Shekhar Chandra Mitra Tag: ग़ज़ल 90 posts Sort by: Latest Likes Views List Grid Previous Page 2 Shekhar Chandra Mitra 14 Jan 2023 · 1 min read शहर के माहौल ये शहर के माहौल तअ बहुते खराब बा लूट-मार के खाए के सबके रिवाज बा... (१) केहू के केहू नइखे एइजा पूछे वाला जानवर के झूंड में बदलल समाज बा...... Bhojpuri · ग़ज़ल 200 Share Shekhar Chandra Mitra 14 Jan 2023 · 1 min read तानाशाहों का हश्र ज़ालिम तानाशाहों का अंज़ाम बुरा होता है ये वक़्त जो लेता उनसे इंतक़ाम बुरा होता है... (१) ज़ुल्मत की बुनियाद पर टिके निज़ाम के ख़िलाफ़ इंकलाब का उठता हुआ तूफ़ान... Hindi · ग़ज़ल 148 Share Shekhar Chandra Mitra 13 Jan 2023 · 1 min read शायर अपनी महबूबा से छुप-छुप कर मेरा दीदार न कर चोरी-चोरी आंखें चार न कर... (१) या तो खुलकर तू मुझसे प्यार जता या फिर कह दे तू मुझसे प्यार न कर... (२) इस... Hindi · ग़ज़ल 183 Share Shekhar Chandra Mitra 1 Jan 2023 · 1 min read आवारा दिल बस्ती-बस्ती बंजारा दिल तुम्हें ढूंढ़े आवारा दिल... (१) पसंद है तो खुलकर बोलो अगर तुमको हमारा दिल... (२) न तो रहबर न ही हमसफ़र जाए तो कहां बेचारा दिल... (३)... Hindi · ग़ज़ल 200 Share Shekhar Chandra Mitra 29 Dec 2022 · 1 min read गुज़ारिश मुझे कोई दे दे ख़ुदा-रा कहीं दूर से भी इशारा... (१) डूबते हुए को होता है काफी एक तिनके भर का सहारा... (२) लहरों में आखिर डोलूं मैं कब तक... Hindi · ग़ज़ल 133 Share Shekhar Chandra Mitra 18 Dec 2022 · 1 min read अगर आप ज़िंदा हैं तो नज्में लिखिए नारे लिखिए जिनसे उठें अंगारे लिखिए... (१) खुलकर लिखना अगर नामुमकिन कम से कम इशारे लिखिए... (२) जो काम आएं इंकलाब के वो सबक़ अब सारे लिखिए... (३)... Hindi · ग़ज़ल 139 Share Shekhar Chandra Mitra 18 Dec 2022 · 1 min read बस्ती में आग घूम रहे वो मस्ती में! आग लगाके बस्ती में!! (१) सांस भी एक बोझ बनी भूखमरी की पस्ती में!! (२) सियासी चूहों से पूछो छेद की किसने कश्ती में!! (३)... Hindi · ग़ज़ल 218 Share Shekhar Chandra Mitra 13 Nov 2022 · 1 min read जातिवाद का ज़हर जात-पात जो कर रहे लोग वे बीमार हैं आपस में जो लड़ रहे लोग वे बीमार हैं... (१) अच्छे डॉक्टर से उनका इलाज़ कराया जाए जीते जी जो मर रहे... Hindi · ग़ज़ल 179 Share Shekhar Chandra Mitra 6 Nov 2022 · 1 min read जिल्लत की ज़िंदगी ज़ुल्म और नाइंसाफी का एहतिजाज क्यों नहीं करते? चुपचाप सहे जाते सबकुछ इंकलाब क्यों नहीं करते? (1) सदियों की इन सड़ी हुईं गुलामी की ज़ंजीरों से? अपने आपको पूरी तरह... Hindi · ग़ज़ल 1 214 Share Shekhar Chandra Mitra 31 Oct 2022 · 1 min read रैन बसेरा बहुत जल्द दुनिया के मेले उठ जाएंगे! आखिरकार हम लोग अकेले छूट जाएंगे! खाली हाथ ही सबको जाना है सफ़र में! लाख पहरों के बाद भी राही लुट जाएंगे! हमपे... Hindi · ग़ज़ल 1 675 Share Shekhar Chandra Mitra 29 Oct 2022 · 1 min read औरत की जगह फूंक न डाले सिस्टम को जो आग मेरी ग़ज़ल में है! मानवता का हर क़ातिल अब भी किसी महल में है!! पता नहीं इतनी-सी बात समझ इन्हें कब आएगी औरत... Hindi · ग़ज़ल 2 2 331 Share Shekhar Chandra Mitra 21 Oct 2022 · 1 min read कबीर की ललकार वह नहीं है कोई दरबारी कवि कि हो सके एक अख़बारी कवि... (१) उसके विद्रोही तेवर ने बनाया उसे सूली का अधिकारी कवि... (२) मौजूदा दौर में दूसरा कौन है... Hindi · ग़ज़ल 2 187 Share Shekhar Chandra Mitra 19 Oct 2022 · 1 min read खोखली आज़ादी यहां नए दौर का आगाज़ क्यों नहीं होता इंसानी चेतना का परवाज़ क्यों नहीं होता... (१) कितने सुधारक आकर चले गए लेकिन टस से मस यह समाज क्यों नहीं होता...... Hindi · ग़ज़ल · गीत 1 197 Share Shekhar Chandra Mitra 2 Oct 2022 · 1 min read एक और इंकलाब वो कुर्बानी भगतसिंह की ज़वाब मांगती है सदियों से ज़ारी ज़ुल्म का हिसाब मांगती है... (१) इस देश और समाज के जलते हुए सवालों पर हम लोगों से एक और... Hindi · ग़ज़ल 171 Share Shekhar Chandra Mitra 20 Sep 2022 · 1 min read बिंत-ए-हव्वा के नाम इब्ने-आदम के तरफ से बिंते-हव्वा के नाम मेरे गीत हैं टूटे हुए एक दिल के पैगाम... (१) जब छिप-छिपकर मुझसे तुम मिलने आती थी उदास रहा करती है आजकल वो... Hindi · ग़ज़ल 1 402 Share Shekhar Chandra Mitra 18 Sep 2022 · 1 min read किस्तों में खुदकुशी आम जनता की ज़िंदगी हाय,किस्तों में खुदकुशी बनता जा रहा देश यह अब तो मूर्दों की बस्ती... (१) दिल में तो आता है कि फूंक डालूं व्यवस्था को देखी नहीं... Hindi · ग़ज़ल 3 4 243 Share Shekhar Chandra Mitra 14 Sep 2022 · 1 min read अंग्रेजी की महिमा अंग्रेजी पढ़ने से ताक़त मिलती है अंग्रेजी पढ़ने से ही हिम्मत मिलती है... (१) आप ही कहें इसे हम क्यों न पढ़ें अंग्रेजी पढ़ने से दौलत मिलती है... (२) सदियों... Hindi · ग़ज़ल 74 Share Shekhar Chandra Mitra 13 Sep 2022 · 1 min read पाकिस्तान की राह भारत चला पाकिस्तान की राह कोई इसपे रखे कब तक निगाह... (१) अंबेडकर से ओशो तक सभी करते ही रह गए इसे आगाह... (२) आजकल एक के बाद दूसरा करता... Hindi · ग़ज़ल 2 188 Share Shekhar Chandra Mitra 11 Sep 2022 · 1 min read ज़िंदा है भगतसिंह मेरे क़ातिल को बता दो कि मैं ज़िंदा हूं अभी तक मुझे थोड़ी और सज़ा दो कि मैं ज़िंदा हूं अभी तक... (१) एक मुद्दत से तलाश है दीवाने दिल... Hindi · ग़ज़ल 1 219 Share Shekhar Chandra Mitra 9 Sep 2022 · 1 min read बदला या बदलाव? हमें बदला नहीं, बदलाव चाहिए धूप तेज़ बहुत घनी छांव चाहिए... (१) हमारे हाथ छूएं बेशक आसमान! लेकिन ज़मीन पर टिके पांव चाहिए... (२) जात-पात जैसी चीज़ न हो जहां... Hindi · ग़ज़ल 153 Share Shekhar Chandra Mitra 5 Sep 2022 · 1 min read आधुनिक द्रोणाचार्य कुछ तो शर्म तुम करो द्रोणाचार्य! पाप का घड़ा मत भरो द्रोणाचार्य!! दलित चेतना बन चुकी क्रांति चेतना! इस चेतना से ज़रा डरो द्रोणाचार्य!! ऊब चुका है अब तुमसे यह... Hindi · ग़ज़ल 88 Share Shekhar Chandra Mitra 4 Sep 2022 · 1 min read तमाशबीन जवानी जब तक तमाशबीन है नौजवानी हिंदुस्तान की क़ायम रहेगी दुनिया में बदनामी हिंदुस्तान की... (१) पुलिस और अदालत की हरकतों से तो लगता है जल्दी नहीं मिटने वाली पशेमानी हिंदुस्तान... Hindi · ग़ज़ल 87 Share Shekhar Chandra Mitra 3 Sep 2022 · 1 min read आवाज़ की तलाश एक आवाज़ चाहिए मेरे गीतों को एक आगाज़ चाहिए मेरे गीतों को... (१) ये ख़ुद ही छा जाएंगे दुनिया भर में एक परवाज़ चाहिए मेरे गीतों को... (२) बिल्कुल बागी... Hindi · ग़ज़ल 127 Share Shekhar Chandra Mitra 2 Sep 2022 · 1 min read उदास पीढ़ियां भारत के युवा निराश क्यों अपने आप से हताश क्यों... (१) यहां के मूल निवासी जो उन्हीं से दूर विकास क्यों... (२) जिनको नया सृजन करना उन्हीं के हाथों विनाश... Hindi · ग़ज़ल 107 Share Shekhar Chandra Mitra 2 Sep 2022 · 1 min read दिहाड़ी मजदूर ये दुनिया से हमके उठावतो नइखअ अपना लगे हमके बुलावतो नइखअ... (१) का ए भगवान तू कहां सुतल बाड़ जंजाल से हमके छुड़ावतो नइखअ... (२) भूखाइल परिवार बाट जोहत होई... Bhojpuri · ग़ज़ल 310 Share Shekhar Chandra Mitra 2 Sep 2022 · 1 min read ख़ुदा के लिए ऐ मेरे मुर्शीद ऐ मेरे मौला ऐ मेरे ख़ालिक़ ऐ मेरे ख़ुदा... (१) ये मेरी अर्जी है तेरी मर्ज़ी भला तेरे आगे मैं हूं ही क्या... (२) इधर जाऊं कि... Hindi · ग़ज़ल 1 2 93 Share Shekhar Chandra Mitra 1 Sep 2022 · 1 min read संगीन जुर्म सोचना भी जुर्म है बोलना भी जुर्म है ज़ुल्मतों के राज़ खोलना भी जुर्म है... (१) खौफ़नाक सन्नाटा जब फैला हुआ हो बगावत हवाओं में घोलना भी जुर्म है... (२)... Hindi · ग़ज़ल 1 76 Share Shekhar Chandra Mitra 30 Aug 2022 · 1 min read शिकवा मैं क्या करूं और क्या नहीं मुझे यही तो पता नहीं... (1) तुम अपना सकते हो मुझे माना कि बहुत भला नहीं... (२) लेकिन जितना सोचते हो तुम मैं उतना... Hindi · ग़ज़ल 136 Share Shekhar Chandra Mitra 29 Aug 2022 · 1 min read ज़िंदगी नरक बा इहां अमीर औरी गरीब में केतना फरक बा इहां आम जनता खातिर तअ ज़िंदगी नरक बा इहां... (१) बिना इलाज़ के रोगी रोजो मरत बा इहां आम जनता खातिर तअ ज़िंदगी... Bhojpuri · ग़ज़ल 248 Share Shekhar Chandra Mitra 26 Aug 2022 · 1 min read का हाल बा? औरी सुनावअ हाल बा का बिगड़ल देश के चाल बा का... (१) सड़क से लेके संसद ले चारू ओर गोलमाल बा का... (२) जवना पर बा बइठल लोग उहे... Bhojpuri · ग़ज़ल 207 Share Shekhar Chandra Mitra 25 Aug 2022 · 1 min read बेरोजगार शायर तेरा शायर बेरोजगार है कहना अपनी ज़िंदगी से बेजार है कहना... तेरी देखभाल कैसे करेगा वह ख़ुद भूखा और बीमार है कहना... उससे कतराकर आगे निकल जा वह रास्ते की... Hindi · ग़ज़ल 97 Share Shekhar Chandra Mitra 25 Aug 2022 · 1 min read जनता की आवाज़ ऐ दोस्त, तुम्हारा हाल है क्या पाकेट में कुछ माल है क्या... (१) इस महंगाई के दौर में भी मयस्सर तुम्हें रोटी-दाल है क्या... (२) वक़्त का कोई जलता हुआ... Hindi · ग़ज़ल · गीत 2 101 Share Shekhar Chandra Mitra 25 Aug 2022 · 1 min read गहरी बुनियाद अब अपनी शख्शियत को एक गहरी बुनियाद दी जाए! रूह तक पहुंचने के लिए रूह से ही आवाज़ दी जाए!! राजनेताओं की बकवास को सुनने से तो बेहतर यही कि!... Hindi · ग़ज़ल 59 Share Shekhar Chandra Mitra 22 Aug 2022 · 1 min read बदल रही है ज़िंदगी चल रही है ज़िंदगी बदल रही है ज़िंदगी... नाचने को इश्क़ में मचल रही है ज़िंदगी... ठोकरों से मौत की संभल रही ज़िंदगी... कभी दर्द-कभी चैन से बहल रही है... Hindi · ग़ज़ल 71 Share Shekhar Chandra Mitra 4 Aug 2022 · 1 min read आदिवासियों पर अत्याचार मैं बाग नहीं, जंगल चाहता हूं इस शहर से दंगल चाहता हूं... (१) आदिवासियों के मूद्दों को लेकर पूरे देश में हलचल चाहता हूं... (२) आग उगलती बंदूकों के ख़िलाफ़... Hindi · ग़ज़ल 137 Share Shekhar Chandra Mitra 3 Aug 2022 · 1 min read भगतसिंह: रोमांटिक रिबेल सभी यारों का एक यार भगतसिंह! खुशमिजाज और दिलदार भगतसिंह!! ज़िंदगी से कहीं ज़्यादा करता था अपनी आज़ादी से प्यार भगतसिंह!! समझता था फांसी के फंदे को मेहबूब की बांहों... Hindi · ग़ज़ल 1 256 Share Shekhar Chandra Mitra 31 Jul 2022 · 1 min read सआदत हसन मंटो क्या वाइज-क्या हुक़्मरान मुझसे सब के सब परेशान! मैं जितना ज़्यादा बदतमीज उतना ही ज़्यादा बदजुबान!! धरती और आकाश के बीच मेरा नहीं कोई अपना मुल्क! मुझे पाकिस्तानी कहता भारत... Hindi · ग़ज़ल 169 Share Shekhar Chandra Mitra 24 Jul 2022 · 1 min read फ़नकारों की बेकद्री ऐसे समाज को लानत है! जहां फ़नकार बेइज़्ज़त है!! इस मुल्क में शायर होना कितनी बड़ी फ़ज़ीहत है!! जिसने सच की पैरवी की उसकी तो समझो शामत है!! सवाल करे... Hindi · ग़ज़ल 91 Share Shekhar Chandra Mitra 5 Jul 2022 · 1 min read लोकतंत्र के पहरेदार सोते रहो तुम सोते रहो गफलत की नींद में सोते रहो! रोते रहो तुम रोते रहो अपनी क़िस्मत पर रोते रहो!! बने हुए हैं जो कुछ लोग आज पहरेदार लोकतंत्र... Hindi · ग़ज़ल 126 Share Shekhar Chandra Mitra 15 Jun 2021 · 1 min read कबीर: एक नाकाम पैगम्बर हवाओं पर दर्ज़ करने मुहब्बत का पैग़ाम उतरा था वह ज़मीन पर छोड़ कर आसमान। (१) हिंदी-उर्दू से उसका कोई वास्ता नहीं था वह बोलता था दिल की धड़कनों की... Hindi · कविता · ग़ज़ल · गीत 1 3 466 Share Previous Page 2