Kishore Nigam 25 posts Sort by: Latest Likes Views List Grid Kishore Nigam 12 Jun 2023 · 1 min read (4) ऐ मयूरी ! नाच दे अब ! ऐ मयूरी ! नाच दे अब, कर रहा यह मेघ कब से छाँव तुझ पर ! क्यों अचल से दृग तुम्हारे, आज स्थिर हो रहे हैं ? क्यों सजल सी... Poetry Writing Challenge 1 499 Share Kishore Nigam 12 Jun 2023 · 2 min read (3) कृष्णवर्णा यामिनी पर छा रही है श्वेत चादर ! कृष्णवर्णा यामिनी पर छा रही है श्वेत चादर ! प्रकृति जिसमें सुप्त था यह विश्व सारा , काल-दिक् सब अपरिभाषित गर्भ में थे ! दुःख औ ' सुख में न... Poetry Writing Challenge 1 323 Share Kishore Nigam 12 Jun 2023 · 1 min read (2) ऐ ह्रदय ! तू गगन बन जा ! ऐ ह्रदय ! तू गगन बन जा ! नव- विचारों के विहग नव, नित उड़ें उन्मुक्त होकर चटक रंगों से रँगे पंखों सहित बल खा रहे हों तू इन्हें उल्लास... Poetry Writing Challenge 2 190 Share Kishore Nigam 12 Jun 2023 · 1 min read (1) मैं जिन्दगी हूँ ! मैं उफनती धार हूँ , मैं जिन्दगी हूँ ! मैं नहीं साहिल , हूँ मैं मझधार , मैं बस जिन्दगी हूँ ! डूबता सूरज नहाकर मेरे जल में, फिर उठेगा... Poetry Writing Challenge 1 167 Share Kishore Nigam 11 Jun 2023 · 1 min read (25) यह जीवन की साँझ, और यह लम्बा रस्ता ! यह जीवन की साँझ, और यह लम्बा रस्ता ! शैशव में आदर्शो की गठरी सर माथे, यौवन में कर्तव्यबोध, उल्लास भगाता, घिसी-पिटी राहों पर चलने की मज़बूरी, और उमंगें सत्वहीनता... Poetry Writing Challenge 1 272 Share Kishore Nigam 11 Jun 2023 · 1 min read (24) कुछ मुक्तक/ मुक्त पद (1) तुम्हारी एक सिसकी ने, मुझे अपना बना डाला तुम्हारी एक सिसकी ने, बियाबां मुझको दे डाला तुम्हारी एक सिसकी ने, मुझे सागर बना डाला तुम्हारी एक सिसकी ने ,... Poetry Writing Challenge 228 Share Kishore Nigam 11 Jun 2023 · 2 min read (23) कुछ नीति वचन (1) घाव हो जहाँ वहीँ चोटें बार-बार पड़े भोजन अभाव में ही भूख़ भीषण जगती है | विपत्ति जब पड़े ,दिखें तब ही असंख्य शत्रु कमियां जहाँ होतीं ,अनर्थ बहुत... Poetry Writing Challenge 245 Share Kishore Nigam 11 Jun 2023 · 2 min read (22) एक आंसू , एक हँसी ! मैं न दूंगा दर्द अपना, लाख खुशियों के लिए मैं न बहने दूँगा अपने अश्रु अपनी हँसी तक | हैं मेरी निधियाँ ये दोनों, मैं सहेजूँगा इन्हें होंठ तक मुस्कान... Poetry Writing Challenge 607 Share Kishore Nigam 11 Jun 2023 · 1 min read (21) "ऐ सहरा के कैक्टस ! * ऐ सहरा के कैक्टस ! कैसे हो सकते हो तुम "अमीत" ? मैं भी तो हूँ इस सहरा में तुम्हारे साथ | न तुम तनहा हो , न मैं अमित्र... Poetry Writing Challenge 270 Share Kishore Nigam 11 Jun 2023 · 1 min read (20) सजर # मैं सजर हूँ । मेरी भाषा मौन है । किन्तु इतना ही नहीं मेरी आकृति भी तो है भाषा मेरी जो दिखाती है, बताती है कहानी युगों युगों से ,... Poetry Writing Challenge 334 Share Kishore Nigam 11 Jun 2023 · 1 min read (19) तुझे समझ लूँ राजहंस यदि---- तुझे समझ लूँ राजहंस यदि क्षीर नीर से अलग करे तुझे समझ लूँ चातक यदि स्वाति जल की पहचान करे तुझे समझ लूँ अमृत यदि निष्प्राण देह में प्राण भरे... Poetry Writing Challenge 184 Share Kishore Nigam 11 Jun 2023 · 2 min read (18) छलों का पाठ्यक्रम इक नया चलाओ ! छलों का पाठ्यक्रम इक नया चलाओ ! कोई उलझा कोई सुलझा , जो सुलझा , वह ज्यादा उलझा ! कोई सच्चा , कोई झूंठा , जो सच्चा वह ज्यादा टूटा।... Poetry Writing Challenge 232 Share Kishore Nigam 11 Jun 2023 · 2 min read (17) यह शब्दों का अनन्त, असीम महासागर ! यह शब्दों का अनन्त, असीम महासागर फेसबुक, गूगल,व्हाट्स ऍप, विकिपीडिया, ट्वीटर लाखों लिंक, लाखों प्रोफ़ाइल , करोडो पेज, लाखों ग्रुप, आर्काइव , साइट्स सहस्र शत, लाखों ज्ञान , विज्ञानं ,... Poetry Writing Challenge 181 Share Kishore Nigam 11 Jun 2023 · 4 min read (16) आज़ादी पर कहा मित्र ने आज़ादी पर कोई कविता लिख दो भाई ! मैं तो नहीं मंच का कवि हूँ आज़ादी पर कैसे लिख दूँ ? कुछ भी मेरे समझ न आयी... Poetry Writing Challenge 1 363 Share Kishore Nigam 11 Jun 2023 · 1 min read (15) " वित्तं शरणं " भज ले भैया ! मत उलझो, मत सोचो भैया तुमसे न हो पाएगा भैया तुम्हरे ढिंग "वित्तं" है भैया ? जो जनता को मोह ले भैया ? पल्टीमारी सीखी भैया ? पेट समुन्दर तुम्हरो... Poetry Writing Challenge 241 Share Kishore Nigam 11 Jun 2023 · 1 min read (14) जान बेवजह निकली / जान बेवफा निकली हलकी ठोकर लगी कि तुमने बता दिया "तकदीर खफा है " उस "सच्चे" का कौन सहारा जिसकी जान बेवजह निकली ? इसके भ्रमजालों से उसने मुक्त किया था केवल खुद... Poetry Writing Challenge 202 Share Kishore Nigam 11 Jun 2023 · 1 min read (13) हाँ, नींद हमें भी आती है ! हाँ, नींद हमें भी आती है ! हम दुःख-दारिद्र्य की भट्ठी में जल कर भी खुश रह लेते हैं | हम मात-पिता का साया उठ जाने पर भी जी लेते... Poetry Writing Challenge 1 180 Share Kishore Nigam 11 Jun 2023 · 1 min read (12) भूख मैंने देखी है वह भूख जिसमें नागिन खा जाती अपने अण्डों को, बाघिन खा जाती है अपने बच्चों को । मैंने देखी है भूख जो खा जाती है-- नैतिकता को... Poetry Writing Challenge 1 275 Share Kishore Nigam 11 Jun 2023 · 2 min read (11) मैं प्रपात महा जल का ! तुंग हिमगिरि से उफनता, मैं प्रपात महा जल का ! कल्पना की नील स्वर्णिम परी का आँचल नहीं हूँ । और न ही कल्पना का मैं भयानक दैत्य हूँ ।।... Poetry Writing Challenge 1 297 Share Kishore Nigam 11 Jun 2023 · 1 min read (10) मैं महासागर हूँ ! मैं महासागर हूँ ! बात-बात में झरते ये आंसू , बस इन्हें देखकर ही क्या , कहते हो मुझे पोखर ? पर ये तो ,मेरे अन्दर अनवरत खेलती मस्त लहरों... Poetry Writing Challenge 199 Share Kishore Nigam 11 Jun 2023 · 1 min read (9) डूब आया मैं लहरों में ! छोड़ सब भौतिक द्वंद्वों को साथ लेकर पीड़ित मन को , डूब आया मैं लहरों में । कहाँ अब कुत्सा का वह जाल ? कहाँ अब छलना का वह व्याल... Poetry Writing Challenge 1 235 Share Kishore Nigam 11 Jun 2023 · 1 min read (8) मैं और तुम (शून्य- सृष्टि ) शून्य से उपजा था जिस क्षण, तुम्हारा वह गरिमामय तन तुम्हारा सहयोगी का रूप ... तुम्हारा सह्भोगी का रूप तुम्हारी पायल की रुनझुन तुम्हारे अभय पदों की धुन तुम्हारी निश्छल... Poetry Writing Challenge 182 Share Kishore Nigam 11 Jun 2023 · 1 min read (7) सरित-निमंत्रण ( स्वेद बिंदु से गीला मस्तक--) स्वेद बिंदु से गीला मस्तक , आज इसे तू जल में धो ले ! पौरुष टूट रहा है तेरा , उजड़ चुका है तेरा डेरा पास प्रकृति का सुन्दर घेरा... Poetry Writing Challenge 183 Share Kishore Nigam 11 Jun 2023 · 1 min read (6) सूने मंदिर के दीपक की लौ तुम सूने मंदिर के दीपक की लौ बन आओ मैं ज्योति तुम्हारी लेकर झलमल चमक पडूँ ! तुम अन्धकार में किरन रेख बन कौंधो मैं अन्धकार बन सघन समाहित तुमको... Poetry Writing Challenge 422 Share Kishore Nigam 10 Jun 2023 · 1 min read (5) नैसर्गिक अभीप्सा --( बाँध लो फिर कुन्तलों में आज मेरी सूक्ष्म सत्ता ) बाँध लो फिर कुन्तलों में आज मेरी सूक्ष्म सत्ता, आज मदरस बना मुझको , नयन में फिर से समा लो आज बनकर रक्त मैं दौड़ा फिरूँ तेरी नसों में आज... Poetry Writing Challenge 404 Share