Smriti Singh 55 posts Sort by: Latest Likes Views List Grid Previous Page 2 Smriti Singh 10 Jul 2020 · 1 min read अचेतना से चेतना तक हृदय के निलय- आलिंद को मंद पड़ने न दो चिंघाड़ती, दहाड़ती आवाज न सही पर बोलती हुई जिह्वा को रुकने न दो मार्मिक दृश्य हैं, दशा दुर्दशा है, इक टांग... Hindi · कविता 9 6 660 Share Smriti Singh 8 Jul 2020 · 1 min read शरीफों का मुहल्ला ये शरीफों का मुहल्ला है, सिसकियां तेज हो तो कानों में रूई भर लो दखल न दो, वो पति-पत्नी का मामला है ये शरीफों का मुहल्ला है, गलियां भट रही... Hindi · कविता 6 5 285 Share Smriti Singh 5 Jul 2020 · 1 min read पड़ा हुआ हूँ छित्त -विछित्त मैं पड़ा हुआ हूँ अपने घर से लाओ चाकू थाली चीर -चीर ले जाओ, चमड़ी मांस नहीं है, इसमें लात मारकर जाओ न महक रहा रक्त मेरा, और... Hindi · कविता 5 4 442 Share Smriti Singh 5 Jul 2020 · 1 min read सर्वस मैं ही जन्म से मरण तक आरम्भ से अन्त तक मैं निमित्त मात्र हूँ कलंक हूं गर्व हूं सरल हूं प्रचण्ड हूं अणु हूं विकराल हूं तुम्हारे अधीन हूं जैसे सहज हो... Hindi · कविता 5 2 316 Share Smriti Singh 3 Jul 2020 · 1 min read दंगाई कपड़ा हुकूमत फरमान सुनाती, दंगाई कपड़े से पहचाने जायेगें | कपड़ा परेशान है बैठा यार, न मेरा कोई धर्म, न मेरी कोई जाति, बस, कुछ है मेरा रंग, कुछ है मेरा... Hindi · कविता 3 2 359 Share Previous Page 2