Sandeep Vyas Language: Hindi 9 posts Sort by: Latest Likes Views List Grid Sandeep Vyas 24 Nov 2018 · 1 min read माँ कितनी गहराई है तेरे मन की माँ रोज़ उतरता हूँ गोते लगता हूँ इस प्यार के सैलाब में एक ख़ुशनुमा नदी बहती है तेरे मन में एक ऊँचाई है स्वाभिमान... "माँ" - काव्य प्रतियोगिता · कविता 3 22 349 Share Sandeep Vyas 9 Dec 2017 · 1 min read भीड़ कहा सोचती है यह भीड़ कुचलती हुई आगेबढ़ती है ये भीड़, घमंड से सरोबार, बस मारती है ये वैशी भीड़, रौंदती है बूढ़ी माँ की लाठी को चार साल के... Hindi · कविता 1 316 Share Sandeep Vyas 9 Dec 2017 · 1 min read परछाईं और सूर्य यह जो परछाईं है मेरी, कभी मेरे आगे, कभी मेरे पीछे, और कभी एकाकार। यह कुछ रिश्ते भी है मेरे, कभी खटास, कभी मिठास, और कभी एक समास । और... Hindi · कविता 551 Share Sandeep Vyas 5 Dec 2017 · 1 min read समय समय से कुछ माँगा मैंने कुछ चाह थी, परवाह थी, पर असमय ही दिया तूने, कुछ रिश्ते माँगे, सिर्फ़ एहसास दिया तूने, कुछ चीज़ें माँगी, हर पल इंतज़ार दिया तूने,... Hindi · कविता 518 Share Sandeep Vyas 5 Dec 2017 · 1 min read एक और एकान्त एक से बना मे एक में ही बढ़ा में एक एक और मिले , रिश्तों के ताने बुने, फिर भी, खोजता उस एक को रहा में अन्त में एकान्त है... Hindi · कविता 483 Share Sandeep Vyas 4 Dec 2017 · 2 min read क्यारी न मेरी, न तुम्हारी, ये है हम सब की क्यारी, उन गढ़ते रिश्तों की, गहराती यादों की, परत दर परत जमती कहानियों की, याद दिलाती सब क़िस्सों की, समेटे सब... Hindi · कविता 1 539 Share Sandeep Vyas 4 Dec 2017 · 1 min read चादर अनेक कहानियाँ सिमट जाती हैं उन तह की गयी चादरों में उन्हें बिखरी रहने दो.... हर सलवट में है नई कहानी, बचपन में भाई से लड़ाई की, मॉं से रूठ... Hindi · कविता 443 Share Sandeep Vyas 30 Nov 2017 · 1 min read पगडँडी और सड़क जीवन को नापती, ये पतली गलियाँ अब चौड़ी और मगरूर हो गई है, गाँव की वो पगडँडी, जो अकसर घर पर आकर, रूक जाया करती थी, आज शहर की सड़क... Hindi · कविता 468 Share Sandeep Vyas 30 Nov 2017 · 1 min read पुरानी जेब पुराने कोट की पुरानी जेब में , टटोला तो कुछ टुकड़े मिले, कॉंच के, हर टुकडे में कुछ निंशा थे, बीते कल के,कुछ पल के, नन्ही लोरी के, खट्टी गोली... Hindi · कविता 506 Share