Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
Page 107
..
..
*प्रणय प्रभात*
4046.💐 *पूर्णिका* 💐
4046.💐 *पूर्णिका* 💐
Dr.Khedu Bharti
4045.💐 *पूर्णिका* 💐
4045.💐 *पूर्णिका* 💐
Dr.Khedu Bharti
..
..
*प्रणय प्रभात*
मेरे दुःख -
मेरे दुःख -
पूर्वार्थ
जिसको जीवन का केंद्र मान कर प्रेम करो
जिसको जीवन का केंद्र मान कर प्रेम करो
पूर्वार्थ
समाज का आइना
समाज का आइना
पूर्वार्थ
मैने देखा है लोगों को खुद से दूर होते,
मैने देखा है लोगों को खुद से दूर होते,
पूर्वार्थ
जीवन है कोई खेल नहीं
जीवन है कोई खेल नहीं
पूर्वार्थ
.पुराना कुछ भूलने के लिए
.पुराना कुछ भूलने के लिए
पूर्वार्थ
4044.💐 *पूर्णिका* 💐
4044.💐 *पूर्णिका* 💐
Dr.Khedu Bharti
4043.💐 *पूर्णिका* 💐
4043.💐 *पूर्णिका* 💐
Dr.Khedu Bharti
चुरा लो हसीन लम्हो को उम्र से, जिम्मेदारियां मोहलत कब देती ह
चुरा लो हसीन लम्हो को उम्र से, जिम्मेदारियां मोहलत कब देती ह
$úDhÁ MãÚ₹Yá
..
..
*प्रणय प्रभात*
निवास
निवास
Rambali Mishra
दोहा
दोहा
गुमनाम 'बाबा'
4042.💐 *पूर्णिका* 💐
4042.💐 *पूर्णिका* 💐
Dr.Khedu Bharti
GM
GM
*प्रणय प्रभात*
4041.💐 *पूर्णिका* 💐
4041.💐 *पूर्णिका* 💐
Dr.Khedu Bharti
दोहे
दोहे
गुमनाम 'बाबा'
एक दिन एक बुजुर्ग डाकिये ने एक घर के दरवाजे पर दस्तक देते हु
एक दिन एक बुजुर्ग डाकिये ने एक घर के दरवाजे पर दस्तक देते हु
Rituraj shivem verma
*अर्जुन का सौभाग्य सारथी, उसने कृष्ण बनाए (गीत)*
*अर्जुन का सौभाग्य सारथी, उसने कृष्ण बनाए (गीत)*
Ravi Prakash
दोहा
दोहा
गुमनाम 'बाबा'
" फर्क "
Dr. Kishan tandon kranti
डमरू घनाक्षरी
डमरू घनाक्षरी
Rambali Mishra
न रंग  था न  रूप  था  खरीददार  थे मिले।
न रंग था न रूप था खरीददार थे मिले।
रामनाथ साहू 'ननकी' (छ.ग.)
हो कहीं न कहीं ग़लत रहा है,
हो कहीं न कहीं ग़लत रहा है,
Ajit Kumar "Karn"
दण्डक
दण्डक
रामनाथ साहू 'ननकी' (छ.ग.)
डमरू वर्ण पिरामिड
डमरू वर्ण पिरामिड
Rambali Mishra
चलने का नाम ज़िंदगी है
चलने का नाम ज़िंदगी है
Sonam Puneet Dubey
ये ईश्वर की दया-दृष्टि ही तो है
ये ईश्वर की दया-दृष्टि ही तो है
Ajit Kumar "Karn"
समय जो चाहेगा वही होकर रहेगा...
समय जो चाहेगा वही होकर रहेगा...
Ajit Kumar "Karn"
एक लम्बा वक्त गुजर गया जाने-अनजाने में,
एक लम्बा वक्त गुजर गया जाने-अनजाने में,
manjula chauhan
जब विस्मृति छा जाती है, शाश्वतता नजर कहाँ आती है।
जब विस्मृति छा जाती है, शाश्वतता नजर कहाँ आती है।
Manisha Manjari
मैं मजहबी नहीं
मैं मजहबी नहीं
VINOD CHAUHAN
4040.💐 *पूर्णिका* 💐
4040.💐 *पूर्णिका* 💐
Dr.Khedu Bharti
4039.💐 *पूर्णिका* 💐
4039.💐 *पूर्णिका* 💐
Dr.Khedu Bharti
हमें मजबूर किया गया 'अहद-ए-वफ़ा निभाने के लिए,
हमें मजबूर किया गया 'अहद-ए-वफ़ा निभाने के लिए,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
जटिलताओं के आगे झुकना
जटिलताओं के आगे झुकना
VINOD CHAUHAN
4038.💐 *पूर्णिका* 💐
4038.💐 *पूर्णिका* 💐
Dr.Khedu Bharti
#क़तआ (मुक्तक)
#क़तआ (मुक्तक)
*प्रणय प्रभात*
मुहब्बत का इज़हार मांगती ज़िंदगी,
मुहब्बत का इज़हार मांगती ज़िंदगी,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
4034.💐 *पूर्णिका* 💐
4034.💐 *पूर्णिका* 💐
Dr.Khedu Bharti
कोई तो है जो मुझे झरोखे से झांकता है,
कोई तो है जो मुझे झरोखे से झांकता है,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
किसी ने प्रेरित किया है मुझे
किसी ने प्रेरित किया है मुझे
Ajit Kumar "Karn"
कैद है तिरी सूरत आँखों की सियाह-पुतली में,
कैद है तिरी सूरत आँखों की सियाह-पुतली में,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
!!!! सब तरफ हरियाली!!!
!!!! सब तरफ हरियाली!!!
जगदीश लववंशी
कोरोना कविता
कोरोना कविता
Mangu singh
जुगनूओं से कह दो, रात बड़ी बामशक्कत गुजरेगी,
जुगनूओं से कह दो, रात बड़ी बामशक्कत गुजरेगी,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
आज  का  ज़माना  ही  ऐसा  है,
आज का ज़माना ही ऐसा है,
Ajit Kumar "Karn"
Page 107
Loading...