Abhishek Rajhans 78 posts Sort by: Latest Likes Views List Grid Previous Page 2 Abhishek Rajhans 30 Nov 2018 · 2 min read मेरे देश की औरते औरते मेरे देश की औरते बड़ी विचित्रता का बोध कराती है अपने आत्मसम्मान की चिंता किये बिना सब कुछ करती जाती है वो बस सबसे प्रेम करती जाती है अपनो... Hindi · कविता 2 1 306 Share Abhishek Rajhans 27 Nov 2018 · 1 min read ज़िन्दगी रास नहीं आती दर्द से दोस्ती है मेरी खुशियां रास नही आती ओढ़ भले लेता हूँ चादर पर आंखों को नींद नही आती कुछ ऐसा किया है जमाने ने मेरे साथ मौत माँगना... Hindi · कविता 1 3 270 Share Abhishek Rajhans 26 Nov 2018 · 1 min read भूलना नहीं चाहता आज का दिन याद नही करना चाहता संस्मरण में भी उसका अवशेष शेष नही रखना चाहता ये दर्द जो बरसो पहले तड़पा गया था अपनो की आग में अपनों को... Hindi · कविता 3 1 491 Share Abhishek Rajhans 23 Nov 2018 · 1 min read मेरा घर ये घर मुझे अब बियाबान सा लगता है अपना है फिर भी अनजान सा लगता है जहां कभी जन्नत से नजारे थे आज वही घर कब्रिस्तान सा लगता है तारो... Hindi · कविता 1 271 Share Abhishek Rajhans 21 Nov 2018 · 1 min read मेरा गांव बदल रहा है मेरा गांव अब बदल रहा है थोड़ा-थोड़ा सा शहर हो रहा है काका ,मामा, फूफा -फूफी अंकल-आंटी हो रहे हैं गुड़ के ढेलियों की जगह कुरकुरे-मैग्गी ले रहे हैं बच्चे... Hindi · कविता 3 1 595 Share Abhishek Rajhans 21 Nov 2018 · 1 min read मुमकिन है मुमकिन है कि ख़ुदा मिल जाए जो ख़ुदा न मिले तो तुम मिल जाओ तुम मेरे लिए ख़ुदा बन जाओ मुमकिन है कि मोहब्बत फिर किसी से हो जाए दिल... Hindi · कविता 2 1 269 Share Abhishek Rajhans 18 Nov 2018 · 1 min read कहने को तो ज़िंदा हूँ कहने को तो ज़िंदा हूँ बिन पंखों के उड़ता परिंदा हूँ कुछ दिखाई नही देता है मुझे मैं तेरे इश्क़ में आँख वाला अंधा हूँ नींदों का हिसाब हो गया... Hindi · कविता 270 Share Abhishek Rajhans 16 Nov 2018 · 1 min read मैं बस मैं बनकर रहना चाहता हूँ मैं बस मैं बनकर रहना चाहता हूँ अभावो की गोद में पला हूँ दिन के उजाले को जीने के लिए रात-रात भर जागना चाहता हूँ अब आईने में खड़ा हो... Hindi · कविता 1 273 Share Abhishek Rajhans 15 Nov 2018 · 1 min read भूल जाना जरूरी होता है कभी-कभी खुद को फैलाने के लिए अपने अतीत को समेटना जरूरी होता है जलते हुए आग से राख तो निकलेंगे हीं उन राखो से अपने हाथ बचाना जरूरी होता है... Hindi · कविता 2 2 275 Share Abhishek Rajhans 12 Nov 2018 · 1 min read तुम लौट आओ ना मैं आज भी हूँ वही जहां ठहरा था वक़्त भी तेरे -मेरे लिए सिफारिशें कर रही है हवाएं फिर आज जैसे बहका गई थी तुम्हारे केशो को हवाओं ने फिर... Hindi · कविता 1 495 Share Abhishek Rajhans 11 Nov 2018 · 1 min read वो मेरी दोस्त वो दोस्त मेरी मुझे औरो से कुछ अलग सी लगती है मैं उससे कैसे कहूँ वो मुझे मेरे जिस्म में रूह जैसी लगती है उसके जन्मदिन पर दुआएं दूँ या... Hindi · कविता 3 234 Share Abhishek Rajhans 7 Nov 2018 · 1 min read मुझे न याद आया इस शहर की रोशनी में मैं माटी के दिये जलाना भूल आया मोमबत्तियों को कहीं यूँ ही सिसकती छोड़ आया मैं अपने गांव का घर कहीं पीछे गुम कर आया... Hindi · कविता 3 432 Share Abhishek Rajhans 7 Nov 2018 · 1 min read प्यार होता है क्या प्यार होता है क्या मैं नही जानता कोई बादल बिगडैल जब आसमां छोड़ कर धरा से मिल जाए प्यार शायद वहीं फिर से शुरू हो जाये कही नाचते रहे मोर... Hindi · कविता 3 3 434 Share Abhishek Rajhans 6 Nov 2018 · 1 min read भीड़ भीड़ कहाँ किसी की होती है जब वो सामने होती है तो जयकारे लगाती है जब वो पीछे होती है जान ले के ही जाती है भीड़ को अपनी आंख... Hindi · कविता 3 2 260 Share Abhishek Rajhans 3 Nov 2018 · 1 min read माँ को लगता है माँ को लगता है बेटा उसकी फ़िक्र नहीं करता पर वो नहीं जानती जब वो नंगे पाँव चलकर अपने पैर में कुछ चुभो लेती है तो दर्द बेटे को भी... "माँ" - काव्य प्रतियोगिता · कविता 4 35 620 Share Abhishek Rajhans 15 Apr 2018 · 1 min read तुम्हारे बाद भी शीर्षक -- तुम्हारे बाद भी तुम्हारे जाने के बाद भी कुछ नहीं बदलेगा यहाँ फिर कोई इंसान के खाल ओढ़े दरिंदा नोच खायेगा किसी बच्ची के जिस्म को अखबार वाले... Hindi · कविता 1 239 Share Abhishek Rajhans 13 Apr 2018 · 2 min read कहाँ है हमारा संविधान शीर्षक--कहाँ है हमारा संविधान देखिये भाईयो और बहनों हम सब भारतवासी ही है सबसे बड़ा लोकतंत्र है हमारा क़ानून की किताब भी है भैया अरे वही जिसे हम संविधान कहते... Hindi · कविता 1 431 Share Abhishek Rajhans 6 Apr 2018 · 1 min read मैं फिर आऊँगा शीर्षक--मैं फिर आऊंगा मैं फिर आऊंगा तुम्हारे सपनो में तुम्हे नींद से जगाने या तुम्हारी नींद चुराने मैं फिर आऊंगा बादल बन तुम्हे खुद में भीगाने या फिर खुद में... Hindi · कविता 2 1 290 Share Abhishek Rajhans 25 Mar 2018 · 1 min read आओ राम बने शीर्षक--आओ राम बने राम वर्णन निज मैं कैसे करूँ सीता-राम मैं नित सुमिरन करूँ जो राम देखूँ तो फिर और क्या देखूँ राम को तो बस राम ही में देखूं... Hindi · कविता 1 260 Share Abhishek Rajhans 8 Mar 2018 · 1 min read ये वक़्त है कौन यहाँ किसका अपना है ये वक़्त है जो कभी दिखाता सपना है कभी दिखाता आईना है जो आज राजा बने घूमते है उन्हें क्या पता वक़्त का ऊंट किस... Hindi · कविता 1 251 Share Abhishek Rajhans 3 Mar 2018 · 1 min read माँ को लगता है... माँ को लगता है बेटा उसकी फ़िक्र नहीं करता पर वो नहीं जानती जब वो नंगे पाँव चलकर अपने पैर में कुछ चुभो लेती है तो दर्द बेटे को भी... Hindi · कविता 1 205 Share Abhishek Rajhans 3 Mar 2018 · 1 min read बचपन वाली होली याद आती है आज वर्षो बाद वो बचपन वाली होली जब माँ निपती थी आँगन को गोबर से मिट्ठी के चूल्हे पे छनते थे मालपुए और सारे बच्चे घर के... Hindi · कविता 2 571 Share Abhishek Rajhans 1 Mar 2018 · 1 min read है मुझे भी इंकार प्रिये शीर्षक-है मुझे भी इंकार प्रिये जब मैं बीच समन्दर मझदार में था जब लहरों में बिन पतवार था जब वक़्त मेरा ,तेरे इंतज़ार में था था तुझे इंकार प्रिये था... Hindi · कविता 2 436 Share Abhishek Rajhans 1 Mar 2018 · 1 min read भूल नहीं पाता तुम्हे शीर्षक-भूल नहीं पाता तुम्हे आज भी घर के बरामदे में बैठ अपने चश्मे को पोछता हुआ मैं इंतज़ार कर रहा तुम्हारा हवा बहती हुई जब पर्दों को उड़ा ले जाती... Hindi · कविता 2 422 Share Abhishek Rajhans 28 Feb 2018 · 1 min read लक्ष्य संधान हो.... शीर्षक–लक्ष्य संधान हो… बहुत हुआ अपरिचित हो कर जीवन जीना अब कोई मनुष्य व्यर्थ न हो निज जीवन का कोई तो अर्थ हो हर जीवन चरित्र को गुणगान हो बस... Hindi · कविता 2 361 Share Abhishek Rajhans 28 Feb 2018 · 1 min read अगर मैं लड़की होता शीर्षक–अगर मैं लड़की होता अगर मैं लड़की होता तो क्या सबकुछ होता ऐसा जैसा होता आया है क्या माँ मुझे भी मेरे भाई जितना प्यार मुझे भी देती मुझे अपनी... Hindi · कविता 2 278 Share Abhishek Rajhans 4 May 2017 · 1 min read वो हमारी पहली मुलाकात थी वो हमारी पहली मुलाकात थी हिचकिचाहट से भरी वो बात थी चाँद निकला था पुरे सबाब पे वो हमारी चांदनी रात थी वो हमारी पहली मुलाकात थी चाय से शुरू... Hindi · कविता 2 697 Share Abhishek Rajhans 4 May 2017 · 1 min read वो अबोध शीर्षक-वो अबोध वो अबोध पतले उसके हाथ पैर बेजान सी उसकी काया उम्र सात साल की मासूमियत से भरी उसकी आँखे आँखों में चंद सिक्के पाने की चाहत उस चाहत... Hindi · कविता 1 1 258 Share Previous Page 2