Shreedhar 127 posts Sort by: Latest Likes Views List Grid Previous Page 3 Shreedhar 19 May 2023 · 1 min read जय भी, पराजय भी संग तेरे कितने मौसम कितने जीवन-मरण्, कितने कैनवास रंगे होंगे संग तेरे, कितने कुहासे, कितने उजाले देखे कितनी सुबहें, कितनी शामें संग तेरे। कितनी बार नापा हूं पर्वत श्रृंग, कितनी बार समंदरों... 83 Share Shreedhar 19 May 2023 · 1 min read अनंत रहस्य की छाती पर अपनी ही आवाज मुझे गूँजती मिली अपने ही स्वप्न मुझे सोते मिले शब्द कहीं रेगिस्थानी घाटी के पत्थरों पर भटकते दिखे इस अनंत रहस्य की छाती पर मुझे अपनी ही... 81 Share Shreedhar 19 May 2023 · 1 min read भर आई यौवन में गहराई कोमल कलियाँ लगी मुस्कुराने लो चंचल सावन की ऋतु आई भर आई यौवन में गहराई। अलक प्रिये न यों फहराओ पलक प्रिये न यों बहकाओ खिल उठा है बासंती चमन... 93 Share Shreedhar 19 May 2023 · 1 min read दूर पंछी नीड़ तेरा पड़ गया सांझी धूप का घेरा उड़ पिपासे उड़ जहाँ तक घेर न लेता तुझे अंधेरा दूर पंछी नीड़ तेरा। हाय कैसा क्षण उदास न कोई वक्त न कोई आस... 49 Share Shreedhar 19 May 2023 · 2 min read मैं शिव का नंदी, तू सवार सा है मैं ख्वाब सा हूं तू बहार सा है। मैं स्वप्न सा हूं तू साकार सा है। मैं चाहत सा हूं तू इजहार सा है। मैं ठहराव सा हूं तू इंतजार... 57 Share Shreedhar 19 May 2023 · 1 min read क्या कलिकाल श्रीकृष्ण को वध लेगा छटपटाती कलपती जागृतियाँ हमारी. वैचारिक धरातल पर जलती भुनती खुशियाँ हमारी और अखण्ड साधनाएं। न जाने किस उपलब्धि हेतु हमने रास्ते बदल लिए हैं कौन से समंदर के बैर में... 65 Share Shreedhar 19 May 2023 · 1 min read अनाम अपूर्ण पहली बार ऐसा हुआ कि मैंने अपना लिखा शेर मिटा डाला, पहली बार ऐसा हुआ कि, मैंने पन्ना-पन्ना भिगा डाला। कुछ ग़जलें, कुछ गीत कुछ शेर, कुछ शायरी मैंने लिखते-लिखते... 118 Share Shreedhar 19 May 2023 · 1 min read किसे आवाज दूँ अपनी ही आवाज वापस कानों में गूँजती मिली, अपने ही स्वप्न मुझे सोते मिले शब्द कहीं रेगिस्तानी घाटी में बदहवास भटकते दिखे इस अनंत रहस्य व्योम में क्या तलाशूं, अपनी... 79 Share Shreedhar 19 May 2023 · 1 min read प्रेम बहुत दिनों बाद बहुत दिनों बाद, खोया-सा मन, प्रेम निमग्न होने, जागा है आज; चलो तितलियों से बातें करते हैं, कलियों फूलों संग गुनगुनाते हैं, भौंरों से चुराकर, बागों की ख़ुशबू लेते हैं,... 83 Share Shreedhar 19 May 2023 · 1 min read यक्ष प्रश्न कितने ठहराव कितनी दीवारें कितनी भूली बिसरी बांधी सिमटी यादें कितने स्वप्न कितने सच कितनी रातें कितने अंधेरे कितनी सुबहें नम ओस रौशनी कितने प्रण कितनी पंखुड़ियां कितने पुष्प कितने... 91 Share Shreedhar 19 May 2023 · 1 min read जिजीविषा की जिदें दरकती दीवारों के उस पार, तलाश रहा हूँ, प्रारब्ध की रौशनी, गीली मिट्टी मेें, हथेलियाँ बार-बार छापकर, पोतकर, निखार रहा हूँ, भाग्य की लकीरें उफनती नदी के किनारे, घंटों बैठकर,... 120 Share Shreedhar 19 May 2023 · 1 min read किन्तु मेरे विजय की प्रथा घण्टों बैठे मीलों दूर तक, जीवन से मिलने, बातें करने का वक्त चाहिए, कई सीमायें तोड़कर, जीवन बाहर निकल चुका है अपने हाथों से, पहरों तक याद नहीं आती अपने... 331 Share Shreedhar 19 May 2023 · 1 min read तुम हो तुम्हारी यादें हैं तुम हो तुम्हारी यादें हैं, और क्या चाहिए, कभी हिज़्र है कभी मुलाकातें हैं, और क्या चाहिए। कभी चांद सितारों की शीतलता, कभी सूरज की गरमियाँ हैं। कभी बाल-मन की... 83 Share Shreedhar 19 May 2023 · 1 min read तुम्हारी उँगलियों की छुअन को.. तुम्हारी उँगलियों की छुअन को, भूलना मुमकिन नहीं, तुम्हारी ज़िद से, जद्दोजहद से, मुकरना मुमकिन नहीं, तुम्हारे नयनों की गहराईयों को, समझना संभव नहीं, तुम्हारी याद-ए-गुल-ओ-गुलज़ार बिखेरना संभव नहीं। —... 122 Share Shreedhar 19 May 2023 · 1 min read प्रश्न-प्रश्न का प्रत्युत्तर किंतु कहानी बनते जाती है कविताएं बुनी आती हैं संस्मरण समेटे जाते हैं शब्द छांटे जाते हैं। सांसें खींची जाती हैं, प्राण थामे जाते हैं, मन उत्पात करता है, विप्लव दबाया... 88 Share Shreedhar 19 May 2023 · 1 min read कभी ब्रह्म, कभी ब्रह्मास्मि हथेली पे दरकती लकीरों से, प्रारब्ध के तंतुओं को, जोड़ने की कोशिशें मेरी, कभी ब्रह्म कभी अहं ब्रह्मास्मि, झीने से परदर्शी जाले में उलझती आस्था मेरी। ** युगों से, पार... 88 Share Shreedhar 19 May 2023 · 1 min read अंगूठा ग़रीब का अंगूठा ग़रीब का, सबसे कीमती अंगूठा, यह इंतख़ाबी अंगूठा, यह चुनावी अंगूठा, यह लोकतंत्री अंगूठा, यह मतलबी अंगूठा, बड़े काम का अंगूठा अंगूठा ग़रीब का, सबसे प्यारा अंगूठा। ** हर... 36 Share Shreedhar 19 May 2023 · 1 min read मैं स्वप्न हूँ तुम्हारा मैं यकीं न करता, तुम द़गा क्या देते मैं वफ़ा न करता, तुम ज़फ़ा क्या करते, मैं बिछड़ा न होता, तुम मिला क्या लेते, मैं दुआ न करता, तुम महका... 292 Share Shreedhar 19 May 2023 · 1 min read मैं भस्म धूनि-सा अनवरत सिलबट्टे पर पिसा हुआ, हल्दी हूं चंदन हूं केसर हूं मर्यादाओं की गांठ कसी पोटली हूं, न रंग बदलता हूं न मिटता हूं, तुम चाहो तो राख समझ लो। देवदार... 101 Share Shreedhar 19 May 2023 · 1 min read बसंती कोंपलें लताएं हरी तन जीर्ण मन विदीर्ण राहें संकीर्ण हवाएं क्षीर्ण। कोंपलें बसंती लताएं हरी-भरी आकाश नीले धरा सुनहरी। जीवन प्रयोग चहुंओर आमोद दुःख भी प्रमोद विरह भी संयोग। कभी प्रारब्ध कभी उद्यम... 80 Share Shreedhar 19 May 2023 · 1 min read एक पुरानी नज़्म पढ़ी आज— एक पुरानी नज़्म पढ़ी आज, अपनी ही नज़्म अपने ही अश'आर। — सोचता रहा घड़ी भर कि, कितना प्रेम किया होगा, तुमसे मैंने, तुम्हें यूं ही तो पीली सरसों की... 41 Share Shreedhar 16 May 2023 · 1 min read मैं स्वप्न भी हूँ, मैं साकार भी हूँ मैं ख़्याब भी हूँ मैं हकीक़त भी हूँ मैं ख़्याल भी हूँ मैं उल्फ़त भी हूँ मैं बेपरवाह हूँ मैं शिद्दत भी हूँ मैं नफ़रत भी हूँ मैं चाहत भी... 326 Share Shreedhar 21 Apr 2023 · 1 min read महबूब से कहीं ज़्यादा शराब ने साथ दिया, महबूब से कहीं ज़्यादा, शराब ने साथ दिया, दिलवर रंग बदलता रहा, ज़ाम कभी नहीं। ***** जब भी तलाशने लगता हूँ, हसीं पन्ने डायरी के, जाने क्यों बारहा तुम्हारी तस्वीर... Quote Writer 104 Share Shreedhar 30 Mar 2023 · 1 min read वही नूर-ओ-नाज़नीन हो तुम- मेरे हसीं सपनों के, हमराह हुआ करते हो तुम, जब भी मूंदता हूँ आंखें, सामने होते हो तुम। अच्छा है तुम्हारे ख़्वाबों में वक़्त का गुज़रना, तंग उलझनों के ख़िलाफ़,... Hindi 1 94 Share Shreedhar 27 Mar 2023 · 1 min read फ़ेहरिस्त रक़ीबों की, लिखे रहते हो हाथों में, फ़ेहरिस्त रक़ीबों की, लिखे रहते हो हाथों में, फिर भी मेरे रफ़ीक़ बने रहना चाहते हो तुम। Quote Writer 395 Share Shreedhar 27 Mar 2023 · 1 min read फ़ेहरिस्त रक़ीबों की, लिखे रहते हो हाथों में, फ़ेहरिस्त रक़ीबों की, लिखे रहते हो हाथों में, फिर भी मेरे रफ़ीक़ बने रहना चाहते हो तुम। Hindi 152 Share Shreedhar 27 Mar 2023 · 1 min read फ़ेहरिस्त रक़ीबों की... फ़ेहरिस्त रक़ीबों की, लिखे रहते हो हाथों में, फिर भी मेरे रफ़ीक़ बने रहना चाहते हो तुम। Hindi · Quote Writer · कविता 165 Share Previous Page 3