डा. सूर्यनारायण पाण्डेय Tag: कविता 72 posts Sort by: Latest Likes Views List Grid Previous Page 2 डा. सूर्यनारायण पाण्डेय 7 Sep 2017 · 1 min read शब्द शब्द जीवन्त होते हैं और कालजयी भी पर यह क्या हो गया है शब्दों की संस्कृति मर रही है शब्द अब घबड़ाने लगे है प्रयोग की मार्मिक वेदना उन्हें विवश... Hindi · कविता 1 617 Share डा. सूर्यनारायण पाण्डेय 4 Mar 2017 · 1 min read मोक्ष मोक्ष.. 'मानव की अंतिम इक्छा का, एक अबुझ पहेली, क्या 'जीवन' के कर्मों से मुक्त होना है मोक्ष या इस नश्वर शरीर को त्यागना है मोक्ष विचारें, क्या शरीर से... Hindi · कविता 1 747 Share डा. सूर्यनारायण पाण्डेय 2 Mar 2017 · 1 min read गदहे गदहे, अब मुख़्यधारा में आ रहे हैं. वे रेंकने के बजाय, फेंकने लगे हैँ. गदहों का भोलापन, उनके लदे होने का यथार्थ, अब राजनीति का नया अध्याय होगा, सावधान! गदहे,... Hindi · कविता 2 2 438 Share डा. सूर्यनारायण पाण्डेय 28 Feb 2017 · 1 min read समय समय धन है, और संसार का मूल्यवान भी 'धन' समय को नहीं खरीद सकता पर 'समय'- धन का सृजन कर सकता है. धन की नियति है वह लौट सकता है... Hindi · कविता 1 581 Share डा. सूर्यनारायण पाण्डेय 23 Feb 2017 · 1 min read नोटबंदी साठा-1 (1) नव विहान होने लगा है, पंक्तियाँ सिमटने लगी हैं, देश शीघ्र ही कैशलेस हो जायेगा, देश अचानक शिक्षित हो जायेगा, कुदाल फावड़े पकड़ने वाले हाथ अब माउस पर होंगे... Hindi · कविता 1 699 Share डा. सूर्यनारायण पाण्डेय 19 Feb 2017 · 1 min read हनुमान कूद दुश्मन को देखकर भागने से पहले हिरण एक लम्बी छलांग क्यों लगाती है ? इसलिए, हाँ शायद इसलिए, दुश्मन को आभास हो जाय शावक ने उसे देख लिया है और... Hindi · कविता 1 508 Share डा. सूर्यनारायण पाण्डेय 18 Feb 2017 · 1 min read आतंकवाद आतंकवाद, उफ़! धागों की तरह उलझ गए हैं लोग हिंसा के अभिनन्दन में नहीं...नहीं...नहीं शायद इसलिए कि महान समीप्यपूर्ण एकता को छोड़ मृत्यु को गले लगा रहें हैं लोग मैं... Hindi · कविता 1 451 Share डा. सूर्यनारायण पाण्डेय 18 Feb 2017 · 1 min read आज बहुत ठंडक है आज जब मैं अपने गांव से गुजर रहा था एक कंकाल नंगे शरीर कानों पर गुदड़ी का मफलर बांधे दोनों हाथों को विपरीत काँखों में दबाए बलि के बकरे की... Hindi · कविता 1 472 Share डा. सूर्यनारायण पाण्डेय 18 Feb 2017 · 1 min read आदमी मंजिलों की चाह में कफ़िलों के साथ हर पता पर रहगुजर से पूछता है आदमी. ...... आदमी जब आदमी को लुटने लगा आदमी के नाम पर अब सोचता है आदमी.... Hindi · कविता 1 335 Share डा. सूर्यनारायण पाण्डेय 13 Feb 2017 · 1 min read सातवां आसमाँ मैं अक्सर देखता हूँ उनकी राह जो बैठे हैं सातवें आसमाँ पर इन्सान को भूलकर, हे प्रभु!अल्लाह!गॉड!... कब समझेंगे इन्सान की पीड़ा और बेबसी, क्या पैगाम नहीं मिला, धरती पर... Hindi · कविता 1 266 Share डा. सूर्यनारायण पाण्डेय 13 Feb 2017 · 1 min read बचपन नहीं मालूम क्यों रखा उसका नाम चुल्लू उसके सफेद रोएँ,लाल-नीली ऑंखें और फुदकना सबकुछ लगता है अपने प्यारे बचपन जैसा ये शहर की भाग-दौड़ और कहाँ बालू की दीवार बनाना... Hindi · कविता 1 594 Share डा. सूर्यनारायण पाण्डेय 12 Feb 2017 · 1 min read आशा के दीप सूर्य,चाँद और तारे वन, पहाड़ और झरने शीतल बयार और काले मेघ सब मुँह चिढ़ाते हैं, इंसान की बेबसी पर! मनु के संतानों ! उठो!सजग हो !! छोड़ो मन के... Hindi · कविता 1 334 Share डा. सूर्यनारायण पाण्डेय 7 Feb 2017 · 1 min read आवश्यकता आवश्यकता है, एक नवयुवती की जो अधेड़ से शादी रचाये उसे प्राथमिकता- जो दहेज में अधिक रुपया लाए। ..... आवश्यकता है, एक अदद ईश्वर की जो सुविधा शुल्क को सुविधाजनक... Hindi · कविता 1 272 Share डा. सूर्यनारायण पाण्डेय 5 Feb 2017 · 1 min read आधुनिक नेता तीन यांत्रिक, एक अनपढ़ दोस्त बन गए एकाएक चारों मिल देशाटन को निकल पडे एकाएक यांत्रिकों ने सोचा- क्यों न बनाएं एक नेता यांत्रिक त्रय के शोध ने फिर गढ़... Hindi · कविता 1 357 Share डा. सूर्यनारायण पाण्डेय 5 Feb 2017 · 1 min read नारी नारी! तुम क्या हो ? कृष्ण की राधा हो, या राम की सीता, कालीदास की प्रेरणा हो, या महाभारत की द्रोपदी, कर्ण की माता हो, या वैशाली की नगरबधू, तुम्हीं... Hindi · कविता 1 629 Share डा. सूर्यनारायण पाण्डेय 5 Feb 2017 · 1 min read साहब बीमार हैं अक्सर, पद-प्रतिष्ठा, मान-सम्मान और लोकप्रियता के वायरस साहब को बीमार कर देते हैं। साब ! प्लीज मिल लें, का सदवाक्य सुनते-सुनते आम आदमी से साहब कतराने लगे हैं, और मंत्री... Hindi · कविता 1 319 Share डा. सूर्यनारायण पाण्डेय 4 Feb 2017 · 1 min read जीवन जीवन एक सुखद सपना है, सुख-दुःख आते जाते, कहता गुलाब देखो हम काँटों में मुस्काते। ..... सुख-दुःख जीवन की ऋतुएं हैं, अपनी राग सुनाते कमल बताए जीवन दर्शन हम कीचड़... Hindi · कविता 504 Share डा. सूर्यनारायण पाण्डेय 4 Feb 2017 · 1 min read क्या यही जीवन है कभी-कभी सोचता हूँ, जीवन क्या है ? भोर हुआ पतझड़ आया सब भगे जा रहे हैं, रुकने का नाम कोई नहीं ले रहा, क्या यूँ ही अनन्त की ओर दौड़... Hindi · कविता 575 Share डा. सूर्यनारायण पाण्डेय 2 Feb 2017 · 1 min read बापू पलट गए हैं। विकास की नई उड़ान चरखा चलाते हमारे प्रधान बापू हट गए हैं, प्रधान जी डट गए हैं। धन्य है विकास बापू पलट गए हैं। .... विकास की चरखा अब चली... Hindi · कविता 1 457 Share डा. सूर्यनारायण पाण्डेय 28 Jan 2017 · 1 min read चल भाई दुःख दर्द बताएं सुबह से ही झबरैला कुत्ता भौंक रहा है, मंत्री जी की नींद ख़राब कर रहा है। क्या हुआ इसे क्यों भौंक रहा है ? यह भक्त, इसे कुछ खिलाओ कुछ... Hindi · कविता 1 516 Share डा. सूर्यनारायण पाण्डेय 26 Jan 2017 · 1 min read सबेरा जब मन-मस्तिष्क, सद की इक्छाओं से ओत-प्रोत हों, भावनाएं, कामनाएं सब प्रभु को समर्पित हों 'कर्म' की निरन्तरता से मन-मयूर झूम रहा हो आगे, आगे और आगे की भावना अन्तर... Hindi · कविता 414 Share डा. सूर्यनारायण पाण्डेय 25 Jan 2017 · 1 min read बेटियाँ बेटियाँ,बेटियाँ हैं जो हैं सूत्रधार सृजन की,ममत्व की- और वैश्विक सौन्दर्य की । संभव नहीं इनके बिना- सृष्टि का अस्तित्व और यहाँ तक- 'परिवार'की पूर्णता। कितना अधूरा लगता है, बेटियों... "बेटियाँ" - काव्य प्रतियोगिता · कविता · बेटियाँ- प्रतियोगिता 2017 4 2 1k Share Previous Page 2