Rajesh Kumar Kaurav Tag: कविता 122 posts Sort by: Latest Likes Views List Grid Previous Page 3 Rajesh Kumar Kaurav 29 Jun 2017 · 1 min read मन की बात मन मन की सब कोई कहे, दिल की कहे ना कोई। जो कोई दिल की कहे, उसे सुनता नही है कोई। मन पापी मन चोर है, कहते चतुर सुजान। दिल... Hindi · कविता 1 280 Share Rajesh Kumar Kaurav 24 Jun 2017 · 2 min read दुर्गावती की अमर कहानी गढ़ मंडला राज्य की रानी, नाम दुर्गावती वीर मर्दानी। निर्भीक बहादुर वीरांगना थी, जबलपुर था उसकी राजधानी।। बॉदा नरेश कीर्तिसिंह चंदेल की, इकलौती बेटी दुर्गा रानी। जन्माष्टमी को जन्मी वह,... Hindi · कविता 2 1 612 Share Rajesh Kumar Kaurav 18 Jun 2017 · 1 min read झॉसी वाली रानी (बलिदान दिवस ) नाम लक्ष्मी पर दुर्गा थी, मूरत थी स्वाभिमान की।। आज जरूरत फिर भारत में, झॉसी वाली रानी की।। जैसा देश बटा था पहले, राजाओं के अधिकार में। वैसी दलगत राजनीति... Hindi · कविता 1 371 Share Rajesh Kumar Kaurav 23 May 2017 · 1 min read साहित्य की भूमिका साहित्य देता रहा सदा से, दिशा देश अौर समाज को । साहित्यकार बदल देता है, चिन्तन ,चरित्र,व्यवहार को।। राष्ट्र को मिलती रही चेतना, समाज भी चैतन्य होता है। साहित्य सम्पर्क... Hindi · कविता 1 1 956 Share Rajesh Kumar Kaurav 18 May 2017 · 1 min read सच्चा सुख सुख पाने की चाह में, भटक रहा इन्सान। विरले ही पाते इसे, बहुतेरे है अनजान। बढ़ती सुविधा सामग्रियॉ, इन्द्रिय भोग विलास। इन्हें ही सुख मानकर, करता जीवन नास । धन... Hindi · कविता 1 345 Share Rajesh Kumar Kaurav 10 May 2017 · 1 min read प्रथम स्वाधीनता समर प्रथम स्वाधीनता समर अाज भी, घर घर मुँह जवानी है। दस मई सन सन्तावन की गाथा, गौरव पूर्ण कहानी है। सन्तावन के पूर्व भी लडे़ पर, कहा गया हैं दंगाई।... Hindi · कविता 1 650 Share Rajesh Kumar Kaurav 13 Apr 2017 · 1 min read कहाँ है वो भारत कहाँ है वो भारत सोने की चिडि़या। कहाँ वो संस्कृति ललायत थी दुनिया। कहाँ वो देव भूमि राम और कृष्ण की कहाँ वो राजनीत सेवा व धर्म की। कहाँ हैं... Hindi · कविता 2 331 Share Rajesh Kumar Kaurav 10 Apr 2017 · 1 min read कर्म का योग कर्म रहित जीवन नहीं, जी न सकता कोय। कर्म बन्धन के कारण, जीवन - मरण गति होय।। कर्म से दुःख होत हैं, कर्म से मुक्ति होय ।। कर्म बन्धन से... Hindi · कविता 1 375 Share Rajesh Kumar Kaurav 7 Apr 2017 · 1 min read आभार नारी का नारी है सृष्टा की शक्ति, सृष्टि निर्माण की सहभागी। नारी के हैविविध कलेवर, सारी सृष्टि आभारी। माता बन पोषण करती है, संरक्षण अभिवर्धन करती है। वात्सल्य की वर्षा करती, सारी... Hindi · कविता 1 299 Share Rajesh Kumar Kaurav 29 Mar 2017 · 1 min read सृष्टि [29/03, 10:49 AM] A S: मना रही सृष्टि अपना जन्म दिन, सृष्टिकर्ता की चेतनशक्ति को नमन। ज्ञात और अज्ञात सब वही है, एक से अनेक का ही स्फुरण है। युगों... Hindi · कविता 1 297 Share Rajesh Kumar Kaurav 26 Mar 2017 · 1 min read ज्ञान ? सदियों से भटक रहा, ज्ञान की खोज में इंसान। पर मिलता कहाँ संसार में, चैतन्य स्फुरण ही पहचान। वेद क़ो ही कहते ज्ञान, ज्ञान का ही वेद नाम है। चार... Hindi · कविता 1 750 Share Rajesh Kumar Kaurav 25 Mar 2017 · 1 min read नवरात्र साधना पर्व आ गया पर्व साधना का, नवरात्रि के नाम से। शक्ति उपासना करके सुधारे, जीवन लक्ष्य सत्कार्य से। पेट प्रजनन आवास ही, जीवन उद्देश्य नहीं है। करें सत्कर्म साधक बन, आत्मोनन्ति... Hindi · कविता 1 702 Share Rajesh Kumar Kaurav 21 Mar 2017 · 1 min read यह हिन्दुस्तान हैं बेटा नदी किनारे बैठा, खीचता मिटाता रकील। निराशा से भरा मन, बैचेनी का बन प्रतीक। सहसा किसी ने टोका, क्या सोच रहे हो नव जवान। वैसक है कोई उलझन, समस्या से... Hindi · कविता 436 Share Rajesh Kumar Kaurav 13 Mar 2017 · 1 min read जीता कौन नाच और गान में, होली का रंग था। कबीर की वाणी हुर्यारों का संग था। चुनाव सी हलचल हार जीत का प्रशन था। कौन जीता कौन हारा, उलझन का गुरूर... Hindi · कविता 576 Share Rajesh Kumar Kaurav 12 Mar 2017 · 1 min read विजयश्री विजयश्री के जश्न में, बजते ढ़लोक और मृदंग । नृत्य गान रंग गुलाल से , बदल गये सबके रंगढंग। मिला श्रेय जो सौभाग्य है, करने को प्रभु के काज ।... Hindi · कविता 335 Share Rajesh Kumar Kaurav 9 Mar 2017 · 1 min read हुडदंग ह़ोली की साहित्यपीडिया परिवार को , होली की शुभकामना। साहित्य संग्रह कर इतिहास रचा, कर चुनौतियों का सामना। रंग बिरंगी कविताओं को, आश्रय दिया गया है। अनगढ़ रचनाकारो को भी, श्रैष्ट कवियों... Hindi · कविता 380 Share Rajesh Kumar Kaurav 27 Feb 2017 · 1 min read बेंटी को उलाहना बेंटी किसे दूँ उलाहना बता दोषी कौन है। बिगडे़ हालात ससुराल में, फिर भी तू मौन है। कल तक मिलकर रहें, संयुक्त परिवार मे, तेरे जाने क्या हुआ, बिखर गयें... Hindi · कविता 298 Share Rajesh Kumar Kaurav 23 Feb 2017 · 1 min read बेंटियों पर क्या लिखू बेंटियों पर क्या लिखूँ , लिख चुके हजारों लोग। दें दी सारी उपमा , कम पड़ा शब्दकोश। लिखनें को कुछ नही, पुछने मन करता है। ढ़ेर रचनाओं के वाद, क्यो... Hindi · कविता 350 Share Rajesh Kumar Kaurav 21 Feb 2017 · 1 min read पत्रकारिता ? पत्रकारिता हो रही बाजारू, कलम बिकती बाजार में। रसूदखोर प्रशंसा पाते, श्रेय मिलता अखवार में।। रीति युग का प्रचलन, हाबी ह़ोता दिख रहा। अधिकारि व नेताओं की, यश गाथा ही... Hindi · कविता 884 Share Rajesh Kumar Kaurav 5 Feb 2017 · 1 min read युग की पुकार कवि,स्वयं बना खलनायक, कविता लुटी वाजार में। कामुकता पर चली कलम, नारी के श्रृगांर में। सीता को दोषी ठहराया, क्यों अकेली कुटिया में। दुशासन की कर प्रशंसा, दोष द्रोपती पहनाव... Hindi · कविता 288 Share Rajesh Kumar Kaurav 2 Feb 2017 · 1 min read युग संदेश उठों पार्थ,संसय को छोडों, आगें बढ़ अब नाते जोडो़ं। शंखनाद कर सबें बुलाओं, स्वच्छता की बात बताओं। मिलजुल कर सबको है चलना, बाह्य शौंच मुक्त भारत को करना। गली गली... Hindi · कविता 226 Share Rajesh Kumar Kaurav 31 Jan 2017 · 1 min read भटकाव कोयल भटकी अपनी उडा़न में, जा पहुँची कौऔं के गाँव में। ड़री सहमी कुछ ब़ोल न पायी, कौओं ने समझा है बिरादरी का भाई। दुबला गया भूख प्यास उड़ान में,... Hindi · कविता 1 455 Share Previous Page 3