Shailendra Aseem Tag: कविता 10 posts Sort by: Latest Likes Views List Grid Shailendra Aseem 21 May 2022 · 1 min read पुरी के समुद्र तट पर (1) पुरी के समुद्र तट पर हो चुका है सूर्योदय मछुवारों की नावें आ गयी हैं किनारे जाल में फंसी हैं रंग-बिरंगी मछलियाँ, केकड़े,घोंघे,सुंदर सीप, और भी बहुत कुछ उठाता हूँ... Hindi · कविता 3 3 372 Share Shailendra Aseem 30 Apr 2022 · 1 min read पहाड़ों की रानी मैं लगाना चाहता हूँ तुम्हारे जूड़े में चेस्टनट के फूल क्योंकि मुझे दिखते हैं इनमें कई साफ शफ़्फ़ाफ़ दिल नहीं है जिनमें ज़रा सी भी कटुता आज के प्रयोगवादी युग... Hindi · कविता 661 Share Shailendra Aseem 29 Apr 2022 · 2 min read सुन ज़िन्दगी! सुन ज़िन्दगी! चौंक गयी ना, देखकर मुझे? तूने क्या समझा था, मिट गया मैं? लुट गया मैं? बहुत खुश थी तू मेरे ख्वाबों के पर काटकर दौड़ते पैरों में ज़ंजीर... Hindi · कविता 1 491 Share Shailendra Aseem 27 Apr 2022 · 1 min read पिता पहचान, आन-बान व सम्मान पिता हैं होठों पे थिरकती हुई मुस्कान पिता हैं चन्दन की तरह पाक व गंगा सी विमलता भगवान के भेजे हुए वरदान पिता हैं अपनी न... “पिता” - काव्य प्रतियोगिता एवं काव्य संग्रह · कविता 9 14 876 Share Shailendra Aseem 11 Dec 2021 · 1 min read कहाँ पाओगे? कहाँ पाओगे ? ~~~~~~~~ (1) कौन भला रोके सुगन्ध को हवा कहाँ प्रतिबन्ध मानती पंछी के आने - जाने पर सीमा कैसे रार ठानती स्निग्ध चाँदनी की शीतलता कैसे ठहरे,... Hindi · कविता 1 1 355 Share Shailendra Aseem 5 Sep 2021 · 1 min read गुरु न तुम होते अगर पथ में, बिखरता मैं चला जाता। दिये की लौ नहीं जलती, उजाला दूर हो जाता।। तुम्हारे ज्ञान की गंगा, तुम्हारे स्नेह की धारा। भिगोती यदि नहीं... Hindi · कविता 1 2 432 Share Shailendra Aseem 19 Aug 2021 · 1 min read ऐ ज़िन्दगी! ऐ ज़िन्दगी ! किस मिट्टी से बनी है तू ? मिट्टी नहीं शायद पत्थर से, पत्थर भी नहीं शायद किसी और ही चीज़ से, पल-पल में बदलती है अनगिनत रंग,... Hindi · कविता 1 389 Share Shailendra Aseem 10 Jul 2021 · 1 min read एक लड़की धड़कनों की पुकार थी, क्या थी या कि जाने-बहार थी, क्या थी तन-बदन पर जो छा गयी आकर वो बसन्ती बयार थी, क्या थी सर्द मौसम था जबकि पहले पहल... Hindi · कविता 243 Share Shailendra Aseem 9 Jul 2021 · 2 min read युद्ध हमें लड़ना होगा सिंधु नदी के जल से तुझको पाला-पोसा, बड़ा किया सर्वाधिक तरजीही राष्ट्र बनाकर था सम्मान दिया लेकिन अपनी फितरत से भी बाज भला कब आता तू छेद उसी में करता... Hindi · कविता 1 2 403 Share Shailendra Aseem 9 Jul 2021 · 1 min read आँखें लाज से, शर्म से ख़ुद ही में सिमटती आँखें बाज़ू-ए-इश्क़ में बल खा के लरज़ती आँखें साँस में, रूह में, तन-मन में उतर आई थीं हाय वो खुश्बू-ए-उल्फ़त से महकती... Hindi · कविता 244 Share