Taposh Kumar Ghosh Tag: कविता 14 posts Sort by: Latest Likes Views List Grid Taposh Kumar Ghosh 6 Jul 2021 · 1 min read गुज़र गया वक़्त देखते देखते गुज़र गया वक़्त देखते देखते, हर दिन के रुख को सवांरते सवांरते, आंधी ओ तूफान मेँ उलझते और निकलते न दिन का पता चला न रात का.. हर दिन की... Hindi · कविता 427 Share Taposh Kumar Ghosh 12 May 2021 · 1 min read प्राप्ति के भर्म में राम को बेचा धर्म को बेचा जब कुछ न आया हाथ बेच दिया अपनों को विभीष्णो के हाथ . निर्वस्त्र करने निकले थे सर्वस्थ ध्वंश करने आय थे अहं व्यंग... Hindi · कविता 1 362 Share Taposh Kumar Ghosh 13 Dec 2019 · 1 min read मैं अपराजिता हूँ, मैं मृतुन्जय हूँ मैं अपराजित हूं, मेरे अनेक रूप मैं मृतुन्जय हूँ, चार बार मृत्यु द्वार से बापस आया कारण मैंने "अति " को अपने जीवन के स्पर्धा को छूने नहीं दिया मनुष्य... Hindi · कविता 1 1 249 Share Taposh Kumar Ghosh 12 Dec 2019 · 1 min read जीवन काल मेँ मोक्ष प्रॉति जीवन काल मेँ मोक्ष प्रॉति ? ना पीछे कोइ, ना आगे कोइ, ना बाएँ कोइ, ना दायेँ कोइ, ना ऊपर कोइ, ना नीचे कोइ... मैं ही हूं, बस मैं ही... Hindi · कविता 405 Share Taposh Kumar Ghosh 9 Aug 2018 · 1 min read पुत्र अंत्येष्टि में, शोककित पुत्र अन्त्येष्टि में , शोकाकित !! वक़्त कटता नहीं , उसकी यादों में हर लम्हा , हर पल , याद आती है, मेरे बेटे की वक़्त का क्या ज़िक्र करू,... Hindi · कविता 477 Share Taposh Kumar Ghosh 5 Aug 2018 · 1 min read रिश्ताए फुर्र , पैसा ही मौला रिश्ताए फ़ुर्र, पैसा ही मोला क्या ग़म करें , जब अपने ही बेगाने हो गये पैसेके जोश में , अपना होश खो गये | सोचा न था, तारीख यहाँ तक... Hindi · कविता 267 Share Taposh Kumar Ghosh 5 Aug 2018 · 1 min read हाले नाज़ुक ; रिश्ते नदारत हाले नाज़ुक ; रिश्ते नदारत दिल धड़का , साँस फूली कमर लचका , दर्द से कहराया डाक्टर दिखाया, चाय पिलाई , खाना खिलाया डाक्टर बोला टैस्ट कराओ मैंने पूंछा कितने... Hindi · कविता 264 Share Taposh Kumar Ghosh 4 Aug 2018 · 1 min read कभी वक़्त था , वक़्त का .... कभी वक़्त था, दौड़ते थे वक़्त के पीछे तब वक़्त था वक़्त का | अब वक़्त है , हमारा दौड़ती है हमारे पीछे | अब वक़्त आया अब हमारी मुठ्ठी... Hindi · कविता 359 Share Taposh Kumar Ghosh 3 Aug 2018 · 2 min read अहं के भर्म में अहं के भर्म में...... रात के अँधेरे में , जब दिन का प्रकाश हो तो रात को दिन नहीं माानना चाहिये ; और जिस ने मान लिया , उस का... Hindi · कविता 509 Share Taposh Kumar Ghosh 1 Aug 2018 · 1 min read फूल खिलते नहीं बहार से पहले फूल खिलते नहीं बहार से पहले , हमदम मिलते नहीं वक्त से पहले | बहार जब आती हैं, ख्शबू सात लती हैं , वक्ते इंतजार खत्म हो जाती हैं, ऊनके... Hindi · कविता 264 Share Taposh Kumar Ghosh 31 Jul 2018 · 1 min read सन्नाटा ही सन्नाटा सन्नाटा ही सन्नाटा !!! सुबह होती है सन्नाटा लिए दोपहर होती है सन्नाटा लिए शाम होती है सन्नाटा लिए रात होती है सन्नाटा लिए गुज़रता हर लम्हा सन्नाटा लिए सन्नाटा... Hindi · कविता 317 Share Taposh Kumar Ghosh 29 Jul 2018 · 1 min read ज़माना बदल गया Hahaha..... ज़ामाना बदल गया | तुम कहते हो -----ज़माना बदल गया, वह कहता हैं -----ज़माना बदल गया, यह कहता हैं ----- ज़माना बदल गया, ज़माना कहता हैं ---- ज़माना बदल... Hindi · कविता 1 256 Share Taposh Kumar Ghosh 25 Apr 2018 · 1 min read जीवन एक क्षण है.... जीवन एक छण है, सूर्य के उदय के तरह , सूर्य के अस्त के तरह | जीवन एक छण है ... जीवन एक छण है , पानी के बुलबुले की... Hindi · कविता 2 460 Share Taposh Kumar Ghosh 25 Apr 2018 · 1 min read मैं मैं हूँ, तुम तुम हो..... कियूं करते हैं --- अभिमान ! कियूं करते हैं --- रोष ! क्या मिलता है ! अहं के मैं में ; व्यंग के कटुता में ? मैं, मैं हूँ ,... Hindi · कविता 1 448 Share