श्रीकान्त निश्छल 8 posts Sort by: Latest Likes Views List Grid श्रीकान्त निश्छल 8 Mar 2021 · 1 min read नारी अंतरराष्ट्रीय महिला-दिवस पर प्रस्तुत है एक गीतिका ***************************************** ?आधार छन्द- मंगलमाया- (मापनीमुक्त मात्रिक छन्द) विधान- मात्रा-22 / 11-11मात्राओं पर यति, (यति के पहले गुरु+लघु वर्ण, यति के बाद लघु+गुरु वर्ण)... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 3 2 353 Share श्रीकान्त निश्छल 25 Feb 2021 · 1 min read भिक्षा बना लिया व्यवसाय मनुज ने, हाथ पसार माँगना भिक्षा। किसी उदार धनी दाता की, करता है अविराम प्रतीक्षा। वहीं एक दिव्यांग श्रमिक ने, भार ढो रखा सिर कंधों पर, उसे... Hindi · मुक्तक 2 443 Share श्रीकान्त निश्छल 25 Feb 2021 · 1 min read भारतीय महिलाएं उत्प्रेरित करतीं मानव को, चित्र और प्रतिमाएं। विश्व-पटल पर तभी उभर कर, आती हैं प्रतिभाएं। तीरन्दाज दीपिका, दिव्या, ज्योति, सुरेखा बन कर- नाम जगत में रोशन करतीं, भारतीय महिलाएं। Hindi · मुक्तक 1 480 Share श्रीकान्त निश्छल 24 Feb 2021 · 1 min read न्याय बढ़ते अपराधों का कारक, धन काले व्यवसाय का। कर देते हैं कत्ल निर्दयी, सीधी-सादी गाय का। लोग छीन लेते गरीब की, टूटी-फूटी झोपड़ी, पैसे वाले निष्ठुरता से, गला घोटते न्याय... Hindi · मुक्तक 2 317 Share श्रीकान्त निश्छल 19 Feb 2021 · 1 min read जलने दो रोको मत बढ़ते राही को, नित्य निरन्तर चलने दो। जग उजियारा हो जायेगा, रात अँधेरी ढलने दो। आज उलूकों की बस्ती में, हाहाकारी मातम है, जो सूरज के तीव्र ताप... Hindi · मुक्तक 1 311 Share श्रीकान्त निश्छल 18 Feb 2021 · 1 min read ज्ञानी औरों को अन्धा कहता है, अपनी छुपा रहा कानी। बड़े-बुजुर्गों को झुठला के, करता अपनी मनमानी। दूर-दूर रहता मै उससे, बात कदापि नहीं करता, अपने को जो मान रहा है,... Hindi · मुक्तक 1 2 309 Share श्रीकान्त निश्छल 18 Feb 2021 · 1 min read अच्छा लगता है ? पीले पत्तों का झर जाना, अच्छा लगता है। फिर से नव किसलय हरियाना, अच्छा लगता है।। 1 आमों की डाली पर लगता, बौर महकने जब, बागों में कोयल का... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 1 287 Share श्रीकान्त निश्छल 18 Dec 2020 · 1 min read माँ गीतिका- माँ आधार छन्द- दोहा ? जिनको अपने इष्ट पर, होता है विश्वास। पूरी होती है सदा, उन भक्तों की आस।।1 माता से बढ़कर नहीं, होता कोई इष्ट, माँ सुत... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 3 2 295 Share