे उनके अच्छे सकारात्मक कर्म उनकी सोच ही उनको दूसरों से इतर कर देते... Hindi · लेख 2 527 Share मनोज शर्मा 20 May 2021 · 2 min read "बादल" सुबह से ही मौसम बेहतर है वो इसलिए क्योंकि पिछले कितने दिनों से तेज़ धूप और दहकती गर्म उमस थी मौसम अलसाया सा प्रतीत होता था अंदर से और बाहर... “बरसात” – काव्य प्रतियोगिता · कविता 434 Share मनोज शर्मा 20 May 2021 · 1 min read बूंद आज यूंही तुम दिखे विच्छन्न ओस की बूंद से कोहरे में सिमट कर कहीं थम गये तुम बहती हवा से सतत् अनवरत बढ़ते गये सत्य से नव कर्म बने तुम... “बरसात” – काव्य प्रतियोगिता · कविता 1 1 329 Share मनोज शर्मा 20 May 2021 · 1 min read "बारिश का वो दिन" बरसात के पश्चात बादल अभी भी घिरे हुए थे ।करीब दो घंटे पहले लग रहा था कि एक डेढ घंटे में बारिश थम जाएगी पर इतनी देर तक बरसने के... “बरसात” – काव्य प्रतियोगिता · कविता 2 2 733 Share मनोज शर्मा 20 May 2021 · 2 min read "बरसात का वो दिन" बारिश के बाद मोसम बेहद उमस भरा था घर मे हर तरफ सीलन आ चुकी थी जगह जगह सड़क पर भी पानी भर गया था।पार्क में घुसने से पहले ही... “बरसात” – काव्य प्रतियोगिता · कविता 1 2 413 Share मनोज शर्मा 20 May 2021 · 1 min read सड़क सड़क पर घूमते अजनबी-से कुछ उदास चेहरे सिगरटों के धुएं में ज़िन्दगी टटोलते हैं खोखली दीवारों पर रोज़ वो आते हैं टिप्-टिप् बारिश की बूंदों से दो पल झांक कर... Hindi · कविता 435 Share मनोज शर्मा 18 May 2021 · 1 min read पथ तुम आते कितनी बार रोज़ बस यौंही लौट जाते हो मेरा परिचय इतिहास नहीं आज भी तुम संग है पूर्ववत मेरे शून्य मंदिर में आज भी तुम गूंजते हो तुम्ही... Hindi · कविता 1 1 437 Share मनोज शर्मा 18 May 2021 · 1 min read नये शब्द नये शब्दों में नयी बातो से रोज़ नया सृजन आता है जो पुराने से भिन्न है आधुनिक ही नही अत्याधुनिक होते हैं ये शब्द ये बात नही कहते वरन् गूंजते... Hindi · कविता 580 Share मनोज शर्मा 16 May 2021 · 1 min read सांझ रोज़ सांझ आती है नये बदन में कभी मुस्कुराकर कभी ग़मग़ीन एक लम्बी जम्हाई लिये लौट जाती है अनायास कोई नहीं आता असभ्य सांझ तुम्हे ओट चाहिए सुराही सी सांझ... Hindi · कविता 1 643 Share मनोज शर्मा 16 May 2021 · 1 min read मृत्यु मृत्युशया पर बैठ कर एक मोती मिला ज्योति मे अनगिनत आशाएं लौट गयी क्षितिज पर कुम्हलाती जीवन नैया थम गयी अंधकार कोंधता जमीन से आसमां में उतर गया मृत्यु पैर... Hindi · कविता 1 411 Share मनोज शर्मा 13 May 2021 · 1 min read मौजा आज मेरे दायें पैर का मौजा कहीं गुम हो गया शायद .... किसी कोने में अलमारी के नीचे या किसी खूंटी पर टंगा होगा पर नहीं मिला कहीं भी अगर... Hindi · कविता 1 412 Share मनोज शर्मा 9 May 2021 · 1 min read मातृत्व मैंने कई मर्तबा देखा था तुम्हें आर्द्र नयनों से भीगते सिसकते कसकते चहकते महकते स्वयं को मिटते सिमटते बरबस चहकते हुए मर्म समेटे मुस्कुराहट बिखेरते गहन अंधकार को तराशते पुनः... Hindi · कविता 1 2 494 Share मनोज शर्मा 1 May 2021 · 1 min read वीकैंड आ गया फिर वीकैंड लिए नयी ख्वाइशे आज 'रात'फिर नहीं सो सकेगी छलकते प्यालों में लहराते धुएं में कहकशों वाद-विवादों मीठी तकरारों में कल दोपहर ही पुनः सुबह होगी आज... Hindi · कविता 329 Share मनोज शर्मा 1 May 2021 · 1 min read बदले दिन बंद दरवाज़ों से होता है रोज सामना अब यौं बार बार पलकें झपकना खुद को निहारना आइने में कभी लगता था कि वक्त थम जाये उस देहरी तले पर पीली... Hindi · कविता 1 515 Share मनोज शर्मा 16 Apr 2021 · 2 min read प्रवचन सामने प्रवचन चल रहा है कोई प्रसिद्ध महात्मा आत्मा परमात्मा पर अपना मंतव्य दे रहे हैं उनको सुनने देखने के लिए खासी भीड़ है परिवार मित्र मंडली सब इधर उधर... Hindi · लेख 1 601 Share मनोज शर्मा 28 Mar 2021 · 1 min read आलू आलू आलू सार्वभौम है अति प्राचीन काल से इसको देखा गया है और जमीं से जुड़ा निराला प्यारा वैज।सब्जी तरकारी में छोटों बड़ों की पहली पसंद ,जाने कितनी सब्जियां आई... Hindi · लेख 1 2 593 Share मनोज शर्मा 28 Mar 2021 · 1 min read एक पल आओ क्षण भर बैठो देखो तो सही वक्त नहीं बदला हां पर तुम बदल गये हो अब न कोई प्रणय और न ही कोई विस्तार प्रेम का दुःख का स्नेह... Hindi · कविता 1 3 582 Share मनोज शर्मा 28 Mar 2021 · 1 min read चौराहा आज गली के चौराहे पर भीड़ थी कोई जा रहा था कहीं कोई कहीं से आ रहा था आते जाते लोगों के मध्य कहीं भटक गया चौराहा पीठ के बल... Hindi · कविता 515 Share मनोज शर्मा 28 Mar 2021 · 1 min read मैं मैं नहीं तुम तुम नहीं हम साथ साथ हम तुम आज तुम नहीं मैं सिर्फ मैं मनोज शर्मा Hindi · कविता 453 Share मनोज शर्मा 8 Jan 2021 · 1 min read मोहन राकेश के जन्मदिवस पर कोई चेहरा और चेहरे के पीछे की सादगी हृदय पटल पर ख़ास प्रभाव छोड़ जाती है उसी तरह जैसे काग़ज़ों पर खींची रेखाओं में बोलते किरदार।मोहन राकेश आज 96 के... Hindi · लेख 2 1 430 Share मनोज शर्मा 7 Jan 2021 · 4 min read कोरोना एक कटु सत्य कोविड-19 एक वैश्विक आपदा है जिसने संपूर्ण विश्व के लोगों को घरों में बंद कर दिया है।सारा मीडिया जगत ही नहीं बल्कि हर ज़ुबां पर एक ही नाम है कोरोना।कोरोना... "कोरोना" - काव्य प्रतियोगिता · कविता 5 25 834 Share मनोज शर्मा 7 Jan 2021 · 1 min read मोहन राकेश आज भी! उसकी आंखों पर मोटा काला चश्मा है घुंघराले बालों का पफ और बंद अधरों की गहरी ख़ामोशी बहुत कुछ कह जाती है।एक घुम्मकड़ असंतुष्ट चरित्र जो ना केवल काग़जों पर... Hindi · लेख 1 380 Share मनोज शर्मा 2 Dec 2020 · 1 min read कविता कविता मन का अंतर्द्वंद्व है जो काग़ज़ों पर आते ही सजीव-सा लगता है।आसमां में ठहरे बादल बहुत कुछ कहते हैं उद्यान में खिले पुष्प महकते हुए बोलते हैं जो देखते... Hindi · लेख 1 1 669 Share मनोज शर्मा 21 Nov 2020 · 1 min read आनंद आनंद अंतर्मुखी होता है जिसमें असीम सुख छिपा होता है।मन चंचल है जो पूर्ण वेग से इधर ऊधर भागता है।कहीं तृप्ति नहीं!ना पूर्णता है ना प्रकाश पर फिर भी मन... Hindi · लेख 1 1 449 Share Previous Page 2 Next