श्री एस•एन•बी• साहब Language: Hindi 7 posts Sort by: Latest Likes Views List Grid श्री एस•एन•बी• साहब 26 Mar 2017 · 1 min read आखिर!कब? @आखिर! कब?@ "तुम इस हद तक जा सकते हो;मैंने कभी सोंचा भी नहीं था।तुम्हारे सीने में दिल नहीं पत्थर है;जो सिर्फ दूसरों को चोंट पहुँचाने का काम करता है।"-दाँत पीसते... Hindi · लघु कथा 1 2 370 Share श्री एस•एन•बी• साहब 26 Mar 2017 · 1 min read अनुभूति अनुभूति ! क्यों ? कब? कहाँ ? कैसे ? किस हाल में ? किस साल में ? किस दहलीज पे? किस आवाज पे? अंकुरित हुई किस तरह ? अनजान अक्स... Hindi · कविता 1 1 241 Share श्री एस•एन•बी• साहब 21 Feb 2017 · 1 min read विचारधारा जीर्ण-शीर्ण ! संकीर्ण! तंग! बहुत कठिन विचारों का आवागमन ! परिहास में लिप्त कुंठित मनःस्थिति अपराधबोध से ग्रसित सृजनात्मकता अवरुद्ध बहुत कठिन विचारों का आदान-प्रदान! अहममय प्रतीत निश्प्राण अतीत चारों... Hindi · कविता 467 Share श्री एस•एन•बी• साहब 27 Jan 2017 · 1 min read कल किसने रोटी खिलाई? आज नींद न आई सारी रात न आई यह सोंच के न आई कल किसने रोटी खिलाई? आज मैं भूंखा किसी ने न पूँछा कपड़े गीले तन है सूखा काँपती... Hindi · कविता 218 Share श्री एस•एन•बी• साहब 24 Jan 2017 · 1 min read छुअन जब भी तुम कभी मुस्कुराते हुए अपनापन जताते हुए मेरे करीब तुम आते हो तब-तब पराए सा लगते हो जब कभी शाम ढले दीप जले सकुचाते हुए दूर जाते हुए... Hindi · कविता 242 Share श्री एस•एन•बी• साहब 24 Jan 2017 · 1 min read अधखिली कली भटका हुआ है गली खुद की गली से चाहता है खुशबू अधखिली कली से सहम जाती है बढ़ते हाँथ देखकर कहीं कुचला न जाऊँ ? वक्त से पहले तरासे जाते... Hindi · कविता 243 Share श्री एस•एन•बी• साहब 22 Jan 2017 · 1 min read ख्वाब खुलते बंद होते पलकें जैसे ख्वाबों को कैद कर लेना चाहते हों खुले जो आँखें खुद को दूर पाते ख्वाबों की तरह जो कुछ फासले पर होकर भी पहुँच से... Hindi · कविता 239 Share