Shyam Sundar Subramanian Tag: कविता 522 posts Sort by: Latest Likes Views List Grid Previous Page 3 Next Shyam Sundar Subramanian 20 Mar 2024 · 1 min read महाप्रयाण माया , आसक्ति , काम, क्रोध , अहंकार , सब मानव निर्मित बंधन है , परोपकार , प्राणी मात्र से प्रेम, आत्मज्ञान , संवेदना , निर्विकार भाव, सब मानव उत्थान... "सत्य की खोज" – काव्य प्रतियोगिता · कविता 2 86 Share Shyam Sundar Subramanian 20 Mar 2024 · 1 min read कर्मगति कर्मप्रधान यथार्थ के धरातल पर सफलता सुनिश्चित होती है , कर्मविहीन अभिलाषाओं एवं आकांक्षाओं की परिणति निराशा में होती है , माया का चक्रजाल लालसा एवं लोलुपता को जन्म देता... "सत्य की खोज" – काव्य प्रतियोगिता · कविता 2 66 Share Shyam Sundar Subramanian 20 Mar 2024 · 1 min read विडंबना सत्य को स्थापित करना क्यों संघर्ष पूर्ण होता है ? मानवीय संवेदनाओं के यथार्थ को समझाना क्यों मुश्किल होता है ? तर्कहीन विषयवस्तु को कुतर्क के सहारे बहुमत से प्रतिपादित... "सत्य की खोज" – काव्य प्रतियोगिता · कविता · प्रश्न 2 64 Share Shyam Sundar Subramanian 19 Mar 2024 · 1 min read अधूरे सवाल ज़िंदगी में कुछ सवाल अधूरे रह जाते हैं , जिनका मतलब हम ज़िंदगी भर खोज ना पाते हैं , कुछ रिश्ते ,कुछ मरासिम, इस कदर पेश आते हैं, जिनको सोच... "सत्य की खोज" – काव्य प्रतियोगिता · कविता 4 85 Share Shyam Sundar Subramanian 19 Mar 2024 · 1 min read जीवन एक यथार्थ जीवन एक संघर्ष है, यह सर्वविदित तथ्य है , यह असंभावित घटनाओं से परिपूर्ण सत्य है, यह एक दिवास्वप्न की सुखद अनुभूति है , यह आकांक्षाओं एवं अभिलाषाओं की परिणति... "सत्य की खोज" – काव्य प्रतियोगिता · कविता 2 53 Share Shyam Sundar Subramanian 19 Mar 2024 · 1 min read जीवन - अस्तित्व नियति का चक्र उदय से अस्त तक , प्रादुर्भाव से अवसान तक, उत्पत्ति से परिवर्तन के आयामों से घटित होता हुआ विनाश की अधोगति तक , जीवों के उद्भव एवं... "सत्य की खोज" – काव्य प्रतियोगिता · कविता 64 Share Shyam Sundar Subramanian 19 Mar 2024 · 1 min read यथार्थ कल्पना लोक में विचरण कितना सुखद होता है , परंतु उस व्योम के बादल छंटने पर यथार्थ का अनुभव दुःखद होता है, हम समझ नही पाते सत्य सदैव कड़वा होता... "सत्य की खोज" – काव्य प्रतियोगिता · अनुभूति · कविता 1 2 50 Share Shyam Sundar Subramanian 19 Mar 2024 · 1 min read गरिमामय प्रतिफल अभिभूत भावनाओं के चरमोत्कर्ष पर जिसका उदय होता है, अंतस्थ से यह उभरता है, और व्यवहार में दृष्टिगोचर होता है , पवित्र वाणी एवं विचारों से यह सुशोभित होता है... "सत्य की खोज" – काव्य प्रतियोगिता · कविता 2 50 Share Shyam Sundar Subramanian 19 Mar 2024 · 1 min read वर्तमान छद्म का संसार प्रकट है , यथार्थ का अस्तित्व विलुप्त है , अनाचार , भ्रष्टाचार में मानव लिप्त है , नीति, आदर्श , संस्कार , सब सुप्त हैं , आचार... "सत्य की खोज" – काव्य प्रतियोगिता · कविता · यथार्थ 47 Share Shyam Sundar Subramanian 19 Mar 2024 · 1 min read व्यावहारिक सत्य कुछ समझ में नहीं आता क्या गलत है ? क्या सही ? सही को गलत सिद्ध किया जाता है , और गलत को सही , अब तो यही लगता है... "सत्य की खोज" – काव्य प्रतियोगिता · एहसास · कविता 1 2 68 Share Shyam Sundar Subramanian 19 Mar 2024 · 1 min read आत्मसंवाद एक दिन मन ने प्रज्ञा से कहा , तुम हमेशा मुझ पर लगाम लगाए रखती हो , मुझे अपने मर्जी की नहीं करने देती हो , मैं उन्मुक्त रहना चाहती... "सत्य की खोज" – काव्य प्रतियोगिता · कविता 2 72 Share Shyam Sundar Subramanian 19 Mar 2024 · 1 min read सोच सोच – सोच में फर्क होता है, कुछ अपनी सोच को सही समझते हैं , कुछ अपनी सोच दूसरों पर हावी करते हैं , कुछ अपनी सोच की गलतियों को... "सत्य की खोज" – काव्य प्रतियोगिता · कविता 3 89 Share Shyam Sundar Subramanian 18 Mar 2024 · 1 min read संकल्प क्या जीत ? क्या हार ? समय से बंधा सारा संसार , किसी दिन जीत है तो किसी दिन हार , सब नियति का चक्र है, कर मत अधिक विचार,... "सत्य की खोज" – काव्य प्रतियोगिता · कविता 3 87 Share Shyam Sundar Subramanian 18 Mar 2024 · 1 min read मतिभ्रष्ट हे ईश्वर ! आज के मानव को ये क्या हो गया है ? वह तुम्हारे अस्तित्व को बांटकर देखने के लिए उद्यत हो गया है , उसे कौन बताऐ राम... "सत्य की खोज" – काव्य प्रतियोगिता · कविता 4 54 Share Shyam Sundar Subramanian 18 Mar 2024 · 1 min read प्रायश्चित क्यूँ भूला है अपनी राह पथिक ? मरीचिका के भ्रम में भटका हुआ , लालसा – वासना छद्म में अटका हुआ , तर्क को कुतर्क से नष्ट करता हुआ ,... "सत्य की खोज" – काव्य प्रतियोगिता · कविता · सलाह 2 95 Share Shyam Sundar Subramanian 18 Mar 2024 · 1 min read ईश्वर एक बार मुझसे यह प्रश्न किया गया कि क्या तुमने ईश्वर को देखा है ? मैंने कहा हाँ ! मैंने उन्हें मासूम बच्चों की मुस्कुराहटों में देखा है , तपती... "सत्य की खोज" – काव्य प्रतियोगिता · अनुभूति · कविता 2 54 Share Shyam Sundar Subramanian 18 Mar 2024 · 1 min read नश्वर संसार इस नश्वर संसार में ये अनुप्रीति कैसी ? जब कुछ शाश्वत नहीं तो ये अनुभूति कैसी? जब सब कुछ यहीं छोड़ जाना है तो ये बंधन कैसा ? जो बिछड़... "सत्य की खोज" – काव्य प्रतियोगिता · कविता · जीवन सार 2 74 Share Shyam Sundar Subramanian 18 Mar 2024 · 1 min read ज़िंदगी के मर्म सुख-दु:ख की धूप छांव है ये ज़िंदगी , कभी सूरज सी प्रचंड , कभी चंद्रमा सी शांत है , ये ज़िंदगी , कभी हर्ष का उत्कर्ष , कभी कल्पित धारणा... "सत्य की खोज" – काव्य प्रतियोगिता · कविता 3 54 Share Shyam Sundar Subramanian 18 Mar 2024 · 1 min read बदलाव हर अंधेरी रात के बाद रोशन सुबह का आग़ाज़ होता है, हर ग़म के बाद फिर खुशी का एहसास होता है, ‘अमल -ए -इर्तिका में शाहकार मिटते बनते रहते है... "सत्य की खोज" – काव्य प्रतियोगिता · कविता · सलाह 2 57 Share Shyam Sundar Subramanian 18 Mar 2024 · 1 min read ज़िदादिली खुशी क्या होती है तुम ये क्या जानो , मसर्रत के लम्हों को तुम कैसे पहचानो , ज़िंदादिल इंसां औरों को खुश देख खुश होता है , उनका ग़म बांटकर... "सत्य की खोज" – काव्य प्रतियोगिता · कविता · सलाह 3 45 Share Shyam Sundar Subramanian 18 Mar 2024 · 1 min read ज़िंदगी के फ़लसफ़े वक्त बदलते , हालात बदलते हैं , बदलते हालात, एहसास बदलते हैं , बदलते एहसास, इंसां बदलते हैं, बदलते इंसां, मरासिम बदलते हैं , बदलते मरासिम, ए’तिबार बदलते हैं, बदलते... "सत्य की खोज" – काव्य प्रतियोगिता · एहसास · कविता 2 51 Share Shyam Sundar Subramanian 18 Mar 2024 · 1 min read वक्त लगता है चलते-चलते वक्त कुछ पीछे छूट गया , कुछ ऐसे गुजरा की कुछ पता ही नहीं चला , हम कहां थे ? कहां से कहां आ गए ? हम... "सत्य की खोज" – काव्य प्रतियोगिता · एहसास · कविता 2 60 Share Shyam Sundar Subramanian 18 Mar 2024 · 1 min read मर्दुम-बेज़ारी बड़ी-बड़ी बातों का इल्म़ बांटना बहुत आसान है , उनका ‘अमल उतना ही मुश्किल ना आसान है , हक़ीक़त में इंसानी फ़ितरत आड़े आती है , जो बनते काम को... "सत्य की खोज" – काव्य प्रतियोगिता · एहसास · कविता 2 55 Share Shyam Sundar Subramanian 18 Mar 2024 · 1 min read ज़िंदगानी रिश्ते थे जो, वो टूटते चले गए , दोस्तों के साथ भी छूटते चले गए , वक्त के साथ एहसास भी बदलते गए , जब -तब हादसे , ज़ीस्त को... "सत्य की खोज" – काव्य प्रतियोगिता · एहसास · कविता 2 67 Share Shyam Sundar Subramanian 18 Mar 2024 · 1 min read बे-ख़ुद वक्त की दहलीज़ पर ठहरा हुआ सा एक लम्हा, हवा में लहराता हुआ सा एक बबूला, संगे -ए- राह सा ठोकर खाता हुआ, एहसास -ए- दर्द बना फ़ुगाँ होता हुआ... "सत्य की खोज" – काव्य प्रतियोगिता · कविता 3 53 Share Shyam Sundar Subramanian 18 Mar 2024 · 1 min read व्यक्तिगत अभिव्यक्ति बहुत कुछ सोच समझकर कहना चाहूं तो ज़ुबान पर ताले पड़ जाते हैं , अव्यक्त भावनाओं के स्वर अंतःकरण में डोलते रहते व्यक्त नहीं हो पाते हैं , लगता है... "सत्य की खोज" – काव्य प्रतियोगिता · कविता 2 60 Share Shyam Sundar Subramanian 18 Mar 2024 · 1 min read परिणति कुंठित भावना , निरर्थक कामना , शोषित मनुष्यत्व ,त्रस्त भंगुर अस्तित्व , छद्म लालसा, आभासी आशा, , कपटपूर्ण व्यवहार, विस्तृत अनाचार , सत्य कठोर , असत्य भावविभोर , मंतव्य कलुषित... "सत्य की खोज" – काव्य प्रतियोगिता · कविता 2 49 Share Shyam Sundar Subramanian 18 Mar 2024 · 1 min read आत्मज्ञान कुछ तो है अंदर छुपा हुआ , जो हम अब तक जान न पाए, खुद के अंदर झांककर ,अभी तक पहचान ना पाए, इधर उधर ढूंढते रहे , कहां छुपा... "सत्य की खोज" – काव्य प्रतियोगिता · कविता 3 54 Share Shyam Sundar Subramanian 17 Mar 2024 · 1 min read वो अजनबी झोंका ये कौन सा हवा का झोंका था ? जो मुझे छू गया , सोते दिल में इक एहसास सा जगा गया , कुछ भूले-बिसरे लम़्हों की याद दिला गया ,... Hindi · एहसास · कविता 51 Share Shyam Sundar Subramanian 16 Feb 2024 · 1 min read आज का नेता तवारीख़ में दफ़्न मुर्दों को उखाड़ रहे हैं , अपनी -अपनी दलीले पेश कर अवाम को बरग़ला रहे हैं , हालाते हाज़िरा से भटका अवाम को गुम़राह कर रहे हैं... Hindi · कटाक्ष · कविता 106 Share Shyam Sundar Subramanian 12 Feb 2024 · 1 min read ज़िंदगी के सौदागर ज़िंदगी की बोली लगती है , क्या तुम ज़िंदगी खरीद पाओगे ? क्या उसकी कीमत तुम चुका पाओगे ? तड़पते जिस्मो जाँ से बग़ावत करती रूह को क्या तुम मना... Hindi · एहसास · कविता 114 Share Shyam Sundar Subramanian 9 Feb 2024 · 1 min read दीवानगी इस कदर किसी को कोई न चाहे के दुनिया भूल जाए , भटकते रहे अनजान राहों में खुद से भी परे हो जाए , जिनकी चाहत में हम दुनिया को... Hindi · कविता 101 Share Shyam Sundar Subramanian 9 Feb 2024 · 1 min read बदलाव हर अंधेरी रात के बाद रोशन सुबह का आग़ाज़ होता है, हर ग़म के बाद फिर खुशी का एहसास होता है, 'अमल -ए -इर्तिका में शाहकार मिटते बनते रहते है... Hindi · कविता · सलाह 178 Share Shyam Sundar Subramanian 4 Feb 2024 · 1 min read श्वान संवाद एक गली के कुत्ते में दूसरे कुत्ते से कहा , हम तो भौंकते हैं खतरे से आगाह करने के लिए , गली में घुसने वाले चोरों को भगाने के लिए... Hindi · कविता · व्यँग 112 Share Shyam Sundar Subramanian 3 Feb 2024 · 1 min read आग़ाज़ कुछ समझ ना पाऊं ये क्या हो रहा है ? हर शख़्स सहमा - सहमा सा लग रहा है , खौफ़ के सन्नाटे हर सम्त पसरे हुए हैं , जाने... Hindi · कविता 96 Share Shyam Sundar Subramanian 2 Feb 2024 · 1 min read कवि की लेखनी कवि की लेखनी उसके ह्रदय का स्वर होती है, यह कभी परिस्थितिजन्य वेदना के शब्द कहती है , तो कभी प्रफुल्लित गीत पिरोती है , कभी यह प्रेमी की भावना... Poetry Writing Challenge-2 · कविता 2 4 69 Share Shyam Sundar Subramanian 30 Jan 2024 · 1 min read बीते लम़्हे बरसात की बूंदे जब गिरतीं हैं, ज़ेहन के पर्दे पर एक तस्वीर उभरकर , उनके साथ बीते लम़्हों की याद दिला जाती है , वो मसर्रत के पल, वो बातें... Hindi · कविता 105 Share Shyam Sundar Subramanian 28 Jan 2024 · 1 min read व्यक्तिगत अभिव्यक्ति बहुत कुछ सोच समझकर कहना चाहूं तो ज़ुबान पर ताले पड़ जाते हैं , अव्यक्त भावनाओं के स्वर अंतःकरण में डोलते रहते व्यक्त नहीं हो पाते हैं , लगता है... Poetry Writing Challenge-2 · कविता 90 Share Shyam Sundar Subramanian 28 Jan 2024 · 1 min read आव्हान आओ नवअभिलाषाओं और आशाओं के दीप जलाएं , समग्र व्याप्त क्लेष, संताप नष्ट कर निराशा दूर भगाएं , त्याग स्वार्थ , द्वेष नष्ट कर , परस्पर सद्भाव बढ़ाएं , सर्वधर्म... Poetry Writing Challenge-2 · कविता 81 Share Shyam Sundar Subramanian 27 Jan 2024 · 1 min read स्वाभिमान उस रात किसी ने मुझे झिंझोड़कर जगा दिया , उठकर देखा तो सामने एक साया था , मैंने पूछा कौन हो तुम ? उसने कहा मैं तुम्हारा स्वाभिमान हूँ ,... Poetry Writing Challenge-2 · कविता 1 2 83 Share Shyam Sundar Subramanian 26 Jan 2024 · 1 min read मतिभ्रष्ट हे ईश्वर ! आज के मानव को ये क्या हो गया है ? वह तुम्हारे अस्तित्व को बांटकर देखने के लिए उद्यत हो गया है , उसे कौन बताऐ राम... Poetry Writing Challenge-2 · कविता 72 Share Shyam Sundar Subramanian 26 Jan 2024 · 1 min read अस्तित्व पत्थर पर गिरते ही शीशा चूर-चूर होता है , और शीशे पर पत्थर पड़ते ही शीशा चूर-चूर बिखरता है , हर बार शीशे को तोड़कर पत्थर अपनी ह़स्ती जताता है... Poetry Writing Challenge-2 · कविता 90 Share Shyam Sundar Subramanian 26 Jan 2024 · 1 min read ईश्वर एक बार मुझसे यह प्रश्न किया गया कि क्या तुमने ईश्वर को देखा है ? मैंने कहा हाँ ! मैंने उन्हें मासूम बच्चों की मुस्कुराहटों में देखा है , तपती... Poetry Writing Challenge-2 · कविता 1 2 131 Share Shyam Sundar Subramanian 26 Jan 2024 · 1 min read भाव गणित खुशी बाँटने से बढ़ती है , दुःख बाँटने से कम होता है , ज्ञान बाँटने से बढ़ता है , दान देने से धन बढ़ता है , अहंकार से निरंकुशता बढ़ती... Poetry Writing Challenge-2 · कविता 94 Share Shyam Sundar Subramanian 25 Jan 2024 · 1 min read किंकर्तव्यविमूढ़ एक दिन मैंने ज़िंदगी से पूछा तुम इतनी निष्ठुर क्यों हो ? ज़िंदगी बोली यह मेरा कसूर नहीं है , मैं तो हालातों के हाथों मजबूर हूँ , मैंने हालातो... Poetry Writing Challenge-2 · कविता 1 1 90 Share Shyam Sundar Subramanian 25 Jan 2024 · 1 min read माँ माँँ वह छांव है जिसके तले हम पले बड़े है, वह सुखद अनुभूति है जिसे हम बचपन से अब तक संजोये रहे है, वह एक प्रेरणा स्त्रोत है जो हमारे... Poetry Writing Challenge-2 · कविता 93 Share Shyam Sundar Subramanian 25 Jan 2024 · 1 min read पत्थर की अभिलाषा राह पर पड़े पत्थर ने सोचा इक दिन यह भी क्या जीवन है ? नित प्रतिदिन ठोकरें खाता फिरता हूं, दिशाहीन मैं इधर-उधर लुढ़कता टूटता बिखरता रहता हूं, हेय दृष्टि... Poetry Writing Challenge-2 · कविता 85 Share Shyam Sundar Subramanian 25 Jan 2024 · 1 min read अश्रु की भाषा अश्रु की अपनी भाषा होती है। कभी कष्ट के , तो कभी प्रसन्नता के , कभी आघात के , तो कभी पश्चाताप के , कभी मिलन के , तो कभी... Poetry Writing Challenge-2 · कविता 1 85 Share Shyam Sundar Subramanian 25 Jan 2024 · 1 min read पुष्प की व्यथा पुष्प हूँ काँटो में रहना पड़ता है, टूट कर मिट्टी में मिल जाना पड़ता है, मेरी सुगंध और सौंदर्य कुछ पल के हैं, मुरझाने पर मेरा स्थान धरती तल के... Poetry Writing Challenge-2 · कविता 1 83 Share Shyam Sundar Subramanian 25 Jan 2024 · 1 min read काव्य भावना किसलय की मुस्कान बनी , मृगनयनी का श्रृंगार बनी , चंद्रप्रभा चंचल किरणों का वर्णन बनी, नभ आच्छादित नक्षत्र मंडल सौंदर्य भान बनी , रवि आगम प्रकाश पुंजों का आव्हान... Poetry Writing Challenge-2 · कविता 87 Share Previous Page 3 Next