उज्ज्वल वाणी 1 post Sort by: Latest Likes Views List Grid उज्ज्वल वाणी 31 Mar 2022 · 1 min read शर्मिंदा हूँ मैं साँस चल रही है और ज़िंदा हूँ मैं गैरों को वक़्त देकर शर्मिंदा हूँ मैं जो मुझे अबतक समझ नहीं पाए हैं उनकी खटकती नज़रों में निंदा हूँ मैं।। घुट-घुट... Hindi · कविता 1 233 Share