Dimpal Khari 53 posts Sort by: Latest Likes Views List Grid Previous Page 2 Dimpal Khari 7 May 2018 · 1 min read मेरा बचपन बचपन का जब जिक्र हुआ ताजा हो गई सब यादे। जब निश्छल मन था मेरा अब हो गए झूठे वादे। कभी अश्कों भरी आँखे , कभी हँसते हुए चहरे ।... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 3 654 Share Dimpal Khari 6 May 2018 · 1 min read नारी दुर्दशा जस्टिस फ़ॉर आसिफा का नारा सब ले लेते है, पुनः कांड निर्भया हो जाता फिर कुछ दिन रो लेते है। कौन नहीं जाने उन नरभक्षी हत्यारों को , फिर भी... Hindi · कविता 5 371 Share Dimpal Khari 6 May 2018 · 1 min read मेरी माँ माँ की ममता का कोई मोल नहीं, माँ जैसा कोई अनमोल नहीं । कभी सागर की गहराई सी, कभी पर्वत की ऊँचाई सी। कभी गंगा जैसी सुरसरिता , सब वेदों... Hindi · कविता 4 431 Share Previous Page 2