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रफ्ता रफ्ता हमने जीने की तलब हासिल की
कवि दीपक बवेजा
पर्दा हटते ही रोशनी में आ जाए कोई
कवि दीपक बवेजा
चले हैं छोटे बच्चे
कवि दीपक बवेजा
फूल को,कलियों को,तोड़ना पड़ा
कवि दीपक बवेजा
दिये को रोशननाने में रात लग गई
कवि दीपक बवेजा
दिये को रोशन बनाने में रात लग गई
कवि दीपक बवेजा
सब कुछ छोड़ कर जाना पड़ा अकेले में
कवि दीपक बवेजा
इस बुझी हुई राख में तमाम राज बाकी है
कवि दीपक बवेजा
हर एक शख्स से ना गिला किया जाए
कवि दीपक बवेजा
तूफान सी लहरें मेरे अंदर है बहुत
कवि दीपक बवेजा
आसा.....नहीं जीना गमों के साथ अकेले में
कवि दीपक बवेजा
लिख रहा हूं कहानी गलत बात है
कवि दीपक बवेजा
हर एक अवसर से मंजर निकाल लेता है...
कवि दीपक बवेजा
रेत पर मकान बना ही नही
कवि दीपक बवेजा
खुद का वजूद मिटाना पड़ता है
कवि दीपक बवेजा
एक चिंगारी ही काफी है शहर को जलाने के लिए
कवि दीपक बवेजा
एक चिंगारी ही काफी है शहर को जलाने के लिए
कवि दीपक बवेजा
जितना बर्बाद करने पे आया है तू
कवि दीपक बवेजा
हाथों से कुछ कुछ रिसक रहा है.
कवि दीपक बवेजा
पत्थर को भगवान बना देते हैं
कवि दीपक बवेजा
कुछ कर चले ढलने से पहले
कवि दीपक बवेजा
हमेशा भरा रहे खुशियों से मन
कवि दीपक बवेजा
चमकते चेहरों की मुस्कान में....,
कवि दीपक बवेजा
कोई जिंदगी भर के लिए यूं ही सफर में रहा
कवि दीपक बवेजा
दुख है दर्द भी है मगर मरहम नहीं है
कवि दीपक बवेजा
वक्त के साथ-साथ चलना मुनासिफ है क्या
कवि दीपक बवेजा
फूलों की महक से मदहोश जमाना है...
कवि दीपक बवेजा
रखा जाता तो खुद ही रख लेते...
कवि दीपक बवेजा
हर एक से छूटा है राहों में अक्सर.......
कवि दीपक बवेजा
हर एक मन्जर पे नजर रखते है..
कवि दीपक बवेजा
उसके किरदार की खुशबू की महक ज्यादा है
कवि दीपक बवेजा
तूफान सी लहरें मेरे अंदर है बहुत
कवि दीपक बवेजा
आसा.....नहीं जीना गमों के साथ अकेले में.
कवि दीपक बवेजा
जिंदगी है कि जीने का सुरूर आया ही नहीं
कवि दीपक बवेजा
मेरे दिल मे रहा जुबान पर आया नहीं....,
कवि दीपक बवेजा
पहले पता है चले की अपना कोन है....
कवि दीपक बवेजा
बनाकर रास्ता दुनिया से जाने को क्या है
कवि दीपक बवेजा
कई रात को भोर किया है
कवि दीपक बवेजा
मंजिल का आखरी मुकाम आएगा
कवि दीपक बवेजा
हर रास्ता मुकम्मल हो जरूरी है क्या
कवि दीपक बवेजा
हारे हुए परिंदे को अब सजर याद आता है
कवि दीपक बवेजा
ढलता सूरज वेख के यारी तोड़ जांदे
कवि दीपक बवेजा
ढलता सूरज वेख के यारी तोड़ जांदे
कवि दीपक बवेजा
जो रास्ता उसके घर की तरफ जाता है
कवि दीपक बवेजा
फैलाकर खुशबू दुनिया से जाने के लिए
कवि दीपक बवेजा
दुआ कबूल नहीं हुई है दर बदलते हुए
कवि दीपक बवेजा
लोग आते हैं दिल के अंदर मसीहा बनकर
कवि दीपक बवेजा
एक उड़ती चिड़िया बोली
कवि दीपक बवेजा
कई रंग देखे हैं, कई मंजर देखे हैं
कवि दीपक बवेजा
कभी उगता हुआ तारा रोशनी बांट लेता है
कवि दीपक बवेजा