सत्येन्द्र प्रसाद साह (सत्येन्द्र बिहारी ) Tag: कविता 32 posts Sort by: Latest Likes Views List Grid सत्येन्द्र प्रसाद साह (सत्येन्द्र बिहारी ) 13 Feb 2021 · 1 min read प्रेम की उलझन मन के गुलिस्ताँ में क्यूँ हरदम खलिश सी होती है, चुम्बिस है सर्द हवाओं में फिर भी सासों में तपिश सी होती है। अक्स तेरी मेरी आंखों के आइने में... "कुछ खत मोहब्बत के" - काव्य प्रतियोगिता · कविता 4 27 459 Share सत्येन्द्र प्रसाद साह (सत्येन्द्र बिहारी ) 18 Nov 2020 · 1 min read " रोज " "रोज" ********************* जीवन निसिथ रश्मि जलकर अंधियारे में धूप निकलती, रोज जीवन की बाती बनकर बैठ छांव में जिंदगी जलती ! देख विभावरी अस्त की ओर रोज सुबह की लाली... Hindi · कविता 1 434 Share सत्येन्द्र प्रसाद साह (सत्येन्द्र बिहारी ) 9 Aug 2020 · 1 min read " मुक्ति " "मुक्ति " ***************************** कराहती जिंदगी जंजीरों में जकड़ी हुई दासता की बेड़ियां पैरों में लिपटी हुई छटपटाती रूह हरदम क्यू अब बेबस हुई जन्म का अधिकार है,क्या बेबसी ऐसी हुई?... Hindi · कविता 1 6 566 Share सत्येन्द्र प्रसाद साह (सत्येन्द्र बिहारी ) 4 Jul 2020 · 1 min read " स्टैच्यू ऑफ यूनिटी " "स्टैच्यू ऑफ यूनिटी" ***************************** बिखरी पड़ी थी जो सभ्यता और संस्कृती प्रदर्श रूप हो गई वो "स्टैच्यू ऑफ यूनिटी एकता अखंडता की मिशाल बनी मां भारती विलय कर रियासतों को... Hindi · कविता 3 3 431 Share सत्येन्द्र प्रसाद साह (सत्येन्द्र बिहारी ) 29 Jun 2020 · 2 min read " मुठ्ठी भर जमीं " "मुठ्ठी भर जमीं" ================== मुठ्ठी बांधे आया था जहाँ में फैला कर मांगता रहा जिंदगी भर पकड़ने की हरदम कोशिश में भागता रहा जिंदगी भर जो मेरा नहीं था इस... Hindi · कविता 2 2 547 Share सत्येन्द्र प्रसाद साह (सत्येन्द्र बिहारी ) 27 Jun 2020 · 1 min read " आजादी " " आजादी " ******************** आज खुद से खुद को मुझे मिल लेने दो परिंदा हूं कब से पिंजड़ों में जकड़ा हुआ मुझे बांधो मत मुक्त गगन में उड़ लेने दो... Hindi · कविता 4 6 549 Share सत्येन्द्र प्रसाद साह (सत्येन्द्र बिहारी ) 26 Jun 2020 · 1 min read " प्रेम बावरी " " प्रेम बावरी " ***************************** तेरी सूरत की चांदनी अब बिखर रही है मेरे रोम-रोम में जादू अब जैसे जगा रही है तुझे देखे बिन हालत कैसी अब कैसे कहूं... Hindi · कविता 2 2 632 Share सत्येन्द्र प्रसाद साह (सत्येन्द्र बिहारी ) 24 Jun 2020 · 1 min read " जीवन " " जीवन " *********************** यायावार खानाबदोश है बंजारा है जीवन पग क्षण यहां है पग क्षण वहां है अपनापन अनंतकाल है दिग्दर्शन जिसमें उलझा है जीवन मुक्त स्वच्छंद है बहती... Hindi · कविता 4 4 664 Share सत्येन्द्र प्रसाद साह (सत्येन्द्र बिहारी ) 23 Jun 2020 · 1 min read " सड़क " " सड़क " *************** रुकती थकती विश्राम नहीं बढ़ती और मचलती जाती अंतहीन अनन्त की ओर परावार पथिक की चाल हासिल मंजिल मुझसे क्योंकि मै जीवन पथ की सड़क हूं... Hindi · कविता 3 7 332 Share सत्येन्द्र प्रसाद साह (सत्येन्द्र बिहारी ) 22 Jun 2020 · 1 min read हथेली में चांद "हथेली में चांद" ************** झरोखों से दिखा जो चांद फलक का चांद भी शरमा गया झुकी महबूब की नजरें उतर के चांद भी हथेली में आ गया! ढली जैसे-जैसे चांदनी... Hindi · कविता 1 4 442 Share सत्येन्द्र प्रसाद साह (सत्येन्द्र बिहारी ) 19 Jun 2020 · 2 min read " दरकते पर्दे " " दरकते पर्दे " ******************** टूटते दरख्तो के मेले में, कोई छूटता तो है । चली है बात करीने से, तो कोई लूटता तो है ।। भरा सागर जो नैनो... Hindi · कविता 4 5 486 Share सत्येन्द्र प्रसाद साह (सत्येन्द्र बिहारी ) 18 Jun 2020 · 1 min read "चीन को चेतावनी" "चीन को चेतावनी" ********************** ना समझो हम बासठ के है अब ट्वेंटी ट्वेंटी हो जाएगा अब चाल तुम्हारी नही चलेगी हिन्दी-चीनी भाई कहके तू भुलवाएगा! नापाक कदम तू खींच ले... Hindi · कविता 2 2 534 Share सत्येन्द्र प्रसाद साह (सत्येन्द्र बिहारी ) 17 Jun 2020 · 1 min read "टूटते एहसास" "टूटते एहसास" असत्य पे सत्य की जीत चाहिए , अधर्म पे धर्म की जीत चाहिए । हिंसा पे अहिंसा की जीत चाहिए, पाप-पुण्य का लेख चाहिए । घर-घर में है... Hindi · कविता 4 2 412 Share सत्येन्द्र प्रसाद साह (सत्येन्द्र बिहारी ) 15 Jun 2020 · 2 min read " आत्महत्या क्यूँ " "आत्महत्या क्यूँ " ********"********** क्यूँ जिंदगी भी मौत से सस्ती हो गई है क्यूँ शोहरत भी जीने के लिए जरुरी हो गई है क्यूँ भागता है इंसान उन रास्तों पर... Hindi · कविता 2 530 Share सत्येन्द्र प्रसाद साह (सत्येन्द्र बिहारी ) 14 Jun 2020 · 1 min read सिसकता बचपन सिसकता बचपन ********************** सपने आंखों से देखती नन्ही परी जिंदगी ढूंढ़ती गली-गुचों में कली आशाओं का पर लिये फुदकती चली उटकेरती स्वच्छ किये कुड़ों में जिंदगी उठाये बोझ नन्हे कंधो... Hindi · कविता 2 2 300 Share सत्येन्द्र प्रसाद साह (सत्येन्द्र बिहारी ) 14 Jun 2020 · 1 min read बेटी बेटी ******************** मां की कोख में जब पली तब से मेरी पहचान किया, बेटा - बेटी में भेद करी फिर कोख में ही मुझे दफन किया, इसलिए कि बेटी हूं... Hindi · कविता 2 1 544 Share सत्येन्द्र प्रसाद साह (सत्येन्द्र बिहारी ) 13 Jun 2020 · 1 min read सरस्वती वंदना **सरस्वती वंदना** हे विष्णुप्रिया हे शिवानुजा मैं तुझमें ध्यान लगाता हूं तू कमल नयनी तू पद्मासनी मैं तेरी महिमा गाता हूं! हे विणा वाहिनी मात सरस्वती जीवन में कलरव भरती... Hindi · कविता 3 1 554 Share सत्येन्द्र प्रसाद साह (सत्येन्द्र बिहारी ) 11 Jun 2020 · 1 min read अस्मत अस्मत बेतहाशा लड़खड़ाती दौड़ती पग मे, चित्कारती फटी नजरों से ढूंढती सहारा। कपकपाती अधरों पर टूटती सांसें, ढूंढते नैना पगडंडियो पर कोई फरिश्ता।। अनिश्चितताओं के बादल उसके अंतस में, ओझल... Hindi · कविता 2 4 335 Share सत्येन्द्र प्रसाद साह (सत्येन्द्र बिहारी ) 6 Jun 2020 · 1 min read किसान की जीवटता किसान की जीवटता अवशान वर्षा रित बढ़ता तुषार ठिठुरती सांझ ओझल उदित सांध्य गीत की मधुर ध्वनि सिमटती स्वर्णिम यामिनी की ओर। कांपते होठ विचलित कदम कट -कटाते दांत नाचती... Hindi · कविता 1 2 438 Share सत्येन्द्र प्रसाद साह (सत्येन्द्र बिहारी ) 5 Jun 2020 · 1 min read कलयुगी मां कलयुगी मां ममता करुणा स्नेह विसारी लोक हया सब त्याग दिए, रूप स्वरूप विलासिता खातिर मां के रूप विद्रूप हुए सीता सावित्री अनुसुइया कहलाने वाली कलयुगी मां के डायन पापिन... Hindi · कविता 2 1 313 Share सत्येन्द्र प्रसाद साह (सत्येन्द्र बिहारी ) 5 Jun 2020 · 1 min read पर्यावरण परिवर्तन पर्यावरण परिवर्तन असर दिखने लगा है मौसम-ए- परिवर्तन का सूखने लगा है पानी नदियों और झरनों का कहानी कहते है परिंदे अब भी उस शहर की जो कभी था हरा... Hindi · कविता 510 Share सत्येन्द्र प्रसाद साह (सत्येन्द्र बिहारी ) 21 May 2020 · 3 min read "माही- ए -इश्क" "माही ए इश्क" *********************** हर पल मैंने तुझको याद किया सांसो में हर पल महसूस किया ना जाने तू खो गई कहां सनम सिर्फ तेरा ही तेरा इंतजार किया !... Hindi · कविता 1 3 331 Share सत्येन्द्र प्रसाद साह (सत्येन्द्र बिहारी ) 20 May 2020 · 3 min read मजदूर हाथ खाली पेट खाली जिंदगी का सफर कभी पगडंडियों पर कभी राजपथ पर गांव जाने के लिए वह रात दिन चलता रहा करता रहा मजबूर मानस मौत का सफर! ना... Hindi · कविता 2 277 Share सत्येन्द्र प्रसाद साह (सत्येन्द्र बिहारी ) 21 Mar 2019 · 1 min read रंग रंगों का त्योहार मुबारक, होली का हुड़दंग मुबारक। खुशियां आए बनके बहार सुख समृद्धि का त्योहार मुबारक।। बसंती फाग की बयार मुबारक, बचपन का वो रंग मुबारक। रंगों का वो... Hindi · कविता 486 Share सत्येन्द्र प्रसाद साह (सत्येन्द्र बिहारी ) 16 Feb 2019 · 1 min read बलिदान कतरे-कतरे चीथड़े-चीथड़े का हिसाब होना चाहिए, बिछी जो लाशे सड़कों पर उनका इंसाफ होना चाहिए। बहाना था जो रक्त तुम्हे बहा लिया बेगैरतों, कश्मीर की बात कौन करे पाकिस्तान हमारा... Hindi · कविता 343 Share सत्येन्द्र प्रसाद साह (सत्येन्द्र बिहारी ) 5 Feb 2019 · 1 min read दिव्य कुम्भ दिव्य कुम्भ दिव्य कुम्भ की बात निराली छायी सब पर संगम की हरियाली स्नान ध्यान पूजा अर्चन संगम पर सब संतों ने प्रयागराज में धूनी रमाली ।। आस्था का यह... Hindi · कविता 386 Share सत्येन्द्र प्रसाद साह (सत्येन्द्र बिहारी ) 27 Jan 2019 · 1 min read शिशिर कामिनी लौटते पशु-विहग कोलाहल चहुंओर, कांपती अरुणिमा छिपती क्षितिज की ओर। सकुचाई शिशिर वसन लिपटी लौट रही ‘शिशिर कामिनी’, वसुधा की ओर। स्याह वसन को डाल रही सुर्ख बदन वो गाल... Hindi · कविता 264 Share सत्येन्द्र प्रसाद साह (सत्येन्द्र बिहारी ) 25 Jan 2019 · 1 min read दुपहरी अनल अम्बर झरता ज्येष्ठ की दुपहरी उष्ण वातावरण तप्त तवा सी धरणी व्याकुल पखेरू पशु जन लू समीरणी पाषाण खंडों को तरासती बैठ दुपहरी। चिलचिलाती धूप में बहती उर नालिका... Hindi · कविता 2 1 469 Share सत्येन्द्र प्रसाद साह (सत्येन्द्र बिहारी ) 18 Jan 2019 · 1 min read जोकर मै बात पते की कहता जीवन सरकस है होता। रास रचाता मन बहलाता पर सदा मै जोकर कहलाता ।। तरह तरह का स्वांग रचाता कभी हसाता कभी रुलाता। दुनिया की... Hindi · कविता 521 Share सत्येन्द्र प्रसाद साह (सत्येन्द्र बिहारी ) 14 Dec 2018 · 1 min read मॉ की टीस मांए जब बिलखती है , कलेजा छलनी हो जाता है। पापिन मंजर नाचती है , रब भी सजदा करता है। चित्कार हृदय भी करती है, अम्बर का सीना फटता है।... Hindi · कविता 473 Share सत्येन्द्र प्रसाद साह (सत्येन्द्र बिहारी ) 28 Nov 2018 · 2 min read अवध के राम आस्था और अनास्था का दीप जलाए बैठे है मंदिर बनेगा राम का ये उम्मीद जगाए बैठे है त्रेता से कलयुग आ गया सत्ता के गलियारों में सत्ता के लोलूप वोट... Hindi · कविता 4 1 260 Share सत्येन्द्र प्रसाद साह (सत्येन्द्र बिहारी ) 15 Nov 2018 · 2 min read " मां " " मां " ********************** सुना है रहबरों के किस्से बड़े सुहाने होते है । मां तो मां होती है मां के किस्से कहां पुराने होते है।। मां की ममता का... "माँ" - काव्य प्रतियोगिता · कविता 3 16 822 Share