sushil sarna Language: Hindi 72 posts Sort by: Latest Likes Views List Grid Previous Page 2 sushil sarna 19 May 2017 · 1 min read वो बुद्ध कहलाया ... वो बुद्ध कहलाया ... दुःख-दर्द,खुशी, सांसारिक व्याधियों के कोलाहल में आडंबर भरे संसार में झूठे दिखावटी प्यार में भौतिक रिश्तों के व्यापार में जो निर्लिप्त भाव से स्वयं को स्वयं... Hindi · कविता 539 Share sushil sarna 17 May 2017 · 1 min read ज़माल... ज़माल... इक यक़ीं इक ख़्वाब हो गया हर सवाल बे-हिज़ाब .हो गया थे हयात जो हमारी .साँसों के वो ज़माल इक अज़ाब हो गया सुशील सरना Hindi · मुक्तक 299 Share sushil sarna 16 May 2017 · 1 min read जंगल ... जंगल ... जंगल के जीव अब शहरों में चले आये हैं स्वार्थी इंसान ने उनके आशियाने जलाये हैं बदलते परिवेश में जानवरों ने तो अपने मतभेद मिटा डाले हैं अफ़सोस... Hindi · कविता 426 Share sushil sarna 12 May 2017 · 1 min read हिचकी . .. हिचकी . .. रुख़्सत हुए जहान से तो ये हयात हंसने लगी लाश अधूरी चाहतों की दूर कहीं जलने लगी आखिरी हिचकी में लब ने नाम तेरा ले लिया ख़ाक... Hindi · मुक्तक 595 Share sushil sarna 12 May 2017 · 1 min read सांझ अमर हो जाएगी ……. सांझ अमर हो जाएगी ……. पलक पंखुड़ी में प्रणय अंजन से सुरभित संसृति का श्रृंगार करो भ्रमर गुंजन के मधुर काल में कुंतल पुष्प श्रृंगार करो तृप्त करो तुम नयन... Hindi · कविता 439 Share sushil sarna 11 May 2017 · 1 min read सजदा ... सजदा ... सजदा करूँ तेरा ख़ुदा या पूजूँ मैं इंसान को भूल बैठा है ये इंसां आज तेरे ..एहसान .को कौन जाने तू कहाँ है फ़र्श पर .या .अर्श पर... Hindi · मुक्तक 571 Share sushil sarna 10 May 2017 · 1 min read यकीं के बाम पे ... यकीं के बाम पे ... हो जाता है सब कुछ फ़ना जब जिस्म ख़ाक नशीं हो जाता है गलत है मेरे नदीम न मैं वहम हूँ न तुम वहम हो... Hindi · कविता 306 Share sushil sarna 9 May 2017 · 1 min read हर ख़ार ... हर ख़ार ... हर ख़ार तेरी राह का पलकों से उठा लेने दे हर अश्क तेरी चश्म का हाथों पे सजा लेने दे तू हयात है मेरी तुझे ग़मगीन भला... Hindi · मुक्तक 221 Share sushil sarna 8 May 2017 · 1 min read हया ... हया ... उम्र जवानी की तो बेमिसाल होती है नज़र ही जवाब,नज़र सवाल होती है हर हद से फिर बेख़बर होती है हया इस उम्र की मुहब्बत कमाल होती है... Hindi · मुक्तक 208 Share sushil sarna 7 May 2017 · 1 min read बेनूर …. बेनूर …. अग्नि चिता की बहुत मग़रूर हुआ करती है जला के ये इन्सां को आसमाँ छुआ करती है बहुत करती है ग़रूर ये अपनी ताकत पे मग़र ख़ाक होते... Hindi · मुक्तक 301 Share sushil sarna 5 May 2017 · 1 min read आगाज़ .... आगाज़ बदल जाते हैं अंज़ाम बदल .जाते हैं वक्त के साथ लोगों के निज़ाम बदल जाते हैं डरने लगी हयात जब अन्जाम के .ख्याल से चलते चलते ज़िस्म के मक़ाम... Hindi · मुक्तक 297 Share sushil sarna 4 May 2017 · 1 min read नम पलक... आवाज़ थी ख़ामोश और ख़ामोशियों में शोर था बन्द पलक में याद से नम पलक का छोर था सुशील सरना Hindi · मुक्तक 265 Share sushil sarna 4 May 2017 · 1 min read कोठा.... कोठा.... अपनी हवस के लिए हमें ज़रिया बनाया जाता है और होटों से मुहब्बत का दरिया बहाया जाता है होते थे कोठे कहीं-कहीं कभी बीते हुए ज़माने में अब नज़र... Hindi · मुक्तक 289 Share sushil sarna 3 May 2017 · 1 min read किरदार अब जज़्बा-ए -ईसार का क्या कहिये ...और इज़हार-ए-प्यार का क्या कहिये .......इक साये सा वज़ूद है इन्सां का अब ..........अब साये के किरदार का क्या कहिये जज़्बा-ए -ईसार=स्वार्थ,त्याग सुशील सरना Hindi · मुक्तक 333 Share sushil sarna 1 May 2017 · 1 min read गर्व .... गर्व .... रोक सको तो रोक लो अपने हाथों से बहते लहू को मुझे तुम कोमल पौधा समझ जड़ से उखाड़ फेंक देना चाहते थे मेरे जिस्म के काँटों में... Hindi · कविता 299 Share sushil sarna 28 Apr 2017 · 1 min read बेशर्मी से ... (क्षणिका ) बेशर्मी से ... (क्षणिका ) अन्धकार चीख उठा स्पर्शों के चरम गंधहीन हो गए जब पवन की थपकी से इक दिया बुझते बुझते बेशर्मी से जल उठा सुशील सरना Hindi · कविता 255 Share sushil sarna 31 Jul 2016 · 1 min read एक गुंचा..... एक गुंचा (२१२ x ३ ) क्यूँ हवा में ज़हर हो गया हर शजर बेसमर हो गया !!१ !! एक लम्हा राह में था खड़ा याद में वो खंडर हो... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 2 518 Share sushil sarna 30 Jul 2016 · 1 min read व्यथा.... एक लंबे अंतराल के पश्चात तुम्हारा इस घर मेंं पदार्पण हुअा है जरा ठहरो ! मुझे नयन भर के तुम्हें देख लेने दो देखूं ! क्या अाज भी तुम्हारे भुजबंध... Hindi · कविता 613 Share sushil sarna 30 Jul 2016 · 1 min read हया में लिपटा .... हया में लिपटा .... तन्हाई में तूने जब खुद को संवारा होगा यकीनन तेरे ज़हन में अक़्स हमारा होगा ज़ुल्फ़ ने जब रुख़ से शरारत की होगी हया में लिपटा... Hindi · मुक्तक 1 247 Share sushil sarna 29 Jul 2016 · 1 min read आभास (वर्ण पिरामिड ) आभास (वर्ण पिरामिड ) मैं तुम यथार्थ और हम एक विश्वास जीवन है माया देह सिर्फ आभास सुशील सरना Hindi · कविता 373 Share sushil sarna 29 Jul 2016 · 1 min read वर्ण पिरामिड.... वर्ण पिरामिड में प्रथम प्रयास : है धूप ही धूप हर ओर हुआ उजला व्यर्थ गयी हाला दगा दे गयी बाला सुशील सरना Hindi · कविता 396 Share sushil sarna 28 Jul 2016 · 1 min read तुम्हारे बाहुपाश के लिए ……. तुम्हारे बाहुपाश के लिए ……. कितने वज्र हृदय हो तुम इक बार भी तुमने मुड़कर नहीं देखा तुम्हारी एक कंकरी ने शांत झील में वेदना की कितनी लहरें बना दी... Hindi · कविता 4 448 Share Previous Page 2