पंकज परिंदा 138 posts Sort by: Latest Likes Views List Grid Previous Page 3 पंकज परिंदा 23 Sep 2024 · 1 min read पोषण दर्द का फुटपाथ पर बैठे मैले कुचैले कपड़ों में कुछ एक परिवार आँखें शून्य सी स्वप्न विहीन दुनिया की रंगीनी को छोड़ वे सभी कर रहे थे पोषण...! भर कर आलिंगन में... Hindi · कविता 45 Share पंकज परिंदा 23 Sep 2024 · 1 min read हर ज़िल्लत को सहकर हम..! हर ज़िल्लत को सहकर हम, काट रहे हैं हर मौसम। सौदागर थे खुशियों के, लेकिन हैं गठरी में ग़म। यूँ आंखों में क़तरे हैं, ज्यों फूलों पर हो शबनम। जख़्म... Hindi · ग़ज़ल 34 Share पंकज परिंदा 23 Sep 2024 · 1 min read क़त्ल होंगे तमाम नज़रों से...! क़त्ल होंगे तमाम नज़रों से ग़र पिलाया यूँ जाम नज़रों से। लब थे खामोश जिसके मुद्दत से लिख दिया उसने नाम नज़रों से। सुर्ख आँखों में थी हया उनके क्यूँ... Hindi · ग़ज़ल 69 Share पंकज परिंदा 23 Sep 2024 · 1 min read आँखें कुछ ख़फ़ा सी हो गयी हैं,,,! आज रात हुआ यूँ कि, मैं कर रहा था कोशिश नाक़ाम सी, सोने की...! बाईं करवट से कुछ घुटनों को मोड़कर, आद़तन इन आखों को बंद कर, मग़र पता नहीं... Hindi · कविता 61 Share पंकज परिंदा 23 Sep 2024 · 2 min read आपके दिल में क्या है बता दीजिए...? आपके दिल में क्या है बता दीजिए? इस मुहब्बत का कुछ तो सिला दीजिए। हमने ज़ुर्मे-मुहब्बत तो कर ही दिया, आप इस ज़ुर्म की अब सज़ा दीजिए। इश्क़ के मर्ज़... Hindi · ग़ज़ल 61 Share पंकज परिंदा 23 Sep 2024 · 1 min read जन्म जला सा हूँ शायद...! जन्म जला सा हूँ शायद इक़ अंधियारा हूँ शायद। डग मग जीवन की नैया दूर किनारा हूँ शायद। बर्तन खाली हैं यारो वक़्त का मारा हूँ शायद। रिश्ते नाते बेमानी... Hindi · ग़ज़ल 29 Share पंकज परिंदा 23 Sep 2024 · 1 min read लौ मुहब्बत की जलाना चाहता हूँ..! नफ़रतों को मैं.., मिटाना चाहता हूँ लौ मुहब्बत की जलाना चाहता हूँ। इम्तिहां मुश्किल बड़ा है इश्क़ का ये इक इसे भी आजमाना चाहता हूँ। कोई तो आकर के पूछे... Hindi · ग़ज़ल 61 Share पंकज परिंदा 23 Sep 2024 · 1 min read आखिर तो हूँ एक "परिंदा" कब तक यूँ दीदार करूँगा, आ जाओ श्रृंगार करूँगा। एक नज़र ग़र देख लिया तो, कुछ पल आँखे चार करूँगा। दुनिया के सब छोड़ झमेले, जी भर तुमसे प्यार करूँगा।... Hindi · ग़ज़ल 42 Share पंकज परिंदा 23 Sep 2024 · 1 min read देखकर तुम न यूँ अब नकारो मुझे...! देखकर तुम न यूँ अब...., नकारो मुझे अक़्स हूँ मैं तुम्हारा......, सँवारो मुझे। दाग दामन पे' मेरे.., लगे हैं..., अगर हक तुम्हारा है तुम ही.., निखारो मुझे। हूँ परेशां बहुत..,... Hindi · ग़ज़ल 56 Share पंकज परिंदा 23 Sep 2024 · 1 min read काम तुम बेहिसाब कर दो ना,,,! काम तुम बेहिसाब....., कर दो ना छूके मुझको गुलाब.., कर दो ना। ================= ग़र मुहब्बत है इक बुरी..., आदत मेरी आदत खराब...., कर दो ना। ================= आरज़ू इक........, यही है... Hindi · ग़ज़ल 42 Share पंकज परिंदा 23 Sep 2024 · 1 min read अब बदला हिंदुस्तान मियां..! बूझो तो जानें...😋 है वक़्त बहुत बलवान मियां, यह ऊंची कब तक शान मियां..? जिसकी लाठी भैंस उसी की, यह बात पुरानी मान मियां..! आंखों से रुसबा पहले ही, अब... Hindi · ग़ज़ल 24 Share पंकज परिंदा 22 Sep 2024 · 1 min read आइना फिर से जोड़ दोगे क्या..? कसमें वादों को, तोड़ दोगे क्या? मुझको तन्हा यूँ, छोड़ दोगे क्या? एक पत्थर, हजार टुकड़े हैं, आइना फिर से जोड़ दोगे क्या? ये मुहब्बत बड़ी बुरी शै है, इस... Hindi · ग़ज़ल 56 Share पंकज परिंदा 21 Sep 2024 · 1 min read मन के मनके फोड़ा कर...!! मत यूँ हाथ मरोड़ा कर। दिल को दिल से जोड़ा कर। खट्टी - मीठी बातों से, मन के तार झिंझोड़ा कर। जब जब गलती हो मेरी, कस के खूब निचोड़ा... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 46 Share पंकज परिंदा 21 Sep 2024 · 1 min read दुनिया वाले कहते अब दीवाने हैं..!! दुनिया वाले कहते अब दीवाने हैं हम तो शम्आ पर जलते परवाने हैं। महफ़िल मेरी झूम रही है यारों से इनके बिन तो कोसों तक वीराने हैं। एक नज़र ना... Hindi · ग़ज़ल 1 2 48 Share पंकज परिंदा 21 Sep 2024 · 1 min read सबका अपना दाना - पानी.....!! कब तक होगी यूँ नादानी, छोड़ो भी, हरकत बच्चे की बचकानी, छोड़ो भी। आंख के अंधे नाम नयनसुख हैं सारे, करते अपनी ही मनमानी, छोड़ो भी। नौ सौ चूहे खा... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 60 Share पंकज परिंदा 21 Sep 2024 · 1 min read नीयत में पैमान मिलेगा। नीयत में पैमान मिलेगा। तो तुझको सम्मान मिलेगा। क्या लाये जो खोया तुमने..? आखिर में शमशान मिलेगा। यूँ ही ब़ैर रखोगे मन में, तो कैसे भगवान मिलेगा..? मसले देरी से... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 1 2 42 Share पंकज परिंदा 1 Sep 2024 · 1 min read ----- स्वप्न सलौने ----- दोहा -- छुपे मार्तण्ड जब क्षितिज, तम फैले चहुँ ओर। स्वप्न लोक में पहुँच कर, मनवा होत विभोर।। चौपाई -- नींद चैन की मैं सोया था स्वप्न सुरा में मैं... Hindi · कविता 62 Share पंकज परिंदा 1 Sep 2024 · 1 min read बचपन की वो बिसरी यादें...!! बचपन की वो बिसरी यादें, लिख दूँ क्या.! साथ बिताए थे जो लम्हें., लिख दूं क्या.!! मेरे वादे..., तेरी क़समें...., लिख दूँ क्या..! चाँद सितारों की सौगातें.., लिख दूँ क्या.!!... Hindi · ग़ज़ल 1 73 Share पंकज परिंदा 1 Sep 2024 · 1 min read ज़िन्दगी..!! दर्द, आँसू, तड़प, बेबसी ज़िन्दगी ज़िन्दगी ज़िन्दगी। सेंकता ही रहा रोटियाँ कुछ पकी कुछ जली अधजली। भूख की देखकर के तड़प हँस रही है खड़ी मुफ़लिसी। ज़ख़्म इतने मिले हैं... Hindi · ग़ज़ल 47 Share पंकज परिंदा 1 Sep 2024 · 1 min read मैं "परिन्दा" हूँ........., ठिकाना चाहिए...! ज़िन्दगी जी लूँ............, तज़रबा चाहिए डूबते को बस.............., सहारा चाहिए। है तलब लोगों को........, सुनने की मुझे फिर नया सा कोई......, किस्सा चाहिए। आँधियां रुख़ मोड़ लेंगी...., ख़ुद-ब-खुद बस हमें... Hindi · ग़ज़ल 71 Share पंकज परिंदा 1 Sep 2024 · 1 min read कुछ यक्ष प्रश्न हैं मेरे..!! सजल हुए क्यों नयन प्रकृति के, अन्तस् पे घाव घनेरे! क्षम्य कहूँ मानव को कैसे...? कुछ यक्ष प्रश्न हैं मेरे..!! फल को फल ही रहने देते, क्यों विस्फोटक रख डाला...?... Hindi · गीत 56 Share पंकज परिंदा 1 Sep 2024 · 1 min read तेरे साथ गुज़रे वो पल लिख रहा हूँ..! तेरे साथ गुज़रे वो पल लिख रहा हूँ *बहुत खूबसूरत ग़ज़ल लिख रहा हूँ!* मुझे माफ़ करना बिना तुझ से पूछे तेरी ज़िन्दगी में दख़ल लिख रहा हूँ! नज़र भर... Hindi · ग़ज़ल 85 Share पंकज परिंदा 1 Sep 2024 · 1 min read आसमां में चाँद... आसमां में चाँद छुपकर रो रहा है क्यूँ भला चाँदनी का नूर मद्धिम हो रहा है क्यूँ भला। धूल की परतें जमी हैं आदमी की सोच पर नफ़रतों की फस्ल... Hindi · ग़ज़ल 43 Share पंकज परिंदा 1 Sep 2024 · 1 min read ज़िन्दगी लाज़वाब,आ तो जा... इश्क़ है ब़े-हिसाब, आ तो जा। तुझपे लिख दूँ किताब आ तो जा। अब नशा बस तेरा ही काफी है छोड़ दी ले शराब, आ तो जा। कितनीं कसमें थीं,... Hindi · ग़ज़ल 1 43 Share पंकज परिंदा 22 Apr 2022 · 1 min read जख़्म अपने मैं यारो दिखाने चला..!! जख़्म अपने मैं यारो दिखाने चला आह दिल की मैं सबको सुनाने चला। खेल क़ुदरत ने मुझसे है खेला अजब आज दुनिया को मैं सब बताने चला। साथ माँ थी... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 148 Share पंकज परिंदा 16 Apr 2022 · 1 min read जपले प्रभु का जाप परिंदे...!! कर अंतस निष्पाप परिंदे, जपले प्रभु का जाप परिंदे। डिग्रीधारी सुस्त पड़े हैं, आगे झोलाछाप परिंदे। आखिर कब तक ज़ुर्म सहेगा, क्यों है तू चुपचाप परिंदे। सुनकर वो फ़रियाद हमारी,... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 236 Share पंकज परिंदा 16 Apr 2022 · 1 min read इश्क़ मशहूर हो गया साहब..! जबसे वो दूर हो गया साहब, इश्क़ मशहूर हो गया साहब। चार पैसे कमा लिए उसने, आज मग़रूर हो गया साहब। वक़्त का खेल है ग़ज़ब देखा, नूर बे-नूर हो... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 150 Share पंकज परिंदा 16 Apr 2022 · 1 min read इश्क़ ज़हर.... ओ पागल...!! बहता जल कल कल कल। प्रश्न कठिन मुश्किल हल। कीचड़ में देख कमल। पांव बचा है दलदल। आंख लड़ी तो हलचल। रोज नहा तन मल मल। खींच लहू है निर्बल।... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 266 Share पंकज परिंदा 16 Apr 2022 · 1 min read सम्भव कैसे मेल सखी...? पेड़ों का आलिंगन करती, लिपट रही है बेल सखी बाट निहारूँ प्रियवर की मैं, सम्भव कैसे मेल सखी। धरणी ने श्रृंगार धरा है, पादप की हरियाली से, रश्मि प्रभाकर मानो... Hindi · गीत 404 Share पंकज परिंदा 16 Apr 2022 · 1 min read आदमी इंसानियत खोता हुआ..! इन हवाओं को न जाने क्या हुआ। आजकल कुछ रुख़ है बदला सा हुआ। वक़्त ने समझा दिया सब कुछ उसे, कल तलक जो शख़्स था पहुंचा हुआ। कब मुक़म्मल... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 150 Share पंकज परिंदा 8 Apr 2022 · 1 min read जितनी ज्यादा चाह परिंदे। जितनी ज्यादा चाह परिंदे। मुश्किल उतनी राह परिंदे। बैरी आज हुए हैं वो सब, थी जिनकी परवाह परिंदे। लगतीं मंज़िल सब आसां जो, हो सच्चा हमराह परिंदे। वक़्त बता देता... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 2 255 Share पंकज परिंदा 8 Apr 2022 · 1 min read है गुज़ारिश बख्श दो तक़दीर को..! म्यान में ही, रहने दो, शमशीर को, है गुज़ारिश बख्श दो तक़दीर को..! एक हद तक, ही रहीं बस, जुम्बिशें, कब तलक शर्म ओ हया की बंदिशें ज़ुल्म कर मुझ... Hindi · गीत 162 Share पंकज परिंदा 8 Apr 2022 · 1 min read छोड़ अलस मन चंचल..! छोड़ अलस मन चंचल, चल उठजा रे..! घन, घन-घन घन-घन बरसेगा, मरुथल भी सोना उगलेगा, हर गली मुहल्ले चौबारे, घर आंगन फिर से महकेगा, बस धीर धरो गम्भीर बनो, फल... Hindi · गीत 189 Share पंकज परिंदा 8 Apr 2022 · 1 min read कुछ यक्ष प्रश्न हैं मेरे..! सजल हुए क्यों नयन प्रकृति के, क्यों उर पे घाव घनेरे! क्षम्य कहूँ मानव को कैसे...? कुछ यक्ष प्रश्न हैं मेरे..!! फल को फल ही रहने देते, क्यों विस्फोटक रख... Hindi · गीत 149 Share पंकज परिंदा 8 Apr 2022 · 1 min read तुम नहीं जी सकोगी हमारे बिना..! बात किस से करोगी हमारे बिना..?? तुम नहीं जी सकोगी हमारे बिना। चाँद तारे भी फीके लगेंगे तुम्हें, किसकी ख़ातिर सजोगी हमारे बिना..?? ख़्वाब देखे हैं जो साथ मिलकर उन्हें,... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 115 Share पंकज परिंदा 8 Apr 2022 · 1 min read जीवन एक उलझी किताब है जीवन। हाँ..! मग़र लाज़वाब है जीवन। है उफनता हुआ सा इक दरिया, या छलकती शराब है जीवन। मुश्किलों से न तोड़ रिश्ता यूँ, बस इन्हीं का... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 1 115 Share पंकज परिंदा 6 Jun 2021 · 1 min read आजकल कुछ सुधार है प्यारे...? आजकल कुछ सुधार है प्यारे...? या वही तेज धार है प्यारे...? कौन जाने कि कब, कहाँ कैसे..? कौन किसका शिकार है प्यारे...? तैरने का नहीं हुनर जिसको, वो भी दरिया... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 3 251 Share पंकज परिंदा 6 Jun 2021 · 1 min read आज नहीं तो कल निकलेगा..! आज नहीं तो कल निकलेगा। हर मुश्किल का हल निकलेगा। ठान लिया गर मन में अपने, मरुथल से भी जल निकलेगा। अधजल गगरी छलकत जिनकी, उनका सूरज ढल निकलेगा। नेकी... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 1 337 Share Previous Page 3