विनय कुशवाहा 'विश्वासी' Tag: मुक्तक 60 posts Sort by: Latest Likes Views List Grid Previous Page 2 विनय कुशवाहा 'विश्वासी' 8 May 2020 · 1 min read लौटते लोग चले छोड़कर ये शहर अब सभी गाँव के लिए। विवशता में आये सभी इस घड़ी ठाँव के लिए। कठिन मार्ग पर धूप में चलने जैसे थी जिंदगी- सभी दौड़कर आये... Hindi · मुक्तक 2 193 Share विनय कुशवाहा 'विश्वासी' 7 May 2020 · 1 min read मुक्तक सिर्फ़ ऐसे ही न बातें जाँ बनाया कीजिये। प्यार जो करते हैं हमसे तो निभाया कीजिये। हर समय आते हैं चलकर पास हम ही आपके- जाँ कभी तो खुद हमारे... Hindi · मुक्तक 3 189 Share विनय कुशवाहा 'विश्वासी' 5 May 2020 · 1 min read मुक्तक ये दौलत यहीं छोड़ जाते सभी। गरीबों को फिर क्यों सताते सभी। यहाँ की अदालत से बचते मगर - खुदा के भवन दंड पाते सभी। Hindi · मुक्तक 2 2 304 Share विनय कुशवाहा 'विश्वासी' 5 May 2020 · 1 min read शराब लगे सभी कतार में शराब के लिए। जुटी है भीड़ देखिये ख़िताब के लिए। रसद ज़रूरी है कि ये ज़हर जनाब अब- मिले हमें न कोई भी जवाब के लिए। Hindi · मुक्तक 2 415 Share विनय कुशवाहा 'विश्वासी' 5 May 2020 · 1 min read मुक्तक इस तरह अब जाँ सताना छोड़ दो। हर घड़ी ये दिल जलाना छोड़ दो। मैं न जानूँ ये मनाने की अदा- रोज़ का तुम रूठ जाना छोड़ दो। Hindi · मुक्तक 2 447 Share विनय कुशवाहा 'विश्वासी' 3 May 2020 · 1 min read मुक्तक यूँ दिल के पाश से अब तो रिहाई हो नहीं सकती। करे कुछ भी जमाना पर जुदाई हो नहीं सकती। मैं हूँ तेरा, तू है मेरी, हकीकत है यहीं केवल-... Hindi · मुक्तक 382 Share विनय कुशवाहा 'विश्वासी' 2 May 2020 · 1 min read मुक्तक करोगे जो भला जग का तो खुद का भी भला होगा। दिलों के बीच भी तब तो बहुत कम फासला होगा। खपा दो जिंदगी अपनी सदा इंसानियत खातिर- अगर मर... Hindi · मुक्तक 1 2 315 Share विनय कुशवाहा 'विश्वासी' 30 Apr 2020 · 1 min read मजबूर मजदूर चले वे सहर में ही शहर के लिए। रखे संग भोजन दोपहर के लिए। तलाशे थे वे दिनभर न रोज़ी मिला- चले खाली ही हाथ वे घर के लिए। Hindi · मुक्तक 1 237 Share विनय कुशवाहा 'विश्वासी' 22 Apr 2020 · 1 min read मान के बदले मान भला है या बुरा कोई न हम पहचान पाते हैं। किसी के दिल में क्या है चोर कब ये जान पाते हैं। बहुत ही जाँचे-परखे तो हमें भी ये समझ... Hindi · मुक्तक 433 Share विनय कुशवाहा 'विश्वासी' 21 Apr 2020 · 1 min read मुक्तक चेहरे से ये पर्दा हटा दीजिये। क्या है आपके दिल में बता दीजिये। देखिये इधर अब शर्म को छोड़कर, प्यार है अगर मुझसे जता दीजिये। Hindi · मुक्तक 2 438 Share Previous Page 2