डा. सूर्यनारायण पाण्डेय 127 posts Sort by: Latest Likes Views List Grid Previous Page 3 डा. सूर्यनारायण पाण्डेय 17 Sep 2017 · 1 min read किसान रूको, देखो वह अंधेरे को चिरता कौन आ रहा है? देखो , खेतों के मेड़ पर खड़ा वह शून्य आँखों से निहारता चुपके से, खड़ी फसल को सहलाया है। मंडराते... Hindi · कविता 2 393 Share डा. सूर्यनारायण पाण्डेय 16 Sep 2017 · 1 min read नेता सावधान! मैं नेता हूँ जनता का प्रतिनिधि जो बढ़ाता है, बहुविधि अपनी निधि। मेरी हर गतिविधि होती है अत्यन्त रहस्यमयी मैं फेंकता हूँ कुछ इस तरह, जनता की रूह में... Hindi · कविता 2 746 Share डा. सूर्यनारायण पाण्डेय 7 Sep 2017 · 1 min read शब्द शब्द जीवन्त होते हैं और कालजयी भी पर यह क्या हो गया है शब्दों की संस्कृति मर रही है शब्द अब घबड़ाने लगे है प्रयोग की मार्मिक वेदना उन्हें विवश... Hindi · कविता 1 660 Share डा. सूर्यनारायण पाण्डेय 4 Mar 2017 · 1 min read मोक्ष मोक्ष.. 'मानव की अंतिम इक्छा का, एक अबुझ पहेली, क्या 'जीवन' के कर्मों से मुक्त होना है मोक्ष या इस नश्वर शरीर को त्यागना है मोक्ष विचारें, क्या शरीर से... Hindi · कविता 1 798 Share डा. सूर्यनारायण पाण्डेय 2 Mar 2017 · 4 min read गधी का दूध गधों को गदहा कहने पर लोग मुस्करा देते हैं. ऐसे सीधे-साधे प्राणी को लोग सरस्वतीविहीन मानते हैं. यदि किसी विवेकशील मनुष्य पर सरस्वती की कृपा न हो, उसे भी 'गधा'... Hindi · लेख 3 1 895 Share डा. सूर्यनारायण पाण्डेय 2 Mar 2017 · 1 min read गदहे गदहे, अब मुख़्यधारा में आ रहे हैं. वे रेंकने के बजाय, फेंकने लगे हैँ. गदहों का भोलापन, उनके लदे होने का यथार्थ, अब राजनीति का नया अध्याय होगा, सावधान! गदहे,... Hindi · कविता 2 2 483 Share डा. सूर्यनारायण पाण्डेय 28 Feb 2017 · 1 min read समय समय धन है, और संसार का मूल्यवान भी 'धन' समय को नहीं खरीद सकता पर 'समय'- धन का सृजन कर सकता है. धन की नियति है वह लौट सकता है... Hindi · कविता 1 611 Share डा. सूर्यनारायण पाण्डेय 23 Feb 2017 · 1 min read नोटबंदी साठा-1 (1) नव विहान होने लगा है, पंक्तियाँ सिमटने लगी हैं, देश शीघ्र ही कैशलेस हो जायेगा, देश अचानक शिक्षित हो जायेगा, कुदाल फावड़े पकड़ने वाले हाथ अब माउस पर होंगे... Hindi · कविता 1 820 Share डा. सूर्यनारायण पाण्डेय 19 Feb 2017 · 1 min read हनुमान कूद दुश्मन को देखकर भागने से पहले हिरण एक लम्बी छलांग क्यों लगाती है ? इसलिए, हाँ शायद इसलिए, दुश्मन को आभास हो जाय शावक ने उसे देख लिया है और... Hindi · कविता 1 542 Share डा. सूर्यनारायण पाण्डेय 18 Feb 2017 · 1 min read आतंकवाद आतंकवाद, उफ़! धागों की तरह उलझ गए हैं लोग हिंसा के अभिनन्दन में नहीं...नहीं...नहीं शायद इसलिए कि महान समीप्यपूर्ण एकता को छोड़ मृत्यु को गले लगा रहें हैं लोग मैं... Hindi · कविता 1 512 Share डा. सूर्यनारायण पाण्डेय 18 Feb 2017 · 1 min read आज बहुत ठंडक है आज जब मैं अपने गांव से गुजर रहा था एक कंकाल नंगे शरीर कानों पर गुदड़ी का मफलर बांधे दोनों हाथों को विपरीत काँखों में दबाए बलि के बकरे की... Hindi · कविता 1 498 Share डा. सूर्यनारायण पाण्डेय 18 Feb 2017 · 1 min read आदमी मंजिलों की चाह में कफ़िलों के साथ हर पता पर रहगुजर से पूछता है आदमी. ...... आदमी जब आदमी को लुटने लगा आदमी के नाम पर अब सोचता है आदमी.... Hindi · कविता 1 446 Share डा. सूर्यनारायण पाण्डेय 13 Feb 2017 · 1 min read सातवां आसमाँ मैं अक्सर देखता हूँ उनकी राह जो बैठे हैं सातवें आसमाँ पर इन्सान को भूलकर, हे प्रभु!अल्लाह!गॉड!... कब समझेंगे इन्सान की पीड़ा और बेबसी, क्या पैगाम नहीं मिला, धरती पर... Hindi · कविता 1 285 Share डा. सूर्यनारायण पाण्डेय 13 Feb 2017 · 1 min read बचपन नहीं मालूम क्यों रखा उसका नाम चुल्लू उसके सफेद रोएँ,लाल-नीली ऑंखें और फुदकना सबकुछ लगता है अपने प्यारे बचपन जैसा ये शहर की भाग-दौड़ और कहाँ बालू की दीवार बनाना... Hindi · कविता 1 704 Share डा. सूर्यनारायण पाण्डेय 13 Feb 2017 · 4 min read फाइव-पी समवन फाइव-पी एक नमूना प्रति हैं. बड़े-बड़े प्रकाशक जो कुछ भी छापते हैं, उसमें से कुछ प्रतियां नमूने के निकालकर नि:शुल्का लुटाते हैं. इसके पीछे उनकी दूरदर्शिता होती है. मछली पकड़ने... Hindi · कहानी 1 652 Share डा. सूर्यनारायण पाण्डेय 12 Feb 2017 · 1 min read आशा के दीप सूर्य,चाँद और तारे वन, पहाड़ और झरने शीतल बयार और काले मेघ सब मुँह चिढ़ाते हैं, इंसान की बेबसी पर! मनु के संतानों ! उठो!सजग हो !! छोड़ो मन के... Hindi · कविता 1 363 Share डा. सूर्यनारायण पाण्डेय 7 Feb 2017 · 1 min read आवश्यकता आवश्यकता है, एक नवयुवती की जो अधेड़ से शादी रचाये उसे प्राथमिकता- जो दहेज में अधिक रुपया लाए। ..... आवश्यकता है, एक अदद ईश्वर की जो सुविधा शुल्क को सुविधाजनक... Hindi · कविता 1 305 Share डा. सूर्यनारायण पाण्डेय 6 Feb 2017 · 3 min read फॉर्मूला-ए-चुनावी शुभकामना चुनाव सम्पन्न होने के साथ ही राजनीति का बाजार गर्म हो जाता है. चुनाव के बाद किसी के किस्मत का दरवाजा खुल जाता है तो कोई एकदम बेकार हो जाता... Hindi · कहानी 1 876 Share डा. सूर्यनारायण पाण्डेय 5 Feb 2017 · 1 min read आधुनिक नेता तीन यांत्रिक, एक अनपढ़ दोस्त बन गए एकाएक चारों मिल देशाटन को निकल पडे एकाएक यांत्रिकों ने सोचा- क्यों न बनाएं एक नेता यांत्रिक त्रय के शोध ने फिर गढ़... Hindi · कविता 1 396 Share डा. सूर्यनारायण पाण्डेय 5 Feb 2017 · 1 min read नारी नारी! तुम क्या हो ? कृष्ण की राधा हो, या राम की सीता, कालीदास की प्रेरणा हो, या महाभारत की द्रोपदी, कर्ण की माता हो, या वैशाली की नगरबधू, तुम्हीं... Hindi · कविता 1 687 Share डा. सूर्यनारायण पाण्डेय 5 Feb 2017 · 1 min read साहब बीमार हैं अक्सर, पद-प्रतिष्ठा, मान-सम्मान और लोकप्रियता के वायरस साहब को बीमार कर देते हैं। साब ! प्लीज मिल लें, का सदवाक्य सुनते-सुनते आम आदमी से साहब कतराने लगे हैं, और मंत्री... Hindi · कविता 1 366 Share डा. सूर्यनारायण पाण्डेय 4 Feb 2017 · 1 min read जीवन जीवन एक सुखद सपना है, सुख-दुःख आते जाते, कहता गुलाब देखो हम काँटों में मुस्काते। ..... सुख-दुःख जीवन की ऋतुएं हैं, अपनी राग सुनाते कमल बताए जीवन दर्शन हम कीचड़... Hindi · कविता 526 Share डा. सूर्यनारायण पाण्डेय 4 Feb 2017 · 1 min read क्या यही जीवन है कभी-कभी सोचता हूँ, जीवन क्या है ? भोर हुआ पतझड़ आया सब भगे जा रहे हैं, रुकने का नाम कोई नहीं ले रहा, क्या यूँ ही अनन्त की ओर दौड़... Hindi · कविता 601 Share डा. सूर्यनारायण पाण्डेय 2 Feb 2017 · 1 min read बापू पलट गए हैं। विकास की नई उड़ान चरखा चलाते हमारे प्रधान बापू हट गए हैं, प्रधान जी डट गए हैं। धन्य है विकास बापू पलट गए हैं। .... विकास की चरखा अब चली... Hindi · कविता 1 524 Share डा. सूर्यनारायण पाण्डेय 28 Jan 2017 · 1 min read चल भाई दुःख दर्द बताएं सुबह से ही झबरैला कुत्ता भौंक रहा है, मंत्री जी की नींद ख़राब कर रहा है। क्या हुआ इसे क्यों भौंक रहा है ? यह भक्त, इसे कुछ खिलाओ कुछ... Hindi · कविता 1 557 Share डा. सूर्यनारायण पाण्डेय 26 Jan 2017 · 1 min read सबेरा जब मन-मस्तिष्क, सद की इक्छाओं से ओत-प्रोत हों, भावनाएं, कामनाएं सब प्रभु को समर्पित हों 'कर्म' की निरन्तरता से मन-मयूर झूम रहा हो आगे, आगे और आगे की भावना अन्तर... Hindi · कविता 467 Share डा. सूर्यनारायण पाण्डेय 25 Jan 2017 · 1 min read बेटियाँ बेटियाँ,बेटियाँ हैं जो हैं सूत्रधार सृजन की,ममत्व की- और वैश्विक सौन्दर्य की । संभव नहीं इनके बिना- सृष्टि का अस्तित्व और यहाँ तक- 'परिवार'की पूर्णता। कितना अधूरा लगता है, बेटियों... "बेटियाँ" - काव्य प्रतियोगिता · कविता · बेटियाँ- प्रतियोगिता 2017 4 2 1k Share Previous Page 3