विजय कुमार अग्रवाल 149 posts Sort by: Latest Likes Views List Grid विजय कुमार अग्रवाल 24 Jul 2022 · 1 min read बारिश का मौसम बारिश का मौसम क्यों घर में, सबको सबसे सुहाना लगता है। अक्सर साथ बैठ जाते हैं सब,चाय के साथ पकौड़ी खाना अच्छा लगता है।। सुबह देर तक सोना फिर उठ... Hindi · कविता 8 2 575 Share विजय कुमार अग्रवाल 8 Jun 2023 · 1 min read रिश्ते रिश्तों की गरमाहट मिट गई, लाज हया सब खत्म हो गई। क्यों भाई से भाई लड़ रहा, क्यों बहन बहन से अलग हो गई।। मात पिता ने दी थी शिक्षा,... Poetry Writing Challenge · कविता 7 271 Share विजय कुमार अग्रवाल 8 Jun 2023 · 1 min read लालची नेता बंटता समाज क्या समाज की परिभाषा है , कैसे समाज का निर्माण हुआ है । हर घर में कोहराम मचा है , क्यों व्यक्ति व्यक्ति से चिढ़ा हुआ है ॥ हिन्दू और... Poetry Writing Challenge · कविता 7 574 Share विजय कुमार अग्रवाल 4 Jul 2023 · 1 min read फितरत या स्वभाव फितरत की परिभाषा क्या है,सबसे जरूरी यही तो हमको समझना है। व्यक्ति के हर एक स्वभाव को हमको,व्यक्ति की फितरत नहीं समझना है।। आदत हर व्यक्ति की कितनी अलग,अलग प्रकार... "फितरत" – काव्य प्रतियोगिता · कविता 7 4 290 Share विजय कुमार अग्रवाल 27 Apr 2020 · 1 min read जन्मदिन 28 अप्रैल था वो दिन जिस दिन हमने तुमको पाया। खुशियों की बौछार हुई और घर में हमने पर्व मनाया।। जैसे जैसे पली बढ़ी तू घर में सबको खूब हंसाया।... Hindi · कविता 6 676 Share विजय कुमार अग्रवाल 28 May 2020 · 1 min read सहज सहज तुम्हारा आज जन्मदिन,खुशियां इतनी लाया है। कितने साल के बाद सभी ने, मिलकर आज मनाया है।। तुमने अपनी सहज छवि से,सबको बहुत लुभाया है। सदा सभी को मान दिया,विश्वास... Hindi · कविता 6 266 Share विजय कुमार अग्रवाल 17 Jul 2022 · 1 min read चाँद मेरा चाँद मुझे लगता है हमेशा,तेरे चाँद से बहुत ही बेहतर है। जब चाहुँ मैं देख लूँ अपने चाँद को,तेरे चाँद को देखना मुश्किल है।। मेरा चाँद है हमेशा पहुंच... Hindi 6 345 Share विजय कुमार अग्रवाल 20 Jul 2022 · 1 min read अपना कंधा अपना सर अपने कंधे पर सर रखकर, आप कभी भी सो नहीं सकते। और खुद अपने को गले लगाकर,जीवन में तुम रो नहीं सकते।। एक दूजे लिए जीयें जो हम,तो उसे कहते... Hindi 6 3 280 Share विजय कुमार अग्रवाल 21 Jul 2022 · 1 min read इंसानी दिमाग प्रभु का यह कमाल तुम देखो धरा पर, पंछी पशु प्रकृति ना जाने क्या क्या बना दिया। और फिर धरती बने यह स्वर्ग खूबसूरत, इसलिए अंत में एक इंसान भी... Hindi · कविता 6 231 Share विजय कुमार अग्रवाल 23 Jul 2022 · 1 min read जीवन यात्रा जियो ये जीवन सफर समझकर,मंजिल को आसान बनाना है। छोड़ बुरी यादों को सफर में,अच्छी यादों को अपनाना है।। रंगों को अपनाते चलना है,और रोगों को छोड़ते जाना है। बुरे... Hindi · कविता 6 419 Share विजय कुमार अग्रवाल 8 Jun 2023 · 1 min read खुशियाँ हर व्यक्ति ही चाहता दिल में,खुशियां ही खुशियां हों जीवन में। कैसे आयें बहुत सी खुशियां, हमारे इस नन्हें मुन्ने से जीवन में।। संपत्ति और समृद्धि के पीछे क्यों,भागे हरेक... Poetry Writing Challenge · कविता 6 199 Share विजय कुमार अग्रवाल 11 Jan 2017 · 1 min read बेटियाँ खुशियाँ नहीँ मनाई जाती , क्यों बेटी जब जन्म है लेती । हर घर को खुशियोंकाखजाना ,जबकि अधिकतर बेटी देती ॥ ज्यों ज्यों बेटी बढ़ती जाती ,माँ की जिम्मेदारी लेती... "बेटियाँ" - काव्य प्रतियोगिता · कविता · बेटियाँ- प्रतियोगिता 2017 5 935 Share विजय कुमार अग्रवाल 6 Dec 2017 · 4 min read हौंसला हौसला प्रत्येक ब्यक्ति ने जीवन में कभी ना कभी इस शब्द को अवश्य ही सुना होगा और अनेक रूप में इस शब्द को अपने जीवन में उपयोग भी किया होगा... Hindi · लेख 5 516 Share विजय कुमार अग्रवाल 12 May 2020 · 1 min read अजय अभिमन्यु हर युग में आया, और दिलों पर सबके छाया। मेरे भी घर में आया था, पर क्यों मैं यह समझ ना पाया।। हरेक कला का ज्ञाता था, जब वो... Hindi · कविता 5 1 237 Share विजय कुमार अग्रवाल 13 May 2020 · 1 min read महामारी 2020 बचपन से सुनते आए हैं, किस्से चीन की गद्दारी के। पूरा विश्व हिला डाला है, छोड़ के कीड़े महामारी के।। चीन ने ऐसा जाल बिछाया , देश ना निकला कोई... Hindi · कविता 5 1 259 Share विजय कुमार अग्रवाल 14 May 2020 · 1 min read नया भारत आवाहन हो गया देश में, अब स्वदेशी ही अपनाना है। स्वावलंबी है भारतवासी, यही हमें बस दिखलाना है।। अपना ही इंफ्रास्ट्रक्चर, अपना ही होगा कच्चा माल। भारत का मज़दूर बनाये,... Hindi · कविता 5 353 Share विजय कुमार अग्रवाल 18 Jul 2022 · 1 min read गलतफहमी गलतफैमियाँ अपनों के बीच में, कभी भी आने नहीं देनी चाहिएं। फिर भी यदि आ जाएं गलती से,जल्दी से जल्दी मिटा देनी चाहिएं।। दूरियाँ कितनी बढ़ जाती हैं,ज्यों ही गलतफैमियाँ... Hindi · कविता 5 221 Share विजय कुमार अग्रवाल 3 Aug 2022 · 1 min read जीभ का कमाल शुगर और बी पी की जाँच तो,हर व्यक्ति ही करवाता है। किन्तु अपनी जीभ की जाँच, कभी वो क्योंकर नहीं कर पाता है।। क्यों इतनी कड़वी है जीभ यह, क्या... Hindi 5 1 295 Share विजय कुमार अग्रवाल 7 Jun 2023 · 1 min read विश्वास ये जो जिंदगी मिली है सबको, कहते हैं सबको भगवान ने पैदा किया। मिलने को भगवान से मैं मंदिर मस्जिद गिरिजा गुरुद्वारे भी गया।। हर एक जगह ढूंढा मैने भगवान... Poetry Writing Challenge · कविता 5 273 Share विजय कुमार अग्रवाल 8 Jun 2023 · 1 min read बंटते हिन्दू बंटता देश आतंकी थे वो सीम्मी के पुलिस ने जिनको मार गिराया । नींद उडी क्यों नेताओ की आज तलक ये समझ ना आया ॥ देश का बेटा रोज़ मर रहा आतंकी... Poetry Writing Challenge · कविता 5 1 290 Share विजय कुमार अग्रवाल 8 Jun 2023 · 1 min read औरत तेरी गाथा एक औरत की सुनो कहानी, बोल ना पाई जो अपनी वानी। जब जब उसने बोलना चाहा,तब तब क्या कह उसको चुप करवाया।। बचपन में उसने जो बोलना चाहा, माँ ने... Poetry Writing Challenge · कविता 5 1 314 Share विजय कुमार अग्रवाल 8 Jun 2023 · 1 min read जीभ शुगर और बी पी की जाँच तो,हर व्यक्ति ही करवाता है। किन्तु अपनी जीभ की जाँच, कभी वो क्योंकर नहीं कर पाता है।। क्यों इतनी कड़वी है जीभ यह, क्या... Poetry Writing Challenge · कविता 5 480 Share विजय कुमार अग्रवाल 8 Jun 2023 · 1 min read स्वदेशी आवाहन हो गया देश में, अब स्वदेशी ही अपनाना है। स्वावलंबी है भारतवासी, यही हमें बस दिखलाना है।। अपना ही इंफ्रास्ट्रक्चर, अपना ही होगा कच्चा माल। भारत का मज़दूर बनाये,... Poetry Writing Challenge · कविता 5 165 Share विजय कुमार अग्रवाल 6 Dec 2016 · 1 min read नेता की पेंशन साठ साल तक खोद खोद कर , देश खोखला कर डाला । हर नेता ने देश को बेचा , और अपना घर भर डाला ॥ टाटा बिरला या अम्बानी ,... Hindi · कविता 4 1 526 Share विजय कुमार अग्रवाल 4 Mar 2018 · 1 min read देश की व्यथा चयन प्रक्रिया ध्वस्त हो गयी, युवा शक्ति पस्त हो गयी। भ्रष्टाचार के मकड़जाल मे क्या सरकारें फंस के रह गयी।। जिन युवाओं के दम पर, निर्माण देश का होता है।... Hindi · कविता 4 1 283 Share विजय कुमार अग्रवाल 1 Dec 2019 · 2 min read सुदर्शन क्रिया *सुदर्शन क्रिया* वर्ष 1981 में श्री श्री रविशंकर जी द्वारा आर्ट ऑफ लिविंग फाउंडेशन की स्थापना की गई जिसका उद्देश्य प्रत्येक व्यक्ति के व्यक्तित्व को निखारने हेतु अनेक कार्यक्रम बनाना... Hindi · लेख 4 459 Share विजय कुमार अग्रवाल 3 May 2020 · 1 min read रिश्ते रिश्तों की गरमाहट मिट गई, लाज हया सब खत्म हो गई। क्यों भाई से भाई लड़ रहा, बहन बहन से अलग हो गई।। मात पिता ने दी थी शिक्षा, मिलजुलकर... Hindi · कविता 4 2 427 Share विजय कुमार अग्रवाल 19 May 2020 · 1 min read बहिष्कार चीन का चीन नाम का देश है ऐसा, जिस पर सब ने किया भरोसा। लेकिन चीन ने पूरे विश्व को, थाली में रख कोरोना परोसा।। सब ने ही विश्वास किया था, सब... Hindi · कविता 4 358 Share विजय कुमार अग्रवाल 16 Jul 2022 · 1 min read अपनापन कार्य करोगे तुम जग में अच्छे,वो जीवन की पहचान बनेंगे। कदम रक्खोगे तुम सोच समझकर,तो वही तुम्हारे निशान बनेंगे।। सोचो कार्य करने से पहले,और फिर जाकर अपने कार्य करो। हरेक... Hindi · Poem 4 298 Share विजय कुमार अग्रवाल 19 Jul 2022 · 1 min read पैसा पैसा कैसा पैसा पैसे का यह रूप देखिए,सबके दिल और दिमाग पर छाया है। बंद आँखों से दौड़े हर कोई,कोई कुछ भी समझ नहीं पाया है।। क्या क्या पीछे छोड़ रहा तू,इस पैसे... Hindi · कविता 4 164 Share विजय कुमार अग्रवाल 2 Aug 2022 · 1 min read खुशियाँ ही अपनी हैं हर व्यक्ति ही चाहता दिल में,खुशियां ही खुशियां हों जीवन में। कैसे आयें बहुत सी खुशियां, हमारे इस नन्हें मुन्ने से जीवन में।। संपत्ति और समृद्धि के पीछे क्यों,भागे हरेक... Hindi · कविता 4 377 Share विजय कुमार अग्रवाल 13 Aug 2022 · 1 min read उपहार सोच रहा क्या मांगू प्रभु से,अपने ही आज जन्म दिन पर। सब कुछ तो देकर रक्खा है,बस प्रभु आप पधारो मेरे घर पर।। सेवा का अवसर दे दो प्रभु,क्या अर्पित... Hindi · कविता 4 210 Share विजय कुमार अग्रवाल 25 Aug 2022 · 1 min read आँख मानव शरीर का एक एक अंग,मानव को कुछ ना कुछ बतलाता है। कोई समझ नहीं पाता है उसको,और कोई समझ यह जाता है।। आज करें हम बात आँंख की, आँखो... Hindi · कविता 4 170 Share विजय कुमार अग्रवाल 9 Sep 2022 · 2 min read पढ़ाई कैरियर और शादी आजकल समाज में बच्चों पर पढ़ाई और उनके भविष्य को संवारने में सभी इतने व्यस्त हैं कि हमारा समय कब कितना और कैसे निकल गया पता ही नहीं चलता है।... Hindi · कहानी 4 161 Share विजय कुमार अग्रवाल 22 Sep 2022 · 1 min read आदर्श पिता हर व्यक्ति जीवन में अपने एक,ऐसा अनमोल सा नायक पाता है। हर कठिनाई का समाधान जो,सरलता से हमको उपलब्ध कराता है।। जिंदगी की इस कठिन धूप में,जो मेरा कल्पवृक्ष बन... Hindi · कविता 4 152 Share विजय कुमार अग्रवाल 25 Sep 2022 · 1 min read बेटियाँ आज का दिन है जिनके नाम,हर घर की वो होती हैं शान। बेटी पिता के दिल की है धड़कन,तो माँ का बेटी बढ़ाये मान।। भाई के माथे तिलक लगा कर,भाई... Hindi · कविता 4 182 Share विजय कुमार अग्रवाल 18 Dec 2022 · 1 min read अपनापन मनुष्य जीवन हर योनि में सबसे,श्रेष्ठ क्यों माना जाता है। क्योंकि मनुष्य का जीवन उसके कर्मो से आंका जाता है।। कर्म रूपी इस ध्वनि को व्यक्ति,जिस रूप में भी फैलता... Hindi · कविता 4 169 Share विजय कुमार अग्रवाल 19 Dec 2022 · 1 min read स्त्री श्रृंगार भद्रकाली का रूप छुपा स्त्री में,उसे बिंदी शांत कराती है। सारी नकारात्मकता स्त्री की,काजल लगते ही चली जाती है।। होठों पर वो लगा कर लाली,जीवन में प्रेम के रंग बिखराती... Hindi · कविता 4 1 339 Share विजय कुमार अग्रवाल 3 Jan 2023 · 1 min read देश और देशभक्ति सदियों से भारत का नक्शा क्यों,धीरे धीरे सिमट रहा है। क्योंकि देश का हर एक बन्दा यहां अपनों को दुश्मन समझ रहा है।। मुट्ठी भर अंग्रेजों ने आकर देश में... Hindi · कविता 4 185 Share विजय कुमार अग्रवाल 31 May 2023 · 1 min read नजरिया रिश्तों का एक जिंदगी एक है जीवन,सब सुख दुःख का मेला है। कभी बने खुशियों की लहरे,कभी बन जाएं दुखों का रेला है।। जीवन के इस लंबे सफर में, क्या क्या और... Poetry Writing Challenge · कविता 4 275 Share विजय कुमार अग्रवाल 31 May 2023 · 1 min read कर्म ही जीवन मनुष्य जीवन हर योनि में सबसे,श्रेष्ठ क्यों माना जाता है। क्योंकि जीवन हर व्यक्ति का,उसके कर्मो से आंका जाता है।। कर्म रूपी अपने कार्यों को व्यक्ति,जिस रूप में भी फैलता... Poetry Writing Challenge · कविता 4 372 Share विजय कुमार अग्रवाल 5 Jun 2023 · 1 min read सुख दुःख दुख और सुख हर व्यक्ति के जीवन का एक अटूट सा हिस्सा हैं। खुशियां कम पड़ती जीवन में ,बड़े बड़े अरमान भी जीवन का हिस्सा हैं।। जिसे भी देखो जीवन... Poetry Writing Challenge · कविता 4 338 Share विजय कुमार अग्रवाल 7 Jun 2023 · 1 min read जीभ का कमाल शुगर और बी पी की जाँच तो,हर व्यक्ति ही करवाता है। किन्तु अपनी जीभ की जाँच, कभी वो क्योंकर नहीं कर पाता है।। क्यों इतनी कड़वी है जीभ यह, क्या... Poetry Writing Challenge · कविता 4 384 Share विजय कुमार अग्रवाल 7 Jun 2023 · 1 min read अखंड भारत देश के बच्चे बच्चे को देश की खातिर कदम मिलाकर चलना होगा। अंगारे यदि बनते हैं बाधक तो हाथ बढ़ाकर अंगारों पर चलना होगा।। घनघोर घटाएं बनेगी बाधक तब भी... Poetry Writing Challenge · कविता 4 2 340 Share विजय कुमार अग्रवाल 7 Jun 2023 · 1 min read स्त्री श्रृंगार भद्रकाली का रूप छुपा स्त्री में,उसे बिंदी शांत कराती है। सारी नकारात्मकता स्त्री की,काजल लगते ही चली जाती है।। होठों पर वो लगा कर लाली,जीवन में प्रेम के रंग बिखराती... Poetry Writing Challenge · कविता 4 396 Share विजय कुमार अग्रवाल 8 Jun 2023 · 1 min read नारी आज देश का बच्चा हमसे पुछे बारमंबार है। क्यो नारी पर ही समाज मे होते अतयाचार हैं।। जिस समाज का नारी देखो खुद करती निर्माण है। कौन बताये उस समाज... Poetry Writing Challenge · कविता 4 194 Share विजय कुमार अग्रवाल 8 Jun 2023 · 1 min read बेटियाँ खुशियाँ नहीँ मनाई जाती , क्यों बेटी जब जन्म है लेती । हर घर को खुशियों का खजाना ,जबकि अधिकतर बेटी देती ॥ ज्यों ज्यों बेटी बढ़ती जाती ,माँ की... Poetry Writing Challenge · कविता 4 1 174 Share विजय कुमार अग्रवाल 8 Jun 2023 · 1 min read मात पिता सब मिलकर यह कसम उठाओ , जीने का अंदाज़ बदल दो । मात पिता की सेवा करलो , घर के सारे नियम बदल दो ॥ कष्ट उन्हे नहीँ होने देंगे... Poetry Writing Challenge · कविता 4 186 Share विजय कुमार अग्रवाल 8 Jun 2023 · 1 min read व्यथा पेड़ की एक पेड़ था सुंदर वन में जिस पर था उल्लू का डेरा । इसी वजह से कोई पक्षी नहीँ लगाता पेड़ का फेरा ॥ दुःखी बहुत था पेड़ सोचकर किसको... Poetry Writing Challenge · कविता 4 188 Share विजय कुमार अग्रवाल 8 Jun 2023 · 1 min read आँख मानव शरीर का एक एक अंग,मानव को कुछ ना कुछ बतलाता है। कोई समझ नहीं पाता है उसको,और कोई समझ यह जाता है।। आज करें हम बात आँंख की, आँखो... Poetry Writing Challenge · कविता 4 421 Share Page 1 Next