विवेक दुबे "निश्चल" Tag: मुक्तक 77 posts Sort by: Latest Likes Views List Grid Previous Page 2 विवेक दुबे "निश्चल" 21 Mar 2018 · 1 min read छल जाता जन होने को बहुत कुछ होता है । जो दिखता वो कहाँ होता है । छला जाता जन हर बार ही , जो होता है वो कहाँ होता है । ....... Hindi · मुक्तक 214 Share विवेक दुबे "निश्चल" 19 Mar 2018 · 1 min read मिलते नही मुक़ाम शिकायत शराफत बनी अब तो । अदावत इनायत बनी अब तो । मिलते नही मुकाम रास्तो के , रास्ते ही मंज़िल बनी अब तो । .... विवेक दुबे"निश्चल"@... Hindi · मुक्तक 455 Share विवेक दुबे "निश्चल" 16 Mar 2018 · 1 min read चाह मायूस सुबह ख़ामोश रात थी । अश्क़ से भरी हर आह थी । थे दामन में सितारे तो बहुत, चाँद की मगर मुझे चाह थी । .... विवेक दुबे"निश्चल"@... Hindi · मुक्तक 200 Share विवेक दुबे "निश्चल" 13 Mar 2018 · 1 min read पूछते हैं चुरा कर अहसास मेरे , मुझसे अंदाज़ पूछते हैं । जज़्ब कर जज़्बात मेरे , मुझसे अल्फ़ाज़ पूछते हैं । .... विवेक दुबे"निश्चल"@... Hindi · मुक्तक 525 Share विवेक दुबे "निश्चल" 11 Mar 2018 · 1 min read ज़िन्दगी साथ होंसले हर दम न थे । ग़म ज़िन्दगी के कम न थे । ज़िन्दगी थी कदम कदम , ज़िन्दगी सँग हम न थे । .... विवेक दुबे"निश्चल"@.. Hindi · मुक्तक 367 Share विवेक दुबे "निश्चल" 7 Mar 2018 · 1 min read बुत कह पुकारा उसने शिद्दत से पुकारा जिसने । इल्म सा सराहा जिसने । गढ़ कर निगाहों से मुझे , बुत कह पुकारा उसने । .... विवेक दुबे"निश्चल"@.. Hindi · मुक्तक 180 Share विवेक दुबे "निश्चल" 7 Mar 2018 · 1 min read तोहमतों से कुछ शोहरत मिली तोहमतों से । कुछ मोहब्बत मिली अदावतों से । मगरूर न थी मगर ज़िंदगी मेरी , कुछ नजदीकियाँ मिलीं ज़िंदगी से । ... विवेक दुबे"निश्चल@.. Hindi · मुक्तक 227 Share विवेक दुबे "निश्चल" 7 Mar 2018 · 1 min read फाँसले कम न रहे जागते तुम भी रहे। जागते हम भी रहे । दूर थे नही मगर , फाँसले कम न रहे । .... विवेक दुबे"निश्चल"@... Hindi · मुक्तक 166 Share विवेक दुबे "निश्चल" 4 Mar 2018 · 1 min read ग़ुरबत उसकी ग़ुरबत थी उसकी कुछ अपनी । निग़ाह यार क्यों बदल गया । रंग लगे थे फीके फीके सभी , हर रंग बैरंग उसे कर गया । ..... विवेक दुबे"निश्चल"@.. Hindi · मुक्तक 199 Share विवेक दुबे "निश्चल" 3 Mar 2018 · 1 min read बेकार ही बेकार ही वक़्त क्यों जाया होते है । कोई आए कोई नही आए होते है । गुजरते नजदीक से मेरे आपने ही , जाने क्यों वो नजरें चुराए होते है... Hindi · मुक्तक 490 Share विवेक दुबे "निश्चल" 1 Mar 2018 · 1 min read बंट रहा लहू आज बदले से हालात हैं । नही रंग-ऐ-ज़ज्बात हैं । धर्म मजहब के नाम पर , बंट रहा लहू , जो साथ है । .... विवेक दुबे"निश्चल"@... Hindi · मुक्तक 203 Share विवेक दुबे "निश्चल" 1 Mar 2018 · 1 min read अंदाज़ जुदा है ढूंढती बहाना मुझे सताने का । यूँ मेरी आहों में आने का । अंदाज़ जुदा है यह उसका , इस तरह मुझे न भुलाने का । .... विवेक दुबे"निश्चल"@.. Hindi · मुक्तक 311 Share विवेक दुबे "निश्चल" 26 Feb 2018 · 1 min read ज़िंदगी तू रूठती तुझे मानता ज़िंदगी । तुझसे बस इतना नाता ज़िंदगी । चलता रहा अपना साथ यूँ ही , तुझे प्यार कब जताता जिंदगी । .. मैं ख़्वाबों से निकलूं... Hindi · मुक्तक 1 221 Share विवेक दुबे "निश्चल" 19 Feb 2018 · 1 min read आँखे कह जातीं कुछ कह जातीं आँखे । अहसासों को झलकातीं आँखे । बह कर झर झर निर्झर निर्झर , कह जातीं सब कह जातीं आँखे । .... विवेक दुबे"निश्चल"@... vivekdubeyji.blogapot.com Hindi · मुक्तक 207 Share विवेक दुबे "निश्चल" 16 Feb 2018 · 1 min read दिए जले दिए जले वो रातों को । खोजते अहसासों को । जलते अपनी बाती सँग , टटोलते अँधियारों को । .... विवेक दुबे...@ Hindi · मुक्तक 228 Share विवेक दुबे "निश्चल" 16 Feb 2018 · 1 min read एक प्रेत जागता vivekdubeyji.blogspot.com एक प्रेत जगा अभिलाषाओं का । कुछ मृत अस पिपासाओं का । आ बैठा है जो कांधों पर , प्रश्न पूछता आधे छूटे वादों का । ले मौन चला... Hindi · मुक्तक 1 213 Share विवेक दुबे "निश्चल" 11 Feb 2018 · 1 min read ज़िन्दगी अपनी जी ले तू जिंदगी अपनी यही बहुत है । वक़्त से तुझे रही क्यों शिकायत है । न बाँट जमाने को तन्हाईयाँ तू अपनी , पास दुनियाँ के अपना ही... Hindi · मुक्तक 536 Share विवेक दुबे "निश्चल" 11 Feb 2018 · 1 min read आशिक़ी आशिक़ी रात से न हो तो । मोसकी दिन से क्या भला । जो गिरा नही कभी सफर में, वो डगर चला तो चला क्या । ... विवेक दुबे "निश्चल"..© Hindi · मुक्तक 306 Share विवेक दुबे "निश्चल" 10 Feb 2018 · 1 min read तू साध निशाना मंजिल से पहले घबराना कैसा । बीच राह तेरा थक जाना कैसा । भेद सका न अब तक कोई, एक साध निशाना तू ऐसा । .... विवेक दुबे "निश्चल"°©.. Hindi · मुक्तक 204 Share विवेक दुबे "निश्चल" 10 Feb 2018 · 1 min read छोड़ आज का जिकर अब दिन गया गुजर । कर कल की फ़िकर । डूब ले तू कान्हा में , छोड़ आज का जिकर। .... विवेक दुबे ... Hindi · मुक्तक 194 Share विवेक दुबे "निश्चल" 9 Feb 2018 · 1 min read अल्फाज़ की ख़ातिर कागज़ हर दर्द समेटते रहे । हम बस लकीरें खिंचते रहे । कुछ अल्फाज़ की ख़ातिर, जज़्बात से मेरे खेलते रहे । सो गई रंगीनियाँ महफ़िल की , ता-रात चराग़... Hindi · मुक्तक 429 Share विवेक दुबे "निश्चल" 6 Feb 2018 · 1 min read कर्म आंत हीन इन अंतो से । लगते खुलते फन्दों से। फँसते पंक्षी उड़ते पंक्षी , अपने अपने कर्मो से । .... विवेक दुबे"निश्चल"©.. Hindi · मुक्तक 607 Share विवेक दुबे "निश्चल" 3 Feb 2018 · 1 min read रज़ा-ऐ-रब तरक़ीब जब जहाँ फ़िसलती हैं । क़िस्मत से चीजें वहाँ मिलतीं हैं । रखता है फ़िक्र वो सभी की , क़िस्मत रज़ा-ऐ-रब मिलती है । ..... विवेक दुबे©..... Hindi · मुक्तक 406 Share विवेक दुबे "निश्चल" 10 Sep 2017 · 1 min read खामोशियाँ मेरी कहती हैं बहुत कुछ ख़ामोशियाँ मेरी । उतर कर तन्हाइयों में ठहर गई क़श्ती मेरी । न तूफ़ां आए ......... न समन्दर उबला , फिर भी तूफानों सी निशानी कहानी... Hindi · मुक्तक 434 Share विवेक दुबे "निश्चल" 30 Aug 2017 · 1 min read कुछ पंक्तियाँ 1 बस एक जलती सिगार ज़िन्दगी। हर कश धुएँ का गुबार ज़िन्दगी। झड़ गई एक चुटकी में , राख सी बेज़ार ज़िन्दगी । 2 चेन नही तो आराम कहाँ ।... Hindi · मुक्तक 232 Share विवेक दुबे "निश्चल" 30 Jul 2017 · 1 min read आज शेष नहीं अब आज समर्पण, होता है कुछ शर्तों पर गठबंधन । रिश्ते नाते सूखे तिनकों से , एक चिंगारी से जलता घर आँगन । .. आओ मिलकर आज गीत... Hindi · मुक्तक 1 269 Share विवेक दुबे "निश्चल" 9 Apr 2017 · 1 min read आज आज सूरज चाँद सा खिला है । आज एक अहसास नया मिला है । है हवाओं में खनक घुंघरुओं की , मदहोशी का एक नशा सा घुला है । ......... Hindi · मुक्तक 257 Share Previous Page 2