Vipin Kumar Bharatiya 1 post Sort by: Latest Likes Views List Grid Vipin Kumar Bharatiya 1 Aug 2021 · 1 min read मैं उड़ना चाहता हूं।। मैं उड़ना चाहता हूं, खुले आसमान में आज़ाद पंछी की तरह।। स्वछंद, निर्बाद।। निर्विरोध।। ऐसे ही जैसे पंछी उड़ता है।। ना कहीं सीमाएं।। ना रूकावटे।। इस पेड़ से उस पेड़।।... Hindi · कविता 3 352 Share