संजय सिंह Language: Hindi 131 posts Sort by: Latest Likes Views List Grid Previous Page 3 संजय सिंह 11 Feb 2017 · 1 min read II..पाठ पढ़ ले प्रेम का...II बात चलती जब कभी भी बंदगी की l घेरने लगती है यादें फिर किसी की ll मेरा रब वो मेरा ईश्वर है वही सब l क्या है मंदिर और मस्जिद... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 491 Share संजय सिंह 10 Feb 2017 · 1 min read II तीर शब्दों के बना.... II तीर शब्दों के बना कर , लेखनी में धार कर l चल उठा अपनी कलम तू, जंग का आगाज कर ll देश-दुनिया सब कलंकित, भ्रष्टता अभिशाप है l गूंजे जग... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 301 Share संजय सिंह 10 Feb 2017 · 1 min read II प्यार की भाषा... II प्यार की भाषा पढ़ो फिर देखना l नाम मेरा भी जरा लिख देखना ll रोते बच्चों को हंसा दो है बहुत l काबा काशी भी यही तुम देखना ll क्या... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 273 Share संजय सिंह 10 Feb 2017 · 1 min read II चाहे जिसकी सरकार रहे II जब तक सांसे चलती है , जिंदा मेरा प्यार रहेगा l चाहे जिसकी सरकार रहे , इस दिल पर तेरा राज रहेगा ll पाना खोना खो कर पाना, दुनिया का... Hindi · मुक्तक 359 Share संजय सिंह 10 Feb 2017 · 1 min read II यादें सता रही है II यादें सता रही है गुजरे हुए दिनों की l जो साथ में गुजारे उन कीमती पलों की ll क्या बात मैं बताऊं कहती जो ए हवाएं l सब बात अब... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 247 Share संजय सिंह 10 Feb 2017 · 1 min read II...अंदाज निराले है II वो डूबती कश्ती है कुछ दूर किनारे हैं l हालात बदलने के अंदाज निराले है ll मैं खुद हि लिपट रोया अपनी नफासत से l है कौन जो ए समझे... Hindi · मुक्तक 314 Share संजय सिंह 10 Feb 2017 · 1 min read II...हदों को तोड़ आया हूं II इश्क की सारी हदों को तोड़ आया हूं l कोरा सा दिल एक पता लिख छोड़ आया हूं lI अब ना जानू रात दिन में फर्क है कितनाl मैं लुटा... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 291 Share संजय सिंह 10 Feb 2017 · 1 min read II क्या करूं II मैं रहा सुर ताल में ,थी भीड़ ज्यादा क्या करूं l बे सुरों से सुर मिलाना, ही न आया क्या करूं ll आ गया था मैं भी तेरे, दर पे... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 410 Share संजय सिंह 9 Feb 2017 · 1 min read II गलत लगता है II उम्मीद के दीपक तो ठीक, जलाना गलत लगता है l आंख से आंसू बहते रहे,पर सजाना गलत लगता है ll आगे बढ़ो हिम्मत करो ,सूरज पश्चिम से भी निकलेगा l... Hindi · शेर 263 Share संजय सिंह 9 Feb 2017 · 1 min read II चांद को भी मालूम II चांद को भी मालूम, कि चाहता, है उसे कोई चकोर l बीते तभी तो, रात सुहानी, बांधे नैनों की डोर ll चांद को भी मालूम ........ वह भी दूरी ,सह... Hindi · गीत 272 Share संजय सिंह 9 Feb 2017 · 1 min read II शायरी II भेद दिल के सब बताती शायरी l दो दिलों को पास लाती शायरी ll बात जो बनती नहीं तकरीर से l चंद लफ़्ज़ों में सुनाती शायरी ll आदमी जब जिंदगी... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 1 467 Share संजय सिंह 8 Feb 2017 · 1 min read II डगर आसान हो जाए II सफर में बच के तू रहना कहीं ना रात हो जाए l तेरी जो दौलते असबाब ही जंजाल हो जाए ll ठिकाना ढूंढना अपना समय रहते यहां पर तुम l... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 267 Share संजय सिंह 8 Feb 2017 · 1 min read # धूप छांव # छांव तो है एक छलावा, धूप मन का है भरम l रात या दिन कर रहे, दोनों के है अपने करम ll धूप में टपके पसीना, जो कभी तेरे बदन... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 506 Share संजय सिंह 8 Feb 2017 · 1 min read ***चेहरा*** रोज नया एक सूरज निकले, रोज नया एक चेहरा हैl जिससे कल पहचान हुई थी, आज कहां वह चेहरा है ll हर पल दुनिया बदल रही, बहती दरिया के कूलों... Hindi · कविता 313 Share संजय सिंह 7 Feb 2017 · 1 min read वोट अपना कीमती हादसों पर हादसे होते रहे l नींद में पर रहनुमा सोते रहे ll आज फिर ऊंचा तिरंगा हो गया l वादे उसके हम साथ ढोते रहे ll आ गए फिर... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 349 Share संजय सिंह 7 Feb 2017 · 1 min read तेरा जादू मोदी तेरा जादू मोदी बड़ा हो गया l यहां पर बखेड़ा खड़ा हो गया ll भरे नोट बोरी में सड़ते यहां l तिजोरी का ताला खुला हो गया ll जहां हम... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 382 Share संजय सिंह 7 Feb 2017 · 1 min read II जरूरी है II आंखों की भाषा से आगे, बढ़ना जरूरी है l शब्द ना दे साथ फिर भी, कहना जरूरी है ll आंखों का क्या खुशी में भी, आंसू बहाती है l आंखों... Hindi · कविता 347 Share संजय सिंह 7 Feb 2017 · 1 min read सारे फरेब बिसात है बिछी ,वह खेल रहा है l सारे फरेब दिल , झेल रहा है ll हम प्यादे वह ,बजीर बादशाह l जीत किसकी ,कोई खेल रहा है ll मर... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 319 Share संजय सिंह 6 Feb 2017 · 1 min read जीवन के मदिरालय में सोम सुधारस पान करें हम, जीवन के मदिरालय में l झगड़े झंझट छोड़- छाड़ सब, प्यार भरे मदिरालय में ll तेरी चाहत में जग मिथ्या, निज जीवन का मर्म यही... Hindi · कविता 322 Share संजय सिंह 5 Feb 2017 · 1 min read मैं घरौंदा रेत का सागर सा तू विशाल, मैं घरौंदा रेत का l निश्चित है परिणाम, इस जीवन के खेल का ll उद्देश्य ढूंढता हूं, दो लहरों के दरमियां l क्या सबब है यहां,... Hindi · कविता 497 Share संजय सिंह 5 Feb 2017 · 1 min read ग़ज़ल होती है खो के सब कुछ भी मिले जो वो ग़ज़ल होती है l नींद आंखों से उड़ा दो तो गजल होती है ll लोग शब्दों से बयां करते जज्बातों को l... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 668 Share संजय सिंह 4 Feb 2017 · 1 min read स्थानीय भाषा में लोकगीत चला चली पानी भरी आई... मटकिया अप ने उठाई l ई मटकी मां जान मेरी अटकी.... जाने कब फूटी जाई l.... चला चली ..... पनघट पर छेड़ नंद का लाला... Hindi · गीत 5k Share संजय सिंह 4 Feb 2017 · 1 min read शराफत जिंदगी में अब कहां है दूध मे मिलता है पानी, स्कूल में अध्यापक की मनमानीl रोज ही होते घोटाले, खबर अखबारों में आनी जानीll चोर पुलिस सब खेल रहे हैं, जनता के अधिकारों से l... Hindi · कविता 300 Share संजय सिंह 4 Feb 2017 · 1 min read लोकतंत्र की अवाम यूं हक लोकतंत्र का अता होता ही रहा l रोशनी मिलती रही घर जलता ही रहा ll जड़ों में थी दीमक हवा में धुंआ भी l ऐसे पौधे को लहू... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 345 Share संजय सिंह 3 Feb 2017 · 1 min read कहां किसी को दर्द हैं सभी यहां पर मर्द, कहां किसी को दर्द l आंखों से दिखता नहीं ,पड़ी हुई है गर्द ll पड़ी हुई है गर्द ,नहीं कुछ फिर भी पीड़ा l राम... Hindi · कुण्डलिया 680 Share संजय सिंह 3 Feb 2017 · 1 min read समय सरकता जा रहा समय सरकता जा रहा ,बात पते की जान l मुट्ठी जैसे रेत की ,या गरीब का मान ll या गरीब का मान, पान बिन कत्थे जैसा l जगत करे अपमान,... Hindi · कुण्डलिया 313 Share संजय सिंह 3 Feb 2017 · 1 min read ए मन मेरा हुआ चंचल ए मन मेरा हुआ चंचल न जाने क्यों बहकता है l मेरे घर के रहा जो सामने छत पर टहलता है ll समा है चांदनी रातों का उसपर मेघ काले... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 371 Share संजय सिंह 2 Feb 2017 · 1 min read हुस्न ए दौलत बेमिसाल चार दिन का रूप तेरा,मुस्कुराना चाहिए l हुस्न-ए-दौलत बे मिसाल,कुछ लुटाना चाहिएll नैन-खंजर छोड़कर भी,प्यार से मिल लो गले l दूर कल जो हम हुए,कुछ याद रहना चाहिए ll संजय... Hindi · शेर 337 Share संजय सिंह 2 Feb 2017 · 1 min read जो वादा किया तिलक माथे जनता सजाते नहीं है l जो वादा किया वो निभाते नहीं हैं ll भले इनसे तो हैं कसाई के बेटे l झूठा प्यार कोई जताते नहीं है ll... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 552 Share संजय सिंह 2 Feb 2017 · 1 min read ढूंढता हूं उसको ढूंढता हूं उसको, जिसका पता नहीं है l चलता हूं रास्ते पर, मंजिल पता नहीं है ll ऐसे गुजारी हमने, अपनी ए उम्र सारी l सांसें तो चल रही हैं,... Hindi · मुक्तक 373 Share संजय सिंह 1 Feb 2017 · 1 min read गुजरा हुआ जमाना दिनों के बाद गुजरा सामने से आशियाने के l मिले फिर से कई किस्से मुझे बीते जमाने के ll मिली सूनी पड़ी कोई हवेली राह तकती सी l मिले सूखे... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 731 Share Previous Page 3