समीर कुमार "कन्हैया" Language: Hindi 17 posts Sort by: Latest Likes Views List Grid समीर कुमार "कन्हैया" 10 Jan 2023 · 1 min read बिहार जग जननी की जन्म भूमि जहां गौतम बुद्ध को ज्ञान मिला कलकल गंग की धार जहां खेतों में अमृत डाल दिया । जो गुरु गोविंद की क्रीड़ा स्थल जिस धरती... Hindi 1 202 Share समीर कुमार "कन्हैया" 11 Jan 2022 · 1 min read बेवजह तो कुछ भी नहीं बेवजह तो कुछ भी नहीं आंसू भी नहीं मुस्कुराहट भी नहीं । बेवजह तो ये जिंदगी भी नहीं । धूप भी नहीं , छांव भी नहीं । बेवजह तो होती... Hindi · कविता 1 367 Share समीर कुमार "कन्हैया" 11 Jan 2022 · 1 min read फिर से उस करुण वेदना को , भूला भी नहीं था । उन छलके आंसुओं को पोंछा भी नहीं था । कि फिर से वो दैत्य सुगबुगाने लगा है । हवा में... Hindi · कविता 2 271 Share समीर कुमार "कन्हैया" 9 Jun 2021 · 1 min read बाल श्रम हे मेरे समाज ! मुझे खेलने दो । पेंसिल और स्लेट दो मुझे पढ़ने दो । अभी प्रारंभ है मेरे जीवन की इसे संवरने दो ! इन नन्हें हाथों को... Hindi · कविता 3 2 329 Share समीर कुमार "कन्हैया" 5 Jun 2021 · 1 min read पर्यावरण दिवस धरती पर पलने का कुछ कर्ज चुकाएं मां वसुंधरा की आंचल को चलो सजाएं । हरे-भरे वृक्षों को पथ के पास लगाएं चलो चलें सब मिलकर पर्यावरण दिवस मनाएं ।... Hindi · कविता 506 Share समीर कुमार "कन्हैया" 1 May 2021 · 1 min read मजदूर का बदन आज मजदूर दिवस की अवसर पर सभी मजदूर भाईयों को समर्पित मेरी कुछ पंक्तियां :- "मजदूर का बदन" चिलचिलाती धूप हो या हो भींगता हुआ तन सहनशील है बड़ा मजदूर... Hindi · कविता 1 443 Share समीर कुमार "कन्हैया" 25 Apr 2021 · 1 min read रहम करो सरकार भारत के हर कोने में मचा है त्राहिमाम अब तो रहम करो सरकार । गद्दी का लालच छोड़ो दिल का दरवाजा खोलो उन बहती नयनों को देखो दया की है... Hindi · कविता 4 331 Share समीर कुमार "कन्हैया" 24 Apr 2021 · 1 min read व्याधि बुद्धि से है । व्याधि वह नहीं जो फैल रहा संक्रमण से है व्याधि तो हम अपनी बुद्धि से है । फैलता जो रोग निकटता से है दूरी क्यों बनाएं हम व्याधि जो बुद्धि... Hindi · कविता 2 651 Share समीर कुमार "कन्हैया" 23 Apr 2021 · 1 min read यह विश्व बड़ी टेढ़ीमेढ़ी जो सर्पों को दुध पीलाते है , बदले में विष हीं पाते है । शत्रु को गले लगाते है , खंजर बदले में पाते है । जो बाँसे सीधी होती... Hindi · कविता 1 4 266 Share समीर कुमार "कन्हैया" 23 Apr 2021 · 1 min read वजह तुम हो ये जो मैं सांसें लेता हूं वजह तुम हो । बगैर पिये भी जी लेता हूं , वजह तुम हो । नशीली आंखों के नशें में डूब जाता हूं ।... Hindi · कविता 1 407 Share समीर कुमार "कन्हैया" 23 Apr 2021 · 1 min read कायर जब अन्त किसी का आता है , मन विचलित सा हो जाता है । हृदय गति , बुद्धि , ताकत , कोई भी साथ न देता है । मन उथल-पुथल... Hindi · कविता 2 2 327 Share समीर कुमार "कन्हैया" 23 Apr 2021 · 1 min read अभिव्यक्ति की आजादी हम स्वछंद है स्वतंत्र है गणतंत्र है मां भारती । कर्त्तव्य है अधिकार है संविधान भी है राष्ट्र की । सवाल है जबाब है अभिव्यक्ति भी है राष्ट्र की लोकतंत्र... Hindi · कविता 2 345 Share समीर कुमार "कन्हैया" 23 Apr 2021 · 1 min read प्रेम प्रेम शांति है , प्रेम संवेदना है । प्रेम समृद्धि है , प्रेम वन्दना है । प्रेम अचेतन की चेतना है , अंतर्मन की भावना है । ईश्वर की प्रेरणा... Hindi · कविता 508 Share समीर कुमार "कन्हैया" 23 Apr 2021 · 1 min read पृथ्वी वह जो दिख रहा है दूर ब्रम्हांड के एक कोने में , हां , पृथ्वी है वो जीवन युक्त श्रेष्ठ पिंड विदित संपूर्ण सृष्टि में । कुछ शक्तियां इसके विशेष... Hindi · कविता 254 Share समीर कुमार "कन्हैया" 23 Apr 2021 · 1 min read भारतीय नेता हम सत्ता के आदी हैं जनता से मेरा मतलब क्या । हम भारत के शासक है शोषण से ज्यादा मतलब क्या । हम नारे , जुमले गढ़ते हैं कानून से... Hindi · कविता 492 Share समीर कुमार "कन्हैया" 23 Apr 2021 · 1 min read संसद की दीवारें लोकतंत्र की शाए में साजिश नज़र आती है । अभिव्यक्ति को दबाने की चाल नज़र आती है जनता की आवाज कहीं गुम होने वाली है सुना है संसद की दीवारें... Hindi · कविता 2 240 Share समीर कुमार "कन्हैया" 23 Apr 2021 · 1 min read बिलखती है स्त्री *बिलखती स्त्री* बिलखती है स्त्री , रोती है स्त्री । जब शासक हीं शोषक हो , रक्षक हीं भक्षक हो , तो बिलखती है स्त्री । न स्नेह हो ,... Hindi · कविता 2 644 Share