Veerendra Krishna Tag: कविता 9 posts Sort by: Latest Likes Views List Grid Veerendra Krishna 26 Feb 2018 · 1 min read स्त्री स्त्रीस्त्री एक ही जन्म में सामना करती है, दो तरह की परिस्थितियों का| स्त्री ने जहाँ.. जन्म लिया है, बोलना, चलना, खाना, पीना सीखा है, जहाँ उसका अपना अस्तित्व है,... Hindi · कविता 3 3 392 Share Veerendra Krishna 7 Feb 2018 · 1 min read रोज डे ये जो रोज है, रोज तोड़ा जाता है। दिलों को जोड़ने के लिए, खुशबू और खुशियां बिखेरने के लिए, अपनेपन का अहसास दिलाने के लिए। सुंदर पलों को सजाने के... Hindi · कविता 1 1 302 Share Veerendra Krishna 14 May 2017 · 1 min read माँ ही सबकुछ है #माँ_ही_सबकुछ_है माँ ही सबकुछ है, सबकुछ है माँ, माँ ही जननी है, ज़िन्दगी है माँ। मेरी भाषा भी है, परिभाषा है माँ, दिल मे भी हरपल जुबां पर भी माँ।... Hindi · कविता 1 848 Share Veerendra Krishna 11 Apr 2017 · 1 min read सच्ची बात बुद्ध से बुद्धि मिली चन्द्रगुप्त से पहचान। अशोक से गरिमा मिली कबीर से मिला ज्ञान। ज्योतिबा से ज्योति मिली सावित्री से सम्मान। कान्त से साहित्य मिला जगदेव से अभिमान। गाँधी... Hindi · कविता 632 Share Veerendra Krishna 4 Apr 2017 · 1 min read धोखा दुनियां में धोख़ा बहुत आम बात है..! यह सभी के जीवन में सामान्य बात है| अब सूरज को ही देख लो.. आता है #किरण के साथ रहता है #रोशनी के... Hindi · कविता 384 Share Veerendra Krishna 25 Mar 2017 · 1 min read नारी अबला #नारी_अबला हे..! नारी.. तुम प्रमदा, तुम रूपसी, तुम प्रेयसी, तुम ही भार्या, तुम ही सौन्दर्या, तुम सुदर्शना, तुम अलभ्य अनिर्वचनीया| फिर भी तुम अबला..! हे..! नारी... तुम कान्ता, तुम रमणी,... Hindi · कविता 678 Share Veerendra Krishna 24 Mar 2017 · 1 min read सियासत पिछली सरकारों ने लूटा, हम भी छटपटा रहे हैं काम तो कुछ किया नही... एक-दूसरे की लूट गिना, जनता को रिझा रहे हैं| सत्ता में आते ही सम्पति हजारों गुनी... Hindi · कविता 297 Share Veerendra Krishna 24 Mar 2017 · 1 min read शादियाँ लोग़ कहते हैं...... जिसकी जहां लिखी होती है, वहीं होती है शादियां.. जोड़ियां ऊपर ही तय होती हैं, ऊपर वाला ही तय करता है.! तो फ़िर #अधिकांशतः ये जोड़ियां ...... Hindi · कविता 520 Share Veerendra Krishna 31 Jan 2017 · 1 min read बेटी #बेटी बेटी है तो ही कल है.. वह जीवन का हर पल है, वही संस्कार है, वही धर्म है, वह जीवन का हर सृजन है.. वही आशा है, वही भरोषा... Hindi · कविता 396 Share