दीपक झा रुद्रा Language: Hindi 160 posts Sort by: Latest Likes Views List Grid Previous Page 4 दीपक झा रुद्रा 11 Jun 2020 · 1 min read हमदम 1222 1222 1222 1222 जरूरी है मोहब्बत में करीबी हम/सफ़र हमदम । तु मेरी जा/न है जानो/ यहां हर पल/मिरे हमदम। मोहब्बत है/ तुम्ही से तो /शिकायत भी /तुम्हीं से... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 3 251 Share दीपक झा रुद्रा 9 Jun 2020 · 1 min read ख़्वाब छंद मुक्त रचना #ख़्वाब जिस्म के लिए मकां रूह के लिए इंसा दिल के लिए धड़कने और जिंदगी के लिए सांसें पता है कितनी जरूरी है चांद के लिए आसमां... Hindi · कविता 3 376 Share दीपक झा रुद्रा 9 Jun 2020 · 1 min read सुना ही दिया है 122/ 122/ 122/122 तुम्हारी सफ़र में खिले यार गुलशन । मोहब्बत किया तो दुआएं दिया है। कसम है तुम्हारी सनम आज से ही सजा जो मिला है गुनाहें किया है।... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 3 3 226 Share दीपक झा रुद्रा 6 Jun 2020 · 1 min read ख़ुदग़र्ज़ हूं मैं मुझे मालूम है कि मैं बहुत ख़ुदग़र्ज़ हूं। किसी का बोझ हूं किसी का कर्ज हूं। इश्क में जलता चिराग़ मत समझो मोहब्बत ना भले मगर तेरा तो फर्ज हूं।... Hindi · कविता 2 1 250 Share दीपक झा रुद्रा 6 Jun 2020 · 2 min read तू ईश्क है तू ईश्क है हमराह भी तू चैन दिलका चाह भी कैसे कहूं तुम कौन हो क्या पता क्यों मौन हो। अरमान तुम अभिमान तुम बख्शीस-ओ- वरदान तुम तुझमें सिमटा मेरा... Hindi · कविता 2 467 Share दीपक झा रुद्रा 30 May 2020 · 1 min read तेरे नाम का 2122 2122 2122 212 गुनगुनाती है बहारें जिक्र तेरे नाम का। जान जाता हूं जहां भी जिक्र तेरे नाम का। दिल धड़कता है मिरा पर सांस गाती है तुझे दिल... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 2 2 276 Share दीपक झा रुद्रा 28 May 2020 · 2 min read इश्क़ ए रकीब इश्क होता तो वो साथ होती । ख़्वाब थी तो कैसे साथ होती? शब भर रोता हूं मैं जैसे जैसे इश्क होता तो वो साथ रोती। डरते तो दुश्मन है... Hindi · कविता 3 2 273 Share दीपक झा रुद्रा 27 May 2020 · 1 min read प्रीत योगी मित आत्म बसाए क्यों नीर नयन तटबंध बनाकर कविताओं के माप में छंद लिखूं मुझसे ना मन बंध पाएगा हां बंध चंड हो उदंड लिखूं हां अछूत देह है नयन सरिता कहती है... Hindi · कविता 1 2 204 Share दीपक झा रुद्रा 25 May 2020 · 2 min read मोहब्बत सियासत वालों का सियासत के दिमागी जंग में खुद से उठा पटक और औरों से भी इस बीच छूट जाते हैं अपने वजह होता है वक़्त की कमी हम भिड़ के दुनियां के... Hindi · कविता 1 234 Share दीपक झा रुद्रा 18 Mar 2020 · 1 min read मैंने इक चांद को छोड़ा है आसमां के लिए। जां तक लेकर था हाज़िर अपने जां के लिए। मैंने इक चांद को छोड़ा है आसमां के लिए। वो गुरूर है खुशी और मेरा ज़ुस्तज़ु भी वही भले वो गुल... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 3 310 Share Previous Page 4