Varun Singh Gautam Tag: Poem 8 posts Sort by: Latest Likes Views List Grid Varun Singh Gautam 22 Dec 2022 · 1 min read कशिश परिस्थितियां कुछ भी हो ख्वाहिशें पूरी हो ही जाती जो मस्तिष्क के लकीरों में उत्कीर्णित बिछी हुई रहती उत्कृश्ट को कहो क्या ? क्यारी भी नीर के प्यासे हैं आकृति... Hindi · Poem 211 Share Varun Singh Gautam 26 Nov 2022 · 1 min read कंपकंपी ठिठुर-ठिठुर रहते घर के अन्दर हम कम्बल के अन्दर चिपके-चिपके हम देखो पानी भी ठंडा ये भोजन भी ठंडा करंट-सी लगती ऊंगली में, तन में अंगीठी को पकड़ खुद को... Hindi · Poem 1 192 Share Varun Singh Gautam 23 Nov 2022 · 1 min read कवित्त """"'''"""""""""""""""""'’ एक बात है हृदयों में चाहों में पर कैसे कहूं ? मैं खुद-ब-खुद असमंजस बरकरार इस तलक तक याद नहीं बेकसूर थे हम कभी या अभी-अभी.....! अंतर्द्वंद्व है ईच्छा... Hindi · Poem 138 Share Varun Singh Gautam 1 Nov 2022 · 1 min read परछाई के घेरे में एक रात थी वो भी लौट गई तस्वीर बनी कैसी है कहो तो कौन खिंचवाएं देख ज़रा इसे तू एकबार किस परछाई के घेरे में देख ये तो कुछ है... Hindi · Poem 1 171 Share Varun Singh Gautam 9 Oct 2022 · 1 min read कवित्त ऐ रुक सृजनहार, छोड़ थोड़ा ठहर, देख ज़रा भूखों - नगों की के डेरे में रोटी नहीं महफिल के घेरे है ये शृंगार है बाजारों के चकाचौंध है सिर्फ किबाड़ों... Hindi · Poem 2 213 Share Varun Singh Gautam 31 Jul 2022 · 2 min read प्रेम पर्दे के जाने """"""""""""""""""""""'''""""""""""""""""""""""""""""""""" मैं, मेरे ख़त के मुसाफ़िर क्या ये प्रेम पर्दे के जाने को ? रहती कहती ये पड़ी यहीं हैं जानती मगर अब ये भी नहीं जवानी, यौवन रही कामुक काम... Hindi · Poem 2 510 Share Varun Singh Gautam 18 Jan 2022 · 1 min read Quibilianting Earth Sky - sky - sky exotic sky, It's changing colours day to night. In morning it's likes as sea. And apparently in the east likes as fair bloom one appears... English · Poem 279 Share Varun Singh Gautam 8 Nov 2021 · 1 min read Long way of a dream Long way of a dream Life spiny like as rainstorm Warfare soul in mid stream Mystery tangled in brainstorm Emphemeral is fantasy Owl's eyes Or further Shadow of New moon... English · Poem 304 Share