Satendra Gupta 9 posts Sort by: Latest Likes Views List Grid Satendra Gupta 1 Apr 2020 · 1 min read ग़म तुझे क्या मुझे ये बताओ सनम लग रही आँख नम क्यों तुम्हारी बहुत। ग़म तुझे क्या मुझे ये बता ओ सनम।। बे-वजह यूँ न मुझ से ख़फ़ा तुम रहो। जो रज़ा हो तुम्हारी उसे तुम कहो।।... Hindi · गीत 432 Share Satendra Gupta 10 Apr 2020 · 1 min read प्यार की शम्मा जला कर देखिए ज़िंदगी मुझ को बना कर देखिए। प्यार की शम्मा जला कर देखिए।। साथ दूंगा उम्र भर मैं आपका। इक कदम आगे बढ़ा कर देखिए।। छू न पायेगा कभी ग़म आप... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 419 Share Satendra Gupta 7 May 2020 · 1 min read वफ़ा सब हमारी भुला दीजिए ज़हन से मुझे अब मिटा दीजिए। वफ़ा सब हमारी भुला दीजिए।। नही दे सका साथ इक पल कभी। मुझे बेवफ़ा दिल, बता दीजिए।। कभी याद आयें न हम आपको। पुराने... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 370 Share Satendra Gupta 30 Mar 2020 · 1 min read प्यार कर के रुलाना नहीं चाहिये दिल कभी यूँ दुखाना नहीं चाहिये। प्यार कर के रुलाना नहीं चाहिये।। चाहता हो दिलो जान से जो हमें। आँख उनसे चुराना नहीं चाहिये।। जो तुम्हारी तरह ही मुहब्बत करे।... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 2 332 Share Satendra Gupta 19 Feb 2022 · 1 min read गुरु के श्री चरणों में समर्पित दोहें बिन गुरु राम राम नही, मिले न गुरु बिन ज्ञान। गुरु की दृष्टि पड़े अगर, शिला बने भगवान।। शून्य से जो शिखर तलक, रखें सदा ही ध्यान। मात - पिता... Hindi · दोहा 1 2 248 Share Satendra Gupta 9 Apr 2020 · 1 min read मिरी याद दिल से मिटाने लगे हैं नज़र आज कल वो चुराने लगे हैं। मिरी याद दिल से मिटाने लगे हैं।। हमारे सपन , जो सँजोते न थकते। वही बे - वफ़ा अब बुलाने लगे हैं।। मुझे... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 241 Share Satendra Gupta 7 Apr 2020 · 1 min read तिरी आँखें मुझे सब कह रही हैं मुझे तू प्यार कितना कर रही है। तिरी आँखें मुझे सब कह रही हैं।। किसी के कैफ़ियत मे डूब जाना इशारों ही इशारों में फिर बुलाना नज़र की ये नज़ाकत... Hindi · गीत 2 217 Share Satendra Gupta 16 Feb 2022 · 1 min read दोहें अपने बस में कुछ नहीं, बँधे हुए हैं हाथ। लागे जान निकल रही, प्रिय जब छोड़े साथ।। तन मन अर्पित मैं किया, किया न तुमने प्यार। बदले में मुझको दिया,... Hindi · दोहा 207 Share Satendra Gupta 30 Mar 2022 · 1 min read दोहें आजकल के हालात पर हर कोई करता रहा, अपने पन का ढोंग। दूर हमारा भ्रम कियें, थें कुछ अपने लोग।। कह दूँ जो मैं सच अगर, जायेगा सब छूट। रिश्ते अब तो चल रहे,... Hindi · दोहा 127 Share