अंकित शर्मा 'इषुप्रिय' 109 posts Sort by: Latest Likes Views List Grid Previous Page 3 अंकित शर्मा 'इषुप्रिय' 25 Jun 2016 · 1 min read हृदयाभास *मुक्तक* आँख के पथ पद हृदय में धर रहा कोई। प्रेम का संचार मन में कर रहा कोई। नव उमंगे भर रही रोमांच तन मन में। नम्रता से पूर्ण नभ... Hindi · मुक्तक 1 397 Share अंकित शर्मा 'इषुप्रिय' 25 Jun 2016 · 1 min read दर्शन *मुक्तक* कल रहा जो कल रहेगा जानता है कौन। मृत्यु किसकी और जग में जन्मता है कौन। धर्म बदलें मूलतः तो तत्व हैं सब एक। मोहवश इस सत्य को जन... Hindi · मुक्तक 586 Share अंकित शर्मा 'इषुप्रिय' 25 Jun 2016 · 1 min read शारदा वंदन *गीतिका* हे शारदे कपाल झुकाते सदैव हैं। हम आपको भवानि रिझाते सदैव हैं। हो बाँटती प्रसाद विमल प्रेम तत्व का। हम भाव के प्रसून चढाते सदैव हैं। सद्ज्ञान के कपाट... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 356 Share अंकित शर्मा 'इषुप्रिय' 25 Jun 2016 · 1 min read मेरा भारत *मुक्तक* है सदाचार की गंगा, संस्कृति से सज सुरभित है। बंधुत्व नाम का अक्षर, उर अंतस में अंकित है। मुनियों के तप से तपकर, निखरी वसुधा भारत की। जिस पर... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 2 217 Share अंकित शर्मा 'इषुप्रिय' 24 Jun 2016 · 1 min read शुभसंकल्प विषयों में रमने वाला मन, प्रेमामृत का प्याला हो। सत्य धर्म शुचिता सद्गुण की, गुथीं सुभग इक माला हो। वेगवान हृदयस्थ ज्यो'तिर्मय, जो जग में विचरण करता। कर्मों का प्रेरक... Hindi · मुक्तक 1 262 Share अंकित शर्मा 'इषुप्रिय' 24 Jun 2016 · 1 min read धीरज धर मन श्याम मिलेंगे! *पद* धीरज धर मन श्याम मिलेंगे। दीनानाथ कृपा निज करके,कबहूँ तौ सुध लेंगें। रट नित नाम चरण हरि के ध्या, तब प्रभु कछु रीझेंगें। प्रेममयी गदगद वाणी से, जब दृग... Hindi · कविता 298 Share अंकित शर्मा 'इषुप्रिय' 24 Jun 2016 · 1 min read पुस्तक पन्ने पन्ने में सिमटा है, नभ सा विस्तृत ज्ञान अनंत। बांध रखे है प्रीति वर्ण में, वेगवान पक्षी बलवंत। उमड रहा इक सागर जिसमें, डूब डूब होता उत्थान। जितना पी... Hindi · मुक्तक 1 2 576 Share अंकित शर्मा 'इषुप्रिय' 24 Jun 2016 · 1 min read *बचपन* मधुर मधुर मुस्कान अधर पर, हर्षवान बचपन देखा। संस्कारों के अभिनय में शुचि, मूर्तिमान बचपन देखा। राग नहीं था द्वेष नहीं था, आत्म रम्य व्यवहार सुखद। शुचित सौम्य निर्दोष भाव... Hindi · मुक्तक 521 Share अंकित शर्मा 'इषुप्रिय' 5 Jun 2016 · 1 min read गीतिका *गीतिका* शनै: से पुष्प फिर से मुस्कुराया। हवा ने फिर नया इक राग गाया। मधुर मुख माधुरी मोहित किये थी। निशाकर देख अतिशय खिलखिलाया। भ्रमर भ्रमवश समझ कर फूल देखो।... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 505 Share Previous Page 3