Sandeep Thakur Tag: ग़ज़ल - संदीप ठाकुर 1 post Sort by: Latest Likes Views List Grid Sandeep Thakur 11 Aug 2025 · 1 min read रात-दिन रोने से भी कुछ बात बन पाई कहाँ - संदीप ठाकुर रात-दिन रोने से भी कुछ बात बन पाई कहाँ ख़ूब बरसीं आंँख पर बरसात बन पाई कहाँ चांद तारे पेड़ दरिया सब बनाने ही पड़े कैनवस पे सिर्फ काली रात... Hindi · Sandeep Thakur Ghazal · Sandeep Thakur Shayari · ग़ज़ल - संदीप ठाकुर · रात-दिन रोने से भी कुछ · शेर 9 7 832 Share