डॉ संदीप विश्वकर्मा "सुशील" 9 posts Sort by: Latest Likes Views List Grid डॉ संदीप विश्वकर्मा "सुशील" 23 Dec 2018 · 1 min read डॉक्टर साहब डॉक्टर साहब ये दवा नुकसान तो नही करेगी... ग्यारंटी लो क्या ये मुझे ठीक करेगी....? ऐसे भी मरीज आते है, उल्टे सीधे सवालो के बम गिराते है, खुजली वाले हाथो... Hindi · कविता 2 3 573 Share डॉ संदीप विश्वकर्मा "सुशील" 9 Dec 2018 · 1 min read सृजन चलो बनाये नव संसार, समय सृजन का आया है ! आओ करे राष्ट्र निर्माण, समय सृजन का आया है !! छाया है चंहुओर अंधेरा, तारो बिन सुना गगन है जहरीली... Hindi · कविता 355 Share डॉ संदीप विश्वकर्मा "सुशील" 9 Dec 2018 · 1 min read गुरू वन्दना नमामि गुरूवर नमामि गुरूवर, नमन करो स्वीकार ! मे मूरख अज्ञानी मुझमे अवगुण दोष हजार..! आप कृपा के सागर हो ,अमृत है आपकी वाणी ! उद्धार करो मेरा गुरूवर, मे... Hindi · कविता 645 Share डॉ संदीप विश्वकर्मा "सुशील" 1 Jan 2018 · 1 min read नया वर्ष भूल के बिसरी बातों को अब आज नयी शुरूआत करें. नयी बुलंदी को छूना है, फिर से नया प्रयास करें.. बीत गया सो बीत गया वक्त बदलते रहना है. संघर्ष... Hindi · कविता 479 Share डॉ संदीप विश्वकर्मा "सुशील" 13 Dec 2017 · 2 min read इंसान या शैतान आज का इंसान तो बस, मूरत है शेतान की... दया धर्म अब बचा नही है, पापी हर इंसान है.. खून चूसते धोखा देते, बने हुए हैवान है.. भुखा बच्चा उस... Hindi · कविता 1k Share डॉ संदीप विश्वकर्मा "सुशील" 24 Jun 2017 · 2 min read भ्रुण हत्या बेटी है गर्भ के अंदर एक बाप यह जान गया था.. बेटी कि भ्रुण हत्या का फिर उसने विचार किया था... तभी अचानक माँ की कोंख से बेटी की आवाज... Hindi · कविता 1 550 Share डॉ संदीप विश्वकर्मा "सुशील" 18 Jun 2017 · 1 min read पिता एक पिता ही है जो ख्वाहिशे अपनी बच्चो के नाम करता है... परीवार को छाया देने के लिये धूप मे भी काम करता है... ऊपर से सख्त अंदर से नर्म,... Hindi · कविता 631 Share डॉ संदीप विश्वकर्मा "सुशील" 13 Jun 2017 · 1 min read पहली बारिश खिलखिलायी है बहार मोसम सुहाना आ गया... सबके मन को रिझाने वाला तराना आ गया... पहली बूँदे बारिश कि जब धरा को छु जाती है.. सोंधी खुशबु मिट्टी की मन... Hindi · कविता 380 Share डॉ संदीप विश्वकर्मा "सुशील" 5 Jun 2017 · 1 min read वो हो सकते इंसान नही... विद्ध्यालय तो बहुत है लेकिन, बचा किसी मे ग्यान नही.. पड़े लिखे सब हो गये है, पर कोई बुद्धीमान नही... शिष्टाचार से रहना सीखो, करो बुरा व्यवहार नही.. रहते है... Hindi · कविता 408 Share