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इन्सान अपनी बात रखने में खुद को सही साबित करने में उन बातो क
Ashwini sharma
क्यों गम करू यार की तुम मुझे सही नही मानती।
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काश की रात रात ही रह जाए
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सब कहते हैं की मजबूरियाँ सब की होती है ।
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मैं पत्थर की मूरत में भगवान देखता हूँ ।
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मुझे मेरी ""औकात ""बताने वालों का शुक्रिया ।
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समंदर है मेरे भीतर मगर आंख से नहींबहता।।
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जख्म वह तो भर भी जाएंगे जो बाहर से दिखते हैं
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मां के किसी कोने में आज भी बचपन खेलता हैयाद आती है गुल्ली डं
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कोई शक्स किताब सा मिलता ।
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चलो कोशिश करते हैं कि जर्जर होते रिश्तो को सम्भाल पाये।
Ashwini sharma
कुछ लोग मुझे इतना जानते है की मैं भी हैरान हूँ ।
Ashwini sharma
तुमसे अक्सर ही बातें होती है।
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तुम कहती हो की मुझसे बात नही करना।
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मैने यह कब कहा की मेरी ही सुन।
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गलतियाँ करना ''''अरे नही गलतियाँ होना मानव स्वभाव है ।
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क्या हुआ की हम हार गए ।
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मैं अकेला नही हूँ ।
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मैने सूरज की किरणों को कुछ देर के लिये रोका है ।
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खुद से जंग जीतना है ।
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जुर्म तुमने किया दोषी मैं हो गया।
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गर गुनहगार मै हूँ तो गुनहगार तुम भी हो।
Ashwini sharma
*उसकी फितरत ही दगा देने की थी।
Ashwini sharma
*उसकी फितरत ही दगा देने की थी।
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♥️ दिल की गलियाँ इतनी तंग हो चुकी है की इसमे कोई ख्वाइशों के
Ashwini sharma
गर तुम मिलने आओ तो तारो की छाँव ले आऊ।
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जिन्दगी ने आज फिर रास्ता दिखाया है ।
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सावन आने को है लेकिन दिल को लगता है पतझड़ की आहट है ।
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शब्द बहुत शक्तिशाली होते है हालांकि शब्दो के दाँत नही होते ल
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हर इन्सान परख रहा है मुझको,
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क्या हूनर क्या गजब अदाकारी है ।
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जमीर पर पत्थर रख हर जगह हाथ जोड़े जा रहे है ।
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दिल के किसी कोने में अधुरी ख्वाइशों का जमघट हैं ।
Ashwini sharma
मेरे जीवन का सार हो तुम।
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*आज बड़े अरसे बाद खुद से मुलाकात हुई हैं ।
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खुद को खोल कर रखने की आदत है ।
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उसकी फितरत ही दगा देने की थी।
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इन्सान पता नही क्यूँ स्वयं को दूसरो के समक्ष सही साबित करने
Ashwini sharma
कभी कभी लगता है की मैं भी मेरे साथ नही हू।हमेशा दिल और दिमाग
Ashwini sharma
तुम मुझे भूल जाओ यह लाजिमी हैं ।
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अधुरे सपने, अधुरे रिश्ते, और अधुरी सी जिन्दगी।
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समस्याओं से तो वैसे भी दो चार होना है ।
Ashwini sharma
अब नरमी इतनी भी अच्छी नही फितरत में ।
Ashwini sharma
एक छोटी सी तमन्ना है जीन्दगी से।
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मैने थोडी देर कर दी,तब तक खुदा ने कायनात बाँट दी।
Ashwini sharma
क्या बुरा है जिन्दगी में,चल तो रही हैं ।
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उसकी फितरत थी दगा देने की।
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वह समझ लेती है मेरी अनकहीं बातो को।
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ईरादा
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