Shyam Sundar Subramanian Language: Hindi 1121 posts Sort by: Latest Likes Views List Grid Previous Page 9 Next Shyam Sundar Subramanian 24 Oct 2022 · 1 min read नव दीपोत्सव कामना पावन पर्व का दीपक मानस पटल के तम को दूर करे , अंतस्थ नकारात्मता नष्ट कर सकारात्मकता विकसित करे , द्वेष ,दुर्भावना , दुराग्रह को समाप्त कर परस्पर प्रेम, सौहार्द... Hindi · कविता 2 2 364 Share Shyam Sundar Subramanian 21 Oct 2022 · 1 min read सिलसिला बंद दरवाज़ों के पीछे की सिसकियां कुछ सवाल छोड़ जातीं हैं, मज़लूमों पर ज़ुल्म़तों की कुछ अनकही अनसुलझी दास्तां पेश कर जातीं है, तवारीख़ के सियाह पन्नों पर कुछ अनमिटे... Hindi · कविता 1 202 Share Shyam Sundar Subramanian 20 Oct 2022 · 1 min read हक़ीक़त आदमी कितना लाचार है , सब कुछ हासिल करने पर भी, कुदरत के हाथो बेज़ार है, दौलत लुटाकर भी ज़िदगी के दो पल खरीद नही सकता , भरसक कोशिश करने... Hindi · कविता 2 278 Share Shyam Sundar Subramanian 14 Oct 2022 · 1 min read जड़त्व कृपण दान के महत्व को नहीं जानता, भाग्यवादी कर्म के महत्व को नहीं जानता, भौतिकवादी आध्यात्म के महत्व को नहीं जानता, उदासीन सद्भावना के महत्व को नहीं जानता, बुद्धिहीन व्यावहारिक... Hindi 3 252 Share Shyam Sundar Subramanian 13 Oct 2022 · 1 min read परिणति वो जो है कुछ दबा दबा हुआ सा , कसमसाता, अंतस्थ उद्विग्न भावनाओं के भंवर में डूबता उभरता हुआ सा , आंतरिक द्वंद के चक्र में उलझा हुआ सा, बाह्य... Hindi · कविता 4 239 Share Shyam Sundar Subramanian 12 Oct 2022 · 1 min read अर्थहीन उस ज्ञान का क्या लाभ जो पुस्तकों में बंदी होकर रह जाए, उस धन का क्या लाभ जो तिजोरी में बंद होकर रह जाए, उस सद्भावना का क्या लाभ जो... Hindi 9 10 274 Share Shyam Sundar Subramanian 12 Oct 2022 · 1 min read पहलू-ब-पहलू कुछ लोग गिर- गिर कर संभलते है , कुछ लोग संभल- संभल कर भी गिर जाते हैं , कुछ दूसरों की सोच पर चलते हैं , कुछ अपनी सोच पर... Hindi · कविता 2 4 296 Share Shyam Sundar Subramanian 11 Oct 2022 · 1 min read एहसास-ए-हक़ीक़त इन साफ -शफ़्फ़ाफ़ कपड़ो के पीछे छुपे मैले दिल को तो देखो, मैले कपड़ों के पीछे पैवस्त इस दिल के हीरे को तो देखो, भटकते रहे ज़िंदगी भर झूठ के... Hindi · कविता 1 238 Share Shyam Sundar Subramanian 7 Oct 2022 · 1 min read बात कुछ कहते कहते, कुछ सुनते सुनते , उम्र बीत गई ,कुछ सहते सहते, बात कभी बन गई ,कभी बिगड़ गई, कभी बतंगड़ बन गई, कुछ कही, कभी अनकही, दूर तक... Hindi · कविता 5 4 353 Share Shyam Sundar Subramanian 3 Oct 2022 · 1 min read तितली तितली उड़ी उड़ उड़ कर फूल फूल पर बैठती आगे बढ़ी , छोटी मुन्नी उसके पीछे उसे पकड़ने दौड़ी दौड़ दौड़ कर थकी , रंगबिरंगी तितलियाँ मुन्नी को बहुत भातीं... Hindi · बाल कविता 2 228 Share Shyam Sundar Subramanian 3 Oct 2022 · 1 min read गोलू भालू छोटा छोटा भालू का बच्चा , गोलू गोलू लगता कितना अच्छा ,, अपनी मम्मी का वो दुलारा, मुन्नी को भी लगता प्यारा , एक जगह पर नही बैठता, इधर उधर... Hindi · बाल कविता 268 Share Shyam Sundar Subramanian 29 Sep 2022 · 1 min read त'अम्मुल(पशोपेश) सरगर्मी -ए- फिज़ा में ज़ेहनी -कशमकश जारी है , हर शख़्स बेचैन है, एहसास -ए- जुनूँ तारी है, बाहम गुफ़्तगू में मसअलों पर मशवरे भारी हैं, अजीब हालात है ,... Hindi · कविता 1 242 Share Shyam Sundar Subramanian 25 Sep 2022 · 1 min read मेरी दिव्य दीदी - एक श्रृद्धांजलि धैर्य , त्याग एवं शान्ति की प्रतिमूर्ति , मेरे जीवन का संबल मेरी प्रेरणा शक्ति , मेरी शिक्षक , मेरी संकटमोचक, मेरी पथप्रदर्शक , संस्कारों नैतिक मूल्यों से पोषित उसका... Hindi · कविता 2 422 Share Shyam Sundar Subramanian 23 Sep 2022 · 1 min read राजू श्रीवास्तव - एक श्रृद्धांजली वो हंसमुख चेहरा, वो हंसी का पिटारा , खुशियाँ सबको लुटाता, सबका वो प्यारा, पल भर का उसका साथ, सारे गम भुलाता , जीवन के हर क्षण में, वो हंसी... Hindi · कविता 5 2 355 Share Shyam Sundar Subramanian 9 Sep 2022 · 1 min read राजनीति का सर्कस राजनीति का सर्कस कुछ समझ में नहीं आता है, कभी इस पार्टी से कभी उस पार्टी में जमूरा खिसक जाता है, कभी करोड़ों की बोली का है प्रलोभन , कभी... Hindi · कविता 3 4 286 Share Shyam Sundar Subramanian 7 Sep 2022 · 1 min read आव्हान उषा किरणों ने अलसाई हुई कलियों से कहा उठो खिलो, अपनी मुस्कान से नवदिवस का अभिनंदन करो , अतीत के तम के अवसान का संदेश प्रस्तुत करो , नवविचारों ,नवसंभावनाओं... Hindi · कविता 2 2 375 Share Shyam Sundar Subramanian 5 Sep 2022 · 1 min read ए'तिराफ़-ए-'अहद-ए-वफ़ा दर्दे दिल दे गया वो ही , मेरी वफ़ाओं का सिला दे गया वो ही, चाहा था जिसे हमने ज़िंदगी से बढ़कर , चला गया मुंह फेर वो ही अजनबी... Hindi · कविता 1 2 264 Share Shyam Sundar Subramanian 1 Sep 2022 · 1 min read कटुसत्य धर्म निरपेक्ष राष्ट्र का संकल्पित भाव परिकल्पना बनकर रह गया है , समाजवाद का नारा शनैः शनैः पूंजीवाद में बदल रहा है , जनप्रतिनिधियों का चुनाव जहां जाति एवं धर्म... Hindi · कविता 5 4 383 Share Shyam Sundar Subramanian 29 Aug 2022 · 1 min read आग़ाज़ आजकल यह क्या हो गया है ? आदमी क्या कठपुतली या जमूरा बन गया है ? जो अपने आकाओं के इशारों पर नाचता फिर रहा है , खुदगर्ज़ी में डूबा... Hindi · कविता 1 2 158 Share Shyam Sundar Subramanian 28 Aug 2022 · 1 min read आस्था ये दिल मांगता है जिससे दुआ , क्या उस तक पहुंचेगी मेरी सदा ? उसकी हस्ती है कहां ? मैं उसे ढूंढू ज़मीं में , या फिर आसमां में ,... Hindi · कविता 1 2 370 Share Shyam Sundar Subramanian 26 Aug 2022 · 1 min read जज़्बा ग़र्दिश -ए-अय्याम में कोई भी सहारा न था , इस सफर में कोई भी हम-नफ़स, न हम-नवा था , चारों तरफ तीरगी थी, रोश़न श़ु'आ' का कोई निशां न था... Hindi · कविता 2 4 246 Share Shyam Sundar Subramanian 4 Aug 2022 · 1 min read मूकदर्शक आजकल मैं देखता हूं सभी कल्पना लोक में जी रहे हैं , वास्तविकता को नकार , तथ्यों को झुठला, झूठ की पैरवी कर रहे हैं , यथार्थ का कधन कड़वा... Hindi · कविता 5 6 403 Share Shyam Sundar Subramanian 31 Jul 2022 · 1 min read दुविधा उस दिन एक युवा से बातचीत करने का अवसर मिला , वर्तमान परिपेक्ष पर चर्चा करने पर उसने कहा , आजीविका कमाने का उद्देश्य उसके लिए सर्वोपरि है , अन्य... Hindi · कविता 2 4 306 Share Shyam Sundar Subramanian 28 Jul 2022 · 1 min read प्रश्न चिन्ह राष्ट्र की धमनियों में द्वेष एवं घृणा रूपी विष का प्रभाव प्रकट हो रहा है , जो रह- रह कर उत्तेजक वैमनस्य प्रेरित प्रलापों एवं नृसंश हत्याओं में प्रस्तुत हो... Hindi 1 6 418 Share Shyam Sundar Subramanian 26 Jul 2022 · 1 min read व्यावहारिक सत्य कुछ समझ में नहीं आता क्या गलत है ? क्या सही ? सही को गलत सिद्ध किया जाता है , और गलत को सही , अब तो यही लगता है... Hindi · कविता 2 4 517 Share Shyam Sundar Subramanian 24 Jul 2022 · 1 min read आत्मज्ञान कुछ तो है अंदर छुपा हुआ , जो हम अब तक जान न पाए, खुद के अंदर झांककर ,अभी तक पहचान ना पाए, इधर उधर ढूंढते रहे , कहां छुपा... Hindi · कविता 3 4 500 Share Shyam Sundar Subramanian 21 Jul 2022 · 1 min read नियमन सुबह की किरणों ने आकर मुझे जगाया, कहा भोर हो गई, उठो, सूरज उग आया , मैं उनींदा सा उठा, तो सामने मुस्कुराती किरणों को पाया , मैंने कहा, नाहक... Hindi · कविता 3 2 203 Share Shyam Sundar Subramanian 19 Jul 2022 · 1 min read बग़ावत राख़ को खाक़ न समझो, इसमें अब भी कोई दबी चिंगारी बाकी है , भड़केगी जब शोला बनकर कहर बरपा जाएगी , Hindi · कोटेशन 4 2 400 Share Shyam Sundar Subramanian 19 Jul 2022 · 1 min read नज़रिया नजर से क्या देखते हो नज़रिए से देखो, असल और वहम के फ़र्क का इल्म़ हो जाएगा, Hindi · कोटेशन 1 2 256 Share Shyam Sundar Subramanian 19 Jul 2022 · 1 min read अदना अपने कद को बड़ा समझ दूसरे को अदना मानते हो, भूल जाते हो ऊंचाई से दिखने में सब छोटे ही नजर आते हैं, Hindi · कोटेशन 3 4 276 Share Shyam Sundar Subramanian 19 Jul 2022 · 1 min read मोहब्बत-ए-यज़्दाँ ( ईश्वर - प्रेम ) खौफ़ -ए-खुद ना कर , खुदा से मोहब्बत कर, जाँ बचाने वाला कभी हस्ती मिटाता नहीं , Hindi · कोटेशन 1 2 348 Share Shyam Sundar Subramanian 18 Jul 2022 · 1 min read कोशिश कुछ कहना चाहता हूं पर कह नहीं सकता, कुछ करना चाहता हूं पर कर नहीं सकता , ज़ुबाँ पर ताले हालातों ने लगा दिए हैं, ज़माने की बंदिश ने हाथ... Hindi · कविता 3 10 427 Share Shyam Sundar Subramanian 16 Jul 2022 · 1 min read क़ौल ( प्रण ) फ़िरक़ा-परस्ती का जुनून जमाने में इस कदर हावी है, हैवानियत सर चढ़कर बोल रही इंसानियत पर भारी है , बातों ही बातों में इंसाँ दहशतगर्दी और खूँरेज़ी पर उतर आता... Hindi · कविता 5 10 359 Share Shyam Sundar Subramanian 5 Jul 2022 · 1 min read जीवन संगीत समय के आगार पर मानव क्षण भर का मेहमान है , सांसों के तार पर रचित जीवन संगीत के धुनों की पहचान है , कभी मिलन ,कभी विरह , कभी... Hindi · कविता 1 2 407 Share Shyam Sundar Subramanian 27 Jun 2022 · 1 min read कर्मगति कर्मप्रधान यथार्थ के धरातल पर सफलता सुनिश्चित होती है , कर्मविहीन अभिलाषाओं एवं आकांक्षाओं की परिणति निराशा में होती है , माया का चक्रजाल लालसा एवं लोलुपता को जन्म देता... Hindi · कविता 1 2 308 Share Shyam Sundar Subramanian 24 Jun 2022 · 1 min read धार्मिक आस्था एवं धार्मिक उन्माद ! धार्मिक आस्था जब धार्मिक उन्माद में परिवर्तित होती है, तो मनुष्य को अधोगति की ओर अग्रसर कर उसके विनाश का कारण बनती है। Hindi · कोटेशन 3 490 Share Shyam Sundar Subramanian 20 Jun 2022 · 1 min read एहसासात कभी उफ़क में डूबते हुए मेहर को देखता हूं , कभी च़रागों से ऱोशन झरोखों को देखता हूं, कभी श़ब -ए- माहौल में खामोश क़मर के सफ़र को देखता हूं... Hindi · कविता 1 2 322 Share Shyam Sundar Subramanian 30 May 2022 · 1 min read किंकर्तव्यविमूढ़ राजनीति जब से धर्म से जुड़ गई हैं , तब से धर्मांधता राष्ट्रवाद का पर्याय बन गया है, जनता को समस्याओं से भटका, अतीत को उखाड़ भावनाओं को भड़का, राजनैतिक... Hindi · कविता 2 2 658 Share Shyam Sundar Subramanian 27 May 2022 · 1 min read तजर्रुद (विरक्ति) इस सरगर्मी -ए - माहौल से दूर हो जाना चाहता हूं , खुद को भुलाकर तन्हाइयों मे खो जाना चाहता हूं , इंसानियत के मुखौटे पहने ये चेहरे मुझे रास... Hindi · कविता 2 4 380 Share Shyam Sundar Subramanian 16 May 2022 · 1 min read दुविधा सोचते हैं कुछ और कुछ हो जाता है , खोजते हैं कुछ और कुछ खो जाता है , होता है कुछ और कुछ नज़र आता है , समझते हैं कुछ... Hindi · कविता 2 7 318 Share Shyam Sundar Subramanian 11 May 2022 · 1 min read मजदूर की अंतर्व्यथा मैं उस बेबस लाचार मजदूर को देखता हूं, जो रोज सुबह सवेरे चौराहे पर इकट्ठी दिहाड़ी मजदूरों की भीड़ का हिस्सा बनता है, अपनी बारी आने का इंतज़ार करता है... Hindi · कविता 3 8 938 Share Shyam Sundar Subramanian 28 Apr 2022 · 3 min read स्मृति चिन्ह उस दिन शहर में यही चर्चा थी कि मंत्रीजी का वफादार कुत्ता मर गया है । मंत्रीजी के घर में शोक संवेदना प्रकट करने वालों का तांता बंध गया था।... Hindi · लघु कथा 593 Share Shyam Sundar Subramanian 24 Apr 2022 · 1 min read वो वो एक अजनबी सा झोंका बनकर जिंदगी में आया , अलम भरे लम्ह़ों को अपनी मौजूदगी से खुश़गवार बना चला गया , ज़ेहन में पैव़स्त अब्र उन मस़र्रत भरे पलों... Hindi · कविता 442 Share Shyam Sundar Subramanian 24 Apr 2022 · 1 min read सच का सामना दूसरों में ख़ामी क्या ढूंढते फिरते हो, अपनी ख़ुदी को टटोलकर तो देखो, गैरों के दाम़न के दाग़ों को उजागर करने की कोशिश में लगे हो, अपने गिरेबाँ की असलिय़त... Hindi · कविता 3 4 755 Share Shyam Sundar Subramanian 19 Apr 2022 · 1 min read पितृ ऋण याद आते है, बचपन के वो दिन, जब उनकी उँगली पकड़ हम सैर पर जाते , रास्ते भर बतियाते जाते, हर कौतूहल भरे प्रश्नों का उनसे उत्तर पाते , धीरे-धीरे... “पिता” - काव्य प्रतियोगिता एवं काव्य संग्रह · कविता 23 44 920 Share Shyam Sundar Subramanian 6 Apr 2022 · 1 min read कश्मकश-ए-हयात चाहत के च़रागों से दिल के झरोख़ों को हम ऱोशन करते रहे, हालातों के झोंके उन्हें बार-बार बुझाते रहे, माज़ी के अब्र ज़ेहन मे उभरते थमते ग़ुम होते रहे, हर... Hindi · कविता 1 2 166 Share Shyam Sundar Subramanian 29 Mar 2022 · 1 min read क़त्बा कल हर क़ब्र पर ये क़त्बा लिखा जाएगा , इंसांनियत यहां दफ़्न है , इंसाँ कभी इंसांनियत को ज़िंदा ना रख पाएगा , हैवानियत के जहाँ में हमेशा हैवान पैदा... Hindi · कविता 2 4 168 Share Shyam Sundar Subramanian 28 Mar 2022 · 1 min read हक़ीक़त हालाते हाज़िरा का तज़क़िरा एक खबरनवीस ने इस तरह पेश किया , गुज़िश्ता बरसों पहले जुल्मो तश़द्दुत की खबर का इस क़दर असर है , अवाम बेचैन कश्मकश के दौर... Hindi · कविता 3 6 191 Share Shyam Sundar Subramanian 26 Mar 2022 · 1 min read चन्द एहसासात बादलों के रुख से सैलाब का अंदेशा होता है , हवाओं के रुख से तूफान का संदेशा होता है , परिंदों की ग़ुमसुम़ चुप्पी आने वाले क़हर का पयाम होता... Hindi · शेर 2 2 342 Share Shyam Sundar Subramanian 22 Mar 2022 · 1 min read जीवन का गणित अपने वर्तमान को बचाकर उसमे से अतीत को घटाकर, उसमें भविष्य के लिए प्रयास को जोड़ना, 'जीवन का गणित' है। Hindi · कोटेशन 1 4 359 Share Previous Page 9 Next